विचारों के अनुरूप ही मनुष्य की स्थिति और गति होती है। श्रेष्ठ विचार सौभाग्य का द्वार हैं, जबकि निकृष्ट विचार दुर्भाग्य का,आपको इस ब्लॉग पर प्रेरक कहानी,वीडियो, गीत,संगीत,शॉर्ट्स, गाना, भजन, प्रवचन, घरेलू उपचार इत्यादि मिलेगा । The state and movement of man depends on his thoughts. Good thoughts are the door to good fortune, while bad thoughts are the door to misfortune, you will find moral story, videos, songs, music, shorts, songs, bhajans, sermons, home remedies etc. in this blog.
क्या दो चार बार नाम लेने से भी कल्याण हो जाएगा | एक बार राम नाम बोलने की कीमत ?
क्या है स्वामी रामदेव का असली सच!!
Dil Ne Dhadkana (दिल ने धड़कना) Song by Pankaj Udhas
Ek Taraf Uska Ghar · Pankaj Udhas - एक तरफ उसका घर -ऐ गम-ए-ज़िंदगी कुछ तो दे मशवरा
मानवता ही इंसान का सबसे बड़ा धर्म Man is the greatest religion of man
मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है, जिसमें न कोई हिंदू न कोई मुस्लिम,लेकिन आज लोग मानवता भूल कर एक दूसरे के खून के दुश्मन बने हुए हैं। इसलिए लोगों को मानवता का रास्ता अपनाना चाहिए ताकि सभी का भला हो सके।
आज काम, क्रोध, मोह-माया विकारों के आवेश में आकर इंसान क्रूर से क्रूर कृत्य करने से नहीं परहेज करता है। गाय माता का वध किया जाता है जो इंसान के पतन का कारण है।
Kisi Nazar Ko Tera Intezar Full Song | Aitbaar | Asha Bhosle,Bhupinder |Dimple Kapadia,Suresh Oberoi
Kabhi Bekasi Ne Maara Full Video Song | Alag Alag | Kishore Kumar | R.D. Burman | Rajesh Khanna
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कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को... Koi Pathar Se Na Maare | Lata Mangeshkar | Laila Majnu Song
परिवार और मां एक प्रेरणादायक कहानी Family and mother an inspirational story
एक गांव में एक सुखी परिवार रहता था। उस परिवार में तीन भाई और एक बहन थी। उनके मां-बाप उन चारों से बेहद प्यार करते थे मगर बीच वाले बेटे से थोड़ा परेशान थे। बड़ा बेटा पढ़ लिखकर डॉक्टर बन गया था और छोटा बेटा भी पढ़ लिखकर इंजीनियर बन गया था। मगर बीच वाला बेटा बिल्कुल गंवार और आवारा किस्म का था। कुछ समय बाद उनके दोनो बेटे डॉक्टर और इंजीनियर ने शादी कर ली और महीनों के बाद ही इनकी बेटी का भी एक अच्छे घराने में विवाह हो गया मगर बीच वाला बेटा अभी भी कुंवारा ही था। वह अनपढ़ था और कहीं पर मजदूरी का छोटा सा काम करता था। उसको शादी के लिए कोई भी लड़की नहीं मिल रही थी। उसके मां-बाप उस से बहुत परेशान हो चुके थे। अब जब भी उसकी बहन अपने मायके आती तो वह अपनी डॉक्टर और इंजीनियर दोनों भाइयों से मिलती थी मगर बीच वाले भाई से बहुत कम मिलती थी। क्योंकि वह उसे ज्यादा पैसे नहीं दे पाता था। लेकिन फिर भी वह अपनी बहन से बहुत अधिक प्यार करता था।
कुछ समय बाद उनके पिताजी की बीच वाले बेटे की बिना शादी किए बिना ही मृत्यु हो गई। उनकी मां ने सोचा कहीं अब किसी के मुंह से बंटवारे की बात निकले इसलिए अपने ही गांव में एक सीधी-सादी लड़की से मंझले बेटे की शादी करवा दी। शादी होते ही न जाने क्या हुआ? अनपढ़ बेटा मन लगाकर काम करने लगा और पहले से कहीं ज्यादा मेहनत भी करने लगा। अब कोई भी पुराना दोस्त उसको मटरगस्ती के लिए बुलाने आता तो वह मना कर देता। एक दिन उसके डॉक्टर और इंजीनियर भाई ने सोचा कि यह तो गंवार और अनपढ़ है। हम इससे कहीं ज्यादा पैसे कमा लेते हैं। इसलिए अब हमें बंटवारा कर लेना चाहिए। मां के लाख मना करने के बाद भी दोनों बेटों ने बंटवारे की तारीख तय कर दी और उन्होंने अपनी बहन को भी बुला लिया। तभी उनका गंवार भाई कहता है? कि तुम लोग बंटवारा कर लो मुझे जो बचे वो दे देना या ना देना। मैं शाम को आकर अंगूठा लगा दूंगा। तभी उसकी बहन कहती है अरे! बेवकूफ तू तो हमेशा बेवकूफ ही रहेगा। जमीन का हिस्सा तो आमने- सामने बैठकर होता है। और उसकी मां भी उसे काम पर जाने से रोकती है। उसी वक्त वकील भी वहां आ जाता है और कहता है कि आपका सारा हिस्सा मिलाकर 10 बीघा जमीन और एक मकान है। अब यह बताओ किसको कितना हिस्सा देना है मैं उसी हिसाब से कागज बनवा दूंगा। तब गवार भाई कहता है वकील साहब 5-5 बीघा जमीन हमारे दोनों भाइयों के नाम लिख दो और यह हमारा घर है, मेरी प्यारी बहन के नाम कर दो। तब दोनों भाई पूछते हैं कि तू अपने हिस्से में क्या लेगा? गंवार भाई कहता है कि मेरे हिस्से में मेरी प्यारी मां है। वह अपनी पत्नी की तरफ मुस्कुराते हुए कहता है क्यों क्या मैंने गलत कहा। उस गंवार और अनपढ़ की पत्नी अपनी सास से लिपट कर कहती है मां से बड़ी वसीयत क्या होगी मेरे लिए। उसी वक्त उसका गंवार पति भी अपनी मां से लिपट जाता है। गंवार बेटे और बहू के प्यार ने जमीन जायदाद के बंटवारे को एक सन्नाटे में बदल दिया। तभी बहन अपने गंवार भाई के गले लग कर लिपट कर रोते हुए कहती है कि माफ कर दो भैया। मैं आपको सम्मान नहीं दे सकी। तभी उसका भाई कहता है मेरी प्यारी बहन इस घर में जितना अधिकार हमारा है। उतना ही तुम्हारा भी है और रही बात बंटवारे की तो बंटवारा नहीं करने से जीवन खत्म तो नहीं हो जाएगा। क्यों करते हैं हम बंटवारा? क्या हम एक साथ मिलकर नहीं रह सकते। जैसे हम बचपन में मिलकर खेलते रहते थे। एक साथ मिलकर रहने को ही तो कहते हैं एक अच्छा परिवार और उसके परिवार को संभालती है एक मां। तभी उसके दोनों भाई भी बहुत शर्मिंदा होते हैं और वह बंटवारे के सभी कागज फाड़ कर फेंक देते हैं और उस दिन के बाद से उनका पूरा परिवार खुशी खुशी एक साथ रहने लगा।
परिवार में प्रेम कैसे बनाए रखें ? How to maintain love in the family?
हम अच्छी बात को याद नहीं रख सकते हैं तो बुरी बातों भी याद नहीं रखना चाहिए, तभी परिवार में सुख बना रहता है, दो भाइयों के बीच हो गई लड़ाई, घर और व्यापार का बंटवारा हो गया, इसी तरह कई साल बीत गए, तभी एक संत ने भाई को समझाया कि छोटे से मतभेद खत्म कर लेना चाहिए,
घर में प्रेम और सुख बना रहे, इसके लिए परिवार के सभी सदस्यों के बीच आपसी तालमेल होना जरूरी है। छोटी-छोटी बातों की वजह से होने वाले विवादों से आपसी रिश्ते खराब नहीं करना चाहिए। एक लोक कथा के अनुसार पुराने समय में एक परिवार में दो भाई बड़े प्रेम से रहते थे। दोनों का विवाह साथ में ही हुआ।
विवाह के बाद कुछ दिन तो सब ठीक रहा, लेकिन दोनों भाइयों की पत्नियों की वजह से झगड़े होने लगे। रोज-रोज के झगड़ों से तंग आकर इनके माता-पिता बीमार हो गए और उनकी मृत्यु हो गई। माता-पिता की मृत्यु के बाद दोनों भाइयों ने घर और व्यापार का बंटवारा कर लिया।
दोनों की दुकानें आसपास ही थी। दोनों भाई रोज अपनी-अपनी दुकान आते, लेकिन एक-दूसरे से बात नहीं करते थे। इसी तरह कई साल निकल गए। छोटे भाई की लड़की का विवाह तय हो गया। उसकी पत्नी ने कहा कि बड़े भाई को भी विवाह में बुलाना चाहिए।
छोटा भाई सभी विवाद भूल कर बड़े भाई को विवाह में आमंत्रित करने गया, लेकिन उसने शादी में आने से मना कर दिया। इस बात से छोटा भाई बहुत दुखी था। तभी उसे मालूम हुआ कि उसका भाई किसी संत के प्रवचन सुनने जाता है। वह भी संत के पहुंच गया और पूरी बात बता दी।
संत ने उससे कहा कि ठीक है, मैं तुम्हारे भाई को समझाने की कोशिश करूंगा। जब बड़ा भाई संत के पास पहुंचा तो संत ने उसे छोटे भाई के यहां विवाह में जाने के लिए कहा। तब बड़े भाई ने कहा कि मैं अपने भाई से नाराज हूं, उसने मुझसे झगड़ा किया था।
तब संत ने उससे कहा कि अच्छा ये बताओ मैंने पिछले सप्ताह सत्संग में कौन सी कथा सुनाई थी। वह व्यक्ति बोला कि गुरुजी आजकल काम बहुत बढ़ गया है। उसके बाद घर की परेशानियां, ऐसे में मुझे पिछले सप्ताह के सत्संग की बातें मैं भूल गया हूं।
संत बोले कि भाई जब तुम अच्छी बातें एक सप्ताह भी याद नहीं रखते हो तो छोटे भाई की बुरी बातों को इतने सालों के बाद भी क्यों नहीं भूल रहे हो। परिवार में अच्छी-बुरी बातें होती रहती हैं, लेकिन अच्छी बातों को याद रखना चाहिए और बुरी बातों को भूल जाना चाहिए। तभी परिवार में प्रेम और सुख बना रहता है।
बड़े भाई को अपनी गलती समझ आ गई। इसके बाद वह संत से आज्ञा लेकर अपने छोटे भाई के घर पहुंचा और दोनों भाइयों के बीच का झगड़ा खत्म हो गया।
Feetured Post
प्रत्येक रिश्ते की अहमियत
मैं घर की नई बहू थी और एक निजी बैंक में एक अच्छी पद पर काम करती थी। मेरी सास को गुज़रे हुए एक साल हो चुका था। घर में मेरे ससुर, श्री गुप्ता...