विचारों के अनुरूप ही मनुष्य की स्थिति और गति होती है। श्रेष्ठ विचार सौभाग्य का द्वार हैं, जबकि निकृष्ट विचार दुर्भाग्य का,आपको इस ब्लॉग पर प्रेरक कहानी,वीडियो, गीत,संगीत,शॉर्ट्स, गाना, भजन, प्रवचन, घरेलू उपचार इत्यादि मिलेगा । The state and movement of man depends on his thoughts. Good thoughts are the door to good fortune, while bad thoughts are the door to misfortune, you will find moral story, videos, songs, music, shorts, songs, bhajans, sermons, home remedies etc. in this blog.
एक बार एक चींटी ने एक बड़े बड़े फलों को उठाने का सोचा। वह फलों के नीचे जाकर उन्हें उठाने की कोशिश करने लगी, लेकिन वह बहुत छोटी थी और फल बहुत भारी थे। वह बार-बार फलों के नीचे जाकर उन्हें उठाने की कोशिश करती रही, लेकिन वह नहीं हो पाई।
फिर उसने एक बड़ी चींटी को अपनी मदद के लिए बुलाया। बड़ी चींटी ने उसे बताया कि वह फलों को उठाने के लिए एक टोकरी ले आएगी। उसने टोकरी लाकर फलों को उसमें डाला और उसे उठा लिया।
Short Motivational Story in Hindi
Moral of Story: इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि जब हम अकेले होते हैं तो हमें अपने साथ दूसरों की मदद लेनी चाहिए। इससे हमें अपने लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलती है और हम अपने लक्ष्य को जल्दी से और आसानी से हासिल कर सकते हैं।
एक समय की बात है। एक राज्य में एक प्रतापी राजा राज करता था। एक दिन उसके दरबार में एक विदेशी आगंतुक आया और उसने राजा को एक सुंदर पत्थर उपहार में दिया। राजा वह पत्थर देख बहुत प्रसन्न हुआ। उसने उस पत्थर से भगवान विष्णु की प्रतिमा का निर्माण कर उसे राज्य के मंदिर में स्थापित करने का निर्णय लिया और प्रतिमा निर्माण का कार्य राज्य के महामंत्री को सौंप दिया।
महामंत्री गाँव के सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार के पास गया और उसे वह पत्थर देते हुए बोला, “महाराज मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं। सात दिवस के भीतर इस पत्थर से भगवान विष्णु की प्रतिमा तैयार कर राजमहल पहुँचा देना। इसके लिए तुम्हें 50 स्वर्ण मुद्रायें दी जायेंगी।” 50 स्वर्ण मुद्राओं की बात सुनकर मूर्तिकार ख़ुश हो गया और महामंत्री के जाने के उपरांत प्रतिमा का निर्माण कार्य प्रारंभ करने के उद्देश्य से अपने औज़ार निकाल लिए। अपने औज़ारों में से उसने एक हथौड़ा लिया और पत्थर तोड़ने के लिए उस पर हथौड़े से वार करने लगा। किंतु पत्थर जस का तस रहा। मूर्तिकार ने हथौड़े के कई वार पत्थर पर किये, किंतु पत्थर नहीं टूटा।
पचास बार प्रयास करने के उपरांत मूर्तिकार ने अंतिम बार प्रयास करने के उद्देश्य से हथौड़ा उठाया, किंतु यह सोचकर हथौड़े पर प्रहार करने के पूर्व ही उसने हाथ खींच लिया कि जब पचास बार वार करने से पत्थर नहीं टूटा, तो अब क्या टूटेगा। वह पत्थर लेकर वापस महामंत्री के पास गया और उसे यह कह वापस कर आया कि इस पत्थर को तोड़ना नामुमकिन है। इसलिए इससे भगवान विष्णु की प्रतिमा नहीं बन सकती। महामंत्री को राजा का आदेश हर स्थिति में पूर्ण करना था। इसलिए उसने भगवान विष्णु की प्रतिमा निर्मित करने का कार्य गाँव के एक साधारण से मूर्तिकार को सौंप दिया। पत्थर लेकर मूर्तिकार ने महामंत्री के सामने ही उस पर हथौड़े से प्रहार किया और वह पत्थर एक बार में ही टूट गया। पत्थर टूटने के बाद मूर्तिकार प्रतिमा बनाने में जुट गया। इधर महामंत्री सोचने लगा कि काश, पहले मूर्तिकार ने एक अंतिम प्रयास और किया होता, तो सफ़ल हो गया होता और 50 स्वर्ण मुद्राओं का हक़दार बनता।
सीख
मित्रों, हम भी अपने जीवन में ऐसी परिस्थितियों से दो-चार होते रहते हैं। कई बार किसी कार्य को करने के पूर्व या किसी समस्या के सामने आने पर उसका निराकरण करने के पूर्व ही हमारा आत्मविश्वास डगमगा जाता है और हम प्रयास किये बिना ही हार मान लेते हैं। कई बार हम एक-दो प्रयास में असफलता मिलने पर आगे प्रयास करना छोड़ देते हैं। जबकि हो सकता है कि कुछ प्रयास और करने पर कार्य पूर्ण हो जाता या समस्या का समाधान हो जाता। यदि जीवन में सफलता प्राप्त करनी है, तो बार-बार असफ़ल होने पर भी तब तक प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिये, जब तक सफ़लता नहीं मिल जाती। क्या पता, जिस प्रयास को करने के पूर्व हम हाथ खींच ले, वही हमारा अंतिम प्रयास हो और उसमें हमें कामयाबी प्राप्त हो जाये।
महिलाएं भी पुरुषों की तरह शारीरिक संबंधों की ओर आकर्षित होती हैं, लेकिन अक्सर वे अपनी रुचि को व्यक्त नहीं करतीं। वे अपने पति या साथी से भी इस बारे में खुलकर बात करने में हिचकिचाती हैं। इसके पीछे सामाजिक दबाव और दूसरों के विचारों की चिंता होती है। कई बार महिलाएं अपनी इच्छाओं को दबा देती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इसके बारे में बात करने पर उन्हें गलत समझा जा सकता है।
महिलाएं आमतौर पर गुप्त संबंधों के बारे में खुलकर बात नहीं करतीं
पुरुष अक्सर एक-दूसरे से शारीरिक संबंधों के बारे में खुलकर बात कर लेते हैं, जबकि महिलाएं इस तरह की बातें दूसरों से साझा करने में संकोच करती हैं। ज्यादातर महिलाएं केवल अपनी एक-दो करीबी दोस्तों से ही गुप्त बातें साझा करती हैं। आप अपनी गर्लफ्रेंड से इस बारे में बात कर सकते हैं, लेकिन वह भी शायद इसे केवल अपनी सबसे करीबी दोस्त तक ही सीमित रखेगी।
महिलाओं को सफल पुरुषों में दिलचस्पी होती है
महिलाएं अक्सर ऐसे पुरुषों की ओर आकर्षित होती हैं जो सफल होते हैं। उनकी रुचि उन पुरुषों में अधिक होती है जो करियर और जीवन में सफल माने जाते हैं, जबकि पुरुष अक्सर सुंदर और आकर्षक महिलाओं की ओर आकर्षित होते हैं।
महिलाएं दिखावे पर ध्यान देती हैं
कई महिलाएं खुद को सुंदर और आकर्षक दिखाने के लिए हर संभव प्रयास करती हैं। वे नए कपड़े पहनने और स्टाइलिश दिखने पर जोर देती हैं। सज-संवर कर बाहर जाना एक सामान्य व्यवहार है क्योंकि वे दूसरों की नजर में खूबसूरत दिखने की कोशिश करती हैं।
कुंवारी लड़कियां अक्सर अपने आदर्श पुरुष के बारे में सोचती हैं
अधिकतर कुंवारी लड़कियां अकेले में अपने भविष्य के पति या ब्वॉयफ्रेंड के बारे में सोचती हैं। वे अपने आदर्श साथी और उनके साथ बिताए जाने वाले भविष्य के पलों की कल्पना करती हैं।
शारीरिक असंतोष से अवैध संबंधों की संभावना बढ़ती है
यदि एक महिला अपने साथी के साथ शारीरिक रूप से संतुष्ट नहीं होती, तो अवैध संबंध बनने की संभावना बढ़ जाती है। यह कई बार विवाहेतर संबंधों का प्रमुख कारण होता है।
कुंवारी माताओं की संख्या में वृद्धि
अध्ययनों के अनुसार, कुछ महिलाएं कुंवारी होते हुए भी मां बन जाती हैं। एक अध्ययन में पाया गया कि 30% महिलाएं इस स्थिति में होती हैं।
महिलाओं का सबसे अधिक उत्साहित होने का समय
वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, पीरियड्स के चार से पांच दिन बाद महिलाओं में शारीरिक और मानसिक उत्तेजना अधिक होती है।
महिलाओं को परिपक्व पुरुष पसंद आते हैं
अधिकांश महिलाएं परिपक्व और स्थिर पुरुषों की ओर आकर्षित होती हैं, जबकि पुरुष अक्सर छोटी उम्र की महिलाओं को प्राथमिकता देते हैं।
महिलाएं चाहती हैं कि लोग उनकी ओर देखें
अधिकतर महिलाएं सजने-संवरने में रुचि रखती हैं क्योंकि वे चाहती हैं कि जहां भी जाएं, लोग उनकी ओर ध्यान दें।
महिलाएं अपने सारे राज़ नहीं बतातीं
महिलाएं अपने गहरे राज़ कभी-कभी अपने साथी से भी साझा नहीं करतीं। वे कुछ बातें अपने तक ही रखना पसंद करती हैं।
महिलाएं भावनात्मक रूप से कमजोर होती हैं
महिलाएं आमतौर पर पुरुषों से अधिक भावनात्मक होती हैं। वे अपनी भावनाओं को ज्यादा महसूस करती हैं और छोटे-छोटे मामलों में भी आंसू बहा सकती हैं।
को हम इसके रासायनिक नाम मोनो सोडियम ग्लूटामेट के नाम से भी जानते है !
इसको संक्षिप्त में हम एमएसजी नाम से भी जानते है. ..
अजीनोमोटो की कंपनी का मुख्य कार्यालय चोओ,
टोक्यो में स्थित है !
• यह 26 देशों में काम करता है.
इसका इस्तेमाल ज्यादातर चीन की खाद्य पदार्थो में
खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है. ..
👉 पहले हम अधिकांशतः घर पर बने खाने को खाते थे, लेकिन अब लोग चिप्स, पिज्ज़ा और मैगी जैसे खाने को ज्यादा पसंद करने लगे हैं !
जिनमे अजीनोमोटो का इस्तेमाल होता है। इसका इस्तेमाल कई डिब्बाबंद फ़ास्ट फ़ूड सोया सॉस, टोमेटो सॉस, संरक्षित मछली जैसे सभी संरक्षित खाद्य उत्पादों में किया जाता है.
👉अजीनोमोटो को पहली बार 1909 में जापानी जैव रसायनज्ञ किकुनाए इकेडा के द्वारा खोजा गया था। उन्होने इसके स्वाद को मामी के रूप में पहचाना जिसका अर्थ होता है
👉 सुखद स्वाद.
कई जापानी सूप में इसका इस्तेमाल होता है। इसका स्वाद थोडा नमक के जैसा होता है. देखने में यह चमकीले छोटे क्रिस्टल के जैसा होता है। इसमें प्राकृतिक रूप से एमिनो एसिड पाया जाता है. ..
• किन्तु
आज दुनिया के हर कुक खाने में स्वाद को बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल करते है.
एमएसजी का इस्तेमाल सुरक्षित माना गया है, इसका इस्तेमाल पहले चीन की रसोई में होता था, लेकिन अब ये धीरे धीरे हमारे भी घरों की रसोई में अपना पैठ बना चुका है.
अपने समय को बचाने के लिए जो हम 2 मिनट में नुडल्स को तैयार कर ग्रहण करते है इस तरह के अधिकांशतः खाद्य पदार्थो में यह पाया जाता है जो धीरे धीरे हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते है. ..
👉 यह एक प्रकार से
नशे की लत जैसा होता है अगर आप एक बार अजीनोमोटो युक्त भोजन को ग्रहण कर लेते है,
तो आप उस भोजन को नियमित खाने की इच्छा रखने लगेंगे. ..
• इसके सेवन से शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ जाती है. ..
• जब आप एमएसजी मिले पदार्थो का सेवन करते है, तो रक्त में ग्लूटामेट का स्तर बढ़ जाता है.
• जिस की वजह से इसका शरीर पर गंभीर प्रभाव पड़ता है.
👉 एमएसजी को एक धीमा हत्यारा🔥 भी कहा जा सकता है !!
• यह
आँखों की रेटिना को नुकसान पहुंचाता है साथ ही यह थायराईड और कैंसर जैसे रोगों के लक्षण पैदा कर सकता है.
👉 अजीनोमोटो
से युक्त खाद्य पदार्थो का अगर नियमित सेवन किया जाये तो यह माइग्रेन पैदा कर सकता है ।
If there was a marriage in the village, it used to happen in this season because after harvesting wheat and sugarcane, the fields used to become empty and a good open space used to be available for accommodating the wedding procession.
The place where the wedding party used to stay was called Janavaas. The arrangements for Janavaas were made by the boy's family. The money for the tents used to be put up in Janavaas was paid for by the boy's family. The generator etc. was also provided by them.
The girl's family would arrange for a cot and a platform for dancing.
The whole village would stand on one foot to welcome the wedding party, serve them breakfast and lunch.
All the people who came to help the bride's family would provide breakfast and lunch to all the guests but they themselves did not eat food at the daughter's wedding.
The relatives who came to invite the daughter for her wedding would bring money, utensils, sweets, ration, saree, sikohili, bena etc. All these things were given to the daughter and on this pretext the responsibility of the daughter's family was reduced.
Until the marriage procession left, all the villagers remained ready to help. It was said that daughters are shared. All the villagers considered the honour of the daughter's father as their own honour.
Bedding, utensils and all the necessary items were brought from every house. The villagers themselves prepared the food together. The village boys kneaded the dough, the girls rolled out the puris, all the young men served the food and thus the marriage was celebrated happily.
Halls were not booked then. The wedding procession used to stop in schools, gardens and fields.
When all the wedding party would go dancing and singing to Dwar Char, all the people of the village would come and stand to welcome them.
The elders of the village used to say that a puja is going to be held at so and so's door, go and stand there for ten minutes.
Even if he had some disagreements with someone's family, he would definitely come to the door when his daughter was leaving.
How good it was in the old times when a daughter's marriage was done in a very good manner at a low cost. The people of the village used to share the responsibilities of the daughter's father
Respect your parents and keep them happy throughout your life -माँ बाप का सम्मान करें और उन्हें जीते जी खुश रखे
"अरे! भाई बुढापे का कोई ईलाज नहीं होता . अस्सी पार चुके हैं . अब बस सेवा कीजिये ." डाक्टर पिता जी को देखते हुए बोला .
"डाक्टर साहब ! कोई तो तरीका होगा . साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है ."
"शंकर बाबू ! मैं अपनी तरफ से दुआ ही कर सकता हूँ . बस आप इन्हें खुश रखिये . इस से बेहतर और कोई दवा नहीं है और इन्हें लिक्विड पिलाते रहिये जो इन्हें पसंद है ." डाक्टर अपना बैग सम्हालते हुए मुस्कुराया और बाहर निकल गया .
शंकर पिता को लेकर बहुत चिंतित था . उसे लगता ही नहीं था कि पिता के बिना भी कोई जीवन हो सकता है . माँ के जाने के बाद अब एकमात्र आशीर्वाद उन्ही का बचा था . उसे अपने बचपन और जवानी के सारे दिन याद आ रहे थे . कैसे पिता हर रोज कुछ न कुछ लेकर ही घर घुसते थे . बाहर हलकी-हलकी बारिश हो रही थी . ऐसा लगता था जैसे आसमान भी रो रहा हो . शंकर ने खुद को किसी तरह समेटा और पत्नी से बोला -
"सुशीला ! आज सबके लिए मूंग दाल के पकौड़े , हरी चटनी बनाओ . मैं बाहर से जलेबी लेकर आता हूँ ."
पत्नी ने दाल पहले ही भिगो रखी थी . वह भी अपने काम में लग गई . कुछ ही देर में रसोई से खुशबू आने लगी पकौड़ों की . शंकर भी जलेबियाँ ले आया था . वह जलेबी रसोई में रख पिता के पास बैठ गया . उनका हाथ अपने हाथ में लिया और उन्हें निहारते हुए बोला -
"बाबा ! आज आपकी पसंद की चीज लाया हूँ . थोड़ी जलेबी खायेंगे ."
पिता ने आँखे झपकाईं और हल्का सा मुस्कुरा दिए . वह अस्फुट आवाज में बोले -
"पकौड़े बन रहे हैं क्या ?"
"हाँ, बाबा ! आपकी पसंद की हर चीज अब मेरी भी पसंद है . अरे! सुषमा जरा पकौड़े और जलेबी तो लाओ ." शंकर ने आवाज लगाईं .
"लीजिये बाबू जी एक और . " उसने पकौड़ा हाथ में देते हुए कहा.
"बस ....अब पूरा हो गया . पेट भर गया . जरा सी जलेबी दे ." पिता बोले .
शंकर ने जलेबी का एक टुकड़ा हाथ में लेकर मुँह में डाल दिया . पिता उसे प्यार से देखते रहे .
"शंकर ! सदा खुश रहो बेटा. मेरा दाना पानी अब पूरा हुआ ." पिता बोले.
"बाबा ! आपको तो सेंचुरी लगानी है . आप मेरे तेंदुलकर हो ." आँखों में आंसू बहने लगे थे .
वह मुस्कुराए और बोले - "तेरी माँ पेवेलियन में इंतज़ार कर रही है . अगला मैच खेलना है . तेरा पोता बनकर आऊंगा , तब खूब खाऊंगा बेटा ."
पिता उसे देखते रहे . शंकर ने प्लेट उठाकर एक तरफ रख दी . मगर पिता उसे लगातार देखे जा रहे थे . आँख भी नहीं झपक रही थी . शंकर समझ गया कि यात्रा पूर्ण हुई .
तभी उसे ख्याल आया , पिता कहा करते थे -
"श्राद्ध खाने नहीं आऊंगा कौआ बनकर , जो खिलाना है अभी खिला दे ."
माँ बाप का सम्मान करें और उन्हें जीते जी खुश रखे।
जो स्त्री आक्रामक होती है वह आकर्षक नहीं होती है - A woman who is aggressive is not attractive
अगर कोई स्त्री तुम्हारे पीछे पड़ जाए और प्रेम का निवेदन करने लगे तो तुम घबरा जाओगे तुम भागोगे। क्योंकि वह स्त्री पुरुष जैसा व्यवहार कर रही है, स्त्रैण नहीं है, स्त्री का स्त्रैण होना ही उसका माधुर्य है।
वह सिर्फ प्रतीक्षा करती है। तुम्हें उकसाती है, लेकिन आक्रमण नहीं करती। वह तुम्हें बुलाती है, लेकिन चिल्लाती नहीं। उसका बुलाना भी बड़ा मौन है, वह तुम्हें सब तरफ से घेर लेती, लेकिन तुम्हें पता भी नहीं चलता। उसकी जंजीरें बहुत सूक्ष्म हैं, वे दिखाई भी नहीं पड़तीं, वह बड़े पतले धागों से, सूक्ष्म धागों से तुम्हें सब तरफ से बांध लेती है, लेकिन उसका बंधन कहीं दिखाई भी नहीं पड़ता।
स्त्री अपने को नीचे रखती है, लोग गलत सोचते हैं कि पुरुषों ने स्त्रियों को दासी बना लिया। नहीं, स्त्री दासी बनने की कला है, मगर तुम्हें पता नहीं, उसकी कला बड़ी महत्वपूर्ण है। और लाओत्से उसी कला का उद्घाटन कर रहा है। कोई पुरुष किसी स्त्री को दासी नहीं बनाता।
दुनियाँ के किसी भी कोने में जब भी कोई स्त्री किसी पुरुष के प्रेम में पड़ती है, तत्क्षण अपने को दासी बना लेती है, क्योंकि दासी होना ही गहरी मालकियत है। वह जीवन का राज समझती है।
स्त्री अपने को नीचे रखती है, चरणों में रखती है। और तुमने देखा है कि जब भी कोई स्त्री अपने को तुम्हारे चरणों में रख देती है, तब अचानक तुम्हारे सिर पर ताज की तरह बैठ जाती है। रखती चरणों में है, पहुँच जाती है बहुत गहरे, बहुत ऊपर, तुम चौबीस घंटे उसी का चिंतन करने लगते हो। छोड़ देती है अपने को तुम्हारे चरणों में, तुम्हारी छाया बन जाती है। और तुम्हें पता भी नहीं चलता कि छाया तुम्हें चलाने लगती है, छाया के इशारे से तुम चलने लगते हो।
स्त्री कभी यह भी नहीं कहती सीधा कि यह करो, लेकिन वह जो चाहती है करवा लेती है। वह कभी नहीं कहती कि यह ऐसा ही हो, लेकिन वह जैसा चाहती है वैसा करवा लेती है।
लाओत्से यह कह रहा है कि उसकी शक्ति बड़ी है। और उसकी शक्ति क्या है? क्योंकि वह दासी है। शक्ति उसकी यह है कि वह छाया हो गई है। बड़े से बड़े शक्तिशाली पुरुष स्त्री के प्रेम में पड़ जाते हैं, और एकदम अशक्त हो जाते है, और अनजाने में ही बड़ी सहजता से उतर जाते हो उसके प्रेम में !!