The relationship between husband and wife is unbreakable -पति-पत्नी का रिश्ता अटूट होता है

 पति-पत्नी रोज साथ में तय समय पर एक ही ट्रेन में सफर करते थे। एक युवक और था, वो भी उसी ट्रेन से सफर करता था, वो पति-पत्नी को रोज देखता। ट्रेन में बैठकर पति-पत्नी ढेरों बातें करते। पत्नी बात करते-करते स्वेटर बुनती रहती।

The relationship between husband and wife is unbreakable -पति-पत्नी का रिश्ता अटूट होता है

उन दोनों को जोड़ी एकदम परफेक्ट थी। एक दिन जब पति-पत्नी ट्रेन में नहीं आए तो उस युवक को थोड़ा अटपटा लगा, क्योंकि उसे रोज उन्हें देखने की आदत हो चुकी थी। करीब 1 महीने तक पति-पत्नी ने उस ट्रेन में सफर नहीं किया। युवक को लगा शायद वे कहीं बाहर गए होंगे।

एक दिन युवक ने देखा कि सिर्फ पति ही ट्रेन में सफर रहा है, साथ में पत्नी नहीं है। पति का चेहरा भी उतरा हुआ था, अस्त-व्यस्त कपड़े और बड़ी हुई दाढ़ी। युवक से रहा नहीं गया और उसने जाकर पति से पूछ ही लिया- आज आपकी पत्नी साथ में नहीं है।

पति ने कोई जवाब नहीं दिया। युवक ने एक बार फिर पूछा- आप इतने दिन से कहां थे, कहीं बाहर गए थे क्या? इस बार भी पति ने कोई जवाब नहीं दिया। युवक ने एक बार फिर उनकी पत्नी के बारे में पूछा। पति ने जवाब दिया- वो अब इस दुनिया में नहीं है, उसे कैंसर था।

ये सुनकर युवक को अचानक झटका लगा। फिर उसने संभलकर और बातें जाननी चाहीं। पति ने युवक से कहा कि- पत्नी को लास्ट स्टेज का कैंसर था, डॉक्टर भी उम्मीद हार चुके थे। ये बात वो भी जानती थी, लेकिन उसकी एक जिद थी कि हम ज्यादा से ज्यादा समय साथ में बिताएं।

इसलिए रोज जब मैं ऑफिस जाता तो वो भी साथ में आ जाती। मेरे ऑफिस के नजदीक वाले स्टेशन पर हम उतर जाते, वहां से मैं अपने ऑफिस चला जाता और वो घर लौट आती थी। पिछले महीने ही उसकी डेथ हुई है। इतना कहकर पति खामोश हो गया।

तय स्टेशन पर पति ट्रेन से उतर गया। अचानक युवक का ध्यान उसके स्वेटर पर पड़ी। उसने देखा कि ये तो वही स्वेटर है जो उसकी पत्नी ट्रेन में बुना करती थी, उसकी एक बाजू अभी भी अधूरी थी, जो शायद उसकी पत्नी बुन नहीं पाई थी। पति-पत्नी का असीम प्रेम उस स्वेटर में झलक रहा था।

पति-पत्नी का रिश्ता अटूट होता है, सिर्फ मौत ही उन्हें अलग कर सकती है। पत्नी अपने पति का हर सुख-दुख में साथ देती है तो पति भी पत्नी को दुनिया की हर खुशी देना चाहता है। यही इस रिश्ते का सबसे खूबसूरत अहसास है। इसलिए साथ रहते हुए खुशी-खुशी जीवन बिताएं।

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कार में कई तरह के तेल बदले जाते हैं - There are several types of oil changes in a car

कार में कई तरह के तेल बदले जाते हैं - There are several types of oil changes in a car




कार में कई तरह के तेल बदले जाते हैं - There are several types of oil changes in a car
1. इंजन ऑयल (Engine Oil)
2. ट्रांसमिशन ऑयल (Transmission Oil)
3. ब्रेक ऑयल (Brake Oil)
4. पॉवर स्टीयरिंग ऑयल (Power Steering Oil)
5. कूलेंट (Coolant)
6. डिफरेंशियल ऑयल (Differential Oil)
इन तेलों को बदलने की आवृत्ति और समय:
1. इंजन ऑयल: हर 5,000 से 7,500 किलोमीटर पर
2. ट्रांसमिशन ऑयल: हर 30,000 से 60,000 किलोमीटर पर
3. ब्रेक ऑयल: हर 10,000 से 15,000 किलोमीटर पर
4. पॉवर स्टीयरिंग ऑयल: हर 30,000 से 60,000 किलोमीटर पर
5. कूलेंट: हर 50,000 से 100,000 किलोमीटर पर
6. डिफरेंशियल ऑयल: हर 30,000 से 60,000 किलोमीटर पर
इन तेलों को बदलने के लिए महत्वपूर्ण स्थान:
1. सर्विस सेंटर
2. मैकेनिक की दुकान
3. ऑटोमोबाइल वर्कशॉप
नहीं बदलने पर नुकसान:
1. इंजन की खराबी
2. ट्रांसमिशन की खराबी
3. ब्रेक फेल होना
4. पॉवर स्टीयरिंग की खराबी
5. इंजन ओवरहीटिंग
6. डिफरेंशियल की खराबी
"कार में कितने तरह के तेल बदले जाते हैं और कब बदले जाते हैं?
इंजन ऑयल, ट्रांसमिशन ऑयल, ब्रेक ऑयल, पॉवर स्टीयरिंग ऑयल, कूलेंट, और डिफरेंशियल ऑयल।
इन तेलों को बदलने की आवृत्ति और समय:
इंजन ऑयल: हर 5,000 से 7,500 किलोमीटर पर
ट्रांसमिशन ऑयल: हर 30,000 से 60,000 किलोमीटर पर
ब्रेक ऑयल: हर 10,000 से 15,000 किलोमीटर पर
इन तेलों को बदलने के लिए महत्वपूर्ण स्थान:
सर्विस सेंटर, मैकेनिक की दुकान, ऑटोमोबाइल वर्कशॉप
नहीं बदलने पर नुकसान:
इंजन की खराबी, ट्रांसमिशन की खराबी, ब्रेक फेल होना, पॉवर स्टीयरिंग की खराबी, इंजन ओवरहीटिंग, डिफरेंशियल की खराबी


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The Fox and the Grapes

 The Fox and the Grapes

The Fox and the Grapes is a popular fable about grit by Aesop, an ancient Greek storyteller.

A famished fox saw some clusters of ripe black grapes hanging from a trellised vine. She resorted to all her tricks to get at them, but wearied herself in vain, for she could not reach them. At last she turned away, hiding her disappointment and saying: “The Grapes are sour, and not ripe as I thought.”

The moral of the story: If you think something is not worth having, ask yourself: “Is that only because I think I’m unable to achieve it?”

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चींटी की कहानी - ant story

चींटी की कहानी - ant story

चींटी की कहानी - ant story

एक बार एक चींटी ने एक बड़े बड़े फलों को उठाने का सोचा। वह फलों के नीचे जाकर उन्हें उठाने की कोशिश करने लगी, लेकिन वह बहुत छोटी थी और फल बहुत भारी थे। वह बार-बार फलों के नीचे जाकर उन्हें उठाने की कोशिश करती रही, लेकिन वह नहीं हो पाई।


फिर उसने एक बड़ी चींटी को अपनी मदद के लिए बुलाया। बड़ी चींटी ने उसे बताया कि वह फलों को उठाने के लिए एक टोकरी ले आएगी। उसने टोकरी लाकर फलों को उसमें डाला और उसे उठा लिया।


Short Motivational Story in Hindi


Moral of Story: इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि जब हम अकेले होते हैं तो हमें अपने साथ दूसरों की मदद लेनी चाहिए। इससे हमें अपने लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलती है और हम अपने लक्ष्य को जल्दी से और आसानी से हासिल कर सकते हैं।

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आखिरी प्रयास - last attempt

 आखिरी प्रयास

आखिरी प्रयास - last attempt


एक समय की बात है। एक राज्य में एक प्रतापी राजा राज करता था। एक दिन उसके दरबार में एक विदेशी आगंतुक आया और उसने राजा को एक सुंदर पत्थर उपहार में दिया। राजा वह पत्थर देख बहुत प्रसन्न हुआ। उसने उस पत्थर से भगवान विष्णु की प्रतिमा का निर्माण कर उसे राज्य के मंदिर में स्थापित करने का निर्णय लिया और प्रतिमा निर्माण का कार्य राज्य के महामंत्री को सौंप दिया।


महामंत्री गाँव के सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार के पास गया और उसे वह पत्थर देते हुए बोला, “महाराज मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं। सात दिवस के भीतर इस पत्थर से भगवान विष्णु की प्रतिमा तैयार कर राजमहल पहुँचा देना। इसके लिए तुम्हें 50 स्वर्ण मुद्रायें दी जायेंगी।” 50 स्वर्ण मुद्राओं की बात सुनकर मूर्तिकार ख़ुश हो गया और महामंत्री के जाने के उपरांत प्रतिमा का निर्माण कार्य प्रारंभ करने के उद्देश्य से अपने औज़ार निकाल लिए। अपने औज़ारों में से उसने एक हथौड़ा लिया और पत्थर तोड़ने के लिए उस पर हथौड़े से वार करने लगा। किंतु पत्थर जस का तस रहा। मूर्तिकार ने हथौड़े के कई वार पत्थर पर किये, किंतु पत्थर नहीं टूटा।


पचास बार प्रयास करने के उपरांत मूर्तिकार ने अंतिम बार प्रयास करने के उद्देश्य से हथौड़ा उठाया, किंतु यह सोचकर हथौड़े पर प्रहार करने के पूर्व ही उसने हाथ खींच लिया कि जब पचास बार वार करने से पत्थर नहीं टूटा, तो अब क्या टूटेगा। वह पत्थर लेकर वापस महामंत्री के पास गया और उसे यह कह वापस कर आया कि इस पत्थर को तोड़ना नामुमकिन है। इसलिए इससे भगवान विष्णु की प्रतिमा नहीं बन सकती। महामंत्री को राजा का आदेश हर स्थिति में पूर्ण करना था। इसलिए उसने भगवान विष्णु की प्रतिमा निर्मित करने का कार्य गाँव के एक साधारण से मूर्तिकार को सौंप दिया। पत्थर लेकर मूर्तिकार ने महामंत्री के सामने ही उस पर हथौड़े से प्रहार किया और वह पत्थर एक बार में ही टूट गया। पत्थर टूटने के बाद मूर्तिकार प्रतिमा बनाने में जुट गया। इधर महामंत्री सोचने लगा कि काश, पहले मूर्तिकार ने एक अंतिम प्रयास और किया होता, तो सफ़ल हो गया होता और 50 स्वर्ण मुद्राओं का हक़दार बनता।


सीख

मित्रों, हम भी अपने जीवन में ऐसी परिस्थितियों से दो-चार होते रहते हैं। कई बार किसी कार्य को करने के पूर्व या किसी समस्या के सामने आने पर उसका निराकरण करने के पूर्व ही हमारा आत्मविश्वास डगमगा जाता है और हम प्रयास किये बिना ही हार मान लेते हैं। कई बार हम एक-दो प्रयास में असफलता मिलने पर आगे प्रयास करना छोड़ देते हैं। जबकि हो सकता है कि कुछ प्रयास और करने पर कार्य पूर्ण हो जाता या समस्या का समाधान हो जाता। यदि जीवन में सफलता प्राप्त करनी है, तो बार-बार असफ़ल होने पर भी तब तक प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिये, जब तक सफ़लता नहीं मिल जाती। क्या पता, जिस प्रयास को करने के पूर्व हम हाथ खींच ले, वही हमारा अंतिम प्रयास हो और उसमें हमें कामयाबी प्राप्त हो जाये।

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जय श्री राम जय श्री हनुमान

 

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महिलाएं - women - Ladies

 महिलाएं  - Women - Ladies

महिलाएं  - women - Ladies


महिलाएं भी पुरुषों की तरह शारीरिक संबंधों की ओर आकर्षित होती हैं, लेकिन अक्सर वे अपनी रुचि को व्यक्त नहीं करतीं। वे अपने पति या साथी से भी इस बारे में खुलकर बात करने में हिचकिचाती हैं। इसके पीछे सामाजिक दबाव और दूसरों के विचारों की चिंता होती है। कई बार महिलाएं अपनी इच्छाओं को दबा देती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इसके बारे में बात करने पर उन्हें गलत समझा जा सकता है।

महिलाएं आमतौर पर गुप्त संबंधों के बारे में खुलकर बात नहीं करतीं

पुरुष अक्सर एक-दूसरे से शारीरिक संबंधों के बारे में खुलकर बात कर लेते हैं, जबकि महिलाएं इस तरह की बातें दूसरों से साझा करने में संकोच करती हैं। ज्यादातर महिलाएं केवल अपनी एक-दो करीबी दोस्तों से ही गुप्त बातें साझा करती हैं। आप अपनी गर्लफ्रेंड से इस बारे में बात कर सकते हैं, लेकिन वह भी शायद इसे केवल अपनी सबसे करीबी दोस्त तक ही सीमित रखेगी।

महिलाओं को सफल पुरुषों में दिलचस्पी होती है

महिलाएं अक्सर ऐसे पुरुषों की ओर आकर्षित होती हैं जो सफल होते हैं। उनकी रुचि उन पुरुषों में अधिक होती है जो करियर और जीवन में सफल माने जाते हैं, जबकि पुरुष अक्सर सुंदर और आकर्षक महिलाओं की ओर आकर्षित होते हैं।

महिलाएं दिखावे पर ध्यान देती हैं

कई महिलाएं खुद को सुंदर और आकर्षक दिखाने के लिए हर संभव प्रयास करती हैं। वे नए कपड़े पहनने और स्टाइलिश दिखने पर जोर देती हैं। सज-संवर कर बाहर जाना एक सामान्य व्यवहार है क्योंकि वे दूसरों की नजर में खूबसूरत दिखने की कोशिश करती हैं।

कुंवारी लड़कियां अक्सर अपने आदर्श पुरुष के बारे में सोचती हैं

अधिकतर कुंवारी लड़कियां अकेले में अपने भविष्य के पति या ब्वॉयफ्रेंड के बारे में सोचती हैं। वे अपने आदर्श साथी और उनके साथ बिताए जाने वाले भविष्य के पलों की कल्पना करती हैं।

शारीरिक असंतोष से अवैध संबंधों की संभावना बढ़ती है

यदि एक महिला अपने साथी के साथ शारीरिक रूप से संतुष्ट नहीं होती, तो अवैध संबंध बनने की संभावना बढ़ जाती है। यह कई बार विवाहेतर संबंधों का प्रमुख कारण होता है।

कुंवारी माताओं की संख्या में वृद्धि

अध्ययनों के अनुसार, कुछ महिलाएं कुंवारी होते हुए भी मां बन जाती हैं। एक अध्ययन में पाया गया कि 30% महिलाएं इस स्थिति में होती हैं।

महिलाओं का सबसे अधिक उत्साहित होने का समय

वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, पीरियड्स के चार से पांच दिन बाद महिलाओं में शारीरिक और मानसिक उत्तेजना अधिक होती है।

महिलाओं को परिपक्व पुरुष पसंद आते हैं

अधिकांश महिलाएं परिपक्व और स्थिर पुरुषों की ओर आकर्षित होती हैं, जबकि पुरुष अक्सर छोटी उम्र की महिलाओं को प्राथमिकता देते हैं।

महिलाएं चाहती हैं कि लोग उनकी ओर देखें

अधिकतर महिलाएं सजने-संवरने में रुचि रखती हैं क्योंकि वे चाहती हैं कि जहां भी जाएं, लोग उनकी ओर ध्यान दें।

महिलाएं अपने सारे राज़ नहीं बतातीं

महिलाएं अपने गहरे राज़ कभी-कभी अपने साथी से भी साझा नहीं करतीं। वे कुछ बातें अपने तक ही रखना पसंद करती हैं।

महिलाएं भावनात्मक रूप से कमजोर होती हैं

महिलाएं आमतौर पर पुरुषों से अधिक भावनात्मक होती हैं। वे अपनी भावनाओं को ज्यादा महसूस करती हैं और छोटे-छोटे मामलों में भी आंसू बहा सकती हैं।

इस लेख का अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद! 🌸

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अजीनोमोटो - ajinomoto

 

अजीनोमोटो - ajinomoto

#अजीनोमोटो 
को हम इसके रासायनिक  नाम मोनो सोडियम ग्लूटामेट के नाम से भी जानते है !
 इसको संक्षिप्त में हम एमएसजी नाम से भी जानते है. ..
अजीनोमोटो की कंपनी का मुख्य कार्यालय चोओ,
 टोक्यो में स्थित है !
 • यह 26 देशों में काम करता है.
 इसका इस्तेमाल ज्यादातर चीन की खाद्य पदार्थो में 
खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है. ..
 👉 पहले हम अधिकांशतः घर पर बने खाने को खाते थे, लेकिन अब लोग चिप्स, पिज्ज़ा और मैगी जैसे खाने को ज्यादा पसंद करने लगे हैं !
जिनमे अजीनोमोटो का इस्तेमाल होता है। इसका इस्तेमाल कई डिब्बाबंद फ़ास्ट फ़ूड सोया सॉस, टोमेटो सॉस, संरक्षित मछली जैसे सभी संरक्षित खाद्य उत्पादों में किया जाता है. 
👉अजीनोमोटो को पहली बार 1909 में जापानी जैव रसायनज्ञ किकुनाए इकेडा के द्वारा खोजा गया था। उन्होने इसके स्वाद को मामी के रूप में पहचाना जिसका अर्थ होता है
👉 सुखद स्वाद. 
कई जापानी सूप में इसका इस्तेमाल होता है। इसका स्वाद थोडा नमक के जैसा होता है. देखने में यह चमकीले छोटे क्रिस्टल के जैसा होता है। इसमें प्राकृतिक रूप से एमिनो एसिड पाया जाता है.   ..       
• किन्तु 
आज दुनिया के हर कुक खाने में स्वाद को बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल करते है.
एमएसजी का इस्तेमाल सुरक्षित माना गया है, इसका इस्तेमाल पहले चीन की रसोई में होता था, लेकिन अब ये धीरे धीरे हमारे भी घरों की रसोई में अपना पैठ बना चुका है. 
अपने समय को बचाने के लिए जो हम 2 मिनट में नुडल्स को तैयार कर ग्रहण करते है इस तरह के अधिकांशतः खाद्य पदार्थो में यह पाया जाता है जो धीरे धीरे हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते है. ..
👉 यह  एक प्रकार से 
नशे की लत जैसा होता है अगर आप एक बार अजीनोमोटो युक्त भोजन को ग्रहण कर लेते है, 
तो आप उस भोजन को नियमित खाने की इच्छा रखने लगेंगे. ..
• इसके  सेवन से शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ जाती है. ..
 • जब आप एमएसजी मिले पदार्थो का सेवन करते है, तो रक्त में ग्लूटामेट का स्तर बढ़ जाता है. 
• जिस की वजह से इसका शरीर पर गंभीर प्रभाव पड़ता है.
👉 एमएसजी को एक धीमा हत्यारा🔥 भी कहा जा सकता है !!
• यह 
आँखों की रेटिना को नुकसान पहुंचाता है साथ ही यह थायराईड और कैंसर जैसे रोगों के लक्षण पैदा कर सकता है.   
👉 अजीनोमोटो
 से युक्त खाद्य पदार्थो का अगर नियमित सेवन किया जाये तो यह माइग्रेन पैदा कर सकता है ।
साभार 


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In earlier times, a daughter could be married very well and at little expense.

 If there was a marriage in the village, it used to happen in this season because after harvesting wheat and sugarcane, the fields used to become empty and a good open space used to be available for accommodating the wedding procession.

पहले का समय कम खर्च में बड़ी अच्छी ढंग से बेटी का विवाह हो जाता था -In earlier times, a daughter could be married very well and at little expense.

  The place where the wedding party used to stay was called Janavaas. The arrangements for Janavaas were made by the boy's family. The money for the tents used to be put up in Janavaas was paid for by the boy's family. The generator etc. was also provided by them.

  The girl's family would arrange for a cot and a platform for dancing.

  The whole village would stand on one foot to welcome the wedding party, serve them breakfast and lunch. 

All the people who came to help the bride's family would provide breakfast and lunch to all the guests but they themselves did not eat food at the daughter's wedding.

 The relatives who came to invite the daughter for her wedding would bring money, utensils, sweets, ration, saree, sikohili, bena etc. All these things were given to the daughter and on this pretext the responsibility of the daughter's family was reduced.

   Until the marriage procession left, all the villagers remained ready to help. It was said that daughters are shared. All the villagers considered the honour of the daughter's father as their own honour.

   Bedding, utensils and all the necessary items were brought from every house. The villagers themselves prepared the food together. The village boys kneaded the dough, the girls rolled out the puris, all the young men served the food and thus the marriage was celebrated happily.

   Halls were not booked then. The wedding procession used to stop in schools, gardens and fields.

  When all the wedding party would go dancing and singing to Dwar Char, all the people of the village would come and stand to welcome them. 

 The elders of the village used to say that a puja is going to be held at so and so's door, go and stand there for ten minutes.

   Even if he had some disagreements with someone's family, he would definitely come to the door when his daughter was leaving.

How good it was in the old times when a daughter's marriage was done in a very good manner at a low cost. The people of the village used to share the responsibilities of the daughter's father

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Feetured Post

प्रत्येक रिश्ते की अहमियत

 मैं घर की नई बहू थी और एक निजी बैंक में एक अच्छी पद पर काम करती थी। मेरी सास को गुज़रे हुए एक साल हो चुका था। घर में मेरे ससुर, श्री गुप्ता...