मनुष्यों के लिए भोजन - foods for humans

मनुष्यों के लिए भोजन - foods for humans

 

मनुष्यों के लिए भोजन - foods for humans

जब प्रकृति ने हमें इतना सब कुछ दिया हो तब क्यों किसी बेजुबान पशु की हत्या करके उसकी लाश को क्यों खाना

दया और करुणा ही वह मूलभूत गुण हैं जो किसी मानव और दानव के मध्य के अंतर को बनाये रखते हैं

महज जिह्वा के स्वाद के लिए की गई किसी बेजुबान की हत्या आपके लिए नरक में अग्नि के कुंड की व्यवस्था कर रही है

अपने पेट को किसी निरीह पशु की लाश का कब्रिस्तान न बनाएं

शाकाहार अपनाएं

आप मानव हैं, दानव नहीं

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बेटा या बेटी नहीं जन्माए ये धन कमाने के साधन मात्र हैं - Don't give birth to a son or daughter, they are just a means to earn money.

 यदि आपका बेटा या बेटी बहुत बडे़ बिजनेस मैन, डॉक्टर , इंजिनियर और आईएएस अधिकारी हैं.....!!

पर यदि उनके पास आपके लिऐ 10 मिनट का समय भी नहीं हैं तो आपने बेटा या बेटी नहीं जन्माए ये धन कमाने के साधन मात्र हैं......!!
बुढ़ापे मे आपको गांव में अकेला छोड़ कर शहर में बच जाए तो वो बेटे पढ़े लिखे किस काम के
इससे तो अच्छा था अनपढ़ रखते कम से कम आपके बुढ़ापे की लाठी तो बनते........!!!All 
Don't give birth to a son or daughter, they are just a means to earn money.
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जीवन के उद्देश्य - purpose of life

 जीवन के उद्देश्य: एक प्रेरणादायक कहानी

जीवन के उद्देश्य - purpose of life

किसी छोटे से गाँव में, एक युवक जिसका नाम अर्जुन था, अपनी साधारण ज़िंदगी जी रहा था। वह हमेशा से पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन उसके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। अर्जुन के माता-पिता खेती करते थे और उसकी शिक्षा के लिए हमेशा संघर्ष करते थे।

एक दिन, गाँव में एक सफल व्यापारी आया। उसने अर्जुन को कहा, "यदि तुम अपने सपनों को पूरा करना चाहते हो, तो तुम्हें मेहनत करनी होगी। जीवन का उद्देश्य केवल जीना नहीं है, बल्कि अपने सपनों के लिए लड़ना है।"

इस बात ने अर्जुन को प्रेरित किया। उसने ठान लिया कि वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान देगा और एक दिन बड़ा आदमी बनेगा। वह दिन-रात पढ़ाई करने लगा। कठिनाईयों के बावजूद, उसने कभी हार नहीं मानी।

अर्जुन की मेहनत रंग लाई और उसने परीक्षा में उच्च स्थान प्राप्त किया। उसे एक अच्छे कॉलेज में दाखिला मिला। वहाँ उसने अपने सपनों को और ऊँचाई दी। उसने न केवल अपनी पढ़ाई पूरी की, बल्कि अपने गाँव के बच्चों के लिए एक स्कूल भी खोला।

अर्जुन की कहानी यह सिखाती है कि जीवन का उद्देश्य केवल अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए भी जीना है। जब हम अपने सपनों के पीछे दौड़ते हैं और दूसरों की मदद करते हैं, तब हम वास्तव में सफल होते हैं।

आज, अर्जुन अपने गाँव का हीरो है। उसकी मेहनत और उद्देश्य ने न केवल उसकी ज़िंदगी बदली, बल्कि पूरे गाँव को प्रेरित किया। यह कहानी हमें याद दिलाती है कि अगर मन में ठान लिया जाए, तो कोई भी सपना सच हो सकता है।

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Bhajan भजन

Song:Bhajan भजन

Maat Pita Guru Prabhu Charnon Mein 00:00
Ye Zindagi Mili Hai Din Char Ke Liye 06:57
Karo Chahe Laakh Chaturai 13:08
Ram Naam Ke Heere Moti 20:34
Main Bhi Bolu Ram Tum Bhi Bolo Na 26:42
Sitaram Sitaram Kahiye 31:17
Mere Malik Ke Darbar Mein Sab Logo ka khata 37;38
Aao Basaye Man Mandir Mein Jhanki Sitaram Ki 45:52
Chali Ja Rahi Hai Umar Dheere Dheere 54:40
Jaha Le Chaloge Wahi Main Chalunga 01:01:13
Ik Nazar Kripa Ki 01:07:30
Sitaram Sitaram Sitaram  01:13:17
Tum Karlo Prabhu Se Pyar Amrit Barsega 01:39:29
Dagar Hai Mushkil Kathin Safar Hai 01:46:00
Karle Prabhu Se Pyaar Nahi Pachtayega 01:51:32
Kaahe Bair Kare Tu Insaan 01:58:27
Janam Maran Aur Paran Prabhu 02:03:17
Jo Karte Rahoge Bhajan Dheere Dheere 2:10:18
Man Ko Nirmal Banana Badi Baat Hai 02:15:32
Har Baat ko Tum Bhulo Bhale Maa Baap Ko Mat Bhulna 02:21:21



 

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शाकाहार की ओर चलें

 प्रकृति ने हमें बेशकीमती खजानों से नवाजा है

इतना सब होने के बावजूद भी यदि आप किसी मासूम बेजुबान पशु की लाश खाते हैं तो आपको मनुष्य कहलाने का कोई हक नहीं
मानवता किसी की पीड़ा महसूस करके उसे हर लेने का नाम है, जीभ के स्वाद के लिए किसी मासूम बेजुबान पशु की लाश खाने का नहीं
शाकाहार की ओर चलें move towards vegetarianism

शाकाहार की ओर चलें मित्रों
जय पशुपति नाथ की
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Itni Shakti Hamein Dena Data Lyrics (इतनी शक्ति हमें देना दाता लिरिक्स)

 Itni Shakti Hamein Dena Data Lyrics (इतनी शक्ति हमें देना दाता लिरिक्स)

Itni Shakti Hamein Dena Data Lyrics (इतनी शक्ति हमें देना दाता लिरिक्स)

इतनी शक्ति हमें दे न दाता

मनका विश्वास कमज़ोर हो ना

हम चलें नेक रास्ते पे हमसे

भूलकर भी कोई भूल हो ना

हर तरफ़ ज़ुल्म है बेबसी है

सहमा-सहमा-सा हर आदमी है

पाप का बोझ बढ़ता ही जाये

जाने कैसे ये धरती थमी है

बोझ ममता का तू ये उठा ले

तेरी रचना क ये अन्त हो ना

हम चले...

दूर अज्ञान के हो अन्धेरे

तू हमें ज्ञान की रौशनी दे

हर बुराई से बचके रहें हम

जितनी भी दे, भली ज़िन्दगी दे

बैर हो ना किसीका किसीसे

भावना मन में बदले की हो ना

हम चले...

हम न सोचें हमें क्या मिला है

हम ये सोचें किया क्या है अर्पण

फूल खुशियों के बाटें सभी को

सबका जीवन ही बन जाये मधुबन

अपनी करुणा को जब तू बहा दे

करदे पावन हर इक मन का कोना

हम चले...

हम अन्धेरे में हैं रौशनी दे,

खो ना दे खुद को ही दुश्मनी से,

हम सज़ा पाये अपने किये की,

मौत भी हो तो सह ले खुशी से,

कल जो गुज़रा है फिरसे ना गुज़रे,

आनेवाला वो कल ऐसा हो ना

हम चले नेक रास्ते पे हमसे,

भुलकर भी कोई भूल हो ना...

इतनी शक्ति हमें दे ना दाता,

मनका विश्वास कमज़ोर हो ना...

इतनी शक्ति हमे देना दाता प्रार्थना के लाभ

इस प्रार्थना को करने से हम ईश्वर इतनी शक्ति मांग रहें हैं कि हमेशा जीवन में कभी कोई भूला ना हो। हमे हमेशा नेक और ईमानदारी के पथ पर चलते हैं। हम ईश्वर से कह रहे हैं कि वो हमें अज्ञानता के अंधेरे से दूर रखे और हमारे भीतर ज्ञान का प्रकाश भर दे। सदा अपने भीतर अर्पण के भाव को अपने भीतर रखें। इस प्रार्थना का पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा आती है।


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क्या ऐसे रिश्ते में माफ़ी की कोई गुंजाइश होती है - Is there any scope for forgiveness in such a relationship?

 राहुल और रिया की शादी को अभी कुछ ही साल हुए थे, लेकिन उनकी जिंदगी बाहर से एकदम परफेक्ट लगती थी। राहुल एक मेहनती और ईमानदार इंसान था, जो हर दिन सुबह जल्दी उठता, अपनी पत्नी रिया का ख्याल रखता, और फिर ऑफिस के लिए निकल जाता। रात में जब राहुल घर लौटता, तो रिया उसकी देखभाल करती, प्यार से उसे खाना खिलाती, और दोनों एक-दूसरे के साथ समय बिताते थे। रातें अक्सर प्यार और खुशियों से भरी होतीं, और राहुल को लगता था कि उसकी शादीशुदा जिंदगी एकदम सही है। 


Is there any scope for forgiveness in such a relationship?

लेकिन, राहुल को नहीं पता था कि उसके जाने के बाद रिया की असल जिंदगी शुरू होती थी। रिया, जो रात में राहुल से जी भरकर प्यार करती थी, दिन में उसके जाने के बाद पड़ोस के युवक, करण के साथ एक नया खेल खेलती थी। राहुल जैसे ही ऑफिस के लिए निकलता, रिया जल्दी से तैयार हो जाती और करण को अपने घर बुला लेती। दोनों का रिश्ता शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से गहरा हो चुका था, लेकिन ये रिश्ता प्यार का नहीं, बस एक धोखे का था। 


एक दिन राहुल अचानक ऑफिस से जल्दी घर लौट आया। जैसे ही उसने घर का दरवाज़ा खोला, उसे कुछ अजीब आवाजें सुनाई दीं। वह चौंक गया और बिना आवाज़ किए अंदर चला गया। बेडरूम के दरवाजे के पास पहुँचते ही वह हक्का-बक्का रह गया। उसकी आंखों के सामने उसकी पत्नी रिया, करण के साथ थी, दोनों की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। राहुल का दिल टूट चुका था। उसे समझ नहीं आया कि यह सब कैसे हो गया, कैसे रिया ने उसका इतना बड़ा विश्वास तोड़ दिया। 


राहुल गुस्से से कांप उठा। उसने दरवाज़ा ज़ोर से खोला और रिया और करण को रंगे हाथों पकड़ लिया। रिया का चेहरा फक्क पड़ गया, उसकी आँखों में डर साफ झलक रहा था। करण तो सीधे भागने की कोशिश करने लगा, लेकिन राहुल ने उसे पकड़ लिया। गुस्से और आंसुओं में डूबा हुआ, राहुल ने चिल्लाकर पूछा, "क्यों रिया? क्या कमी थी मुझमें? मैंने तो तुम्हें सब कुछ दिया, फिर भी तुमने ऐसा क्यों किया?"


रिया चुप थी, उसके पास कोई जवाब नहीं था। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे, लेकिन राहुल का गुस्सा और उसका टूटा हुआ दिल अब उसे माफ करने के मूड में नहीं था। 


राहुल ने एक पल में फैसला कर लिया कि अब वह इस रिश्ते में और नहीं रहेगा। उसने रिया से कह दिया कि वह उसे तुरंत छोड़ रहा है। "तुम्हारे लिए प्यार, वफादारी सब कुछ बेमतलब है। अब मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करूंगा। हमारे बीच अब कुछ नहीं बचा," राहुल ने कहा और घर छोड़कर चला गया।


अब, रिया के लिए सिर्फ पछतावे और अकेलापन बचा था। उसने सोचा कि थोड़े समय का मज़ा शायद उसे खुशी देगा, लेकिन उसने अपनी पूरी ज़िंदगी और राहुल का भरोसा खो दिया। 


क्या ऐसे रिश्ते में माफ़ी की कोई गुंजाइश होती है, या राहुल का फैसला सही था? आप होते उसकी जगह, तो क्या करते? 

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स्वर्ग और नर्क का वास्तविक स्वरूप क्या है? What is the real nature of heaven and hell?




क्या आप जानना चाहते हैं स्वर्ग और नर्क के रहस्यों के बारे में? इस वीडियो में प्रेमानंद जी महाराज के अद्भुत ज्ञान और अनुभव के माध्यम से हम इन दोनों स्थलों के वास्तविक अर्थ और महत्व को समझेंगे। प्रेमानंद जी महाराज की शिक्षाएं हमें जीवन के गूढ़ रहस्यों को उजागर करने में मदद करेंगी।
इस वीडियो में हम जानेंगे:
स्वर्ग और नर्क का वास्तविक स्वरूप क्या है?
प्रेमानंद जी महाराज के दृष्टिकोण से जीवन के बाद की यात्रा का सच
कैसे हमारे कर्म हमें स्वर्ग या नर्क की ओर ले जाते हैं?
प्रेमानंद जी महाराज के अन्य अनमोल विचार जो हमें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।

इस ज्ञानवर्धक वीडियो को अंत तक देखें और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए तैयार रहें। यदि आपको यह जानकारी पसंद आए, तो हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें और अपने दोस्तों के साथ साझा करें।




 

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क्या पैसा और शोहरत किसी रिश्ते को चला सकते हैं - Can money and fame make a relationship work?

 आनंद एक साधारण लेकिन मेहनती आदमी था, जो अपने छोटे से कारोबार से घर का खर्च चलाता था। उसका प्यार नेहा के लिए सच्चा और गहरा था, और वह अपनी पूरी कोशिश करता था कि उसे हर खुशी दे सके। नेहा भी शुरुआत में आनंद के साथ खुश थी, लेकिन धीरे-धीरे उसकी ख्वाहिशें बढ़ने लगीं। 

नेहा का दिल अब उन चीजों की तरफ खिंचने लगा था, जो आनंद की सीमित आमदनी में पूरी नहीं हो सकती थीं। उसे महंगे कपड़े, गहने, और बड़ी गाड़ियों का सपना आने लगा था। उसकी सहेलियों के पति अमीर थे, और वे नेहा के सामने अपनी शानदार जिंदगी का दिखावा करतीं। नेहा के मन में यह जलन धीरे-धीरे एक गहरे असंतोष में बदलने लगी।

फिर एक दिन, नेहा की मुलाकात विजय से हुई। विजय एक बड़ा बिजनेसमैन था, जिसकी जिंदगी शान-शौकत से भरी हुई थी। महंगी गाड़ियाँ, बड़े-बड़े बंगले और शानदार पार्टियाँ – विजय के पास सब कुछ था जो नेहा को चाहिए था। विजय भी नेहा की खूबसूरती से आकर्षित हुआ और धीरे-धीरे दोनों के बीच नजदीकियाँ बढ़ने लगीं। विजय ने नेहा को अपनी अमीरी और शक्ति से लुभाना शुरू किया, और नेहा उसकी चकाचौंध भरी जिंदगी की ओर खिंचती चली गई। 

नेहा अब आनंद से दूर होती जा रही थी। आनंद को इसका अहसास था, लेकिन वह सोचता था कि यह सिर्फ एक अस्थाई बदलाव है। वह हर दिन काम पर जाता, नेहा के लिए तोहफे लाने की कोशिश करता, लेकिन नेहा का दिल अब उसकी छोटी-छोटी कोशिशों में नहीं लगता था।

एक रात, आनंद को नेहा के फोन में कुछ संदिग्ध संदेश दिखे। उसका दिल धक-धक करने लगा। उसने नेहा से पूछा, "यह क्या है? तुम मुझसे कुछ छुपा रही हो?" नेहा ने पहले बात टालने की कोशिश की, लेकिन फिर एक दिन सच्चाई सामने आ ही गई।

नेहा ने खुलकर कहा, "आनंद, मैं अब इस साधारण जिंदगी से थक चुकी हूँ। मुझे विजय के साथ वो सब मिल रहा है, जो मैं हमेशा से चाहती थी। पैसा, शोहरत, और एक शानदार जिंदगी।" यह सुनते ही आनंद का दिल टूट गया। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि उसकी प्यारी पत्नी सिर्फ पैसे और शान-शौकत के लिए उसे छोड़ देगी। 

आनंद को एक पल के लिए समझ नहीं आया कि वह क्या करे। लेकिन उसने खुद को संभाला और नेहा से कहा, "अगर तुम्हें पैसा और शोहरत चाहिए, तो तुम मेरी जिंदगी में जगह नहीं रख सकती। मैंने तुम्हें प्यार दिया, इज्जत दी, लेकिन अगर तुम्हें यह सब काफी नहीं, तो मुझे भी अब इस रिश्ते को आगे नहीं बढ़ाना है।"

आनंद ने नेहा को छोड़ने का फैसला कर लिया, और वह अपने आत्म-सम्मान के साथ आगे बढ़ा। उसने महसूस किया कि किसी भी रिश्ते की बुनियाद प्यार, भरोसा और वफादारी पर टिकी होती है, न कि पैसों पर।

नेहा ने कुछ दिनों तक विजय के साथ रहकर अपनी इच्छाएं पूरी कीं, लेकिन धीरे-धीरे उसे एहसास हुआ कि पैसे से हर खुशी नहीं खरीदी जा सकती। विजय का प्यार केवल सतही था, जबकि आनंद का प्यार सच्चा और गहरा था। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

आनंद ने अपनी जिंदगी को नए सिरे से जीने का फैसला किया। उसने सीखा कि रिश्ते में प्यार और इज्जत से बढ़कर कुछ नहीं होता, और वह आगे बढ़ गया, खुद की कद्र करते हुए। 

क्या पैसा और शोहरत किसी रिश्ते को चला सकते हैं, या सच्चे प्यार और विश्वास की जगह कुछ भी नहीं ले सकता?

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बदलाव हमारे घरों से शुरू होता है - Change starts from our homes

 बदलाव हमारे घरों से शुरू होता है - Change starts from our homes


बदलाव हमारे घरों से शुरू होता है - Change starts from our homes


एक सच्ची आँख खोलने वाली घटना! 

एक दोस्त मेरे घर कॉफी पीने आया, हमने बैठकर जीवन के बारे में बात की। थोड़ी देर बाद मैंने बातचीत को बीच में रोककर उससे कहा, "मैं बर्तन धोने जा रहा हूँ, मैं अभी वापस आता हूँ।" उसने मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे मैंने उससे कहा हो कि वह अंतरिक्ष यान बनाने जा रहा है। इसलिए उसने प्रशंसा के साथ और थोड़ा हैरान होकर मुझसे कहा, "मुझे खुशी है कि तुम अपनी पत्नी की मदद करते हो, मैं शायद ही कभी अपनी पत्नी की मदद करता हूँ क्योंकि जब मैं करता हूँ तो वह कभी मुझे धन्यवाद नहीं देती। पिछले हफ़्ते मैंने फर्श धोया और उसने मुझे धन्यवाद देने के लिए भी नहीं कहा।" मैं फिर से उसके साथ बैठा और उसे समझाया कि मैं अपनी पत्नी की "मदद" नहीं करता। दरअसल, मेरी पत्नी को मदद की ज़रूरत नहीं है, उसे एक साथी, एक टीममेट की ज़रूरत है। मैं उसका घरेलू साथी हूँ... और इस वजह से, सभी काम बंटे हुए हैं, जो घर के कामों में "मदद" नहीं है। मैं अपनी पत्नी को घर साफ करने में "मदद" नहीं करता क्योंकि मैं भी घर में रहता हूँ और मुझे भी घर साफ करना पड़ता है।


मैं अपनी पत्नी को खाना बनाने में "मदद" नहीं करता क्योंकि मैं भी खाना चाहता हूँ और मुझे भी खाना बनाना पड़ता है।


मैं खाने के बाद बर्तन धोने में उसकी "मदद" नहीं करता क्योंकि मैं भी इन बर्तनों का इस्तेमाल करता हूँ।


मैं अपनी पत्नी को बच्चों के साथ "मदद" नहीं करता क्योंकि वे भी मेरे हैं और मुझे पिता बनना है।


मैं अपनी पत्नी को कपड़े धोने, फैलाने, मोड़ने और रखने में "मदद" नहीं करता क्योंकि यह मेरा और मेरे बच्चों का भी है।


मैं घर पर "मदद" नहीं करता, मैं खुद इसका हिस्सा हूँ।


फिर सम्मान के साथ, मैंने अपने दोस्त से पूछा कि आखिरी बार उसकी पत्नी ने घर की सफाई, कपड़े धोना, चादरें बदलना, बच्चों को नहलाना, खाना बनाना, व्यवस्थित करना आदि कब पूरा किया था.. और क्या उसने कहा: "धन्यवाद?"


मेरा मतलब है कि वास्तव में धन्यवाद, जैसे, "वाह, बेबी!! तुम कमाल हो!!"


क्या यह सब बेतुका लगता है? क्या यह तुम्हें अजीब लगता है? जब तुमने अपने जीवन में एक बार फर्श साफ किया था, तो तुमने कम से कम एक उत्कृष्टता पुरस्कार की उम्मीद की थी... क्यों? क्या तुमने कभी इस बारे में नहीं सोचा?


शायद, क्योंकि तुम्हारे लिए, मर्दाना संस्कृति ने तुम्हें सिखाया है कि सब कुछ एक महिला का काम है।


शायद तुम्हें सिखाया गया है कि यह सब तुम्हें बिना उंगली हिलाए करना चाहिए।


इसलिए उसकी प्रशंसा करो जैसे तुम प्रशंसा पाना चाहते हो, वैसे ही, उसी तीव्रता के साथ। उसका हाथ पकड़ो और एक सच्चे साथी की तरह व्यवहार करो, और अपना हिस्सा निभाओ, एक मेहमान की तरह व्यवहार मत करो जो केवल खाने, सोने, नहाने और यौन जरूरतों को पूरा करने के लिए आता है... अपने घर में, अपने घर जैसा महसूस करो।


हमारे समाज में बदलाव हमारे घरों से शुरू होता है, हमारे बच्चों को संगति की सच्ची भावना सिखाता है!


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Feetured Post

रिश्तों की अहमियत

 मैं घर की नई बहू थी और एक प्राइवेट बैंक में एक अच्छे ओहदे पर काम करती थी। मेरी सास को गुज़रे हुए एक साल हो चुका था। घर में मेरे ससुर और पति...