बेटियां हमेशा माता-पिता दिलों में बसती हैं - Daughters always live in the hearts of their parents

 एक बार एक साधारण परिवार के पिता, मोहनलाल जी, ने अपनी इकलौती बेटी, मीरा, की सगाई बड़े अच्छे घर में करवाई। लड़के का नाम रोहन था, और उसका परिवार भी स्वभाव से बेहद स्नेही और मिलनसार था। मोहनलाल जी और उनकी पत्नी, सुनीता, इस रिश्ते से बहुत खुश थे, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि उनकी बेटी का भविष्य बहुत अच्छा होगा।


बेटियां हमेशा माता-पिता  दिलों में बसती हैं - Daughters always live in the hearts of their parents


शादी से एक हफ्ते पहले, रोहन के परिवार ने मोहनलाल जी को अपने घर खाने पर बुलाया। मोहनलाल जी की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी, फिर भी उन्होंने मना नहीं किया, क्योंकि उन्हें लगा कि इनकार करने से कोई नाराज़ हो सकता है। वे रोहन के घर पहुँचे, और वहाँ उनके स्वागत में किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ी गई। बड़े आदर और सत्कार के साथ उनका स्वागत हुआ।

कुछ देर बाद, मोहनलाल जी के लिए चाय लाई गई। मोहनलाल जी को डॉक्टर ने शुगर के कारण चीनी से दूर रहने की सलाह दी थी, लेकिन वे संकोचवश कुछ कह नहीं पाए और चाय का कप उठा लिया। जैसे ही उन्होंने चाय की पहली चुस्की ली, वह चौंक गए। चाय में चीनी बिल्कुल नहीं थी, और उसमें इलायची की खुशबू आ रही थी। उन्होंने सोचा कि शायद रोहन के परिवार में भी बिना चीनी की चाय पी जाती है।

दोपहर के भोजन में भी उन्हें वही भोजन परोसा गया, जो उनकी सेहत के हिसाब से सही था। खाना बिल्कुल उनके घर जैसा ही साधारण और हल्का था। खाने के बाद आराम करने के लिए उन्हें पतली चादर और दो तकिये भी दिए गए, जैसे उनके घर में होता था। आराम के बाद उन्हें नींबू पानी का शरबत दिया गया, जो उनकी तबीयत के लिए बिलकुल सही था।

जब मोहनलाल जी विदा लेने लगे, तो उनसे रहा नहीं गया। उन्होंने रोहन की मां, मीनाक्षी जी, से पूछा, "आपको कैसे पता चला कि मुझे क्या खाना और पीना चाहिए? आपने मेरी सेहत का इतना ध्यान कैसे रखा?"

मीनाक्षी जी ने मुस्कुराते हुए धीरे से कहा, "कल रात आपकी बेटी मीरा का फोन आया था। उसने बहुत ही विनम्रता से कहा कि 'मां, मेरे पापा स्वभाव से बहुत सरल हैं, वो कुछ नहीं कहेंगे, लेकिन अगर हो सके तो उनका ध्यान रखिएगा।'"

यह सुनकर मोहनलाल जी की आंखों में आँसू आ गए। वह समझ गए कि उनकी बेटी मीरा उनके दिल की हर बात समझती है, चाहे वह उनके पास हो या न हो।

घर लौटते ही मोहनलाल जी ने अपनी स्वर्गवासी मां की तस्वीर से हार उतार दिया। जब सुनीता जी ने उनसे पूछा कि ऐसा क्यों किया, तो उन्होंने भावुक होकर कहा, "आज मुझे एहसास हुआ कि मेरी मां कहीं नहीं गई हैं। वो अब मेरी बेटी के रूप में मेरे साथ हैं, जो मेरा ध्यान रखती है।"

उनकी आंखों से आँसू छलक पड़े, और सुनीता जी भी भावुक होकर रोने लगीं। उस दिन मोहनलाल जी ने यह समझा कि बेटियां भले ही शादी करके अपने ससुराल चली जाती हैं, लेकिन वे हमेशा अपने माता-पिता के दिल में बसी रहती हैं और उनका ध्यान रखती हैं, चाहे वह कितनी भी दूर क्यों न हों।

इस दुनिया में हर कोई कहता है कि बेटी एक दिन घर छोड़कर चली जाएगी, लेकिन सच तो यह है कि बेटियां कभी अपने माता-पिता के घर से नहीं जातीं, वे हमेशा उनके दिलों में बसती हैं।

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नग्नता और अपराध में सेंसर बोर्ड की भूमिका - Role of Censor Board in nudity and crime

नग्नता और अपराध में सेंसर बोर्ड की भूमिका - Role of Censor Board in nudity and crime

नग्नता और अपराध: भारत में सेंसर बोर्ड द्वारा सामग्री के प्रसारण की बढ़ती अनुमति -

नग्नता और अपराध में सेंसर बोर्ड की भूमिका - Role of Censor Board in nudity and crime

भारत में सेंसर बोर्ड की नीतियों में हाल के बदलावों ने नग्नता और अपराध की बढ़ती प्रवृत्तियों पर सवाल उठाए हैं। फिल्म और टेलीविजन उद्योग में, सेंसरशिप की धाराएं समय के साथ ढीली होती जा रही हैं। इससे न केवल मनोरंजन उद्योग पर असर पड़ रहा है, बल्कि समाज पर भी गंभीर परिणाम हो रहे हैं।

सेंसर बोर्ड ने हाल ही में कुछ फिल्मों और शोज में नग्नता और यौन सामग्री के प्रसारण की अनुमति दी है। यह निर्णय विशेष रूप से उन प्लेटफार्मों पर देखने को मिला है, जहां दर्शकों की संख्या में वृद्धि हो रही है, जैसे कि स्ट्रीमिंग सेवाएं। परिणामस्वरूप, कई युवा दर्शक बिना किसी प्रतिबंध के ऐसे कंटेंट तक पहुँच बना रहे हैं, जो उन्हें मानसिक रूप से प्रभावित कर सकता है।

नग्नता का प्रभाव

नग्नता और यौन विषयों का प्रसारण अक्सर युवा दर्शकों के लिए एक आकर्षण बन जाता है। यह न केवल उनके विचारों को प्रभावित करता है, बल्कि समाज में यौन शिक्षा के प्रति एक गलत धारणा भी पैदा कर सकता है। जब ऐसे कंटेंट को बिना किसी उचित संदर्भ के प्रदर्शित किया जाता है, तो यह युवा पीढ़ी में असुरक्षित और अस्वस्थ व्यवहार को बढ़ावा दे सकता है।

अपराध में वृद्धि

सेंसर बोर्ड द्वारा दी गई स्वतंत्रता के कारण, यह संभावना भी बढ़ गई है कि युवा लोग आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। नग्नता और यौन विषयों का व्यापक प्रचार ऐसे व्यवहार को सामान्य कर सकता है। हाल के वर्षों में, युवाओं के बीच यौन उत्पीड़न और अन्य अपराधों की घटनाएं बढ़ी हैं, जिनका संबंध अक्सर मीडिया में प्रदर्शित कंटेंट से होता है। जब युवा इस तरह के कंटेंट को बिना किसी नैतिक शिक्षा के देखते हैं, तो उनके मन में ऐसे विचार पनपने लगते हैं, जो अंततः हिंसक या आपराधिक गतिविधियों का कारण बन सकते हैं।

समाज पर प्रभाव

इस स्थिति का व्यापक प्रभाव समाज पर भी पड़ रहा है। परिवारों में संवाद का अभाव, बच्चों में नैतिक मूल्यों की कमी और युवाओं के बीच गलतफहमियाँ बढ़ती जा रही हैं। शिक्षा प्रणाली में यौन शिक्षा का अभाव और समाज में इस विषय पर खुलकर चर्चा न होने के कारण स्थिति और भी गंभीर हो गई है।

निष्कर्ष

हालांकि सेंसर बोर्ड की नीतियों में बदलाव ने फिल्म और टीवी उद्योग को एक नई दिशा दी है, लेकिन इसके सामाजिक परिणामों पर ध्यान देना आवश्यक है। नग्नता और अपराध की बढ़ती प्रवृत्तियों के लिए केवल मनोरंजन उद्योग को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है। इसे ध्यान में रखते हुए, हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि युवा पीढ़ी के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण तैयार किया जाए, जहाँ वे सही जानकारी प्राप्त कर सकें और अपराध के प्रति जागरूक रह सकें।

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बॉलीवुड का भारतीय संस्कृति पर प्रभाव - Impact of Bollywood on Indian culture

 बॉलीवुड, भारतीय सिनेमा का एक प्रमुख हिस्सा, न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, समाज और जीवनशैली पर गहरा प्रभाव डालता है। इसके कई सकारात्मक पहलू हैं, लेकिन इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं।

बॉलीवुड का भारतीय संस्कृति पर प्रभाव - Impact of Bollywood on Indian culture

सकारात्मक प्रभाव:

संस्कृति का प्रचार: बॉलीवुड फिल्में भारतीय संस्कृति, परंपराओं और त्योहारों को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करती हैं। ये फिल्में भारतीय समाज की विविधता को उजागर करती हैं और विश्वभर में भारतीय सांस्कृतिक तत्वों को फैलाती हैं।

सामाजिक जागरूकता: कई बॉलीवुड फिल्में सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती हैं, जैसे शिक्षा, लैंगिक समानता, जातिवाद, और भ्रष्टाचार। ये फिल्में दर्शकों में जागरूकता पैदा करती हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करती हैं।

फैशन और जीवनशैली: बॉलीवुड सितारे अपने फैशन और जीवनशैली से युवा पीढ़ी को प्रभावित करते हैं। उनके पहनावे और रहन-सहन के तरीके ट्रेंड बनते हैं, जिससे भारतीय युवाओं में नई सोच और शैली का विकास होता है।

नकारात्मक प्रभाव:

यथार्थता से दूर: कई बार बॉलीवुड फिल्में वास्तविकता से परे होती हैं। इनमें प्रस्तुत जीवनशैली और समस्याएं आम भारतीय के जीवन से मेल नहीं खातीं। इससे दर्शकों में भ्रम उत्पन्न हो सकता है और वे असंभव चीजों को आदर्श मान सकते हैं।

सामाजिक मानदंडों का प्रभाव: कुछ फिल्में महिलाओं और पुरुषों की छवि को गलत तरीके से प्रस्तुत करती हैं, जिससे समाज में असामान्य मानदंडों का विकास होता है। यह विशेष रूप से महिलाओं के प्रति भेदभाव और वस्तुवादी दृष्टिकोण को बढ़ावा दे सकता है।

सामाजिक समस्याओं की अनदेखी: जबकि कुछ फिल्में सामाजिक मुद्दों को उठाती हैं, कई अन्य इनसे दूर भागती हैं। इससे महत्वपूर्ण समस्याओं की अनदेखी होती है और समाज में व्याप्त वास्तविक समस्याओं के प्रति उदासीनता बढ़ती है।

विलासिता और भौतिकता का प्रोत्साहन: बॉलीवुड फिल्मों में अक्सर विलासिता, धन और भौतिक वस्तुओं का महिमामंडन किया जाता है। इससे युवा पीढ़ी में भौतिकवाद का विकास हो सकता है, जो उनके नैतिक मूल्यों को प्रभावित कर सकता है।

निष्कर्ष:

बॉलीवुड का भारतीय संस्कृति पर गहरा प्रभाव है। यह न केवल मनोरंजन का स्रोत है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक मानदंडों को भी प्रभावित करता है। इस प्रभाव का सही तरीके से उपयोग करने से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है, जबकि नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए समुचित जागरूकता की आवश्यकता है।

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मनुष्यों के लिए भोजन - foods for humans

मनुष्यों के लिए भोजन - foods for humans

 

मनुष्यों के लिए भोजन - foods for humans

जब प्रकृति ने हमें इतना सब कुछ दिया हो तब क्यों किसी बेजुबान पशु की हत्या करके उसकी लाश को क्यों खाना

दया और करुणा ही वह मूलभूत गुण हैं जो किसी मानव और दानव के मध्य के अंतर को बनाये रखते हैं

महज जिह्वा के स्वाद के लिए की गई किसी बेजुबान की हत्या आपके लिए नरक में अग्नि के कुंड की व्यवस्था कर रही है

अपने पेट को किसी निरीह पशु की लाश का कब्रिस्तान न बनाएं

शाकाहार अपनाएं

आप मानव हैं, दानव नहीं

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बेटा या बेटी नहीं जन्माए ये धन कमाने के साधन मात्र हैं - Don't give birth to a son or daughter, they are just a means to earn money.

 यदि आपका बेटा या बेटी बहुत बडे़ बिजनेस मैन, डॉक्टर , इंजिनियर और आईएएस अधिकारी हैं.....!!

पर यदि उनके पास आपके लिऐ 10 मिनट का समय भी नहीं हैं तो आपने बेटा या बेटी नहीं जन्माए ये धन कमाने के साधन मात्र हैं......!!
बुढ़ापे मे आपको गांव में अकेला छोड़ कर शहर में बच जाए तो वो बेटे पढ़े लिखे किस काम के
इससे तो अच्छा था अनपढ़ रखते कम से कम आपके बुढ़ापे की लाठी तो बनते........!!!All 
Don't give birth to a son or daughter, they are just a means to earn money.
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जीवन के उद्देश्य - purpose of life

 जीवन के उद्देश्य: एक प्रेरणादायक कहानी

जीवन के उद्देश्य - purpose of life

किसी छोटे से गाँव में, एक युवक जिसका नाम अर्जुन था, अपनी साधारण ज़िंदगी जी रहा था। वह हमेशा से पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन उसके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। अर्जुन के माता-पिता खेती करते थे और उसकी शिक्षा के लिए हमेशा संघर्ष करते थे।

एक दिन, गाँव में एक सफल व्यापारी आया। उसने अर्जुन को कहा, "यदि तुम अपने सपनों को पूरा करना चाहते हो, तो तुम्हें मेहनत करनी होगी। जीवन का उद्देश्य केवल जीना नहीं है, बल्कि अपने सपनों के लिए लड़ना है।"

इस बात ने अर्जुन को प्रेरित किया। उसने ठान लिया कि वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान देगा और एक दिन बड़ा आदमी बनेगा। वह दिन-रात पढ़ाई करने लगा। कठिनाईयों के बावजूद, उसने कभी हार नहीं मानी।

अर्जुन की मेहनत रंग लाई और उसने परीक्षा में उच्च स्थान प्राप्त किया। उसे एक अच्छे कॉलेज में दाखिला मिला। वहाँ उसने अपने सपनों को और ऊँचाई दी। उसने न केवल अपनी पढ़ाई पूरी की, बल्कि अपने गाँव के बच्चों के लिए एक स्कूल भी खोला।

अर्जुन की कहानी यह सिखाती है कि जीवन का उद्देश्य केवल अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए भी जीना है। जब हम अपने सपनों के पीछे दौड़ते हैं और दूसरों की मदद करते हैं, तब हम वास्तव में सफल होते हैं।

आज, अर्जुन अपने गाँव का हीरो है। उसकी मेहनत और उद्देश्य ने न केवल उसकी ज़िंदगी बदली, बल्कि पूरे गाँव को प्रेरित किया। यह कहानी हमें याद दिलाती है कि अगर मन में ठान लिया जाए, तो कोई भी सपना सच हो सकता है।

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Bhajan भजन

Song:Bhajan भजन

Maat Pita Guru Prabhu Charnon Mein 00:00
Ye Zindagi Mili Hai Din Char Ke Liye 06:57
Karo Chahe Laakh Chaturai 13:08
Ram Naam Ke Heere Moti 20:34
Main Bhi Bolu Ram Tum Bhi Bolo Na 26:42
Sitaram Sitaram Kahiye 31:17
Mere Malik Ke Darbar Mein Sab Logo ka khata 37;38
Aao Basaye Man Mandir Mein Jhanki Sitaram Ki 45:52
Chali Ja Rahi Hai Umar Dheere Dheere 54:40
Jaha Le Chaloge Wahi Main Chalunga 01:01:13
Ik Nazar Kripa Ki 01:07:30
Sitaram Sitaram Sitaram  01:13:17
Tum Karlo Prabhu Se Pyar Amrit Barsega 01:39:29
Dagar Hai Mushkil Kathin Safar Hai 01:46:00
Karle Prabhu Se Pyaar Nahi Pachtayega 01:51:32
Kaahe Bair Kare Tu Insaan 01:58:27
Janam Maran Aur Paran Prabhu 02:03:17
Jo Karte Rahoge Bhajan Dheere Dheere 2:10:18
Man Ko Nirmal Banana Badi Baat Hai 02:15:32
Har Baat ko Tum Bhulo Bhale Maa Baap Ko Mat Bhulna 02:21:21



 

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शाकाहार की ओर चलें

 प्रकृति ने हमें बेशकीमती खजानों से नवाजा है

इतना सब होने के बावजूद भी यदि आप किसी मासूम बेजुबान पशु की लाश खाते हैं तो आपको मनुष्य कहलाने का कोई हक नहीं
मानवता किसी की पीड़ा महसूस करके उसे हर लेने का नाम है, जीभ के स्वाद के लिए किसी मासूम बेजुबान पशु की लाश खाने का नहीं
शाकाहार की ओर चलें move towards vegetarianism

शाकाहार की ओर चलें मित्रों
जय पशुपति नाथ की
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Itni Shakti Hamein Dena Data Lyrics (इतनी शक्ति हमें देना दाता लिरिक्स)

 Itni Shakti Hamein Dena Data Lyrics (इतनी शक्ति हमें देना दाता लिरिक्स)

Itni Shakti Hamein Dena Data Lyrics (इतनी शक्ति हमें देना दाता लिरिक्स)

इतनी शक्ति हमें दे न दाता

मनका विश्वास कमज़ोर हो ना

हम चलें नेक रास्ते पे हमसे

भूलकर भी कोई भूल हो ना

हर तरफ़ ज़ुल्म है बेबसी है

सहमा-सहमा-सा हर आदमी है

पाप का बोझ बढ़ता ही जाये

जाने कैसे ये धरती थमी है

बोझ ममता का तू ये उठा ले

तेरी रचना क ये अन्त हो ना

हम चले...

दूर अज्ञान के हो अन्धेरे

तू हमें ज्ञान की रौशनी दे

हर बुराई से बचके रहें हम

जितनी भी दे, भली ज़िन्दगी दे

बैर हो ना किसीका किसीसे

भावना मन में बदले की हो ना

हम चले...

हम न सोचें हमें क्या मिला है

हम ये सोचें किया क्या है अर्पण

फूल खुशियों के बाटें सभी को

सबका जीवन ही बन जाये मधुबन

अपनी करुणा को जब तू बहा दे

करदे पावन हर इक मन का कोना

हम चले...

हम अन्धेरे में हैं रौशनी दे,

खो ना दे खुद को ही दुश्मनी से,

हम सज़ा पाये अपने किये की,

मौत भी हो तो सह ले खुशी से,

कल जो गुज़रा है फिरसे ना गुज़रे,

आनेवाला वो कल ऐसा हो ना

हम चले नेक रास्ते पे हमसे,

भुलकर भी कोई भूल हो ना...

इतनी शक्ति हमें दे ना दाता,

मनका विश्वास कमज़ोर हो ना...

इतनी शक्ति हमे देना दाता प्रार्थना के लाभ

इस प्रार्थना को करने से हम ईश्वर इतनी शक्ति मांग रहें हैं कि हमेशा जीवन में कभी कोई भूला ना हो। हमे हमेशा नेक और ईमानदारी के पथ पर चलते हैं। हम ईश्वर से कह रहे हैं कि वो हमें अज्ञानता के अंधेरे से दूर रखे और हमारे भीतर ज्ञान का प्रकाश भर दे। सदा अपने भीतर अर्पण के भाव को अपने भीतर रखें। इस प्रार्थना का पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा आती है।


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क्या ऐसे रिश्ते में माफ़ी की कोई गुंजाइश होती है - Is there any scope for forgiveness in such a relationship?

 राहुल और रिया की शादी को अभी कुछ ही साल हुए थे, लेकिन उनकी जिंदगी बाहर से एकदम परफेक्ट लगती थी। राहुल एक मेहनती और ईमानदार इंसान था, जो हर दिन सुबह जल्दी उठता, अपनी पत्नी रिया का ख्याल रखता, और फिर ऑफिस के लिए निकल जाता। रात में जब राहुल घर लौटता, तो रिया उसकी देखभाल करती, प्यार से उसे खाना खिलाती, और दोनों एक-दूसरे के साथ समय बिताते थे। रातें अक्सर प्यार और खुशियों से भरी होतीं, और राहुल को लगता था कि उसकी शादीशुदा जिंदगी एकदम सही है। 


Is there any scope for forgiveness in such a relationship?

लेकिन, राहुल को नहीं पता था कि उसके जाने के बाद रिया की असल जिंदगी शुरू होती थी। रिया, जो रात में राहुल से जी भरकर प्यार करती थी, दिन में उसके जाने के बाद पड़ोस के युवक, करण के साथ एक नया खेल खेलती थी। राहुल जैसे ही ऑफिस के लिए निकलता, रिया जल्दी से तैयार हो जाती और करण को अपने घर बुला लेती। दोनों का रिश्ता शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से गहरा हो चुका था, लेकिन ये रिश्ता प्यार का नहीं, बस एक धोखे का था। 


एक दिन राहुल अचानक ऑफिस से जल्दी घर लौट आया। जैसे ही उसने घर का दरवाज़ा खोला, उसे कुछ अजीब आवाजें सुनाई दीं। वह चौंक गया और बिना आवाज़ किए अंदर चला गया। बेडरूम के दरवाजे के पास पहुँचते ही वह हक्का-बक्का रह गया। उसकी आंखों के सामने उसकी पत्नी रिया, करण के साथ थी, दोनों की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। राहुल का दिल टूट चुका था। उसे समझ नहीं आया कि यह सब कैसे हो गया, कैसे रिया ने उसका इतना बड़ा विश्वास तोड़ दिया। 


राहुल गुस्से से कांप उठा। उसने दरवाज़ा ज़ोर से खोला और रिया और करण को रंगे हाथों पकड़ लिया। रिया का चेहरा फक्क पड़ गया, उसकी आँखों में डर साफ झलक रहा था। करण तो सीधे भागने की कोशिश करने लगा, लेकिन राहुल ने उसे पकड़ लिया। गुस्से और आंसुओं में डूबा हुआ, राहुल ने चिल्लाकर पूछा, "क्यों रिया? क्या कमी थी मुझमें? मैंने तो तुम्हें सब कुछ दिया, फिर भी तुमने ऐसा क्यों किया?"


रिया चुप थी, उसके पास कोई जवाब नहीं था। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे, लेकिन राहुल का गुस्सा और उसका टूटा हुआ दिल अब उसे माफ करने के मूड में नहीं था। 


राहुल ने एक पल में फैसला कर लिया कि अब वह इस रिश्ते में और नहीं रहेगा। उसने रिया से कह दिया कि वह उसे तुरंत छोड़ रहा है। "तुम्हारे लिए प्यार, वफादारी सब कुछ बेमतलब है। अब मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करूंगा। हमारे बीच अब कुछ नहीं बचा," राहुल ने कहा और घर छोड़कर चला गया।


अब, रिया के लिए सिर्फ पछतावे और अकेलापन बचा था। उसने सोचा कि थोड़े समय का मज़ा शायद उसे खुशी देगा, लेकिन उसने अपनी पूरी ज़िंदगी और राहुल का भरोसा खो दिया। 


क्या ऐसे रिश्ते में माफ़ी की कोई गुंजाइश होती है, या राहुल का फैसला सही था? आप होते उसकी जगह, तो क्या करते? 

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नारी शक्ति की सुरक्षा के लिये

 1. एक नारी को तब क्या करना चाहिये जब वह देर रात में किसी उँची इमारत की लिफ़्ट में किसी अजनबी के साथ स्वयं को अकेला पाये ?  जब आप लिफ़्ट में...