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बॉलीवुड - वेब सीरीज़ के उभरते प्रभाव II Bollywood - Emerging Impact of Web Series
युग की सच्चाई - बॉलीवुड - वेब सीरीज़ के उभरते प्रभाव II Bollywood - Emerging Impact of Web Series
भारत की सांस्कृतिक धारा में महिलाओं की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही है। लेकिन आज, जब इंटरनेट और वेब सीरीज़ का प्रभाव बढ़ रहा है, महिलाओं की आबरू और सामाजिक संस्कृति पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। यह जरूरी है कि हम समझें कि क्या इन प्लेटफार्मों का बहिष्कार एक उचित समाधान हो सकता है।
महिलाओं की आबरू और सामाजिक संस्कृति
भारत में महिलाओं का स्थान सदियों से विविध परंपराओं में बसा है। परन्तु, बदलती सामाजिक धारा के साथ, कई घटक ऐसे होते हैं, जो महिलाओं की आबरू को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, 2021 में जारी किए गए एक अध्ययन के अनुसार, करीब 60 प्रतिशत भारतीय महिलाएँ मानती हैं कि मीडिया में उनका चित्रण नकारात्मक है।
बॉलीवुड और वेब सीरीज़ में कई दृश्यों में लैंगिक भेदभाव, हिंसा और महिलाओं के प्रति अपमान का चित्रण दिखाई दे रहा है। ये चित्रण न केवल समाज पर प्रभाव डालते हैं बल्कि युवा पीढ़ी के सोचने के तरीके को भी प्रभावित करते हैं।
बॉलीवुड का प्रभाव
बॉलीवुड, भारतीय फ़िल्म उद्योग का एक अहम हिस्सा, कभी-कभी नकारात्मक संदेश देता है। उदाहरण के लिए, फिल्म "कबीर सिंह" में दिखाए गए कई दृश्य महिलाओं को एक वस्तु के रूप में दर्शाते हैं, जिससे यह संदेश जाता है कि उनके मूल्य केवल उनके लुक्स पर आधारित होते हैं।
यदि हम बनने वाली फिल्मों और प्रभावशाली वेब सीरीज़ पर ध्यान दें, तो 75 प्रतिशत फिल्में ऐसी हैं जो महिलाओं के प्रति अपमानजनक संवाद शामिल करती हैं। यह दर्शकों पर मनोवैज्ञानिक असर डालता है और हमारी सामाजिक सोच को विकृत करता है।
वेब सीरीज़ के उभरते प्रभाव
वेब सीरीज़ ने एक नई क्रांति को जन्म दिया है। हालांकि, कुछ मामलों में महिलाओं को गैर-जिम्मेदार तरीके से दर्शाया गया है। उदाहरण के लिए, "पाताल लोक" सीरीज़ ने महिलाओं के मुद्दों को दर्शाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की, लेकिन कुछ पात्रों का प्रस्तुतिकरण सवाल खड़ा करता है।
जब सोशल मीडिया पर यथार्थता को चुनौती दी जाती है, वेब सीरीज़ के कंटेंट का बहिष्कार एक सभा के रूप में देखा जाता है। 2022 में, दर्शकों की निराशा के कारण 30 प्रतिशत वेब सीरीज़ रद्द हो गईं, जो नकारात्मक चित्रण के कारण हुईं।
क्या बहिष्कार एक समाधान है?
यह एक बड़ा सवाल है: क्या बॉलीवुड और वेब सीरीज़ का बहिष्कार महिलाओं की आबरू और सामाजिक संस्कृति को बचाने के लिए एक कारगर समाधान हो सकता है?
बहिष्कार निर्माताओं को इस संदेश को जागरूक करने का एक तरीका हो सकता है कि दर्शकों के विचारों का सम्मान होना चाहिए। जब एक फिल्म को हिट और फ्लॉप के आधार पर मापा जाता है, तब निर्माताओं को समझ आता है कि उन्हें क्या प्रदर्शित करना चाहिए।
प्रो टिप्स
दर्शकों की शक्ति: हमें अपने विचार व्यक्त करने चाहिए। अगर हमें कोई दृश्य या संवाद खराब लगता है, तो उसे सोशल मीडिया पर शेयर करें।
सकारात्मक शो का समर्थन करें: ऐसे कंटेंट पर ध्यान दें जो महिलाओं के प्रति सम्मानजनक हैं।
सामाजिक जागरूकता का महत्त्व
समाज में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। साथ ही, जब हम सामाजिक जागरूकता की बात करते हैं, तो हमें सही संदेश लोगों तक पहुंचाने की जरूरत है।
बॉलीवुड और वेब सीरीज़ का बहिष्कार महिलाओं की स्थिति को और अधिक महत्त्व का एक माध्यम हो सकता है। इससे न केवल निर्माताओं की आंखें खुलेंगी, बल्कि समाज में एक सकारात्मक बदलाव का मार्ग प्रशस्त होगा।
भविष्य की दिशा
बॉलीवुड और वेब सीरीज़ का आज के युग में बड़ा प्रभाव है। यह तय करना पूरी तरह से दर्शकों के हाथ में है कि इस प्रभाव का सकारात्मक या नकारात्मक रूप क्या होगा।
अगर हम महिलाओं की आबरू और सामाजिक संस्कृति को सुरक्षित रखने के लिए सचेत दर्शक बनते हैं, तो हम समाज को समझने और महिलाओं की स्थिति को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं। चलिए, हम एक सामूहिक प्रयास करें और बॉलीवुड और वेब सीरीज़ को ऐसा बनाएं जो न केवल मनोरंजन करे, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव भी लाए।
महिलाओं की आबरू और सामाजिक संस्कृति की रक्षा - Protection of women's honor and social culture
भारत में महिलाओं की आबरू और सामाजिक संस्कृति को बचाने के लिए बॉलीवुड और वेब सीरीज़ का बहिष्कार एक कारगर समाधान हो सकता है। आजकल की फ़िल्में और वेब सीरीज़, विशेषकर ओटीटी प्लेटफार्मों पर, अक्सर अभद्रता, अश्लीलता, और हिंसा को बढ़ावा देती हैं। इन माध्यमों में महिलाओं को वस्तु के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जिससे समाज में उनके प्रति गलत मानसिकता विकसित होती है। यह प्रवृत्ति युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है और उनकी मानसिकता को विकृत कर रही है।
बॉलीवुड में पहले के समय की फ़िल्मों में नैतिकता, पारिवारिक मूल्य और समाज की सकारात्मक छवि को दिखाया जाता था। लेकिन वर्तमान समय में इसका स्वरूप काफी बदल चुका है। अब फ़िल्में और वेब सीरीज़ में ऐसे विषयों पर अधिक जोर दिया जा रहा है जो न सिर्फ अश्लीलता को बढ़ावा देते हैं, बल्कि महिलाओं के प्रति समाज की सोच को भी कमजोर बनाते हैं। ऐसे में इनका बहिष्कार करके हम अपने समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
महिलाओं के सम्मान की रक्षा के लिए, यह आवश्यक है कि हम अपनी संस्कृति और परंपराओं को महत्व दें। भारतीय संस्कृति हमेशा से महिलाओं को देवी स्वरूप मानकर उनकी पूजा करती आई है। लेकिन आज का मनोरंजन उद्योग भारतीय मूल्यों को दरकिनार कर विदेशी संस्कृति का अंधानुकरण कर रहा है, जो समाज में नैतिक गिरावट का कारण बन रहा है।
बॉलीवुड और वेब सीरीज़ के बहिष्कार से, हम उन लोगों को यह संदेश दे सकते हैं कि भारतीय समाज महिलाओं का सम्मान करता है और उसे किसी भी प्रकार की अभद्रता या अश्लीलता स्वीकार नहीं है। इसके अलावा, हमें अपनी युवा पीढ़ी को सही दिशा दिखाने के लिए अपने पारंपरिक साहित्य, लोककथाओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिए, जो हमारी सामाजिक संस्कृति को मज़बूत बनाते हैं।
निष्कर्षतः, अगर हम सच में महिलाओं की आबरू और सामाजिक संस्कृति की रक्षा करना चाहते हैं, तो हमें मनोरंजन के इन माध्यमों से दूर रहकर अपने मूल्यों को संजोना होगा। इससे न केवल महिलाओं का सम्मान बढ़ेगा, बल्कि समाज भी एक सशक्त और संस्कारवान दिशा में आगे बढ़ेगा।
जनसंख्या और अपराध दर में वृद्धि भारत के विकास के मार्ग में बड़ी चुनौती - Increase in population and crime rate is a big challenge in the path of development of India.
भारत में जनसंख्या और अपराध दर में वृद्धि का गहरा प्रभाव सामाजिक, आर्थिक और कानूनी ढांचे पर पड़ता है। जब जनसंख्या तेजी से बढ़ती है, तो संसाधनों पर दबाव बढ़ता है, और अपर्याप्त बुनियादी ढांचे के कारण समाज में असमानता और अन्य सामाजिक समस्याएं भी बढ़ती हैं। इन चुनौतियों का सीधा संबंध अपराध दर में वृद्धि से होता है, जो देश की सुरक्षा, समृद्धि और विकास को प्रभावित करता है।
जनसंख्या वृद्धि के साथ, रोजगार के अवसरों की मांग भी बढ़ती है। यदि लोगों को पर्याप्त रोजगार नहीं मिलता, तो गरीबी और आर्थिक असमानता में वृद्धि होती है। ये स्थितियां अपराध को बढ़ावा देती हैं क्योंकि लोग अपनी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए गैरकानूनी तरीकों का सहारा ले सकते हैं। इसके अलावा, शहरीकरण और आबादी का घनत्व बढ़ने से भी अपराध की संभावनाएं बढ़ती हैं, क्योंकि अधिक भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
अपराध दर में वृद्धि का प्रभाव कानून और न्याय प्रणाली पर भी पड़ता है। जब अपराध के मामले बढ़ते हैं, तो पुलिस और न्यायपालिका पर काम का दबाव बढ़ता है। इससे मामलों के निपटान में देरी होती है और कई बार दोषी बच निकलते हैं, जो अपराधियों के मनोबल को बढ़ाता है और अपराध की पुनरावृत्ति का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, अगर कानून-व्यवस्था ठीक से लागू नहीं होती है, तो जनता का न्याय प्रणाली पर से विश्वास उठ सकता है, जो समाज में अराजकता और असुरक्षा की भावना को बढ़ा सकता है।
जनसंख्या वृद्धि और अपराध दर के बीच का संबंध स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र पर भी असर डालता है। बढ़ती आबादी के कारण स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा संस्थानों पर दबाव बढ़ता है, जिससे गुणवत्ता में गिरावट आती है। जब लोग अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित रहते हैं, तो वे अपराध की ओर अधिक आकर्षित हो सकते हैं। कम शिक्षा स्तर और अपर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएं लोगों की जीवनशैली और मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती हैं, जो अपराध की प्रवृत्ति को बढ़ा सकती हैं।
भारत में, इन चुनौतियों से निपटने के लिए प्रभावी नीतियों और कार्यक्रमों की जरूरत है। सरकार को अपराध की रोकथाम के लिए कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने, और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने पर ध्यान देना चाहिए। इसके साथ ही, सामुदायिक जागरूकता और सुधारात्मक उपायों के माध्यम से अपराधियों का पुनर्वास करना भी महत्वपूर्ण है।
अंत में, जनसंख्या और अपराध दर में वृद्धि भारत के विकास के मार्ग में बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। इसे नियंत्रित करने के लिए सतत और सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है ताकि समाज को सुरक्षित, समृद्ध और समान अवसरों वाला बनाया जा सके।
अपराध दर में वृद्धि राष्ट्र की सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता के लिए खतरा - Increase in crime rate is a threat to the security and social stability of the nation.
विकसित राष्ट्र या हिंदू राष्ट्र की अवधारणा के तहत अपराधी आबादी के बढ़ने से राष्ट्र की सुरक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। जब किसी राष्ट्र में अपराधियों की संख्या बढ़ती है, तो सामाजिक और कानूनी ढांचे पर दबाव बढ़ जाता है, जो देश की समग्र सुरक्षा और शांति को कमजोर कर सकता है। इस संदर्भ में, यह समझना जरूरी है कि अपराध दर का बढ़ना किसी भी प्रकार के राष्ट्र की नींव को कमजोर कर सकता है, चाहे वह विकसित हो या धार्मिक आधार पर परिभाषित हो।
विकसित राष्ट्रों में आमतौर पर कानून और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सशक्त न्याय प्रणाली और पुलिस बल होते हैं। यदि अपराध दर में वृद्धि होती है, तो इस प्रणाली पर अधिक दबाव पड़ता है। कानून का उल्लंघन करने वालों को नियंत्रित करने के लिए ज्यादा संसाधनों की आवश्यकता होती है, जिससे आर्थिक और सामाजिक लागत बढ़ती है। यहां तक कि विकसित राष्ट्र भी अपराध की ऊँची दरों के कारण कई समस्याओं का सामना करते हैं, जैसे कि नागरिकों का सरकारी संस्थानों पर भरोसा कम होना, बढ़ता भय और असुरक्षा की भावना।
यदि एक हिंदू राष्ट्र की अवधारणा पर विचार किया जाए, तो भी अपराध दर में वृद्धि से चुनौतियां आती हैं। किसी भी धार्मिक या सांस्कृतिक राष्ट्र में, मूल्यों और नैतिकता का पालन अहम होता है। अपराधियों की संख्या बढ़ने से समाज में उन नैतिक मूल्यों का ह्रास होता है, जिन पर राष्ट्र की पहचान और संस्कृति टिकी होती है। साथ ही, धार्मिक कानूनों के तहत न्यायपालिका को संभालना भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि धार्मिक नियम और आधुनिक कानून के बीच तालमेल बिठाना कठिन हो सकता है।
इसके अलावा, अपराधी तत्वों का बढ़ना समाज में असमानता, गरीबी और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं को बढ़ावा दे सकता है। आर्थिक असमानता और सामाजिक असंतोष से अपराध में वृद्धि होती है, और यह चक्र चलता रहता है। जब राष्ट्र के नागरिक खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते, तो उनकी स्वतंत्रता और अधिकार भी प्रभावित होते हैं।
राष्ट्र की सुरक्षा बनाए रखने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि कानून का कड़ाई से पालन हो और समाज के सभी वर्गों के लिए समान न्याय प्रणाली हो। अपराधियों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने के लिए सुधारात्मक और निवारक उपायों की आवश्यकता होती है, जैसे कि शिक्षा और रोजगार के अवसरों में सुधार, न्याय प्रणाली की मजबूती, और पुलिस बल का सुदृढ़ीकरण।
अंततः, चाहे वह एक विकसित राष्ट्र हो या हिंदू राष्ट्र, अपराध दर में वृद्धि राष्ट्र की सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता के लिए खतरा पैदा करती है। इसे प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करना होगा ताकि एक सुरक्षित और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण किया जा सके।
Bhai Dooj 2024 - Shubh Muhurat - भाई दूज 2024
Bhai Dooj 2024: 02 या 03 नवंबर, कब है भाई दूज? जानें क्या है इस पर्व की सही डेट
सनातन धर्म में दिवाली के पर्व का विशेष महत्व है। यह उत्सव पांच दिनों तक चलता है। इसके अंतिम दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहने अपने भाई के सफल जीवन की कामना करते हुए व्रत रखती हैं और उनका तिलक करती हैं। आइए जानते हैं भाई दूज के शुभ मुहूर्त के बारे में।
हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर बहनें अपने भाई का तिलक कर लंबी आयु और सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए की कामना करती हैं। ऐसे में भाई उन्हें उपहार और जीवन रक्षा का वचन देता है। इस पर्व को यम द्वितीया भी के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने का भी विधान है। इस बार भाई दूज की डेट को लेकर लोग अधिक कन्फ्यूज हो रहे हैं। कुछ विद्वान भाई दूज 02 नवंबर की बता रहे हैं, तो वहीं कुछ ज्योतिष यह पर्व 03 नवंबर को मनाने की बात कह रहे हैं। आइए इस लेख में हम आपको हिंदू पंचांग के अनुसार बताएंगे कि भाई दूज (Bhai Dooj 2024 Date) का पर्व किस तारीख को मनाया जाएगा?
भाई दूज 2024 कब है? (Bhai Dooj 2024 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 02 नवंबर, 2024 को रात 08 बजकर 21 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 03 नवंबर, 2024 को होगा। पंचांग के आधार पर इस साल भाई दूज का त्योहार 3 नवंबर 2024, दिन रविवार को मनाया जाएगा।
भाई दूज अपराह्न समय - दोपहर 01 बजकर 10 से दोपहर 03 बजकर 22 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 51 मिनट से 05 बजकर 43 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 54 मिनट से 02 बजकर 38 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 34 मिनट से 06 बजे तक
भाई दूज पूजा सामग्री लिस्ट
मिठाई
गोला
चावल
ज्योत
धूप
नारियल
चौकी
घी
आरती की थाली
भाई दूज पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान कर पूजा-अर्चना करें। भाई दूज के दिन भगवान विष्णु और भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना करना शुभ माना जाता है। शुभ मुहूर्त में बहन अपने भाई का तिलक करें। धार्मिक मान्यता है कि शुभ मुहूर्त के दौरान तिलक करने से भाई को जीवन में सफलता प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। तिलक करने के बाद दीपक जलाकर आरती उतारें और हाथ में रक्षा सूत्र बांधें। इसके बाद फिर मिठाई खिलाएं। ऐसे में भाई अपनी बहन को उपहार देता है।
Dhanteras - Deepdan - Vidhi-Mantra - धनतेरस पर क्यों करते हैं दीपदान? जानें मंत्र-विधि और शुभ मुहूर्त
Dhanteras 2024: धनतेरस पर क्यों करते हैं दीपदान? जानें मंत्र-विधि और शुभ मुहूर्त
Dhanteras 2024 Deepdan Vidhi-Mantra: दीपावली उत्सव 5 दिनों तक मनाया जाता है। सबसे पहले दिन धनतेरस का पर्व मनाते हैं। इस बार धनतेरस 29 अक्टूबर, मंगलवार को है। धनतेरस की शाम को यमराज को प्रसन्न करने के लिए दीपदान करने की परंपरा है। कहते हैं कि ऐसा करने से परिवार में किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती। इससे जुड़ी कथा, मंत्र आदि भी धर्म ग्रंथों में मिलते हैं। आगे जानिए इससे जुड़ी पूरी डिटेल…
धनतेरस पर दीपदान के लिए मुहूर्त (Dhanteras 2024 Deepdan Shubh Muhurat)
धनतेरस पर शाम को प्रदोष काल में यमराज के लिए दीपदान किया जाता है। 29 अक्टूबर, मंगलवार को प्रदोष काल शाम 05 बजकर 38 मिनिट से शुरू होगा, जो 06 बजकर 55 मिनिट तक रहेगा। यानी दीपदान के लिए आपको पूरे 1 घंटे 17 मिनिट का समय मिलेगा। इस दौरान आप कभी भी दीपदान कर सकते हैं।
धनतेरस पर दीपदान की विधि-मंत्र (Dhanteras 2024 Deepdan Vidhi-Mantra)
- 29 अक्टूबर यानी धनतेरस की शाम ऊपर बताए गए शुभ मुहूर्त में मिट्टी का एक बड़ा दीपक लेकर लें। इसमें रूई को 2 बड़ी बत्तियां लेकर इस तरह रखें कि दीपक के बाहर बत्तियों के चार मुहं दिखाई दें।
- इस दीपक में तिल का तेल डालें और ऊपर से थोड़े काले तिल भी जरूर डालें। रोली, चावल और फूलों से इस दीपक की पूजा करें। दीप को दक्षिण दिशा में रखकर ये मंत्र बोलते हुए जलाएं…
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह।
त्रयोदश्यां दीपदनात् सूर्यज: प्रीयतामिति।।
- हाथ में फूल लें और नीचे लिखा मंत्र बोलते हुए यमराज को नमस्कार करते हुए ये फूल दीपक के पास छोड़ दें-
ऊं यमदेवाय नम:। नमस्कारं समर्पयामि।।
- इसके बाद नीचे लिखा मंत्र बोलते हुए एक बताशा या मिठाई दीपक के पास रख दें-
ऊं यमदेवाय नम:। नैवेद्यं निवेदयामि।।
- हाथ में जल लेकर नीचे लिखा मंत्र बोलते हुए दीपक के पास छोड़ दें-
ऊं यमदेवाय नम:। आचमनार्थे जलं समर्पयामि।
- एक बार फिर से ऊं यमदेवाय नम: बोलें और दक्षिण दिशा में नमस्कार करें। धनतेरस पर इस प्रकार दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।
क्यों करते हैं धनतेरस पर दीपदान? (Kyo Karte Hai Dhanteras par Deepdaan)
- पुराणों में धनतेरस पर दीपदान करने की परंपरा काफी पुरानी है। इससे जुड़ी एक कथा भी है जो इस प्रकार है- एक बार यमराज ने यमदूतों से पूछा ‘तुम रोज हजारों लोगों के प्राण लेकर आते हो, क्या कभी तुम्हें किसी पर दया नहीं आई?’
यमराज की बात सुनकर यमदूत बोलें ‘मृत्यु लोक पर हेम नाम का एक राजकुमार था। उसके जन्म होने पर ज्योतिषियों ने उसके पिता को बताया कि जब भी बालक विवाह करेगा, उसके चार दिन इसकी मृत्यु हो जाएगी।’
‘राजा ने अपने बालक के प्राण बचाने के लिए उसे एक गुफा में रखकर बड़ा किया। वहां तक पहुंचना बहुत मुश्किल था। मगर एक दिन राजा हंस की बेटी यमुना तट पर घूमते-घूमते उस गुफा में पहुंच गई। राजकुमार ने ने मोहित होकर उससे गंधर्व विवाह कर लिया।’
‘ज्योतिषी के कहे अनुसार विवाह के चौथे दिन ही राजकुमार हंस की मृत्यु हो गई। युवा पति की मृत्यु देख उसकी पत्नी जोर-जोर से रोने लगी। उस राजकुमार के प्राण हरण करते समय हमें बहुत दुख हुआ था।‘
तभी एक यमदूत ने यमराज से पूछा ‘क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं है?’ यमराज ने कहा ‘अगर कोई व्यक्ति धनतेरस की शाम को मेरे निमित्त दीपदान करें तो उसे और उसके परिवार के किसी भी सदस्य को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा।’
इसलिए धनतेरस की शाम को यमराज के लिए दीपदान की परंपरा चली आ रही है।
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Disclaimer
इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।
Diwali-2024 - Diwali ki katha - Deepawali ki katha - दिवाली की कथा
Diwali-2024 - Diwali ki katha - Deepawali ki katha - दिवाली की कथा
दिवाली की कथा: दीपावली का महत्व और पौराणिक कहानी | The Significance and Mythological Story of Diwali ki katha
दिवाली की कथा इन हिंदी | महालक्ष्मी दिवाली की कथा-
Deepawali ki katha in hindi | Diwali ki katha
दिवाली की कथा:- एक समय की बात है धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से कहा हे गोविंद कृपा कर आप मुझे कोई ऐसा उपाए बतायें जिस से हमारा नष्ट साम्राज्य पुनः प्राप्त हो जाए तथा राज्य, लक्ष्मी, धन, वेभव प्राप्त हो जाए ।
इस बात को सुनकर भगवान श्री कृष्ण ने कहा- हे राजन जब देतेया राज बलि राज्य कर रहे थे । तब उनके राज्य में सारी प्रजा सुखी थी मेरा भी वह प्रिये भक्त है एक बार राजा बलि ने सौ अश्वमेघ यज्ञ करने की प्रतिज्ञा की उसमें जब 99वें यज्ञ पूरे किए ओर एक ही शेष बचा था तब इंद्र को अपने सिंघासन छीन जाने का भय हुआ क्यूँकि एक सौ यज्ञ करने वाला इंद्र सिंघासन का अधिकारी होता है ।
इस भय से वह रूद्र आदि देव महादेव के पास पहुँचा किंतु वे कोई उपाय ना कर सके । तब सभी देवतागण इंद्र के साथ झीर सागर भगवान विष्णु के पास पहुँचे ओर भगवान की स्तुति की भगवान विष्णु प्रकट हुए उनके सामने इंद्र ने अपना दुःख सुनाया । भगवान ने कहा इंद्र तुम चिंता मत करो मैं तुम्हारे इस भय का अंत कर दूँगा यह कहकर भगवान ने उन्हें अपने धाम को भेज दिया । भगवान वामन का रूप धर के राजा बलि के वहाँ पहुँचे जब वह 100वाँ यज्ञ कर रहा था ।
भगवान वामन ने भिक्षा में राजा बलि से तीन पग भूमि का दान माँगा । दान का संकल्प हाथ में लेकर भगवान ने एक पग में पूरी पृथ्वी नाप ली, दूसरे पग से अंतरिक्ष ओर तीसरा पग राजा के सिर पर रख कर नाप दिया । इतना होने पर वामन भगवान ने राजा से वर माँगने को कहा- राजा ने कहा हे भगवान कार्तिक के कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी, चतुर्दशी ओर अमावशया तीन दिन पृथ्वी पर मेरा राज रहे इन दिन दीनो में लोग दीप दान, दीपावली आदि कर के उत्सव मनाए लक्ष्मी का पूजन करे, दिवाली की कथा सुने लक्ष्मी का निवास हो, ओर ऐसा ना करने वाले पर लक्ष्मी जी क्रुद्ध हो जाए ।
इस प्रकार वर माँगने पर विष्णु भगवान ने कहा हे राजन यह वर हमने तुमको दिया । लक्ष्मी पूजन दिवाली करने वाले के घर लक्ष्मी का निवास होगा ओर अंत में मेरे धाम को प्राप्त होगा ।
यह कहकर भगवान ने राजा बलि को सुतल लोक का राज्य देकर उनके लोग में भेजा ओर इंद्र का भय दूर किया । उस दिन से माँ लक्ष्मी आदि का पूजन दीपावली पर किया जाता है जिसके फलस्वरूप दिवाली मनाने वाले के घर में कभी लक्ष्मी का आभाव नहीं होता ।
भगवान श्री कृष्ण बोले हे राजन एक कथा ओर सुनिए- मणिपुर नामक नगर में एक राजा था जिसकी पत्नी पतिव्रता एवं धर्मपरायण थी एक दिन उसकी पत्नी अपनी छत पर स्नान के निमित अपने गले के सुंदर क़ीमती नोलख़ा हार को उतारकर वहाँ स्नान करने लीग ।
उसी समय आकाश में घूम रही चील की दृष्टि हार पर पड़ी ओर वो उसे लेकर उड़ गई एक स्थान पर एक बुढ़िया की झुपडी की छत पर मरा हुआ सर्प पड़ा था जैसे ही उसकी दृष्टि सर्प पर पड़ी चील हार छत पर छोड़कर सर्प लेकर चली गई । उधर रानी हार चील के द्वारा ले जाने पर उदास होकर अपने महल में चली गई । थोड़ी देर बाद राजा के आने पर उनसे सारी बात बताई। राजा ने उसे विश्वास दिलाया हार अवश्य मिल जाएगा ।
यह कहकर राजा सभा में पहुँचा सारे नगर में डिडोर पिटवा दिया की जो रानी का हार लाकर देगा वो मनचाहा वर पाएगा । दूसरे दिन एक बुढ़िया हार लेकर राजा के पास पहुँची ओर राजा को वह हार दे दिया ।
फिर राजा ने उसे वरदान माँगने को कहा उसने वरदान में माँगा की आज से 8वे दिन दीपावली है उस दिन नगर में महालक्ष्मी का पूजन कोई ना करे केवल मैं ही करूँगी उसके लिए पूजा के सारी सामग्री मेरे घर में भिजवा दें ।
इस बात से आश्चर्य से राजा ने पूछा की इस वर से तुम्हें क्या लाभ हुआ ।
बुढ़िया बोली हे राजन इस दिन लक्ष्मी पूजन एवं दीपावली करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती है सदा उसके घर में स्थित रहती है राजा ने कहा मुझे भी लक्ष्मी पूजन करना है बुढ़िया ने कहा प्रथम मैं करूँगी बाद में आप कर लेना। ऐसा करने PR राजा एवं बुढ़िया के घर अतुल सम्पत्ति का निवास हो गया ।
इसलिए श्री महालक्ष्मी की प्रसनता के लिए बड़े राज से लेकर रंक की झोपटी तक में श्री महालक्ष्मी का पूजन होता है और दिवाली की कथा सुनी जाती है । भगवान कृष्ण ने कहा हे धर्मराज युधिष्ठिर श्री महालक्ष्मी के पूजन तथा दीपावली के उत्सव से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है इसलिए राजन तुम भी करों तुम्हारा खोया हुआ राज्य तुम्हें मिल जाएगा ।
Diwali-2024 | The Significance and Mythological Story of Diwali ki katha - दिवाली की कथा: दीपावली का महत्व और पौराणिक कहानी
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नारी शक्ति की सुरक्षा के लिये
1. एक नारी को तब क्या करना चाहिये जब वह देर रात में किसी उँची इमारत की लिफ़्ट में किसी अजनबी के साथ स्वयं को अकेला पाये ? जब आप लिफ़्ट में...