मरने के बाद

लोग कहते हैं कि धर्म में लिखा है कि मरने के बाद व्यक्ति अपने पुण्य कर्मों के अनुसार स्वर्ग में जाता है और पाप कर्मों के अनुसार नर्क में दुख भोगता है। क्या यह सच है?

दुनिया के सभी धर्म में स्वर्ग और नर्क की बातें कही गई है। स्वर्ग अर्थात वह स्थान जहां अच्छी आत्माएं रहती है और नर्क वह स्थान जहां बुरी आत्माएं रहती है। कहा जाता है कि पापी व्यक्ति को नर्क में यातनाएं देने के लिए भेज दिया जाता है और पुण्यात्माओं को स्वर्ग में सुख भोगने के लिए भेज दिया जाता है।

स्वर्ग को इस्लाम में जन्नत कहा जाता है और नर्क को दोजख या जेहन्नूम। इसी तरह हर धर्म में यह धारणा है कि ईश्वर ने स्वर्ग और नर्क की रचना की है जहां व्यक्ति को उनके कर्मों के हिसाब से रखा जाता है। पुराणों अनुसार मृत्यु का देवता यमराज आत्माओं को दंड या पुरस्कार देता है। यमराज के मंत्री चित्रगुप्त सभी आत्माओं के कर्मों का हिसाब रखते हैं फिर यम के यमदूत उन्हें स्वर्ग या नर्क में भेज देते हैं। बहुत भयानक है गरुढ़ पुराण।

धर्म के तीन आधार : धर्म को जिंदा बनाए रखने और लोगों में नैतिकता को कायम रखने के तीन आधार है- 1.ईश्वर 2.स्वर्ग-नर्क और प्रॉफेट। यह तीनों ही वेद विरुद्ध माने जा सकते हैं। जब मानव असभ्य और जंगली था तब लोगों को सभ्य और नैतिक बनाने के लिए कुछ लोगों ने भय और लालच का सहारा लिया और लोगों को एक परिवार और समाज में ढाला। डराया ईश्वर और नर्क से और लालच दिया स्वर्ग का, अप्सराओं का। जिन लोगों ने समाज को ईश्वर, स्वर्ग, नर्क से डराकर नए नियम बताए उन्हें फ्रॉफेट माना जाने लगा। फ्रॉफेटों की अपनी किताबें भी होती हैं जिनके प्रति लोग पागल हैं।

वेद इस तरह की कपोल-कल्पनाओं के खिलाफ है। वेद आध्या‍त्म का सच्चा मार्ग ही बताते हैं। वेद अनुसार निश्चित ही व्यक्ति को अपने कर्म, भाव और विचार के अनुसार सद्गति और दुर्गति का सामना करना पड़ता है। जैसे शराब पीने वाले की चेतना गिरने लगती है तो उसे अधोगति कहते हैं और ध्यान करने वाली की चेतना उठने लगती है तो उसे उर्ध्व‍गति कहते हैं। वेद गति को मानता है। यदि आप अच्छी गति और स्थिति में रह हैं तो आप स्वर्ग में हैं और बुरी गति और स्थिति में रह रहे हैं तो आप नर्क में हैं। आदमी चलता फिरता नर्क और स्वर्ग है।
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यात्रा में जाने का शौक

छुट्टियाँ बिताने के लिये पूरे परिवार के साथ यात्रा में जाने का शौक भला किसे नहीं होता। घूमने जाने के नाम से बच्चे सबसे अधिक रोमांचित होते हैं पर साथ ही साथ बड़े भी उत्साहित रहते हैं। पर अक्सर होता यह है कि लोग बिना किसी पूर्व योजना तथा तैयारी के यात्रा में निकल पड़ते हैं जिससे उन्हें अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। घूमने का सारा मजा किरकिरा हो जाता है। इसलिये अच्छा यही है कि पूरी तरह से सोच-समझ कर यात्रा की पूर्व योजना बनायें और समस्त तैयारियों के साथ ही यात्रा में निकलें।
पूर्व योजनाः
यात्रा में जाने की योजना पर्याप्त समय पहले ही बनायें और अपना कार्यक्रम निश्‍चित कर लें जैसे कि कहाँ जाना है, कब जाना है, वहाँ रहने के दौरान वहाँ का अनुमानित मौसम कैसा रहेगा इत्यादि।
यह भी विचार कर लें कि किस स्थान पर किस माध्यम से जायेंगे फ्लाइट, रेल या टैक्सी/बस से। यह भी तय कर लें कि किस स्थान में कितने दिनों तक ठहरना है।
अपने जेब को ध्यान में रखते हुये अपना बजट भी पहले ही निश्‍चित कर लें।
हवाई जहाज से घूमने की इच्छा भला किसे नहीं होती। आजकल कई कंपनियाँ पर्यटकों को सस्ते दर पर टिकिट देती हैं इसलिये पहले ही पता कर लें कि कौन सी कंपनी आपके बजट के अनुरूप दर पर टिकिट दे रही है।
सब कुछ तय हो जाने के बाद अपने जाने तथा आने के लिये फ्लाइट, रेल आदि के आरक्षण की उचित व्यवस्था कर लें। जहाँ तक हो सके होटल आदि की व्यवस्था भी पहले ही कर लें जिससे कि गंतव्य स्थान में पहुँचने के बाद जगह ढूँढने में आपका समय बर्बाद न हो। आजकल इंटरनेट की सुविधा होने से आरक्षण, होटल बुकिंग आदि कार्य घर बैठे ही आसानी के साथ किया जा सकता है।
यात्रा के दौरान अपने साथ ले जाने वाली वस्तुओं की सूची भी बना लें ताकि ऐन वक्‍त पर कोई चीज छूट न जाये।
तैयारियाँ
घर से निकलने के पहले निश्‍चित कर लीजिये कि टूथब्रश, टूथपेस्ट, साबुन, शैम्पू, तौलिया, शेविंग किट, बाल सँवारने के सामान आदि रख लिया गया है। प्रायः लोग इन्हीं चीजों को रखना भूल जाते हैं।
बुखार तथा दर्दनिवारक गोलियाँ, बैंडएड आदि जैसी कुछ आवश्यक दवाएँ और फर्स्ट-एड बाक्स रखना कदापि न भूलें। सम्पूर्ण यात्रा के दौरान कभी भी इनकी जरूरत पड़ सकती है।
एक छोटा टार्च, एक छोटा चाकू और एक छोटा ताला अपने साथ अवश्य रखें, ये यात्रा में बहुत काम आती हैं।
यद्यपि आजकल सभी पर्यटन स्थलों मे खान-पान की पर्याप्त व्यवस्था होती है, फिर भी अपने साथ कुछ हल्के नाश्ते का सामान भी रख लें।
अपने साथ अनावश्यक और भारी सामान कभी भी न रखें। छोटी-छोटी पैकिंग करें जिन्हें परिवार के लोग स्वयं ही उठा सकने में समर्थ हों क्योंकि यात्रा के दौरान अपने सामानों को स्वयं उठा कर ले जाने के अवसर अनेकों बार आते हैं।
कुछ सुझाव
महत्वपूर्ण कागजातों जैसे कि टिकिट, पासपोर्ट, क्रेडिट तथा एटीएम कार्ड्स, ड्राइव्हिंग लायसेंस आदि की छायाप्रति बनवा लें ताकि यदि कोई कागजात खो जाता है तो छायाप्रति से काम चलाया जा सके।
आवश्यकता से अधिक नगद रकम साथ न रखें और प्लास्टिक मनी अर्थात् क्रेडिट तथा एटीएम कार्ड्स का पूरा-पूरा उपयोग करें।
अपने सभी पैकिंगों पर अपना नाम व पता लिख दें, उनके भीतर भी अपने नाम व पते की स्लिप डाल दें।
परिचित लोगों के फोन नंबरों की सूची साथ रखें।
कहीं पर भी कूड़ा-करकट न फैलायें बल्कि उपयोग करने के बाद पालीथिन झिल्ली, डिस्पोजेबल गिलास आदि को कूड़ेदान में ही डालें।
नियम और कानून की अवहेलना ना करें।
हमेशा अपना व्यवहार सम्भ्रान्त रखें और अनजान लोगों पर एकाएक विश्‍वास न करें।
यदि आप उपरोक्‍त बातों का ध्यान रखेंगे तो आपको निश्‍चिंत होकर अपनी छुट्टियों तथा यात्रा का पूरा-पूरा मजा लेने का मौका अवश्य ही मिलेगा।
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Brahmin Dashnam Goswami Gosavi Gusai Samaj matrimonial portal for prospective brides and grooms. Find life partners and matrimonial matches for Shaadi within the Goswami community.

दशनाम गोस्वामी समुदाय और गोस्वामीरिश्ता.कॉम (मैट्रिमोनी साइट) के बारे में विस्तृत जानकारी :-Brahmin Dashnam Goswami Gosavi Gusai Samaj matrimonial portal for prospective brides and grooms. Find life partners and matrimonial matches for Shaadi within the Goswami community.

Brahmin Dashnam Goswami Gosavi Gusai Samaj matrimonial portal for prospective brides and grooms. Find life partners and matrimonial matches for Shaadi within the Goswami community.


1. दशनाम गोस्वामी समुदाय :-
दशनाम गोस्वामी एक प्रमुख ब्राह्मिन समुदाय है, जो भारतीय संस्कृति, धार्मिक परंपराओं और शास्त्रों में गहरी रुचि रखता है। "दशनाम" शब्द का अर्थ होता है "दस नाम", और यह गोस्वामी समुदाय के विभिन्न उपनामों को संदर्भित करता है। इस समुदाय को धार्मिक, संस्कृतिक और सामाजिक मामलों में सम्मान प्राप्त है।
गोस्वामी समुदाय के लोग आमतौर पर उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं और समाज में अच्छे स्थान पर रहते हैं। वे अपने धर्म, संस्कृति और परंपराओं को बहुत महत्व देते हैं। विवाह के संदर्भ में यह समुदाय पारंपरिक और धार्मिक रूप से रिश्तों की तलाश करता है, जिसमें दोनों परिवारों की सामाजिक स्थिति, जाति, शिक्षा और संस्कारों का अहम स्थान होता है।
दशनाम गोस्वामी समुदाय के प्रमुख उपनाम :-
- गिरि
- पुरी
- भारती
- पर्वत
- सरस्वती
- सागर
- वन
- अरण्य
- आश्रम
- तीर्थ
यह समुदाय भारत के विभिन्न हिस्सों में पाया जाता है, जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, और अन्य राज्य। इस समुदाय के लोग अक्सर विवाह के लिए एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं और पारिवारिक माध्यम से मैच ढूंढ़ने की परंपरा रखते हैं।
2. गोस्वामीरिश्ता.कॉम (मैट्रिमोनी साइट) के बारे में :-
गोस्वामीरिश्ता.कॉम एक विशेष मैट्रिमोनी प्लेटफार्म है, जो दशनाम गोस्वामी समुदाय के लोगों के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह एक ऑनलाइन सेवा है जहां गोस्वामी समाज के लोग अपने जीवनसाथी के लिए उपयुक्त पार्टनर की तलाश कर सकते हैं। इस साइट पर उपयोगकर्ता अपनी प्रोफाइल बना सकते हैं, अपने पसंदीदा मैच खोज सकते हैं, और सुरक्षित तरीके से संपर्क कर सकते हैं।
गोस्वामीरिश्ता.कॉम की प्रमुख विशेषताएँ :-
1. समुदाय आधारित मैचमेकिंग :-
गोस्वामीरिश्ता.कॉम विशेष रूप से दशनाम गोस्वामी समुदाय के लिए तैयार किया गया है, जिससे उपयोगकर्ता अपनी संस्कृति, धर्म और सामाजिक स्थिति के आधार पर सही जीवनसाथी ढूंढ सकते हैं। यह प्लेटफार्म पारिवारिक सामंजस्य और धार्मिक अनुकूलता को प्राथमिकता देता है, ताकि विवाह के बाद जीवन सुखमय और संतुलित हो सके।
2. प्रोफाइल निर्माण और कस्टमाइजेशन :-
- विस्तृत प्रोफाइल :- उपयोगकर्ता अपनी प्रोफाइल में व्यक्तिगत जानकारी जैसे नाम, आयु, शिक्षा, कार्य, स्थान, परिवारिक पृष्ठभूमि, शौक, और जीवनसाथी के लिए इच्छाएँ भर सकते हैं।
- सहायक उपकरण :- प्रोफाइल को कस्टमाइज करने के लिए सरल और उपयोगकर्ता-अनुकूल इंटरफेस दिया गया है, जिससे उपयोगकर्ता आसानी से अपनी जानकारी अपलोड कर सकते हैं।
3. सत्यापन प्रक्रिया :-
प्रत्येक प्रोफाइल को सत्यापित किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दी गई जानकारी सही और प्रमाणिक है। यह सत्यापन न केवल उपयोगकर्ता की पहचान को प्रमाणित करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि वे शादी के लिए एक योग्य और विश्वसनीय व्यक्ति हैं।
4. सुरक्षा और गोपनीयता :-
- गोपनीयता का ध्यान :- गोस्वामीरिश्ता.कॉम पर उपयोगकर्ता की व्यक्तिगत जानकारी केवल उन्हीं लोगों के साथ साझा की जाती है, जिन्हें उपयोगकर्ता स्वीकृति देता है। यह साइट सुरक्षा और गोपनीयता के सभी पहलुओं पर विशेष ध्यान देती है।
- डेटा सुरक्षा :- उच्च स्तर की सुरक्षा नीतियाँ लागू की जाती हैं ताकि आपके व्यक्तिगत विवरण को सुरक्षित रखा जा सके।
5. उन्नत सर्च और फिल्टरिंग सिस्टम :-
- सर्च टूल्स :- गोस्वामीरिश्ता.कॉम पर एक उन्नत सर्च इंजन है, जो उपयोगकर्ताओं को उनके पसंदीदा मैच ढूंढने में मदद करता है। इसमें आयु, शिक्षा, स्थान, जाति, समुदाय, और पारिवारिक पृष्ठभूमि जैसे कई फिल्टर शामिल हैं।
- लाइफ पार्टनर की प्राथमिकताएँ :- उपयोगकर्ता अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर जीवनसाथी की खोज कर सकते हैं, जैसे पेशेवर, धार्मिक, या पारिवारिक स्थिति के हिसाब से।
6. ग्राहक सहायता :-
- 24/7 सहायता :- साइट पर एक कस्टमर सपोर्ट टीम है, जो किसी भी समस्या या सवाल का समाधान देने के लिए हमेशा उपलब्ध रहती है। यदि उपयोगकर्ताओं को साइट के उपयोग में कोई परेशानी हो, तो वे आसानी से मदद ले सकते हैं।
- मार्गदर्शन :- टीम उपयोगकर्ताओं को प्रोफाइल बनाने से लेकर सही पार्टनर चयन तक मार्गदर्शन देती है।
7. वैश्विक पहुंच :-
- दुनियाभर से संपर्क :- गोस्वामीरिश्ता.कॉम केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। यह दुनियाभर के गोस्वामी समुदाय के लोगों के लिए खुला है। अगर आप विदेश में रहते हैं तो भी आप अपनी प्रोफाइल बना सकते हैं और संभावित जीवनसाथी से संपर्क कर सकते हैं।
8. प्रीमियम सेवाएँ :-
- सदस्यता योजनाएँ :- गोस्वामीरिश्ता.कॉम विभिन्न भुगतान योजनाएँ प्रदान करता है। प्रीमियम सदस्यता के साथ, उपयोगकर्ताओं को प्रोफाइल हाइलाइटिंग, अधिक मेल-मिलाप के अवसर, और अनलिमिटेड चैटिंग जैसी सुविधाएँ मिलती हैं।

निष्कर्ष :-
Goswamirishta.com एक संरचित और सुरक्षित मैट्रिमोनी प्लेटफार्म है, जो विशेष रूप से दशनाम गोस्वामी समुदाय के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस साइट पर उपयोगकर्ताओं को एक सुरक्षित और गोपनीय तरीके से विवाह के लिए उपयुक्त जीवनसाथी ढूंढने का अवसर मिलता है। अगर आप गोस्वामी समुदाय से हैं और एक अच्छा जीवनसाथी ढूंढ रहे हैं, तो गोस्वामीरिश्ता.कॉम एक बेहतरीन और विश्वसनीय विकल्प हो सकता है।



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बेटी के ससुराल जा कर भूल के भी बदतमीज़ी से पेश ना आए

 अगर बेटी या बहन आपको अपने ससुराल वालो की शिकायत करे तो एक तरफ़ा राय ना बनाए आराम से बात करे गाली गलोच से नही, बेटी के ससुराल जा कर भूल के भी बदतमीज़ी से पेश ना आए, ना ही भूल के भी दामाद पर या बेटी के सास व ससुर पर उंगली भी उठाए या उनके दोष निकाले, बेटी को घर वापस लाने की ग़लती कभी ना करे क्योंकि जो लड़की एक बार ससुराल की दहलीज़ लांघ जाती वो वापस पहले वाली जगह नहीं पा सकती, अगर अपने ऐसा कुछ भी किया तो समझ लीजिए की अपने खुद ही अपनी बेटी का घर उजाड़ दिया है, आप खुद अपनी बेटी के सबसे बड़े दुश्मन हे और अब आप उसका घर कुछ भी करके नही बसा सकते.

राधे राधे

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Batenge To Katenge Song II बंटेंगे तो कटेंगे II Desh Bhakti II Election II BJP II #india #hindu

Batenge To Katenge Song II बंटेंगे तो कटेंगे II Desh Bhakti II Election II BJP II #india #hindu



 

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मानवता, सामाजिकता और राष्ट्रीयता की रक्षा - Defense of humanity, sociality and nationality

मानवता, सामाजिकता और राष्ट्रीयता की रक्षा - Defense of humanity, sociality and nationality

मानवता, सामाजिकता और राष्ट्रीयता की रक्षा - Defense of humanity, sociality and nationality

1. **मानवता, सामाजिकता और राष्ट्रीयता की रक्षा में जिम्मेदारी का निर्वाह**

मानवता, सामाजिकता और राष्ट्रीयता ये तीन मुख्य स्तंभ हैं, जो किसी भी राष्ट्र की पहचान और विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। यदि इन स्तंभों को ध्यान में रखते हुए जिम्मेदारी से कार्य नहीं किया जाता, तो समाज और राष्ट्र पर गहरे नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। यह जिम्मेदारी केवल कुछ वर्गों या व्यक्तियों की नहीं होती, बल्कि यह प्रत्येक नागरिक, धार्मिक नेताओं, राजनेताओं, और समाजिक कार्यकर्ताओं की होती है।


- **धर्म के कार्यों से जुड़े लोग**: धर्म के प्रचारक और धार्मिक नेताओं की भूमिका समाज में नैतिक और मानसिक शांति स्थापित करने में अहम होती है। यदि ये लोग ईमानदारी और सच्चाई से अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते, तो समाज में वैमनस्य, असहमति और धार्मिक असहिष्णुता फैल सकती है।

  

- **राजनीतिक और गैर-राजनीतिक लोग**: राजनीतिक नेताओं की जिम्मेदारी देश की नीतियाँ बनाना और समाज की समृद्धि के लिए काम करना है। यदि वे अपनी जिम्मेदारियों को न निभाएं, तो इसका सीधा असर राष्ट्र की प्रगति, आंतरिक शांति और राष्ट्रीय एकता पर पड़ेगा। वहीं, गैर-राजनीतिक लोग, जैसे सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, और शिक्षा वाले भी समाज के नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

2. **समाज, मानवता और राष्ट्र पर प्रभाव**

अगर समाज के ये सभी स्तंभ अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाते, तो इसका गहरा प्रभाव समाज, मानवता और राष्ट्र पर पड़ेगा:


- **समाज में विघटन**: अगर लोग अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते हैं, तो समाज में असहमति, असुरक्षा और संघर्ष बढ़ सकते हैं। यह धार्मिक और जातीय संघर्षों को जन्म दे सकता है।

  

- **राष्ट्रीय एकता का संकट**: राजनीतिक नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं की असंवेदनशीलता राष्ट्र की एकता को तोड़ सकती है। इससे राष्ट्र के भीतर असंतोष और असमर्थता का माहौल बन सकता है।

  

- **मानवता पर खतरा**: अगर धर्म और समाज में नैतिकता की कमी होती है, तो यह मानवता को संकट में डाल सकता है। शोषण, भेदभाव, असमानता जैसी समस्याएँ बढ़ सकती हैं।


3. **समाधान**

समाधान के लिए हमें सभी स्तरों पर मिलकर काम करने की आवश्यकता है:


- **नैतिक और सामाजिक शिक्षा**: धार्मिक और राजनीतिक नेताओं को समाज में नैतिक मूल्यों की शिक्षा देने की जरूरत है। साथ ही, उन्हें खुद भी इन मूल्यों को आत्मसात करना होगा।

  

- **संवेदनशीलता और जिम्मेदारी**: प्रत्येक नागरिक को यह समझना होगा कि राष्ट्र की प्रगति में उसकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है। समाज में संवेदनशीलता, सहिष्णुता और एकता को बढ़ावा देना आवश्यक है।

  

- **कानूनी और सामाजिक सुधार**: समाज के निचले स्तर तक समानता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए कानूनों को और मजबूत करना होगा। इसके लिए सरकारी नीतियों के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है।

  

- **धार्मिक और राजनीतिक एकता**: धर्म और राजनीति को एक दूसरे से अलग रखना आवश्यक है, ताकि राष्ट्र में सबके लिए समान अवसर और अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें। लेकिन धर्म और राजनीति के बीच उचित संतुलन बनाए रखना भी जरूरी है ताकि एकता और शांति बनी रहे।


- **संवाद और सहमति**: समाज में विभिन्न वर्गों, धर्मों और समुदायों के बीच संवाद को बढ़ावा देना जरूरी है। इस तरह से हम पारस्परिक सम्मान और समझ विकसित कर सकते हैं, जो समाज और राष्ट्र की मजबूती के लिए आवश्यक है।


निष्कर्ष:

अगर धर्म, राजनीति और समाज के विभिन्न क्षेत्रों के लोग अपनी जिम्मेदारी इमानदारी से निभाते हैं, तो समाज में शांति और समृद्धि का माहौल बनेगा, और राष्ट्र की ताकत और एकता भी मजबूत होगी। लेकिन अगर यह जिम्मेदारी नहीं निभाई जाती है, तो समाज में असहमति और विघटन होगा, जिसका दीर्घकालिक प्रभाव राष्ट्र की स्थिरता पर पड़ेगा। इस पर काबू पाने के लिए हमें सभी स्तरों पर जागरूकता और सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।

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वक्फ बोर्ड या सनातन बोर्ड - Waqf Board or Sanatan Board

 वक्फ बोर्ड और इसके द्वारा उत्पन्न समस्याओं के समाधान के रूप में कई सुझाव दिए जा सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख विचार इस प्रकार हो सकते हैं:


1. वक्फ बोर्ड का समाप्त होना


वक्फ बोर्ड की समाप्ति का विचार कुछ लोगों द्वारा यह मानते हुए प्रस्तुत किया गया है कि यह एक विशेष धर्म से जुड़े संस्थान का प्रतिनिधित्व करता है, और इसकी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता की कमी हो सकती है। वक्फ बोर्ड को समाप्त करने का सुझाव तब दिया जाता है जब यह महसूस किया जाता है कि यह विशेष रूप से मुस्लिम धर्म के अनुयायियों के हितों को प्राथमिकता देता है और इससे अन्य समुदायों के अधिकारों की अनदेखी हो सकती है।

यदि वक्फ बोर्ड को समाप्त कर दिया जाए, तो यह धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन में न्यायसंगतता सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि कई धार्मिक संपत्तियां हैं जिनका उपयोग सामाजिक कल्याण, शिक्षा और धार्मिक कार्यों के लिए किया जाता है। इसके लिए एक नया वैकल्पिक ढांचा बनाया जा सकता है, जो हर धर्म की धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन के लिए एक समान और न्यायपूर्ण प्रक्रिया अपनाए। इस कदम से धार्मिक संस्थाओं के बीच भेदभाव को समाप्त किया जा सकता है और समाज में एकता और समरसता को बढ़ावा मिल सकता है। हालांकि, यह भी जरूरी है कि वक्फ बोर्ड के बिना कोई वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जाए, जो समान रूप से सभी धार्मिक समुदायों के अधिकारों का संरक्षण कर सके।

2. हिंदू मंदिरों की तरह वक्फ बोर्ड को सरकार के नियंत्रण में लेना


भारत में हिंदू मंदिरों की अधिकांश संपत्तियों और मामलों का प्रशासन सरकार के अधीन होता है, जैसे तमिलनाडु में हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ ट्रस्ट (HR&CE) विभाग। सरकार द्वारा मंदिरों के प्रशासन की तरह, वक्फ बोर्ड को भी सरकार के नियंत्रण में लाने का विचार यह है कि इससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता, निष्पक्षता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सकती है।

सरकार यदि वक्फ बोर्ड को अपने नियंत्रण में लेती है, तो यह सुनिश्चित कर सकती है कि धार्मिक संपत्तियों का सही तरीके से उपयोग हो, और उनका लाभ केवल धार्मिक उद्देश्यों के लिए ही हो। इस व्यवस्था से यह भी हो सकता है कि वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली में सुधार हो, और यह अन्य समुदायों के अधिकारों का उल्लंघन किए बिना काम करे।

वर्तमान में वक्फ बोर्ड के पास जो अधिकार हैं, उन्हें सरकार के नियंत्रण में लाने से यह सुनिश्चित हो सकता है कि कोई एक समुदाय अपने धर्म के नाम पर किसी और समुदाय के खिलाफ भेदभाव न करे। साथ ही, इससे वक्फ बोर्ड की पारदर्शिता भी बढ़ेगी, और जो भी गड़बड़ियां हैं, वे सामने आ सकेंगी। यह कदम भारतीय समाज में धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के अनुरूप होगा और समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देगा।

3. सनातन बोर्ड और वक्फ बोर्ड जैसी शक्तियों का समान अधिकारों के साथ निर्माण


यह एक और संभावित समाधान हो सकता है, जिसमें 'सनातन बोर्ड' का गठन किया जाए जो वक्फ बोर्ड जैसी शक्तियों के साथ प्रत्येक धर्म की धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन का अधिकार रखे। सनातन बोर्ड का विचार उस समय उभरता है जब यह महसूस किया जाता है कि हिंदू धर्म की धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन के लिए एक सशक्त और समान बोर्ड की आवश्यकता है। यदि सनातन बोर्ड वक्फ बोर्ड जैसी शक्तियों के साथ बनाया जाए, तो इसे सभी धर्मों के समान अधिकार और कर्तव्यों के तहत संचालित किया जाना चाहिए।

इसका उद्देश्य केवल एक धर्म विशेष के हितों की रक्षा करना नहीं, बल्कि सभी धर्मों के अधिकारों का समान रूप से पालन करना होना चाहिए। इस तरह का बोर्ड पारदर्शिता, निष्पक्षता और न्यायपूर्ण तरीके से काम करेगा, ताकि समाज में किसी एक धर्म के अनुयायियों को विशेष अधिकार न मिलें और सभी को समान अवसर प्राप्त हो।

सनातन बोर्ड को यदि वक्फ बोर्ड जैसी शक्तियों के साथ बनाया जाता है, तो यह एक प्रकार का संतुलन स्थापित कर सकता है, जहां प्रत्येक धर्म का समान रूप से सम्मान किया जाता है और धार्मिक संपत्तियों का प्रबंधन न्यायपूर्ण तरीके से किया जाता है। इस तरह के बोर्ड में विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधि हो सकते हैं, जो यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी धर्म अपने अधिकारों का दुरुपयोग न करे और न ही किसी अन्य धर्म के अधिकारों का उल्लंघन हो।

समाधान का निष्कर्ष


इन तीनों समाधानों में से कोई भी कदम उठाने से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि समाज में धर्मनिरपेक्षता, समानता और न्यायपूर्ण व्यवस्था कायम रहे। वक्फ बोर्ड को समाप्त करना या उसे सरकार के नियंत्रण में लेना, दोनों ही कदम समाज में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही ला सकते हैं। वहीं, अगर एक सनातन बोर्ड की स्थापना की जाती है, तो यह सुनिश्चित करना होगा कि उसे सभी धर्मों के समान अधिकार दिए जाएं और किसी भी समुदाय को विशेष प्राथमिकता न मिले।

किसी भी समाधान का मुख्य उद्देश्य समाज में आपसी सद्भाव, एकता और समानता को बढ़ावा देना होना चाहिए। सभी धार्मिक संस्थाओं का प्रबंधन पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से किया जाना चाहिए ताकि कोई भी समुदाय धर्म के नाम पर भेदभाव का शिकार न हो। इसके अलावा, यह भी आवश्यक है कि सरकार द्वारा इस तरह के बोर्डों का गठन करते समय किसी एक धर्म विशेष को बढ़ावा न दिया जाए, बल्कि सभी धर्मों के हितों को समान रूप से देखा जाए।

इसलिए, वक्फ बोर्ड या सनातन बोर्ड जैसी संस्थाओं के समाधान के लिए यह जरूरी है कि हम सभी समुदायों के अधिकारों की समान सुरक्षा करें और धर्मनिरपेक्षता की भावना को बनाए रखें, ताकि भारतीय समाज में एकता और शांति बनी रहे।
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समाज में बदलाव लाने के लिए हमें एकजुटता की आवश्यकता है - We need unity to bring change in society

समाज में बदलाव लाने के लिए हमें एकजुटता की आवश्यकता है - We need unity to bring change in society 
समाज में बदलाव लाने के लिए हमें एकजुटता की आवश्यकता है - We need unity to bring change in society

जाति और धर्म बदलने से DNA नहीं बदलता, यह बात उन भटके हुए लोगों को समझने की आवश्यकता है जो राजनीतिक, संप्रदायिक, मानवता और राष्ट्र विरोधी लोगों की बातों में आकर भटक गए हैं। जब हम जाति और धर्म बदलकर अपने पूर्वजों से विरोध करते हैं, तो यह व्यक्ति की नासमझी और व्यक्तित्व को दर्शाता है। 


हमारे पूर्वजों का DNA, हमारे संस्कार, हमारे मूलभूत मूल्य और हमारे विचार, ये सभी चीजें हमें एक पहचान देती हैं। जाति या धर्म बदलने से हम अपनी पहचान को नहीं बदल सकते। इसके बावजूद, आज समाज में कुछ लोग इसे एक रूप में देखते हैं, जिससे समाज में विभाजन और असमानता बढ़ती है। 


हमें समझना होगा कि समाज में एकता और समरसता की आवश्यकता है। इस दिशा में सबसे महत्वपूर्ण है कि हम अपनी बुद्धि का उपयोग करें। हमें यह विचार करना चाहिए कि क्या हमारा व्यवहार और हमारी सोच सही दिशा में जा रही है या नहीं। यदि हम अपने पूर्वजों के मूल्य और सिद्धांतों का पालन नहीं करते हैं, तो हम अपनी पहचान और संस्कृति को खो देंगे।


समाज में बदलाव लाने के लिए हमें एकजुटता की आवश्यकता है। यह एकता तब ही संभव है जब हम एक-दूसरे को समझें और एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति रखें। हमें किसी भी राजनीतिक या धार्मिक विभाजन से ऊपर उठकर सोचने की आवश्यकता है। जो लोग हमें जाति, धर्म, और अन्य सामाजिक विभाजन के आधार पर बांटने का प्रयास कर रहे हैं, हमें उनके खिलाफ खड़ा होना चाहिए।


हमारी बुद्धिमत्ता का सही उपयोग यही है कि हम समाज में एकता के लिए हो रहे बदलाव का सदुपयोग करें। यह बुद्धिमत्ता हमें यह सिखाती है कि हम सभी एक ही मानवता का हिस्सा हैं, और हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए। जब हम अपनी पहचान को समझेंगे और अपने भीतर एकता की भावना को जगाएंगे, तभी हम सही दिशा में बढ़ेंगे।


हमें यह भी समझना चाहिए कि जाति और धर्म केवल सामाजिक निर्माण हैं, जबकि हमारी पहचान हमारे DNA में बसी हुई है। यही DNA हमें जोड़ता है, और इसे समझकर हम अपने समाज को एक नया दिशा दे सकते हैं। 


समाज में बदलाव लाने के लिए हमें संगठित होकर काम करना होगा। हमें उन लोगों के खिलाफ खड़ा होना होगा जो समाज में नफरत और विभाजन फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। हमें चाहिए कि हम अपने समुदाय में एकता, प्यार और सहिष्णुता का संदेश फैलाएं। 


इसलिए, हमें अपनी बुद्धि का उपयोग करते हुए एक समृद्ध और सहिष्णु समाज का निर्माण करना चाहिए। यही हमारी जिम्मेदारी है, और यही हमारी पहचान का सही अर्थ है। जब हम इस दिशा में आगे बढ़ेंगे, तो हम न केवल अपने लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर समाज की नींव रखेंगे।

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भारत की तरक्की का आधार - The basis of India's progress

 भारत के नागरिकों को एक-दूसरे के धर्म को नीचा दिखाने के लिए टीका-टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, बल्कि अपनी गलतियों को मानवता और राष्ट्रहित के अनुकूल खुद ही सुधारने का संकल्प लेना हर नागरिक का कर्तव्य है। तभी भारत में समानता और शांति स्थापित होगी और देश तरक्की करेगा। 

भारत की तरक्की का आधार - The basis of India's progress

हम सबकी तरक्की एक-दूसरे के साथ जुड़ी हुई है। अगर हम अपने समाज में भेदभाव और असमानता को खत्म नहीं करेंगे, तो तरक्की का कोई अर्थ नहीं होगा। यह ज़रूरी है कि हम सभी एकजुट होकर एक सकारात्मक और सहिष्णु माहौल बनाएँ।


जनसंख्या नियंत्रण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। बढ़ती जनसंख्या के कारण संसाधनों पर दबाव बढ़ता है, जिससे विकास में रुकावट आती है। इसलिए, हमें जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। यह न केवल हमारे लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी आवश्यक है।


महिलाओं का सम्मान करना भी हमारी जिम्मेदारी है। समाज में महिलाओं को समानता और सुरक्षा प्रदान करना बेहद जरूरी है। जब हम महिलाओं का सम्मान करेंगे, तभी एक स्वस्थ और प्रगतिशील समाज का निर्माण कर सकेंगे। 


गायों की हत्या पर भी ध्यान देना चाहिए। गाय हमारे लिए केवल एक जानवर नहीं है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन का हिस्सा है। गाय की पूजा करने और इसे बचाने का प्रयास करना चाहिए, जिससे हमारी परंपराएं और अधिक मजबूत होंगी।


राजनीतिक लोगों की बातों को सुनते समय हमें अपनी बुद्धि का भी उपयोग करना चाहिए। हमें यह समझना होगा कि क्या उनके विचार मानवता और देश के लिए सही हैं या नहीं। इसी आधार पर हमें अपने वोट का निर्णय लेना चाहिए। यह सही चुनाव करना ही हमारे राष्ट्र धर्म का एक हिस्सा है। 


हमारी जिम्मेदारी है कि हम देश के विकास में अपनी भूमिका निभाएँ। हमें एकजुट होकर काम करना होगा, ताकि हम अपने देश को एक बेहतर स्थान बना सकें। जब हम सभी मिलकर काम करेंगे, तभी हम अपने समाज में बदलाव ला सकेंगे।


इसलिए, आइए हम सब मिलकर एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाएँ। हमें अपने कर्तव्यों को समझते हुए, एकता, समानता और सहिष्णुता का परिचय देना होगा। यही हमारे लिए सही रास्ता है, और यही भारत की तरक्की का आधार बनेगा।

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हमारी पुरानी पीढ़ी द्वारा साग-सब्जियों का भंडारण ! Storage of greens and vegetables by our old generation




हमारी पुरानी पीढ़ी द्वारा साग-सब्जियों का भंडारण ! Storage of greens and vegetables by our old generation


हमारे पुरखे बड़े कमाल के अर्थशास्त्री थे। हमारे घर की गृहणियां तो क्या ही कहने? उनकी रसोई घर और भंडार घर की व्यवस्था बेहद तगड़ी होती थी।

  आजी बताती हैं कि रसोई घर के क्या हालात हैं इसका अंदाज़ा भोजन बनाने वाली महिला के अलावा घर की अन्य महिलाएं तक नहीं जान पाती थीं और पुरुषों की तो आप बात ही छोड़ दीजिए।

   आजी बताती हैं कि अय्या (दादी सास) जब रसोई संभालती थी तब भोजन बनाने के लिए आटा, चावल, दाल भंडार घर से जो प्रतिदिन निकालती थी उनमें से एक एक मुट्ठी अन्न एक अलग गगरी में डाल दिया करती थी। 

  इस प्रकार से उनके पास कुछ दिनों में एक अच्छी राशि के रूप में राशन इकठ्ठा हो जाता था जो प्रतिदिन के बनने वाले भोजन से बचाया जाता था और फिर भी बनने वाला भोजन घर के सभी सदस्यों के लिए पर्याप्त होता था।

   जब किसी की मृत्यु या कोई कार्यक्रम अचानक आ जाता था और सबको लगता था कि राशन की व्यवस्था इतनी जल्दी कैसे होगी? तब अय्या अपने गुप्त राशन का पर्दाफाश करती थी और उनका बचाया ये गुप्त राशन काम आता था। गृहणी यूं ही लक्ष्मी, अन्नपूर्णा थोड़ी न कहलाती है!

   आजी बताती हैं कि यदि कोई अचानक से आ गया रसोई में तब तक भोजन बन चुका है लेकिन घर के पुरुष तो बिन सोचे समझे अपने साथ उसे भी भोजन के लिए बैठा लेते थे। ऐसे में भोजन बनाने वाली की सूझ बूझ ही काम आती थी और फिर वो बड़ी चतुराई से इस स्थिति का सामना करती थी। सभी को भरपेट भोजन भी करवा देती थी और किसी को किसी प्रकार की भनक भी नहीं लगने देती थी। इस आपातकाल की स्थिति से सामना करने के लिए तब गृहिणियां सत्तू, चिवड़ा इत्यादि का हमेशा विकल्प रखती थीं।

  पहले के समय में दाल, मसाले, सब्जी सब कुछ अपने खेत में पैदा हुआ ही वर्ष भर खाया जाता था। बाजार से खरीदकर कोई सामान नहीं आता था और न ही ये अच्छा माना जाता था। अगर नमक के अलावा कोई सामान रसोई घर के लिए खरीद कर आता था तो ये माना जाता था कि ये गृहणी लक्ष्मी रूपा नहीं है और घर में संपन्नता बरकत नहीं हो सकती है।
    यूं तो वर्ष भर सारे अन्न, दाल, तेल चल जाते थे परंतु सब्जियां बारिश के सीजन में धोखा दे जाती थीं इसलिए हमारी गृहणियों ने उनका तोड़ निकाला और उन्हें सूखा कर, बड़ियों के रूप में भंडारण करके रखने लगी। 

अब जब बारिश आती थी तब आजी के भंडार घर से अदौरी, कोहड़ौरी, गोभौरी, मैथौरी, सूखी गोभी, उबालकर सुखाए आलू, बेसन मसाले लपेट कर सुखाए गए तमाम प्रकार के साग निकलते थे और फिर हरी सब्जियां खाकर ऊबे इस जिभ्या को बारिश भर नए प्रकार की अलग अलग सब्जियां खाने को मिलती थी।

   तस्वीर में खटिया पर पेहटुल (काचरी) सुखाई जाती जा रही जो वर्ष भर सब्जियों को चटपटा बनाने के काम आएंगी।




हमारी पुरानी पीढ़ी द्वारा साग-सब्जियों का भंडारण ! Storage of greens and vegetables by our old generation
 

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