जब पति कानों
में कहे, "आज तुम बहुत
अच्छी लग रही हो"
एक
छोटे से प्यार भरे
वाक्य में छुपा होता है पूरी दुनिया
का सुकून। उस एक वाक्य
से मिलती है उसे अपनेपन
की गर्माहट, जैसे सारा दिन की थकान एक
झटके में गायब हो जाती हो।
जब बेटा भरपेट खाना खा ले
माँ
का दिल तभी तो सुकून से
भरता है जब बेटा
खुशी-खुशी थाली साफ कर देता है।
बिना किसी शिकवे-शिकायत के जब बेटा
कहता है, "माँ, आज बहुत स्वादिष्ट
खाना था," तो उसकी सारी
मेहनत सफल हो जाती है।
जब बेटी कहे,
"माँ, आज तुम बैठो,
खाना मैं बनाती हूँ"
इस
वाक्य में एक बेटी का
प्यार छुपा होता है, माँ के प्रति उसकी
परवाह। जब बेटी खुद
रसोई संभालने का जिम्मा लेती
है, तो माँ के
चेहरे पर एक प्यारी
सी मुस्कान आ जाती है,
और दिल को सुकून मिलता
है।
जब ससुर कहें,
"आज खाना खाकर मजा आ गया"
हर
बहू के लिए अपने
ससुराल में यह सुनना, जैसे
उसे उसकी मेहनत का सबसे बड़ा
इनाम मिल गया हो। उनके इस छोटे से
तारीफ में सुकून की वो मिठास
होती है, जो उसे पूरे
दिन खुशी से भर देती
है।
जब
सास कहें, "बहुत हो गया काम,
अब आराम कर लो"
सास
के ये शब्द बहू
के दिल को वो सुकून
देते हैं, जो किसी भी
आराम से कहीं ऊपर
होता है। ये वाक्य जैसे
बहू के काम की
सराहना करता है और एक
मजबूत रिश्ता बनने का एहसास दिलाता
है।
यही
वो छोटे-छोटे पल हैं, जो
किसी भी गृहिणी को
असली सुकून का अहसास कराते
हैं। क्योंकि सुकून वही है, जो बिना शोर-शराबे के, रिश्तों की गहराई में
छुपा होता है।
जब पति कानों
में कहे, "आज तुम बहुत
अच्छी लग रही हो"
एक
छोटे से प्यार भरे
वाक्य में छुपा होता है पूरी दुनिया
का सुकून। उस एक वाक्य
से मिलती है उसे अपनेपन
की गर्माहट, जैसे सारा दिन की थकान एक
झटके में गायब हो जाती हो।
जब बेटा भरपेट खाना खा ले
माँ
का दिल तभी तो सुकून से
भरता है जब बेटा
खुशी-खुशी थाली साफ कर देता है।
बिना किसी शिकवे-शिकायत के जब बेटा
कहता है, "माँ, आज बहुत स्वादिष्ट
खाना था," तो उसकी सारी
मेहनत सफल हो जाती है।
जब बेटी कहे,
"माँ, आज तुम बैठो,
खाना मैं बनाती हूँ"
इस
वाक्य में एक बेटी का
प्यार छुपा होता है, माँ के प्रति उसकी
परवाह। जब बेटी खुद
रसोई संभालने का जिम्मा लेती
है, तो माँ के
चेहरे पर एक प्यारी
सी मुस्कान आ जाती है,
और दिल को सुकून मिलता
है।
जब ससुर कहें,
"आज खाना खाकर मजा आ गया"
हर
बहू के लिए अपने
ससुराल में यह सुनना, जैसे
उसे उसकी मेहनत का सबसे बड़ा
इनाम मिल गया हो। उनके इस छोटे से
तारीफ में सुकून की वो मिठास
होती है, जो उसे पूरे
दिन खुशी से भर देती
है।
जब
सास कहें, "बहुत हो गया काम,
अब आराम कर लो"
सास
के ये शब्द बहू
के दिल को वो सुकून
देते हैं, जो किसी भी
आराम से कहीं ऊपर
होता है। ये वाक्य जैसे
बहू के काम की
सराहना करता है और एक
मजबूत रिश्ता बनने का एहसास दिलाता
है।
यही
वो छोटे-छोटे पल हैं, जो
किसी भी गृहिणी को
असली सुकून का अहसास कराते
हैं। क्योंकि सुकून वही है, जो बिना शोर-शराबे के, रिश्तों की गहराई में
छुपा होता है।