कुंभक्षेत्र तीर्थक्षेत्र

कुंभक्षेत्र तीर्थक्षेत्र हैं । वहांकी पवित्रता तथा सात्त्विकता बनाए रखनेका प्रयास करना, यह स्थानीय पुरोहित, देवालयोंके न्यासी तथा प्रशासनके साथ ही वहां आए प्रत्येक तीर्थयात्रीका भी कर्तव्य है । १. कुंभक्षेत्रमें पर्यटकोंकी भांति आचरण न करें ! : कुंभक्षेत्रमें आए अनेक लोग वहां पर्यटकोंकी भांति आचरण करते दिखाई देते हैं । एक-दूसरेका उपहास उडाना, पश्चिमी वेशभूषा करना, संगीत सुनना, अभक्ष्य भक्षण करना आदि कृत्य उनसे होते हैं । तीर्थक्षेत्रगमन एक ‘साधना’ है । वह पूर्ण होनेके लिए तीर्थक्षेत्रमें आनेपर भावपूर्ण गंगास्नान करना, देवताओंके दर्शन करना, दान-धर्म करना, उपास्यदेवताका नामजप करना, इस प्रकार अधिकाधिक समय ईश्वरसे सायुज्य (आंतरिक सान्निध्य) रखना अपेक्षित है । ऐसा करनेपर गंगास्नान एवं यात्राका आध्यात्मिक स्तरपर लाभ होता है । २. तीर्थक्षेत्रकी पवित्रता बनाएं रखें ! : कुंभक्षेत्रमें पवित्र तीर्थस्नान करनेवाले तीर्थयात्री वह तीर्थ प्रदूषित करनेवाले कृत्य करते हैं । कुछ लोग प्लास्टिककी थैलियां, सिगरेटके वेष्टन, पुराने अंतर्वस्त्र इ. भी नदी / कुंडमें डालते हैं । इससे तीर्थकी पवित्रता घटती है । धर्मशास्त्रके अनुसार गंगा, गोदावरी एवं क्षिप्रा, इन पवित्र नदियोंको प्रदूषित करना बडा अपराध है । इसलिए तीर्थयात्री इस बातका ध्यान रखें कि स्नानके समय तीर्थकी पवित्रता बनी रहे । ३. पर्वस्नानके आरंभमें प्रार्थना तथा स्नान करते समय नामजप करें ! : पर्वस्नानके समय तीर्थयात्री जोर-जोरसे बातें करना, चिल्लाना, एक-दूसरेपर पानी उछालना इत्यादि अनुचित कृत्य करते हैं । स्नान करनेवालेका मन तीर्थक्षेत्रकी पवित्रता एवं सात्त्विकता अनुभव न करता हो, तो उसके पापकर्म धुलना असंभव है; इसलिए पर्वस्नानका आध्यात्मिक लाभ होने हेतु उसके आरंभमें गंगामातासे आगे दिए अनुसार प्रार्थना करें । ३ अ. हे गंगामाता, आपकी कृपासे मुझे ये पर्वस्नान करनेका अवसर प्राप्त हुआ है । इसके लिए मैं आपके चरणोंमें कृतज्ञ हूं । हे माते, आपके इस पवित्र तीर्थमें मुझसे श्रद्धायुक्त अंतःकरणसे पर्वस्नान हो । ३ आ. हे पापविनाशिनी गंगादेवी, आप मेरे सर्व पापोंको हर लीजिए । ३ इ. ‘हे मोक्षदायिनी देवी, आप मेरी आध्यात्मिक प्रगति हेतु आवश्यक साधना करवा लीजिए और मुझे मोक्षकी दिशामें ले जाइए’ । तदुपरांत उपास्यदेवताका नामजप करते हुए स्नान करें  !..
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