दशनामी संप्रदाय- Dashnam Goswami Samapraday


ब्राह्मणों द्वारा पूजित 'दशनामी संप्रदाय' का संबंध आदि शंकराचार्य से हैं। दशनामी संप्रदाय स्थान विशेष और वेद से संबंध रखता है। इनमें शंकराचार्य, महंत, आचार्य और महामंडलेश्वर आदि होते हैं। यह धर्म रक्षकों का संप्रदाय है।
दशनामी संप्रदाय के 10 नाम : गिरी, पर्वत, सागर, पुरी, भारती, सरस्वती, वन, अरण्य, तीर्थ और आश्रम।
13 अखाड़े :
तेरह अखाड़ों में से जूना अखाड़ा इनका खास अखाड़ा है। इसके अलावा अग्नि अखाड़ा, आह्वान अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा एवं अटल अखाड़ा आदि सभी शैव से संबंधित है। वैष्णवों में वैरागी, उदासीन, रामादंन और निर्मल आदि अखाड़ा है।

दशनामी व्यक्तित्व :
शंकराचार्य से सन्यासियों के दशनामी सम्प्रदाय का प्रचलन हुआ। शंकराचार्य ने चार मठ स्थापित किए थे जो 10 क्षेत्रों में बंटें थे जिनके एक-एक मठाधीश थे। दशनामियों को धर्म की सबसे ज्यादा समझ होती है। शंकराचार्य के काल में ब्राह्मणजन उन्हीं से दीक्षित और शिक्षित होते थे। साधुओं के इस समाज की हिन्दू धर्म में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा है। इस समाज में अदम्य साहस और नेतृत्व शक्ति होती है।

दशनामी सम्प्रदाय के साधु प्रायः भगवा वस्त्र पहनते, एक भुजवाली लाठी रखते और गले में चौवन रुद्राक्षों की माला पहनते हैं। हर सुबह वे ललाट पर राख से तीन या दो क्षैतिज रेखाएं बना लेते। तीन रेखाएं शिव के त्रिशूल का प्रतीक होती है, दो रेखाओं के साथ एक बिन्दी ऊपर या नीचे बनाते, जो शिवलिंग का प्रतीक होती है। इनमें निर्वस्त्रधारियों को नागा बाबा कहते हैं। इस संप्रदाय के लोग अभिवादन एवं तपस्या में " नमो नारायण" का प्रयोग करते हैं।

कौन किस कुल से संबंधित है जानिए...
1.गिरी, 2.पर्वत और 3.सागर। इनके ऋषि हैं भ्रुगु।
4.पुरी, 5.भारती और 6.सरस्वती। इनके ऋषि हैं शांडिल्य।
7.वन और 8.अरण्य के ऋषि हैं कश्यप।
9.तीर्थ और 10. आश्रम के ऋषि अवगत हैं।

पक्के साधु :
ऐसे साधु जो अब समाज को त्यागकर साधना में लीन रहना चाहते हैं उनको दीक्षित किया जाता है। आचार्य आदि शंकराचार्य द्वारा संन्यासियों की पहले से चली रही परंपरा को जब संगठित किया तो उसे नाम दिया- दशनामी साधु संघ।
दीक्षा के समय प्रत्येक दशनामी जैसा कि उसके नाम से ही स्पष्ट है, निम्न नामों, गिरी, पुरी, भारती, वन, अरण्य, पर्वत, सागर, तीर्थ, आश्रम या सरस्वती नाम के साधु समाज के साधु किसी एक नाम और परंपरा के साधु बनकर सात में से किसी एक अखाड़े के सदस्य बनते हैं।

दशनामी साधुओं में मंडलेश्वर और नागा पद होते हैं। उनमें भी शास्त्रधारी और अस्त्रधारी महंत होते हैं। शास्त्रधारी शास्त्रों आदि का अध्ययन कर अपना आध्यात्मिक विकास करते हैं तथा अस्त्रधारी अस्त्रादि में कुशलता प्राप्त करते हैं।

चार आध्यात्मिक पद:- 1.कुटीचक, 2.बहूदक, 3.हंस और सबसे बड़ा 4.परमहंस। नागाओं में परमहंस सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। नागाओं में शस्त्रधारी नागा अखाड़ों के रूप में संगठित हैं। इसके अलावा नागाओं में औघड़ी, अवधूत, महंत, कापालिक, शमशानी आदि भी होते हैं।

नागा उपाधियां :
चार जगहों पर होने वाले कुंभ में नागा साधु बनने पर उन्हें अलग-अलग नाम दिए जाते हैं। इलाहाबाद के कुंभ में उपाधि पाने वाले को 1.नागा, उज्जैन में 2.खूनी नागा, हरिद्वार में 3.बर्फानी नागा तथा नासिक में उपाधि पाने वाले को 4.खिचडिया नागा कहा जाता है। इससे यह पता चल पाता है कि उसे किस कुंभ में नागा बनाया गया है।

नागाओं के अखाड़ा पद : नागा में दीक्षा लेने के बाद साधुओं को उनकी वरीयता के आधार पर पद भी दिए जाते हैं। कोतवाल, पुजारी, बड़ा कोतवाल, भंडारी, कोठारी, बड़ा कोठारी, महंत और सचिव उनके पद होते हैं। सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण पद महंत का होता है।

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दही में नमक डाल कर न खाऐं Do not eat curd after adding salt to it.

दही में नमक डाल कर न खाऐं Do not eat curd after adding salt to it.

कभी भी आप दही को नमक के साथ मत खाईये। दही को अगर खाना ही है, तो हमेशा दही को मीठी चीज़ों के साथ खाना चाहिए, जैसे कि गुड के साथ, बूरे के साथ आदि।
इस क्रिया को और बेहतर से समझने के लिए आपको बाज़ार जाकर किसी भी साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट की दूकान पर जाना है, और वहां से आपको एक लेंस खरीदना है, अब अगर आप दही में इस लेंस से देखेंगे तो आपको छोटे-छोटे हजारों बैक्टीरिया नज़र आएंगे।
ये बैक्टीरिया जीवित अवस्था में आपको इधर-उधर चलते फिरते नजर आएंगे. ये बैक्टीरिया जीवित अवस्था में ही हमारे शरीर में जाने चाहिए, क्योंकि जब हम दही खाते हैं तो हमारे अंदर एंजाइम प्रोसेस अच्छे से चलता है।
*हम दही केवल बैक्टीरिया के लिए खाते हैं।*
दही को आयुर्वेद की भाषा में जीवाणुओं का घर माना जाता है, अगर एक कप दही में आप जीवाणुओं की गिनती करेंगे तो करोड़ों जीवाणु नजर आएंगे।
अगर आप मीठा दही खायेंगे तो ये बैक्टीरिया आपके लिए काफ़ी फायदेमंद साबित होंगे।
*वहीं अगर आप दही में एक चुटकी नमक भी मिला लें तो एक मिनट में सारे बैक्टीरिया मर जायेंगे* और उनकी लाश ही हमारे अंदर जाएगी जो कि किसी काम नहीं आएगी।
अगर आप 100 किलो दही में एक चुटकी नामक डालेंगे तो दही के सारे बैक्टीरियल गुण खत्म हो जायेंगे क्योंकि नमक में जो केमिकल्स है वह जीवाणुओं के दुश्मन है।
आयुर्वेद में कहा गया है कि दही में ऐसी चीज़ मिलाएं, जो कि जीवाणुओं को बढाये ना कि उन्हें मारे या खत्म करे।
दही को गुड़ के साथ खाईये, गुड़ डालते ही जीवाणुओं की संख्या मल्टीप्लाई हो जाती है और वह एक करोड़ से दो करोड़ हो जाते हैं थोड़ी देर गुड मिला कर रख दीजिए।
बूरा डालकर भी दही में जीवाणुओं की ग्रोथ कई गुना ज्यादा हो जाती है।
मिश्री को अगर दही में डाला जाये तो ये सोने पर सुहागे का काम करेगी।
सुना है कि भगवान कृष्ण भी दही को मिश्री के साथ ही खाते थे।
पुराने जमाने में लोग अक्सर दही में गुड़ या मिश्री डाल कर दिया करते थे।
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मन Mind

मन की वजह से ही सभी बुरे कार्य उत्पन्न होते हैं। अगर मन को ही परिवर्तित कर दिया जाए तो क्या अनैतिक कार्य रह सकते हैं?
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लक्ष्य Target

जो अपने लक्ष्य के प्रति पागल हो गया है, उसे ही प्रकाश का दर्शन होता है | जो थोड़ा इधर, थोड़ा उधर हाथ मारते हैं, वे कोई लक्ष्य पूर्ण नहीं कर पाते | वे कुछ क्षणों के लिए बड़ा जोश दिखाते है; किन्तु वह शीघ्र ठंडा हो जाता है | – स्वामी विवेकानंद.
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बेवक़ूफ़ :- एक गृहणी Stupid :- A housewife


वो रोज़ाना की तरह आज फिर इश्वर का नाम लेकर उठी थी ।
किचन में आई और चूल्हे पर चाय का पानी चढ़ाया।
फिर बच्चों को नींद से जगाया ताकि वे स्कूल के लिए तैयार हो सकें ।
कुछ ही पलों मे वो अपने सास ससुर को चाय देकर आयी फिर बच्चों का नाश्ता तैयार किया और इस बीच उसने बच्चों को ड्रेस भी पहनाई।
फिर बच्चों को नाश्ता कराया।
पति के लिए दोपहर का टिफीन बनाना भी जरूरी था।
इस बीच स्कूल की बस आ गयी और वो बच्चों को बस तक छोड़ने चली गई ।
वापस आकर पति का टिफीन बनाया और फिर मेज़ से जूठे बर्तन इकठ्ठा किये ।
इस बीच पतिदेव की आवाज़ आई की मेरे कपङे निकाल दो ।
उनको ऑफिस जाने लिए कपङे निकाल कर दिए।
अभी पति के लिए उनकी पसंद का नाश्ता तैयार करके टेबिल पर लगाया ही था की छोटी ननद आई और ये कहकर ये कहकर गई की भाभी आज मुझे भी कॉलेज जल्दी जाना, मेरा भी नाश्ता लगा देना।
तभी देवर की भी आवाज़ आई की भाभी नाश्ता तैयार हो गया क्या?
अभी लीजिये नाश्ता तैयार है।
पति और देवर ने नाश्ता किया और अखबार पढ़कर अपने अपने ऑफिस के लिए निकल चले ।
उसने मेज़ से खाली बर्तन समेटे और सास ससुर के लिए उनका परहेज़ का नाश्ता तैयार करने लगी ।
दोनों को नाश्ता कराने के बाद फिर बर्तन इकट्ठे किये और उनको भी किचिन में लाकर धोने लगी ।
फिर उसने सारे बर्तन धोये अब बेड की चादरें वगेरा इकट्ठा करने पहुँच गयी और फिर सफाई में जुट गयी ।
अब तक 11 बज चुके थे, अभी वो पूरी तरह काम समेट भी ना पायी थी कि दरवाजे पर खट खट आवाज आयी ।
दरवाज़ा खोला तो सामने बड़ी ननद और उसके पति व बच्चे सामने खड़े थे ।
उसने ख़ुशी ख़ुशी सभी को आदर के साथ घर में बुलाया और उनसे बाते करते करते उनके आने से हुई ख़ुशी का इज़हार करती रही ।
ननद की फ़रमाईश के मुताबिक़ नाश्ता तैयार करने के बाद अभी वो नन्द के पास बेठी ही थी की सास की आवाज़ आई की बहु आज खाने का क्या प्रोग्राम हे ।
उसने घडी पर नज़र डाली तो 12 बज रहे थे ।
उसकी फ़िक्र बढ़ गयी वो जल्दी से फ्रिज की तरफ लपकी और सब्ज़ी निकाली और फिर से दोपहर के खाने की तैयारी में जुट गयी ।
खाना बनाते बनाते अब दोपहर का दो बज चुके थे ।
बच्चे स्कूल से आने वाले थे, लो बच्चे आ गये ।
उसने जल्दी जल्दी बच्चों की ड्रेस उतारी और उनका मुंह हाथ धुलवाकर उनको खाना खिलाया ।
इस बीच छोटी नन्द भी कॉलेज से आगयी और देवर भी आ चुके थे ।
उसने सभी के लिए मेज़ पर खाना लगाया और खुद रोटी बनाने में लग गयी ।
खाना खाकर सब लोग फ्री हुवे तो उसने मेज़ से फिर बर्तन जमा करने शुरू करदिये ।
इस वक़्त तीन बज रहे थे ।
अब उसको खुदको भी भूख का एहसास होने लगा था ।
उसने हॉट पॉट देखा तो उसमे कोई रोटी नहीं बची थी ।
उसने फिर से किचन की और रुख किया तभी पतिदेव घर में दाखिल होते हुये बोले की आज देर हो गयी भूख बहुत लगी हे जल्दी से खाना लगादो ।
उसने जल्दी जल्दी पति के लिए खाना बनाया और मेज़ पर खाना लगा कर पति को किचन से गर्म रोटी बनाकर ला ला कर देने लगी ।
अब तक चार बज चुके थे ।
अभी वो खाना खिला ही रही थी की पतिदेव ने कहा की आजाओ तुमभी खालो ।
उसने हैरत से पति की तरफ देखा तो उसे ख्याल आया की आज मैंने सुबह से कुछ खाया ही नहीं ।
इस ख्याल के आते ही वो पति के साथ खाना खाने बैठ गयी ।
अभी पहला निवाला उसने मुंह में डाला ही था की आँख से आंसू निकल आये
पति देव ने उसके आंसू देखे तो फ़ौरन पूछा की तुम क्यों रो रही हो ।
वो खामोश रही और सोचने लगी की इन्हें कैसे बताऊँ की ससुराल में कितनी मेहनत के बाद ये रोटी का निवाला नसीब होता हे और लोग इसे मुफ़्त की रोटी कहते हैं ।
पति के बार बार पूछने पर उसने सिर्फ इतना कहा की कुछ नहीं बस ऐसे ही आंसू आगये ।
पति मुस्कुराये और बोले कि तुम औरते भी बड़ी "बेवक़ूफ़" होती हो, बिना वजह रोना शुरू करदेती हो।
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"प्रणाम का महत्व" "Importance of greetings"


महाभारत का युद्ध चल रहा था - एक दिन दुर्योधन के व्यंग्य से आहत होकर "भीष्म पितामह" घोषणा कर देते हैं कि - "मैं कल पांडवों का वध कर दूँगा"...
उनकी घोषणा का पता चलते ही पांडवों के शिविर में बेचैनी बढ़ गई... भीष्म की क्षमताओं के बारे में सभी को पता था इसलिए सभी किसी अनिष्ट की आशंका से परेशान हो गए...
तब - श्री कृष्ण ने द्रौपदी से कहा अभी मेरे साथ चलो... श्री कृष्ण द्रौपदी को लेकर सीधे भीष्म पितामह के शिविर में पहुँच गए... शिविर के बाहर खड़े होकर उन्होंने द्रोपदी से कहा कि अन्दर जाकर पितामह को प्रणाम करो... द्रौपदी ने अन्दर जाकर पितामह भीष्म को प्रणाम किया तो उन्होंने "अखंड सौभाग्यवती भव" का आशीर्वाद दे दिया, फिर उन्होंने द्रोपदी से पूछा कि "वत्स, तुम इतनी रात में अकेली यहाँ कैसे आई हो, क्या तुमको श्री कृष्ण यहाँ लेकर आये है"?
तब द्रोपदी ने कहा कि - "हां और वे कक्ष के बाहर खड़े हैं" तब भीष्म भी कक्ष के बाहर आ गए और दोनों ने एक दूसरे से प्रणाम किया...
भीष्म ने कहा - "मेरे एक वचन को मेरे ही दूसरे वचन से काट देने का काम श्री कृष्ण ही कर सकते है"...
शिविर से वापस लौटते समय श्री कृष्ण ने द्रौपदी से कहा कि - "तुम्हारे एक बार जाकर पितामह को प्रणाम करने से तुम्हारे पतियों को जीवनदान मिल गया है "... "अगर तुम प्रतिदिन भीष्म, धृतराष्ट्र, द्रोणाचार्य, आदि को प्रणाम करती होती और दुर्योधन- दुःशासन, आदि की पत्नियां भी पांडवों को प्रणाम करती होंती, तो शायद इस युद्ध की नौबत ही न आती "...
......तात्पर्य्.......
वर्तमान में हमारे घरों में जो इतनी समस्याए हैं उनका भी मूल कारण यही है कि - "जाने अनजाने अक्सर घर के बड़ों की उपेक्षा हो जाती है "... " यदि घर के बच्चे और बहुएँ प्रतिदिन घर के सभी बड़ों को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लें तो, शायद किसी भी घर में कभी कोई क्लेश न हो "... बड़ों के दिए आशीर्वाद कवच की तरह काम करते हैं उनको कोई "अस्त्र-शस्त्र" नहीं भेद सकता...
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विवाह में गुणों का मिलान सच या मात्र एक ढकोसला" Matching of qualities in marriage is true or just a hoax?

विवाह में गुणों का मिलान सच या मात्र एक ढकोसला" Matching of qualities in marriage is true or just a hoax?


विवाह में गुणों का मिलान सच या मात्र एक ढकोसला"
जी हाँ! सही सुना आपने कि " विवाह में गुणों का मिलान सच या मात्र एक ढकोसला " जब भी कोई व्यक्ति अपने बच्चों या किसी के लिये शादी के रिश्ते की बात करने के लिये जाता है तो सबसे पहले तो आप ये पता लगाते हो कि लड़की और लड़के के नाम के अनुसार उनका विवाह बन रहा है या नहीं, अगर बन रहा है तो आप बात को आगे बढ़ाते हुए लड़की या लड़का देखने के लिए जाते हैं औऱ अगर नहीं बनता है तो आप बिना लड़की या लड़के को देखें ही उस रिश्ते के लिये मना कर देते हैं।क्या बात है, क्या मानसिकता है लोगों की, खैर चलिये बात को हम आगे बढाते हैं, चलिये जी जिसने इस रिश्ते को चलाया है उसका फोन दोनों घरों में जाता है कि जी बधाई हो लड़की और लड़के का नाम का मिलान हो गया है वो लोग कल परसों में लड़की या लड़के को देखने के लिए आ रहें हैं, दूसरी तरफ से जी बहुत बड़ियाँ बस अब ये रिश्ता हो जाये,जी समझिये कि हो ही गया,चलिये फिर मिलते हैं।चलिये जी नाम का मिलान तो हो गया है अब हम भी आगे बढ़ते हैं , लड़के के घर लड़की वाले पहुचते हैं और सारी औपचारिकताये पूरी करतें हैं, उसके बाद लड़के वाले लड़की के घर वालों के घर जाते हैं वो वहां की औपचारिकताये पूरी करते हैं, फिर दूसरी मुलाकात में लड़की और लड़के को मिलवा दिया जाता है कि वो दोनो भी एक दूसरे को देख लें समझ लें, लीजिये जनाब अब ये औपचारिकता भी पूरी हो गई।अब हम बात करतें हैं मैन मुद्दे की जी हाँ !मैन मुद्दा अरे वही मुद्दा जिस बारे में मैं आपसे बात कर रही थी , जी हाँ सही समझा आपने गुणों का मिलान। पता नही क्यों जब लोग लड़की और लड़का देख लेते हैं सब पसन्द हो जाता है सब सही लगता है तो ये गुणों का मिलान ,और कुंडली का मिलान क्या मायने रखता है। किसी कुंडली को बनाने के लिए बिल्कुन सही समय की जानकारी होना अति आवश्यक है माना कि आपको उसकी जानकारी है और उसी आधार पर ही आपने अपने बच्चों की कुंडलियाँ बनवायी हैं, पर क्या वो समय बिल्कुन सही हैं क्योंकि जहाँ तक मुझे पता है मैं जानती हूँ कुंडली बनाने में अगर एक सेकंड का भी अंतर हो जाये तो सारी ग्रह दशा बदल जाती है।खैर मैं बात कर रही हूँ गुणों के मिलान की लड़की और लड़के के कितने गुण मिल रहें हैं जितने ज्यादा गुण मिलेंगे उतना ज्यादा अच्छा होगा इनका रिश्ता , इनके वैवाहिक जीवन में उतनी ही ज्यादा खुशियाँ और सुख शांति रहेंगी ,आपको क्या लगता है कि इस बात में कितनी सच्चाई है , जी हाँ सच्चाई आप ऐसे क्यो चौक रहें हैं मैंने तो एक सीधा सा सवाल किया है कि विवाह के लिए जो गुणों का मिलान होता है उसमें कितनी सच्चाई है। इसके पहले आप पढ़ने के लिए आगे बढे उससे पहले एक बार मेरी बात पर गौर करते हुए सोचिये, कोई जवाब मिला शायद कुछ के मन मे कई सवाल हो तो कुछ के मन में कई जवाब । चलिये अब आगे बढ़ते हैं, जितना ज्यादा गुणों का मिलान होगा उतना ही फलित होगा विवाह, क्या बात है ।मेरी समझ मे तो ये बात नही आती है क्योंकि अगर ये बात सच है तो दुनियाँ का हर माँ बाप अपने बच्चों की शादी बहुत ही सोच समझकर, हर बात को जान परखकर ,गुणों के ज्यादा से ज्यादा मिलान कर के ही अपने बच्चों की शादी करतें हैं।फिर क्यों आज हर दूसरे वैवाहिक जीवन में तनाव है क्यों झगड़े हैं, क्यों प्यार कम हो रहा है,क्यों रिश्तों में अलगाव की स्थिति उत्पन्न हो रही है, क्या कभी किसी ने सोचा? उन दोनों के गुण पूरे 36 के 36 मिल गये फिर भी आज वो अलग क्यों हैं?
ऐसा क्या हुआ कि शादी के 3-4महीनों के बाद से ही वो अलग हैं?
जहाँ पूरे 36 गुणों के मिलान के बाद भी आज कहीं रिश्तों में अलगाव की स्थिति है तो कहीं सिर्फ कलह की स्थिति।मुझे तो मात्र ये एक ढोंग एक कोरी औपचारिकता ही लगती है जिसकी बलि चढ़ जाते है लड़के और लड़कियां।जी हाँ क्या है ये गुणों का मिलान और कुंडली का मिलान मन का एक भ्रम ही तो है,जिसे मिटाने के लिए हम बच्चों की जिंदगियों को दांव पर लगा देते हैं सबसे बड़ी बात जो मैं आप सब से बोलना कि एक सुखी वैवाहिक जीवन के लिए जिन गुणों का मिलान होना चाहिए वो मेरी नज़रों में ये हैं-
1- आपसी समझ (एक दूसरे को आप इतना समझने लगो कि बिन बोले आप एक दूसरे की मन की बात समझ लो।)
2- विश्वास ( किसी भी रिश्ते को बनाये रखने के लिए ये सबसे ज्यादा जरूरी है कि दोनों के बीच का विश्वास का रिश्ता बहुत ही मजबूत हो, जो किसी भी प्रकार की बातों पर आकर ना टूटे।)
3- सम्मान ( वैसे तो हर रिश्ते में सम्मान का होना अतिआवश्यक है पर पति और पत्नी के रिश्ते में तो एक दूसरे के लिए सम्मान की भावना अगर हो तो उनका रिश्ता और भी मजबूत हो जाता है, क्योंकि एक पत्नी अपने पति की आँखों में हमेशा ही अपने लिए सम्मान देखना चाहती है।)
4- दिलों का मेल (अगर एक दूसरे का आपस मे दिल मिल गया तो वो सबसे बड़ा मिलान है,उसके समक्ष किसी और चीज़ का मिलाप का तो कोई मोल ही नही है,दिलो का मिलान ही सबसे बड़ा मिलन है।)
5 - प्यार ( प्यार हर मर्ज की दवा है,प्यार में वो जादू है जो पत्थर दिल इंसान को भी पिघला देती है।)
6 - समय ( जी हाँ समय जो आज हर कोई अपनी पत्नी या पति को नही दे पाते हैं, थोड़ा समय एक दूसरे को दीजिये , कुछ अपनी कहिये कुछ उनकी सुनिये।)बस कुछ ऐसी ही छोटी छोटी बातें हैं जो किसी भी रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए काफ़ी हैं, अगर ये गुण आपके मिल गए तो कभी किसी भी आपके रिश्ते में टकराव या अलगाव की स्थिति ही नहीं आएगी ,बाकी गुणों का मिलान और कुंडली का मिलान कोरी मन वहम मात्र है,बस किसी भी रिश्ते की शुरुआत होने से पहले अगर आपके आपस मे ये गुण मिल गए तो समझ लिजियेगा कि आपके रिश्ते का भविष्य काफ़ी सुनहरा है।
आपको क्या लगता है कि मेरे ये विचार सही हैं, जरूर बताएं और साथ में ये भी बताए कि रिस्ते में मजबूती के लिए किन गुणों का मिलान होना आवश्यक है उन 36 गुणों और कुंडली का मिलान होना आवश्यक है या उन गुणों का जो किसी भी रिस्ते के लिए जरूरी है, आपकी नज़रों में ऐसे कौन से गुणों का होना जरूरी है जरूर बताएं।..
शुक्रिया🙏✍️
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Feetured Post

नारी शक्ति की सुरक्षा के लिये

 1. एक नारी को तब क्या करना चाहिये जब वह देर रात में किसी उँची इमारत की लिफ़्ट में किसी अजनबी के साथ स्वयं को अकेला पाये ?  जब आप लिफ़्ट में...