व्याधीनुसार रस – चित्किसा

बवासीर के लिए – ताजी छाज १०० – २०० मि.ली., अनार, अंगूर और आँवले के रस १५ – २५ मि.ली. और ग्वारपाठा रस २५ मि.ली. |

मधुमेह के लिए – नारियल पानी ५० – १०० मि.ली., करेला का रस २५ -५० मि.ली., बिल्वपत्र, नींम और तुलसी के पत्तों का रस १० – १५ मि.ली.|

रक्तविकार (रक्तशुद्धि हेतु ) – आँवला, नींबू, गाजर और ताजी हल्दी का रस १० – २० मि.ली., सेवफल, मीठे अनार व गिलोय का रस १५ – २० मि.ली., दूब (घास) का रस १० – २० मि.ली., लौकी का रस २० – २५ मि.ली., तुलसी का रस ५ – १० मि.ली. नीम और बेल के पत्तों का रस १० – २० मि.ली.|

उच्च रक्तचाप के लिए – आँवला, गाजर (बीच में पीला हिस्सा निकालकर), अंगूर, मोसंबी, मीठे अनार और ज्वारों का रस | मानसिक तथा शारीरिक आराम आवश्यक है |


निम्न रक्तचाप – मीठे फलोंका रस लें किंतु खट्टे फलों का उपयोग न करें | आम, अंगूर और मोसंबी का रस अथवा दूध, खजूर भी लाभदायी है |

पीलिया (jaundice) – अंगूर, सेफ, ग्वारपाठा, एरंड के पत्ते का रस १० मि.ली., रासबेरी और मोसंबी का रस, अंगूर अथवा किसमिस का पानी पीने से भी लाभ होता है | गन्ना चबा-चबाके खाकर उसका रस पीने से लाभ होता है | केला के ऊपर १.५ ग्राम चुना लगाकर थोड़ी देर रखकर खाने से भी फायदा होता है |

केन्सर – ज्वारों का रस, आँवला, गिलोय और तुलसी के पत्तों का रस पीने से भी फायदा होता है |



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