रिश्ते अपनी जगह अनमोल हैं.
जिंदगी की दौड़ में रिश्ते एनर्जी बूस्टर्स से कम नहीं. हर रिश्ते अपनी जगह अनमोल हैं. कुछ अनमोल कहलाने से भी कहीं ज्यादा खास होते हैं. मां-बाप, दादा-दादी, बूआ-मासी, चाचा-चाची जैसे ये रिश्ते बचपन की गली से आगे बढ़ने के बाद भी हमेशा खास होते हैं क्योंकि जिंदगी की जंग में आगे बढ़ पाने के लिए अंगुली थामकर मजबूत कदमों से चलना यही सिखाते हैं हमें. उस बचपन में जब हम उन्हें अपने लिए तकलीफें उठाते, हमारी खुशियों के लिए अपनी छोटी-बड़ी खुशियां कुर्बान करते फिर भी हमारे लिए खुश होते देखते हैं तो अक्सर हम सोचते हैं कि बड़े होकर हम इनकी झोली ढेर सारी खुशियों से भर देंगे. हर वो पल उन्होंने हमारी खुशी के लिए कुर्बान किए उससे दोगुने खुशनुमा पल उनके कदमों में रख देंगे लेकिन भीड़ में आगे बढ़ सकने की धुन में जब वक्त आता है उनके लिए कुछ करने का तो हम क्या करते हैं? शायद ऐसा ही जो इस वीडियो में दिखाया गया है:
जो बोवोगे वही पाओगे. क्या हम अपनी भावी पीढ़ी को यही सीख देना चाहते हैं? कल यही हमारा अतीत भी होगा और आज यह अतीत कल का हमारा भविष्य भी बनेगा. क्या आप अपना ऐसा भविष्य देखना चाहेंगे? अगर नहीं, तो अपनी खुशियों से इनके लिए हम थोड़ा वक्त क्यों नहीं निकाल सकते? सवाल खुद से पूछिए.
जिंदगी की दौड़ में रिश्ते एनर्जी बूस्टर्स से कम नहीं. हर रिश्ते अपनी जगह अनमोल हैं. कुछ अनमोल कहलाने से भी कहीं ज्यादा खास होते हैं. मां-बाप, दादा-दादी, बूआ-मासी, चाचा-चाची जैसे ये रिश्ते बचपन की गली से आगे बढ़ने के बाद भी हमेशा खास होते हैं क्योंकि जिंदगी की जंग में आगे बढ़ पाने के लिए अंगुली थामकर मजबूत कदमों से चलना यही सिखाते हैं हमें. उस बचपन में जब हम उन्हें अपने लिए तकलीफें उठाते, हमारी खुशियों के लिए अपनी छोटी-बड़ी खुशियां कुर्बान करते फिर भी हमारे लिए खुश होते देखते हैं तो अक्सर हम सोचते हैं कि बड़े होकर हम इनकी झोली ढेर सारी खुशियों से भर देंगे. हर वो पल उन्होंने हमारी खुशी के लिए कुर्बान किए उससे दोगुने खुशनुमा पल उनके कदमों में रख देंगे लेकिन भीड़ में आगे बढ़ सकने की धुन में जब वक्त आता है उनके लिए कुछ करने का तो हम क्या करते हैं? शायद ऐसा ही जो इस वीडियो में दिखाया गया है:
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