प्याज के फायदे

प्याज के फायदे बहुत होते हैं और यह बहुत ही शानदार घरेलू
नुस्खा है। प्याज खाने को स्वादिष्ट बनाने का काम
तो करता ही है साथ ही यह एक बेहतरीन औषधि भी है। कई
बीमारियों में यह रामबाण दवा के रूप में काम करता है।
प्याज का प्रयोग खाने में बहुत किया जाता है। प्याज सेहत के
लिए बहुत फायदेमंद है। प्याज लू की रामबाण दवा है। आंखों के
लिए यह बेहतरीन औषधि है। प्याज में केलिसिन और
रायबोफ्लेविन (विटामिन बी) पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।
आइए हम आपको बताते हैं कि प्याज आपकी सेहत के लिए
कितना फायदेमंद है।


प्याज के लाभ –

लू लगने पर – गर्मियों के मौसम में प्याज खाने सू लू
नहीं लगती है। लू लगने पर प्याज के दो चम्मच रस
को पीना चाहिए और सीने पर रस की कुछ बूंदों से मालिश
करने पर फायदा होता है। एक छोटा प्याज साथ में रखने पर
भी लू नहीं लगती है।

बालों के लिए – बाल गिरने की समस्या से निजात पाने के
लिए प्याज बहुत ही असरकारी है। गिरते हुए बालों के स्थान
पर प्याज का रस रगडने से बाल गिरना बंद हो जाएंगे। इसके
अलावा बालों का लेप लगाने पर काले बाल उगने शुरू हो जाते
हैं।

पेशाब बंद होने पर – अगर पेशाब होना बंद हो जाए तो प्याज
दो चम्मच प्याज का रस और गेहूं का आटा लेकर
हलुवा बना लीजिए। इसको गर्म करके पेट पर इसका लेप
लगाने से पेशाब आना शुरू हो जाता है। पानी में उबालकर पीने
से भी पेशाब संबंधित समस्या समाप्त हो जाती है।

जुकाम के लिए – प्याज गर्म होती है इसलिए सर्दी के लिए
बहुत फायदेमंद होती है। सर्दी या जुकाम होने पर प्याज खाने
से फायदा होता है।

उम्र के लिए – प्याज खाने से कई शारीरिक
बीमारियां नहीं होती हैं। इसके आलावा प्याज कइ
बीमारियों को दूर भगाता है। इसलिए यह कहा जाता है
कि प्याज खाने से उम्र बढती है, क्योंकि इसके सेवन से कोई
बीमारी नहीं होती और शरीर स्वस्थ्य रहता है।

पथरी के लिए – अगर आपको पथरी की शिकायत है तो प्याज
आपके लिए बहुत उपयोगी है। प्याज के रस को चीनी में
मिलाकर शरबत बनाकर पीने से पथरी की से निजात
मिलता है। प्याज का रस सुबह खाली पेट पीने से पथरी अपने-
आप कटकर प्यास के रास्ते से बाहर निकल जाती है।

गठिया के लिए – गठिया में प्याज बहुत ही फायदेमंद होता है।
गठिया में सरसों का तेल व प्याज का रस मिलाकर मालिश
करें, फायदा होगा।

यौन शक्ति के लिए – प्याज खाने से शरीर की सेक्स
क्षमता बढती है। शारीरिक क्षमता को बढाने के लिए पहले से
ही प्याज का इस्तेमाल होता आया है। प्याज आदमियों के
लिए सेक्स पॉवर बढाने का सबसे अच्छा टॉनिक है।
इसके अलावा प्याज कई अन्य सामान्य शारीरिक समस्याओं
जैसे – मोतियाबिंद, सिर दर्द, कान दर्द और सांप के काटने
पर भी प्रयोग किया जाता है। प्याज का पेस्ट लगाने से
फटी एडियों को राहत मिलती है।
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उडऩे लगे बाल तो hair started flying


आजकल कम उम्र में गंजापन या बहुत अधिक बाल झड़ने की समस्या आम हो चली है। गंजेपन के कारण कोई भी व्यक्ति अपनी उम्र से बड़ा दिखाई देने लगता है और एक बाल उड़ने शुरू हो जाते हैं तो उन्हें रोकना बहुत मुश्किल होता है। वैसे तो बाल झड़ने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन अनुवांशिक कारणों के अलावा विकार, किसी विष का सेवन कर लेने, उपदंश, दाद, एक्जिमा आदि के कारण ऐसा हो जाता है। आज हम बताने जा रहे हैं आपको कुछ ऐसे नुस्खों के बारे में जो गंजेपन की समस्या में रामबाण हैं....

- नमक का अधिक सेवन करने से गंजापन आ जाता है। पिसा हुआ नमक व काली मिर्च एक-एक चम्मच नारियल का तेल पांच चम्मच मिलाकर गंजेपन वाले स्थान पर लगाने से बाल आ जाते हैं। कलौंजी को पीसकर पानी में मिला लें। इस पानी से सिर को कुछ दिनों तक धोने से बाल झड़ना बंद हो जाते हैं और बाल घने भी होना शुरू हो जाते हैं।

- अगर बालों का गुच्छा किसी स्थान से उड़ जाए तो गंजे के स्थान पर नींबू रगड़ते रहने से बाल दुबारा आने लगते हैं। जहां से बाल उड़ जाएं तो प्याज का रस रगड़ते रहने से बाल आने लगते हैं। बालों में नीम का तेल लगाने से भी राहत मिलती है।

- बाल झड़ते हैं तो गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाएं। नहाने से पहले इस पेस्ट को सिर पर लगा लें। 15 मिनट बाद बाल गरम पानी से सिर को धोएं। ऐसा करने पर कुछ ही दिनों बालों के झड़ने की समस्या दूर हो जाएगी।

- लहसुन का खाने में अधिक प्रयोग करें। उड़द की दाल उबाल कर पीस लें। इसका सोते समय सिर पर गंजेपन की जगह लेप करें। हरे धनिए का लेप करने से भी बाल आने लगते हैं। केले के गूदे को नींबू के रस के साथ पीस लें और लगाएं, इससे लाभ होता है।अनार के पत्ते पानी में पीसकर सिर पर लेप करने से गंजापन दूर होता है।
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आर्थराइटिस का उपचार

१. दोनों तरह के आर्थराइटिस (Osteoarthritis और
Rheumatoid arthritis) मे आप एक दावा का प्रयोग करे
जिसका नाम है चुना, वोही चुना जो आप पान मे खाते हो |
गेहूं के दाने के बराबर चुना रोज सुबह खाली पेट एक कप
दही मे मिलाके खाना चाहिए, नही तो दाल मे मिलाके,
नही तो पानी मे मिलाके पीना लगातार तिन महीने तक,
तो आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के
समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय
लगेगा | अगर आपके हात या पैर के हड्डी मे खट खट
आवाज आती हो तो वो भी चुने से ठीक हो जायेगा |
२. दोनों तरह के आर्थराइटिस के लिए और एक अछि दावा है
मेथी का दाना | एक छोटा चम्मच मेथी का दाना एक काच
की गिलास मे गरम पानी लेके उसमे डालना, फिर उसको रात
भर भिगोके रखना | सबेरे उठके पानी सिप सिप करके
पीना और मेथी का दाना चबाके खाना | तिन महीने तक लेने
से आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के
समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय
लगेगा |
३. ऐसे आर्थराइटिस के मरीज जो पूरी तरह बिस्तर पकड़
जुके है, चाल्लिस साल से तकलीफ है या तिस साल से
तकलीफ है, कोई कहेगा बीस साल से तकलीफ है, और
ऐसी हालत हो सकती है के वे दो कदम भी न चल सके, हात
भी नही हिला सकते है, लेटे रहते है बेड पे, करवट
भी नही बदल सकते ऐसी अवस्था हो गयी है .... ऐसे
रोगियों के लिए एक बहुत अछि औषधि है जो इसीके लिए काम
आती है | एक पेड़ होता है उसे हिंदी में हरसिंगार कहते है,
संस्कृत पे पारिजात कहते है, बंगला में शिउली कहते है , उस
पेड़ पर छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और फुल
की डंडी नारंगी रंग की होती है, और उसमे खुसबू बहुत
आती है, रात को फूल खिलते है और सुबह जमीन में गिर जाते
है । इस पेड़ के छह सात पत्ते तोड़ के पत्थर में पिस के
चटनी बनाइये और एक ग्लास पानी में इतना गरम करो के
पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके रोज सुबह
खाली पेट पिलाना है जिसको भी बीस तिस चाल्लिस साल
पुराना आर्थराइटिस हो या जोड़ो का दर्द हो | यह उन सबके
लिए अमृत की तरह काम करेगा | इसको तिन महिना लगातार
देना है अगर पूरी तरह ठीक नही हुआ तो फिर 10-15 दिन
का गैप देके फिर से तिन महीने देना है | अधिकतम केसेस मे
जादा से जादा एक से देड महीने मे रोगी ठीक हो जाते है |
इसको हर रोज नया बनाके पीना है | ये
औषधि exclusiveExclusive है और बहुत strong औषधि है
इसलिए अकेली हि देना चाहिये, इसके साथ कोई
भी दूसरी दावा न दे नही तो तकलीफ होगी | ध्यान रहे
पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक
होने मे समय लगेगा |
बुखार का दर्द का उपचार :
डेंगू जैसे बुखार मे शरीर मे बहुत दर्द होता है .. बुखार
चला जाता है पर कई बार दर्द नही जाता | ऐसे केसेस मे
आप हरसिंगार की पत्ते की काड़ा इस्तेमाल करे, 10-15 दिन
मे ठीक हो जायेगा |
घुटने मत बदलिए :
RA Factor जिनका प्रोब्लेमाटिक है और डॉक्टर कहता है
के इसके ठीक होने का कोई चांस नही है | कई बार
कार्टिलेज पूरी तरह से ख़तम हो जाती है और डॉक्टर कहते
है के अब कोई चांस नही है Knee Joints आपको replace
करने हि पड़ेंगे, Hip joints आपको replace करने हि पड़ेंगे |
तो जिनके घुटने निकाल के नया लगाने की नौबत आ गयी हो,
Hip joints निकालके नया लगाना पड़ रहा हो उन सबके लिए
यह औषधि है जिसका नाम है हरसिंगार का काड़ा |

आप कभी भी Knee Joints
को और Hip joints को replace मत कराइए | चाहे
कितना भी अच्छा डॉक्टर आये और कितना भी बड़ा गारंटी दे
पर कभी भी मत करिये | भगवान की जो बनाई हुई है
आपको कोई भी दोबारा बनाके नही दे सकता | आपके पास
जो है उसिको repair करके काम चलाइए | हमारे देश के
प्रधानमंत्री श्री अटलजी ने यह प्रयास किया था, Knee
Joints का replace हुआ अमेरिका के एक बहुत बड़े डॉक्टर
ने किया पर आज उनकी तकलीफ पहले से जादा है | पहले
तो थोडा बहुत चल लेते थे अब चलना बिलकुल बंध हो गया है
कुर्सी पे ले जाना पड़ता है | आप सोचिये जब
प्रधानमंत्री के साथ यह हो सकता है आप तो आम आदमी है
|
 

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Thought this was lovely

Your Mother carried you inside of her womb for
nine whole months, she felt sick for months
with nausea, then she watched her feet swell
and her skin stretch and tear. She struggled to
climb stairs, she got breathless quickly and even
a simple task like putting her shoes on was a
huge struggle for her. She suffered many
sleepless nights while you kicked and squirmed
inside of her and while you demanded that she
scoffed junk at 3am, she then went through
EXCRUCIATING PAIN to bring you into this
world. She became your nurse, your chef, your
maid, your chauffeur, your biggest fan, your
teacher, your agony aunt and your best friend.
She's struggled for you, cried over you, fought
for you, put herself second for you, hoped the
best for you and has driven herself insane with
worry for you but never has she asked for
anything in return because she loves you and
did it all on love alone! Most of us take our
Mums for granted but there are people who
have lost or have never even seen theirs. If you
have a loving Mother who did all of this for you,
you are very lucky, never devalue her worth
because one day, you'll wish you hadn't!

Keep sharing !
 


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स्तन कैंसर से बचाव breast cancer prevention

महिलाओं में स्तन कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अगर आप
चाहती हैं कि आपको इस रोग की चपेट में न आना पडे,
तो आपको अभी से कुछ चीजों को अपनी जीवनशैली में
जरूरी शामिल करना चाहिए।
आजकल स्तन कैंसर की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है।
दरअसल, बदलती जीवनशैली और अनियमित खान-पान के
कारण भी स्तन कैंसर के मामलों में वृद्धि हुई है। आइए जानते हैं
इसके प्रमुख कारण और उनसे बचाव के कुछ उपाय।
अगर आपके परिवार में पहले कोई स्तन कैंसर से पीडित रहा है,
तो आपको भी यह समस्या होने की आशंका बढ़ जाती है। साथ
ही अनियमित भोजन, धूम्रपान, मोटापा व एल्कोहल
आदि का सेवन भी इस समस्या के प्रमुख कारणों में शामिल हैं।
इस घातक रोग से बचने के लिए फूल गोभी, पत्ता गोभी व
ब्रोकली आदि का सेवन करना चाहिए।
हरी सब्जियों में कैंसर से लड़ने के गुर होते हैं। इसके
अलावा सोया मिल्क या टोफू का सेवन करने से एस्ट्रोजेन
का प्रभाव कम होता है, जिससे आप इस रोग की चपेट में आने
से बच सकती हैं। शिशु को स्तनपान कराने से भी स्तन कैंसर
होने की आशंका कम होती है।
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Herbal Cure for Pimples

A combination of lemon juice and rose water
when applied on the pimples and left for half an
hour is a good remedy for pimples. This should
be continued for three to four weeks as a
natural home remedy.
 

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अश्वगंधा से उपचार

अश्वगंधा से उपचार :

सामान्य परिचय : सम्पूर्ण भारतवर्ष में विशेषकर शुष्क
प्रदेशों में असगंध के जंगली या कृषिजन्य पौधे 5,500 फुट
की ऊंचाई तक पाये जाते हैं। इसके जंगली पौधे
की अपेक्षा कृषिजन्य पौधे गुणवत्ता की दृष्टि से उत्तम होते
हैं, परंतु तेल आदि के लिए जगंली पौधे ही उपयोगी होते हैं।
यह देश भेद से कई प्रकार की कही गई है, परंतु
असली असगंध के पौधे को मसलने पर घोड़े के मूत्र जैसी गंध
आती है जो इसकी ताजी जड़ में अपेक्षाकृत अधिक होती है।


स्वरूप : असगंध (अश्वगंधा) का झाड़ीदार पौधा 60 से 90
सेमी तक लंबा होता है। इसकी जड़ ही औषधि रूप में प्रयोग
की जाती है। इसकी जड़ अन्दर से सफेद, कड़ी, मोटी-पतली,
और 10 से 15 सेमी के लगभग लंबी होती है। इसकी जड़
को सुखाकर उपयोग में लाया जाता है। इसके पौधे पर 5-5
फूलों के गुच्छे पीले या लाल रंग के होते हैं तथा बीज पीले रंग
के छोटे, चिपटे और चिकने होते हैं।

विभिन्न भाषाओं नाम :
संस्कृत अश्वगंधा, वराहकर्णी
हिंदी असंगध, अश्वगंधा
गुजराती आसंध, घोड़ा आहन, घोड़ा आकुन
मराठी आसंध, डोरगुंज
बंगाली अश्वगंधा
तेलगू पनेरू
अंग्रेजी वीनटर चेरी (Winter Cherry)

रासायनिक संघटन : असगंध की जड़ में एक उड़नशील तेल
तथा बिथेनिओल नामक तत्व पाया जाता है। इसके
अलावा सोम्मीफेरिन नामक क्रिस्टेलाइन एल्केलायड एवं
फाइटोस्टेरोल आदि तत्व भी पाये जाते हैं।


गुण-धर्म : यह कफ वातनाशक, बलकारक, रसायन,
बाजीकारक, नाड़ी-शक्तिवर्द्धक तथा पाचनशक्ति को बढ़ाने
वाला होता है।

हानिकारक : गर्म प्रकृति वालों के लिए अश्वगंधा का अधिक
मात्रा में उपयोग हानिकारक होता है।

दोषों को दूर करने वाला : गोंद, कतीरा एवं घी इसके
गुणों को सुरक्षित रखते हुए, दोषों को कम करता है।

विभिन्न रोगों का अश्वगंधा से उपचार :


1 गंडमाला :-असंगध के नये कोमल पत्तों को समान
मात्रा में पुराना गुड़ मिलाकर तथा पीसकर झाड़ी के बेर
जितनी गोलियां बना लें। इसे सुबह ही एक गोली बासी पानी के
साथ निगल लें और असगंधा के पत्तों को पीसकर
गंडमाला पर लेप करें।.

2 हृदय शूल :-*वात के कारण उत्पन्न हृदय रोग में असगंध
का चूर्ण दो ग्राम गर्म पानी के साथ लेने से लाभ होता है।
*असगंध चूर्ण में बहेड़े का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर
5-10 ग्राम की मात्रा गुड़ के साथ लेने से हृदय सम्बंधी वात
पीड़ा दूर होती है।"

3 क्षयरोग (टी.बी.) : -*2 ग्राम असंगध के चूर्ण को असगंध
के ही 20 मिलीलीटर काढ़े के साथ सेवन करने से क्षय रोग
में लाभ होता है।
*2 ग्राम असगंध की जड़ के चूर्ण में 1 ग्राम बड़ी पीपल
का चूर्ण, 5 ग्राम घी और 10 ग्राम शहद मिलाकर सेवन
करने से क्षय रोग (टी.बी.) मिटता है।"

4 खांसी : -*असगंध (अश्वगंधा) की 10 ग्राम जड़ को कूट
लें, इसमें 10 ग्राम मिश्री मिलाकर 400 मिलीलीटर पानी में
पकाएं, जब 8वां हिस्सा रह जाये तो इसे थोड़ा-थोड़ा पिलाने
से कुकुर खांसी या वात जन्य खांसी पर विशेष लाभ होता है।
*असगंध के पत्तों का काढ़ा 40 मिलीलीटर, बहेडे़ का चूर्ण
20 ग्राम, कत्था का चूर्ण 10 ग्राम, कालीमिर्च 50 ग्राम,
लगभग 3 ग्राम सेंधानमक को मिलाकर लगभग आधा ग्राम
की गोलियां बना लें। इन गोलियों को चूसने से सभी प्रकार
की खांसी दूर होती है। टी.बी. खांसी में भी यह लाभदायक है।"

5 गर्भधारण : -*अश्वगंधा का चूर्ण 20 ग्राम, पानी 1 लीटर
तथा गाय का दूध 250 मिलीलीटर तीनों को हल्की आंच पर
पकाकार जब दूध मात्र शेष रह जाये तब इसमें 6 ग्राम
मिश्री और 6 ग्राम गाय का घी मिलाकर मासिक-धर्म
की शुद्धिस्नान के 3 दिन बाद 3 दिन तक सेवन करने से
स्त्री अवश्यगर्भ धारण करती है।
*अश्वगंधा का चूर्ण, गाय के घी में मिलाकर मासिक-धर्म
स्नान के पश्चात् प्रतिदिन गाय के दूध के साथ या ताजे
पानी से 4-6 ग्राम की मात्रा में 1 महीने तक निरंतर सेवन
करने से स्त्री गर्भधारण अवश्य करती है।
*अश्वगंधा की जड़ के काढ़े और लुगदी में चौगुना घी मिलाकर
पकाकर सेवन करने से वात रोग दूर होता है
तथा स्त्री गर्भधारण करती है।"

6 गर्भपात : -बार-बार गर्भपात होने पर अश्वगंधा और सफेद
कटेरी की जड़ इन दोनों का 10-10 मिलीलीटर रस पहले 5
महीने तक सेवन करने से अकाल में गर्भपात नहीं होगा और
गर्भपात के समय सेवन करने से गर्भ रुक जाता है।

7 रक्तप्रदर एवं श्वेतप्रदर :-अश्वगंधा के चूर्ण में बराबर
मात्रा में मिश्री मिलाकर 1-1 चम्मच गाय के दूध में
मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।

8 कृमि रोग (पेट के कीड़े) : -इसके चूर्ण में बराबर मात्रा में
गिलोय का चूर्ण मिलाकर शहद के साथ 5-10 ग्राम नियमित
सेवन करने से लाभ होता है।

9 संधिवात (जोड़ों का दर्द) में : -*अश्वगंधा के पंचांग (जड़,
पत्ती, तना, फल और फूल) को कूटकर, छानकर 25 से 50
ग्राम तक सेवन करने से जोड़ों का दर्द (गठियावात) दूर
होता है। गठिया में अश्वगंधा के 30 ग्राम ताजा पत्ते, 250
मिलीलीटर पानी में उबालकर जब पानी आधा रह जाये
तो छानकर पी लें। 1 सप्ताह पीने से ही गठिया में जकड़ा और
तकलीफ से रोता रोगी बिल्कुल अच्छा हो जाता है
तथा इसका लेप भी बहुत लाभदायक है।
*अश्वगंधा के चूर्ण की मात्रा 2 ग्राम सुबह-शाम गर्म दूध
तथा पानी के साथ खाने से गठिया के रोगी को आराम
हो जाता है।
*अश्वगंधा के तीन ग्राम चूर्ण को तीन ग्राम घी में मिलाकर,
एक ग्राम शक्कर मिलाकर सुबह-शाम खाने से संधिवात दूर
होता है। अश्वगंधा की 15 ग्राम कोंपले या कोमल पत्ते लेकर
200 मिलीलीटर पानी में उबालें जब पत्ते गल जाये या नरम
हो जायें तो छानकर गर्म-गर्म तीन-चार दिन पीयें, इससे कफ
जन्य खांसी भी दूर होती है।"

10 कमर दर्द : -*अश्वगंधा के 2-5 ग्राम चूर्ण को गाय के
घी या शक्कर के साथ चाटने से कमरदर्द और नींद में लाभ
होता है।
*असगंध और सोंठ बराबर मात्रा में लेकर इनका चूर्ण
बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ
सेवन करें। इससे कमर दर्द से आराम मिलता है।
*असंगध और सफेद मूसली को पीसकर बराबर मात्रा में
बनाया गया चूर्ण 1 चम्मच भर, रोजाना दूध के साथ सेवन
करने से कमजोरी मिट जाती है।
*1-1 छोटे चम्मच असगंध का चूर्ण शहद में मिलाकर सुबह-
शाम खाने और ऊपर से एक गिलास दूध पीने से शरीर
की कमजोरी दूर होती है।"

11 नपुंसकता :-*अश्वगंधा का कपड़े से छना हुआ बारीक
चूर्ण और चीनी बराबर मिलाकर रखें, इसको 1 चम्मच गाय
के ताजे दूध के साथ सुबह भोजन से 3 घंटे पूर्व सेवन करें।
इस चूर्ण को चुटकी-चुटकी भर खाते हैं और ऊपर से दूध पीते
रहें। रात के समय इसके बारीक चूर्ण को चमेली के तेल में
अच्छी तरह घोटकर लगाने से इन्द्रिय की शिथिलता दूर
होकर वह कठोर और दृढ़ हो जाती हैं।
*अश्वगंधा, दालचीनी और कडुवा कूठ बराबर मात्रा में
कूटकर छान लें और गाय के मक्खन में मिलाकर 5-10 ग्राम
की मात्रा में सुबह-शाम सुपारी छोड़करक शेष लिंग पर मलें,
इसको मलने के पूर्व और बाद में लिंग को गर्म पानी से
धो लें।"

12 कमजोरी :-*असगंध एक वर्ष तक यथाविधि सेवन करने
से शरीर रोग रहित हो जाता है। केवल सर्दीयों में ही इसके
सेवन से दुर्बल व्यक्ति भी बलवान होता है। वृद्धावस्था दूर
होकर नवयौवन प्राप्त होता है।
*असंगध चूर्ण, तिल व घी 10-10 ग्राम लेकर और तीन
ग्राम शहद मिलाकर नित्य सर्दी में सेवन करने से कमजोर
शरीर वाला बालक मोटा हो जाता है।
*अश्वगंधा का चूर्ण 6 ग्राम, इसमें बराबर की मिश्री और
बराबर शहद मिलाकर इसमें 10 ग्राम गाय का घी मिलायें, इस
मिश्रण को सुबह शाम शीतकाल में चार महीने तक सेवन करने
से बूढ़ा व्यक्ति भी युवक की तरह प्रसन्न रहता है।
*अश्वगंधा चूर्ण 20 ग्राम, तिल इससे दुगने, और उड़द आठ
गुने अर्थात 140 ग्राम, इन तीनों को महीन पीसकर इसके बड़े
बनाकर ताजे-ताजे एक ग्राम तक खायें।
*अश्वगंधा चूर्ण और चिरायता बराबर-बराबर लेकर खरल
(कूटकर) कर रखें। इस चूर्ण को 10-10 ग्राम की मात्रा में
सुबह ग्राम शाम दूध के साथ खायें।
*एक ग्राम अश्वगंधा चूर्ण में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग
मिश्री डालकर उबालें हुए दूध के साथ सेवन करने से वीर्य
पुष्ट होता है, बल बढ़ता है।

13 खून की खराबी : -4 ग्राम चोपचीनी और
अश्वगंधा का बारीक पिसा चूर्ण बराबर मात्रा में लें। इसे शहद
के साथ नियमित सुबह-शाम चाटने से रक्तविकार मिट
जाता है।

14 ज्वर : -इसका चूर्ण पांच ग्राम, गिलोय की छाल
का चूर्ण चार ग्राम, दोनों को मिलाकर प्रतिदिन शाम
को गर्म पानी से खाने से जीर्णवात ज्वर दूर हो जाता है।.

15 सभी प्रकार के रोगों में : -लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग
गिलोय का चूर्ण को 5 ग्राम अश्वगंधा के चूर्ण के साथ
मिलाकर शहद के साथ चाटने से सभी प्रकार के रोग दूर
हो जाते हैं।

16 बांझपन दूर करना : -*असगंध, नागकेसर और गोरोचन इन
तीनों को बराबर मात्रा में लेकर पीस-छान लेते हैं। इसे शीतल
जल के साथ सेवन करें तो गर्भ ठहर जाता है।
*असगंध तथा नागौरी को 50 ग्राम की मात्रा में लेकर
कूटकर कपड़छन कर लेते हैं। जब मासिक-धर्म के बाद
स्त्री स्नान करके शुद्ध हो जाए तो 10 ग्राम की मात्रा में
इसका सेवन करें। उसके बाद पुरुष के साथ रमण (मैथुन) करें
तो इससे बांझपन दूर होकर महिला गर्भवती हो जाएगी। "

17 गर्भधारण :-*असगंध के काढे़ में दूध और घी मिलाकर 7
दिनों तक पिलाने से स्त्री को निश्चित रूप से गर्भधारण
होता है।
*असगंध का चूर्ण 3 से 6 ग्राम की मात्रा में मासिक-धर्म
के शुरू होने के लगभग 4 दिन पहले से सेवन करना चाहिए।
इससे गर्भ ठहरता है।
*असगंध 100 ग्राम दरदरा कूटकर इसकी 20 ग्राम
मात्रा को 200 मिलीलीटर पानी में रात को भिगोकर रख देते
हैं। सुबह इसे उबालते हैं। एक चौथाई रह जाने पर इसे छानकर
200 मिलीलीटर गुनगुने मीठे दूध में एक चम्मच घी मिलाकर
माहवारी के पहले दिन से 5 दिनों तक लगातार प्रयोग
करना चाहिए।"

18 दस्त :-असगंध, दालचीनी, नागरमोथा, बाराही फल, धाय
के फूल और कुड़ा (कोरैया) की छाल को निकालकर
काढ़ा बनाकर रख लें, फिर इसी बने काढ़े को 20 से 40
मिलीलीटर की मात्रा में पीने से बुखार के दौरान आने वाले
दस्त बंद हो जाते हैं और आराम मिलता है।

19 मासिक-धर्म सम्बंधी विकार :-असगंध 35 ग्राम
की मात्रा में कूटकर छान लेते हैं। इसमें 35 ग्राम
की मात्रा में चीनी मिला देते हैं। इसकी 10 ग्राम
मात्रा को पानी से खाली पेट मासिक-धर्म शुरू होने से लगभग
एक सप्ताह पहले सेवन करना चाहिए। जब मासिक-धर्म शुरू
हो जाए तो इसका सेवन बंद कर देना चाहिए। इससे मासिक
धर्म के सभी विकार नष्ट हो जाते हैं।

20 प्रदर :-*असगंध और शतावर का बराबर मात्रा का चूर्ण
3 ग्राम ताजे पानी के साथ सेवन करने से प्रदर में लाभ
होता है।
*असगंध का चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ कुछ दिनों तक
सेवन करने से श्वेत प्रदर मिट जाता है। 25-25 ग्राम
की मात्रा में असगंध, बिधारा, लोध्र पठानी, को कूट-पीस
छानकर 5-5 ग्राम कच्चे दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने
से प्रदर में आराम मिलता है।
*5-10 ग्राम असगंध, नागौरी चूर्ण सुबह-शाम घी के साथ
सेवन करने से प्रदर में आराम मिलता है।"

21 अल्सर :-4 ग्राम असगंध को गौमूत्र (गाय के पेशाब) में
पीसकर सेवन करना चाहिए।

22 हड्डी कमजोर होना : -असगंध नागौरी का चूर्ण 1 से 3
ग्राम शहद एवं मिश्री मिले दूध के साथ सुबह-शाम खाने से
हड्डी की विकृति आदि दूर होकर शरीर पुष्ट और सबल
हो जाता है।

23 रक्तप्रदर :-अश्वगंधा को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसे
3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन
करने से रक्त प्रदर में आराम मिलता है।

24 स्तनों के आकार में वृद्धि : -*असगंध नागौरी और
शतावरी को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर
चूर्ण बनायें, फिर इसी चूर्ण को देशी घी में मिलाकर
मिट्टी के बर्तन में रखें, इसी चूर्ण को 10 ग्राम की मात्रा में
मिश्री मिले दूध के साथ सेवन करने से स्तनों के आकार में
बढ़ोत्तरी होती है।
*असंगध नागौरी, गजपीपल और बच आदि को बराबर लेकर
पीसकर चूर्ण बना लें, फिर मक्खन के साथ मिलाकर
स्तनों पर लगायें। इससे स्तनों का उभार होता है।"

25 मोटापे के रोग में :-असगंध 50 ग्राम, मूसली 50 ग्राम,
काली मूसली 50 की मात्रा में कूटकर छानकर रख लें, इसे
10 ग्राम की मात्रा में सुबह दूध के साथ लेने से मोटापा दूर
होता है।

26 स्तनों को आकर्षक होना :-असगंध और
शतावरी को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर लगभग 2-2 ग्राम
की मात्रा में शहद के खाकर ऊपर से दूध में
मिश्री को मिलाकर पीने से स्तन आकर्षक हो जाते हैं।

27 वात रोग : -*असगंध के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल,
पत्ती) को खाने से लाभ प्राप्त होता है।
*असगंध और विधारा 500-500 ग्राम कूट पीसकर रख लें।
10 ग्राम दवा सुबह गाय के दूध के साथ खाने से वात रोग
खत्म हो जाते हैं।
*असगंध और मेथी की 100-100 ग्राम मात्रा का बारीक
चूर्ण बनाकर, आपस में गुड़ में मिलाकर 10 ग्राम के लड्डू
बना लें। 1-1 लड्डू सुबह-शाम खाकर ऊपर से दूध पी लें। यह
प्रयोग वात रोगों में अच्छा आराम दिलाता है। जिन्हें
डायबिटीज हो, उन्हें गुड़ नहीं मिलाना चाहिए, उन्हें सिर्फ
अश्वगंध और मेथी का चूर्ण पानी के साथ लेना चाहिए।".

28 वीर्य रोग में : -*असगंध नागौरी, विधारा,
सतावरी 50-50 ग्राम कूट-पीसकर छान लें, फिर इसमें 150
ग्राम चीनी मिला दें। 10-10 ग्राम दूध से सुबह-शाम लें।
*नागौरी असगंध, गोखरू, शतावर तथा मिश्री मिलाकर खायें।
*असगंध, विधारा 25-25 ग्राम को मिलाकर बारीक पीस लें।
इसमें 50 ग्राम चीनी मिलाकर 10 ग्राम दवा सोते समय
हल्के गर्म दूध से लें। इससे बल वीर्य बढ़ता है।
*300 ग्राम असगंध को बारीक पीस लें। इसकी 20 ग्राम
मात्रा को 250 मिलीलीटर दूध में मिलाकर उबालें, जब यह
गाढ़ा हो जाये तो इसमें चीनी मिलाकर पीना चाहिए। "

29 अंगुलियों का कांपना :-3 से 6 ग्राम असगंध
नागौरी को गाय के घी और उसके चार गुना दूध में उबालकर
मिश्री मिलाकर प्रतिदिन पीने से अंगुलियों का कांपना दूर
हो जाता है। इससे रोगी को काफी लाभ मिलता है।

30 योनि रोग :-असगंध को दूध में अच्छी तरह पका लें, फिर
ऊपर से देशी घी को डालकर एक दिन सुबह और शाम
माहवारी के बाद स्नान हुई महिला को पिलाने से योनि के
विकार हो नष्ट जाते हैं और गर्भधारण के योग्य हो जाता है।

31 दिल की धड़कन : -असगंध और बहेड़ा दोनों को कूट-
पीसकर चूर्ण बना लें। फिर 3 ग्राम चूर्ण में थोड़ा-सा गुड़
मिलाकर हल्के गर्म पानी से सेवन करें। इससे दिल की तेज
धड़कन और निर्बलता नष्ट होती है।

32 गठिया रोग :-*असगंध, सुरंजन मीठी, असपन्द और
खुलंजन 30-30 ग्राम को कूट-छानकर चूर्ण बना लें। यह
चूर्ण 5-5 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम गर्म
पानी से लें। इससे गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
*50 ग्राम असगंध और 25 ग्राम सोंठ को कूट-छानकर इसमें
75 ग्राम चीनी को मिला लें। 4-4 ग्राम मिश्रण पानी से
सुबह-शाम लेने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
*3 ग्राम असगंध का चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में 3 ग्राम
घी मिलाकर रोजाना सुबह-शाम लेने से गठिया के रोग में
आराम मिलता है।"

33 हाई ब्लडप्रेशर :-अश्वगंधा चूर्ण 3 ग्राम,
सूरजमुखी बीज का चूर्ण 2 ग्राम, मिश्री 5 ग्राम और गिलोय
का बारीक चूर्ण (सत्व) 1 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी के
साथ दिन में 2-3 बार सेवन करने से उच्च रक्तचाप (हाई
ब्लड प्रेशर) में लाभ होता है।

34 हृदय की दुर्बलता :-असंगध 3-3 ग्राम सुबह-शाम गर्म
दूध से लें। इससे दिल दिमाग की कमजोरी ठीक हो जाती है।

35 हाथ-पैरों की ऐंठन :-सुरंजन मीठी, असगंध नागौरी 50-50
ग्राम, 25 ग्राम सोंठ और 120 ग्राम मिश्री को बारीक
पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 4 से 6 ग्राम प्रतिदिन सुबह-
शाम ताजे पानी के साथ लेने से पैरों के जोड़ व हाथ-
पैरों का दर्द खत्म हो जाता है।

36 क्रोध : -लगभग 3 से 6 ग्राम असगंध नागौरी के चूर्ण
को मिश्री और घी में मिलाकर हल्के गर्म दूध के साथ सुबह-
शाम को खाने से स्नायुतंत्र अपना कार्य ठीक तरह से
करता है, जिससे क्रोध नष्ट हो जाता है।

37 सदमा :-लगभग 3-6 ग्राम असगंध नागौरी के चूर्ण
को सुबह-शाम को रोजाना घी और चीनी मिले दूध के साथ
खाने से स्नायुविक ऊर्जा प्राप्त होने के कारण बार-बार
आने वाले सदमे खत्म हो जाते हैं।

38 खून का बहना :-अश्वगंधा के चूर्ण और चीनी को बराबर
मात्रा में मिलाकर खाने से खून निकलना बंद हो जाता है।

39 लिंग वृद्धि :-*लिंग को बढ़ाने के लिए लोध्र, केशर,
असगंधा, पीपल, शालपर्णी को तेल में पकाकर लिंग पर
मालिश करने से लिंग में वृद्धि हो जाती है।
*कूटकटेरी, असगंध, बच, शतावरी आदि को तिल में
अच्छी तरह से पकायें। सब औषधियों के जल जाने पर ही उसे
आग से उतारे और लिंग पर मालिश करें। इससे लिंग
का छोटापन दूर हो जाता है। "

40 थकावट होना :-*लगभग 3 से 6 ग्राम असगंध नागौरी के
चूर्ण को मिश्री और घी मिले हुए दूध के साथ सुबह-शाम लेने
से शरीर में ताजगी और जोश आ जाता है।
*असगंध नागौरी और क्षीर विदारी की जड़ को बराबर भाग में
लेकर, हल्के गर्म दूध में 3 से 6 ग्राम मिश्री और
घी मिलाकर एक साथ सुबह और शाम को लेने से शरीर
की मानसिक और शारीरिक थकावट दूर हो जाती है।"

41 शरीर को शक्तिशाली बनाना :-*असगंध के चूर्ण को दूध
में मिलाकर पीने से शरीर शक्तिशाली होता है और वीर्य में
वृद्धि होती है।
*बराबर मात्रा में असगंध और विधारा को पीसकर
इसका चूर्ण बना लें। इसके चूर्ण को एक शीशी में भरकर रख
लें। इस चूर्ण को सुबह और शाम को दूध के साथ लेने से
मनुष्य के शरीर की संभोग करने की क्षमता बढ़ती है।
*असगंध के चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद के
साथ चाटने से शरीर में ताकत बढ़ती है।
*लगभग 100-100 ग्राम की मात्रा में नागौरी असगंध, सफेद
मूसली और स्याह मूली को लेकर इसका चूर्ण बना लें।
रोजाना लगभग 10-10 ग्राम की मात्रा में इस चूर्ण को 500
मिलीलीटर दूध के साथ सुबह और शाम को खाने से मनुष्य के
शरीर में जबरदस्त शक्ति आ जाती है।
*बराबर मात्रा में असगंध या अश्वगंधा, सौंठ, मिश्री और
विधारा को लेकर बारीक चूर्ण बना लें। इसके बाद एक-एक
चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम को दूध के साथ इस
चूर्ण का सेवन करने से शरीर की कमजोरी दूर हो जाती है,
सर्दी कम लगती है और शरीर में वीर्य बल बढ़ता है।"

42 आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए : -अश्वगंधा का चूर्ण 2
ग्राम, धात्रि फल चूर्ण 2 ग्राम तथा 1 ग्राम
मुलेठी का चूर्ण मिलाकर 1 चम्मच सुबह और शाम पानी के
साथ सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

Ayurveda
keep sharing
Yoga
Photo: अश्वगंधा से उपचार :

सामान्य परिचय : सम्पूर्ण भारतवर्ष में विशेषकर शुष्क
प्रदेशों में असगंध के जंगली या कृषिजन्य पौधे 5,500 फुट
की ऊंचाई तक पाये जाते हैं। इसके जंगली पौधे
की अपेक्षा कृषिजन्य पौधे गुणवत्ता की दृष्टि से उत्तम होते
हैं, परंतु तेल आदि के लिए जगंली पौधे ही उपयोगी होते हैं।
यह देश भेद से कई प्रकार की कही गई है, परंतु
असली असगंध के पौधे को मसलने पर घोड़े के मूत्र जैसी गंध
आती है जो इसकी ताजी जड़ में अपेक्षाकृत अधिक होती है।


स्वरूप : असगंध (अश्वगंधा) का झाड़ीदार पौधा 60 से 90
सेमी तक लंबा होता है। इसकी जड़ ही औषधि रूप में प्रयोग
की जाती है। इसकी जड़ अन्दर से सफेद, कड़ी, मोटी-पतली,
और 10 से 15 सेमी के लगभग लंबी होती है। इसकी जड़
को सुखाकर उपयोग में लाया जाता है। इसके पौधे पर 5-5
फूलों के गुच्छे पीले या लाल रंग के होते हैं तथा बीज पीले रंग
के छोटे, चिपटे और चिकने होते हैं।

विभिन्न भाषाओं नाम :
संस्कृत अश्वगंधा, वराहकर्णी
हिंदी असंगध, अश्वगंधा
गुजराती आसंध, घोड़ा आहन, घोड़ा आकुन
मराठी आसंध, डोरगुंज
बंगाली अश्वगंधा
तेलगू पनेरू
अंग्रेजी वीनटर चेरी (Winter Cherry)

रासायनिक संघटन : असगंध की जड़ में एक उड़नशील तेल
तथा बिथेनिओल नामक तत्व पाया जाता है। इसके
अलावा सोम्मीफेरिन नामक क्रिस्टेलाइन एल्केलायड एवं
फाइटोस्टेरोल आदि तत्व भी पाये जाते हैं।


गुण-धर्म : यह कफ वातनाशक, बलकारक, रसायन,
बाजीकारक, नाड़ी-शक्तिवर्द्धक तथा पाचनशक्ति को बढ़ाने
वाला होता है।

हानिकारक : गर्म प्रकृति वालों के लिए अश्वगंधा का अधिक
मात्रा में उपयोग हानिकारक होता है।

दोषों को दूर करने वाला : गोंद, कतीरा एवं घी इसके
गुणों को सुरक्षित रखते हुए, दोषों को कम करता है।

विभिन्न रोगों का अश्वगंधा से उपचार :


1 गंडमाला :-असंगध के नये कोमल पत्तों को समान
मात्रा में पुराना गुड़ मिलाकर तथा पीसकर झाड़ी के बेर
जितनी गोलियां बना लें। इसे सुबह ही एक गोली बासी पानी के
साथ निगल लें और असगंधा के पत्तों को पीसकर
गंडमाला पर लेप करें।.

2 हृदय शूल :-*वात के कारण उत्पन्न हृदय रोग में असगंध
का चूर्ण दो ग्राम गर्म पानी के साथ लेने से लाभ होता है।
*असगंध चूर्ण में बहेड़े का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर
5-10 ग्राम की मात्रा गुड़ के साथ लेने से हृदय सम्बंधी वात
पीड़ा दूर होती है।"

3 क्षयरोग (टी.बी.) : -*2 ग्राम असंगध के चूर्ण को असगंध
के ही 20 मिलीलीटर काढ़े के साथ सेवन करने से क्षय रोग
में लाभ होता है।
*2 ग्राम असगंध की जड़ के चूर्ण में 1 ग्राम बड़ी पीपल
का चूर्ण, 5 ग्राम घी और 10 ग्राम शहद मिलाकर सेवन
करने से क्षय रोग (टी.बी.) मिटता है।"

4 खांसी : -*असगंध (अश्वगंधा) की 10 ग्राम जड़ को कूट
लें, इसमें 10 ग्राम मिश्री मिलाकर 400 मिलीलीटर पानी में
पकाएं, जब 8वां हिस्सा रह जाये तो इसे थोड़ा-थोड़ा पिलाने
से कुकुर खांसी या वात जन्य खांसी पर विशेष लाभ होता है।
*असगंध के पत्तों का काढ़ा 40 मिलीलीटर, बहेडे़ का चूर्ण
20 ग्राम, कत्था का चूर्ण 10 ग्राम, कालीमिर्च 50 ग्राम,
लगभग 3 ग्राम सेंधानमक को मिलाकर लगभग आधा ग्राम
की गोलियां बना लें। इन गोलियों को चूसने से सभी प्रकार
की खांसी दूर होती है। टी.बी. खांसी में भी यह लाभदायक है।"

5 गर्भधारण : -*अश्वगंधा का चूर्ण 20 ग्राम, पानी 1 लीटर
तथा गाय का दूध 250 मिलीलीटर तीनों को हल्की आंच पर
पकाकार जब दूध मात्र शेष रह जाये तब इसमें 6 ग्राम
मिश्री और 6 ग्राम गाय का घी मिलाकर मासिक-धर्म
की शुद्धिस्नान के 3 दिन बाद 3 दिन तक सेवन करने से
स्त्री अवश्यगर्भ धारण करती है।
*अश्वगंधा का चूर्ण, गाय के घी में मिलाकर मासिक-धर्म
स्नान के पश्चात् प्रतिदिन गाय के दूध के साथ या ताजे
पानी से 4-6 ग्राम की मात्रा में 1 महीने तक निरंतर सेवन
करने से स्त्री गर्भधारण अवश्य करती है।
*अश्वगंधा की जड़ के काढ़े और लुगदी में चौगुना घी मिलाकर
पकाकर सेवन करने से वात रोग दूर होता है
तथा स्त्री गर्भधारण करती है।"

6 गर्भपात : -बार-बार गर्भपात होने पर अश्वगंधा और सफेद
कटेरी की जड़ इन दोनों का 10-10 मिलीलीटर रस पहले 5
महीने तक सेवन करने से अकाल में गर्भपात नहीं होगा और
गर्भपात के समय सेवन करने से गर्भ रुक जाता है।

7 रक्तप्रदर एवं श्वेतप्रदर :-अश्वगंधा के चूर्ण में बराबर
मात्रा में मिश्री मिलाकर 1-1 चम्मच गाय के दूध में
मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।

8 कृमि रोग (पेट के कीड़े) : -इसके चूर्ण में बराबर मात्रा में
गिलोय का चूर्ण मिलाकर शहद के साथ 5-10 ग्राम नियमित
सेवन करने से लाभ होता है।

9 संधिवात (जोड़ों का दर्द) में : -*अश्वगंधा के पंचांग (जड़,
पत्ती, तना, फल और फूल) को कूटकर, छानकर 25 से 50
ग्राम तक सेवन करने से जोड़ों का दर्द (गठियावात) दूर
होता है। गठिया में अश्वगंधा के 30 ग्राम ताजा पत्ते, 250
मिलीलीटर पानी में उबालकर जब पानी आधा रह जाये
तो छानकर पी लें। 1 सप्ताह पीने से ही गठिया में जकड़ा और
तकलीफ से रोता रोगी बिल्कुल अच्छा हो जाता है
तथा इसका लेप भी बहुत लाभदायक है।
*अश्वगंधा के चूर्ण की मात्रा 2 ग्राम सुबह-शाम गर्म दूध
तथा पानी के साथ खाने से गठिया के रोगी को आराम
हो जाता है।
*अश्वगंधा के तीन ग्राम चूर्ण को तीन ग्राम घी में मिलाकर,
एक ग्राम शक्कर मिलाकर सुबह-शाम खाने से संधिवात दूर
होता है। अश्वगंधा की 15 ग्राम कोंपले या कोमल पत्ते लेकर
200 मिलीलीटर पानी में उबालें जब पत्ते गल जाये या नरम
हो जायें तो छानकर गर्म-गर्म तीन-चार दिन पीयें, इससे कफ
जन्य खांसी भी दूर होती है।"

10 कमर दर्द : -*अश्वगंधा के 2-5 ग्राम चूर्ण को गाय के
घी या शक्कर के साथ चाटने से कमरदर्द और नींद में लाभ
होता है।
*असगंध और सोंठ बराबर मात्रा में लेकर इनका चूर्ण
बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ
सेवन करें। इससे कमर दर्द से आराम मिलता है।
*असंगध और सफेद मूसली को पीसकर बराबर मात्रा में
बनाया गया चूर्ण 1 चम्मच भर, रोजाना दूध के साथ सेवन
करने से कमजोरी मिट जाती है।
*1-1 छोटे चम्मच असगंध का चूर्ण शहद में मिलाकर सुबह-
शाम खाने और ऊपर से एक गिलास दूध पीने से शरीर
की कमजोरी दूर होती है।"

11 नपुंसकता :-*अश्वगंधा का कपड़े से छना हुआ बारीक
चूर्ण और चीनी बराबर मिलाकर रखें, इसको 1 चम्मच गाय
के ताजे दूध के साथ सुबह भोजन से 3 घंटे पूर्व सेवन करें।
इस चूर्ण को चुटकी-चुटकी भर खाते हैं और ऊपर से दूध पीते
रहें। रात के समय इसके बारीक चूर्ण को चमेली के तेल में
अच्छी तरह घोटकर लगाने से इन्द्रिय की शिथिलता दूर
होकर वह कठोर और दृढ़ हो जाती हैं।
*अश्वगंधा, दालचीनी और कडुवा कूठ बराबर मात्रा में
कूटकर छान लें और गाय के मक्खन में मिलाकर 5-10 ग्राम
की मात्रा में सुबह-शाम सुपारी छोड़करक शेष लिंग पर मलें,
इसको मलने के पूर्व और बाद में लिंग को गर्म पानी से
धो लें।"

12 कमजोरी :-*असगंध एक वर्ष तक यथाविधि सेवन करने
से शरीर रोग रहित हो जाता है। केवल सर्दीयों में ही इसके
सेवन से दुर्बल व्यक्ति भी बलवान होता है। वृद्धावस्था दूर
होकर नवयौवन प्राप्त होता है।
*असंगध चूर्ण, तिल व घी 10-10 ग्राम लेकर और तीन
ग्राम शहद मिलाकर नित्य सर्दी में सेवन करने से कमजोर
शरीर वाला बालक मोटा हो जाता है।
*अश्वगंधा का चूर्ण 6 ग्राम, इसमें बराबर की मिश्री और
बराबर शहद मिलाकर इसमें 10 ग्राम गाय का घी मिलायें, इस
मिश्रण को सुबह शाम शीतकाल में चार महीने तक सेवन करने
से बूढ़ा व्यक्ति भी युवक की तरह प्रसन्न रहता है।
*अश्वगंधा चूर्ण 20 ग्राम, तिल इससे दुगने, और उड़द आठ
गुने अर्थात 140 ग्राम, इन तीनों को महीन पीसकर इसके बड़े
बनाकर ताजे-ताजे एक ग्राम तक खायें।
*अश्वगंधा चूर्ण और चिरायता बराबर-बराबर लेकर खरल
(कूटकर) कर रखें। इस चूर्ण को 10-10 ग्राम की मात्रा में
सुबह ग्राम शाम दूध के साथ खायें।
*एक ग्राम अश्वगंधा चूर्ण में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग
मिश्री डालकर उबालें हुए दूध के साथ सेवन करने से वीर्य
पुष्ट होता है, बल बढ़ता है।

13 खून की खराबी : -4 ग्राम चोपचीनी और
अश्वगंधा का बारीक पिसा चूर्ण बराबर मात्रा में लें। इसे शहद
के साथ नियमित सुबह-शाम चाटने से रक्तविकार मिट
जाता है।

14 ज्वर : -इसका चूर्ण पांच ग्राम, गिलोय की छाल
का चूर्ण चार ग्राम, दोनों को मिलाकर प्रतिदिन शाम
को गर्म पानी से खाने से जीर्णवात ज्वर दूर हो जाता है।.

15 सभी प्रकार के रोगों में : -लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग
गिलोय का चूर्ण को 5 ग्राम अश्वगंधा के चूर्ण के साथ
मिलाकर शहद के साथ चाटने से सभी प्रकार के रोग दूर
हो जाते हैं।

16 बांझपन दूर करना : -*असगंध, नागकेसर और गोरोचन इन
तीनों को बराबर मात्रा में लेकर पीस-छान लेते हैं। इसे शीतल
जल के साथ सेवन करें तो गर्भ ठहर जाता है।
*असगंध तथा नागौरी को 50 ग्राम की मात्रा में लेकर
कूटकर कपड़छन कर लेते हैं। जब मासिक-धर्म के बाद
स्त्री स्नान करके शुद्ध हो जाए तो 10 ग्राम की मात्रा में
इसका सेवन करें। उसके बाद पुरुष के साथ रमण (मैथुन) करें
तो इससे बांझपन दूर होकर महिला गर्भवती हो जाएगी। "

17 गर्भधारण :-*असगंध के काढे़ में दूध और घी मिलाकर 7
दिनों तक पिलाने से स्त्री को निश्चित रूप से गर्भधारण
होता है।
*असगंध का चूर्ण 3 से 6 ग्राम की मात्रा में मासिक-धर्म
के शुरू होने के लगभग 4 दिन पहले से सेवन करना चाहिए।
इससे गर्भ ठहरता है।
*असगंध 100 ग्राम दरदरा कूटकर इसकी 20 ग्राम
मात्रा को 200 मिलीलीटर पानी में रात को भिगोकर रख देते
हैं। सुबह इसे उबालते हैं। एक चौथाई रह जाने पर इसे छानकर
200 मिलीलीटर गुनगुने मीठे दूध में एक चम्मच घी मिलाकर
माहवारी के पहले दिन से 5 दिनों तक लगातार प्रयोग
करना चाहिए।"

18 दस्त :-असगंध, दालचीनी, नागरमोथा, बाराही फल, धाय
के फूल और कुड़ा (कोरैया) की छाल को निकालकर
काढ़ा बनाकर रख लें, फिर इसी बने काढ़े को 20 से 40
मिलीलीटर की मात्रा में पीने से बुखार के दौरान आने वाले
दस्त बंद हो जाते हैं और आराम मिलता है।

19 मासिक-धर्म सम्बंधी विकार :-असगंध 35 ग्राम
की मात्रा में कूटकर छान लेते हैं। इसमें 35 ग्राम
की मात्रा में चीनी मिला देते हैं। इसकी 10 ग्राम
मात्रा को पानी से खाली पेट मासिक-धर्म शुरू होने से लगभग
एक सप्ताह पहले सेवन करना चाहिए। जब मासिक-धर्म शुरू
हो जाए तो इसका सेवन बंद कर देना चाहिए। इससे मासिक
धर्म के सभी विकार नष्ट हो जाते हैं।

20 प्रदर :-*असगंध और शतावर का बराबर मात्रा का चूर्ण
3 ग्राम ताजे पानी के साथ सेवन करने से प्रदर में लाभ
होता है।
*असगंध का चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ कुछ दिनों तक
सेवन करने से श्वेत प्रदर मिट जाता है। 25-25 ग्राम
की मात्रा में असगंध, बिधारा, लोध्र पठानी, को कूट-पीस
छानकर 5-5 ग्राम कच्चे दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने
से प्रदर में आराम मिलता है।
*5-10 ग्राम असगंध, नागौरी चूर्ण सुबह-शाम घी के साथ
सेवन करने से प्रदर में आराम मिलता है।"

21 अल्सर :-4 ग्राम असगंध को गौमूत्र (गाय के पेशाब) में
पीसकर सेवन करना चाहिए।

22 हड्डी कमजोर होना : -असगंध नागौरी का चूर्ण 1 से 3
ग्राम शहद एवं मिश्री मिले दूध के साथ सुबह-शाम खाने से
हड्डी की विकृति आदि दूर होकर शरीर पुष्ट और सबल
हो जाता है।

23 रक्तप्रदर :-अश्वगंधा को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसे
3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन
करने से रक्त प्रदर में आराम मिलता है।

24 स्तनों के आकार में वृद्धि : -*असगंध नागौरी और
शतावरी को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर
चूर्ण बनायें, फिर इसी चूर्ण को देशी घी में मिलाकर
मिट्टी के बर्तन में रखें, इसी चूर्ण को 10 ग्राम की मात्रा में
मिश्री मिले दूध के साथ सेवन करने से स्तनों के आकार में
बढ़ोत्तरी होती है।
*असंगध नागौरी, गजपीपल और बच आदि को बराबर लेकर
पीसकर चूर्ण बना लें, फिर मक्खन के साथ मिलाकर
स्तनों पर लगायें। इससे स्तनों का उभार होता है।"

25 मोटापे के रोग में :-असगंध 50 ग्राम, मूसली 50 ग्राम,
काली मूसली 50 की मात्रा में कूटकर छानकर रख लें, इसे
10 ग्राम की मात्रा में सुबह दूध के साथ लेने से मोटापा दूर
होता है।

26 स्तनों को आकर्षक होना :-असगंध और
शतावरी को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर लगभग 2-2 ग्राम
की मात्रा में शहद के खाकर ऊपर से दूध में
मिश्री को मिलाकर पीने से स्तन आकर्षक हो जाते हैं।

27 वात रोग : -*असगंध के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल,
पत्ती) को खाने से लाभ प्राप्त होता है।
*असगंध और विधारा 500-500 ग्राम कूट पीसकर रख लें।
10 ग्राम दवा सुबह गाय के दूध के साथ खाने से वात रोग
खत्म हो जाते हैं।
*असगंध और मेथी की 100-100 ग्राम मात्रा का बारीक
चूर्ण बनाकर, आपस में गुड़ में मिलाकर 10 ग्राम के लड्डू
बना लें। 1-1 लड्डू सुबह-शाम खाकर ऊपर से दूध पी लें। यह
प्रयोग वात रोगों में अच्छा आराम दिलाता है। जिन्हें
डायबिटीज हो, उन्हें गुड़ नहीं मिलाना चाहिए, उन्हें सिर्फ
अश्वगंध और मेथी का चूर्ण पानी के साथ लेना चाहिए।".

28 वीर्य रोग में : -*असगंध नागौरी, विधारा,
सतावरी 50-50 ग्राम कूट-पीसकर छान लें, फिर इसमें 150
ग्राम चीनी मिला दें। 10-10 ग्राम दूध से सुबह-शाम लें।
*नागौरी असगंध, गोखरू, शतावर तथा मिश्री मिलाकर खायें।
*असगंध, विधारा 25-25 ग्राम को मिलाकर बारीक पीस लें।
इसमें 50 ग्राम चीनी मिलाकर 10 ग्राम दवा सोते समय
हल्के गर्म दूध से लें। इससे बल वीर्य बढ़ता है।
*300 ग्राम असगंध को बारीक पीस लें। इसकी 20 ग्राम
मात्रा को 250 मिलीलीटर दूध में मिलाकर उबालें, जब यह
गाढ़ा हो जाये तो इसमें चीनी मिलाकर पीना चाहिए। "

29 अंगुलियों का कांपना :-3 से 6 ग्राम असगंध
नागौरी को गाय के घी और उसके चार गुना दूध में उबालकर
मिश्री मिलाकर प्रतिदिन पीने से अंगुलियों का कांपना दूर
हो जाता है। इससे रोगी को काफी लाभ मिलता है।

30 योनि रोग :-असगंध को दूध में अच्छी तरह पका लें, फिर
ऊपर से देशी घी को डालकर एक दिन सुबह और शाम
माहवारी के बाद स्नान हुई महिला को पिलाने से योनि के
विकार हो नष्ट जाते हैं और गर्भधारण के योग्य हो जाता है।

31 दिल की धड़कन : -असगंध और बहेड़ा दोनों को कूट-
पीसकर चूर्ण बना लें। फिर 3 ग्राम चूर्ण में थोड़ा-सा गुड़
मिलाकर हल्के गर्म पानी से सेवन करें। इससे दिल की तेज
धड़कन और निर्बलता नष्ट होती है।

32 गठिया रोग :-*असगंध, सुरंजन मीठी, असपन्द और
खुलंजन 30-30 ग्राम को कूट-छानकर चूर्ण बना लें। यह
चूर्ण 5-5 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम गर्म
पानी से लें। इससे गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
*50 ग्राम असगंध और 25 ग्राम सोंठ को कूट-छानकर इसमें
75 ग्राम चीनी को मिला लें। 4-4 ग्राम मिश्रण पानी से
सुबह-शाम लेने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
*3 ग्राम असगंध का चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में 3 ग्राम
घी मिलाकर रोजाना सुबह-शाम लेने से गठिया के रोग में
आराम मिलता है।"

33 हाई ब्लडप्रेशर :-अश्वगंधा चूर्ण 3 ग्राम,
सूरजमुखी बीज का चूर्ण 2 ग्राम, मिश्री 5 ग्राम और गिलोय
का बारीक चूर्ण (सत्व) 1 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी के
साथ दिन में 2-3 बार सेवन करने से उच्च रक्तचाप (हाई
ब्लड प्रेशर) में लाभ होता है।

34 हृदय की दुर्बलता :-असंगध 3-3 ग्राम सुबह-शाम गर्म
दूध से लें। इससे दिल दिमाग की कमजोरी ठीक हो जाती है।

35 हाथ-पैरों की ऐंठन :-सुरंजन मीठी, असगंध नागौरी 50-50
ग्राम, 25 ग्राम सोंठ और 120 ग्राम मिश्री को बारीक
पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 4 से 6 ग्राम प्रतिदिन सुबह-
शाम ताजे पानी के साथ लेने से पैरों के जोड़ व हाथ-
पैरों का दर्द खत्म हो जाता है।

36 क्रोध : -लगभग 3 से 6 ग्राम असगंध नागौरी के चूर्ण
को मिश्री और घी में मिलाकर हल्के गर्म दूध के साथ सुबह-
शाम को खाने से स्नायुतंत्र अपना कार्य ठीक तरह से
करता है, जिससे क्रोध नष्ट हो जाता है।

37 सदमा :-लगभग 3-6 ग्राम असगंध नागौरी के चूर्ण
को सुबह-शाम को रोजाना घी और चीनी मिले दूध के साथ
खाने से स्नायुविक ऊर्जा प्राप्त होने के कारण बार-बार
आने वाले सदमे खत्म हो जाते हैं।

38 खून का बहना :-अश्वगंधा के चूर्ण और चीनी को बराबर
मात्रा में मिलाकर खाने से खून निकलना बंद हो जाता है।

39 लिंग वृद्धि :-*लिंग को बढ़ाने के लिए लोध्र, केशर,
असगंधा, पीपल, शालपर्णी को तेल में पकाकर लिंग पर
मालिश करने से लिंग में वृद्धि हो जाती है।
*कूटकटेरी, असगंध, बच, शतावरी आदि को तिल में
अच्छी तरह से पकायें। सब औषधियों के जल जाने पर ही उसे
आग से उतारे और लिंग पर मालिश करें। इससे लिंग
का छोटापन दूर हो जाता है। "

40 थकावट होना :-*लगभग 3 से 6 ग्राम असगंध नागौरी के
चूर्ण को मिश्री और घी मिले हुए दूध के साथ सुबह-शाम लेने
से शरीर में ताजगी और जोश आ जाता है।
*असगंध नागौरी और क्षीर विदारी की जड़ को बराबर भाग में
लेकर, हल्के गर्म दूध में 3 से 6 ग्राम मिश्री और
घी मिलाकर एक साथ सुबह और शाम को लेने से शरीर
की मानसिक और शारीरिक थकावट दूर हो जाती है।"

41 शरीर को शक्तिशाली बनाना :-*असगंध के चूर्ण को दूध
में मिलाकर पीने से शरीर शक्तिशाली होता है और वीर्य में
वृद्धि होती है।
*बराबर मात्रा में असगंध और विधारा को पीसकर
इसका चूर्ण बना लें। इसके चूर्ण को एक शीशी में भरकर रख
लें। इस चूर्ण को सुबह और शाम को दूध के साथ लेने से
मनुष्य के शरीर की संभोग करने की क्षमता बढ़ती है।
*असगंध के चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद के
साथ चाटने से शरीर में ताकत बढ़ती है।
*लगभग 100-100 ग्राम की मात्रा में नागौरी असगंध, सफेद
मूसली और स्याह मूली को लेकर इसका चूर्ण बना लें।
रोजाना लगभग 10-10 ग्राम की मात्रा में इस चूर्ण को 500
मिलीलीटर दूध के साथ सुबह और शाम को खाने से मनुष्य के
शरीर में जबरदस्त शक्ति आ जाती है।
*बराबर मात्रा में असगंध या अश्वगंधा, सौंठ, मिश्री और
विधारा को लेकर बारीक चूर्ण बना लें। इसके बाद एक-एक
चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम को दूध के साथ इस
चूर्ण का सेवन करने से शरीर की कमजोरी दूर हो जाती है,
सर्दी कम लगती है और शरीर में वीर्य बल बढ़ता है।"

42 आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए : -अश्वगंधा का चूर्ण 2
ग्राम, धात्रि फल चूर्ण 2 ग्राम तथा 1 ग्राम
मुलेठी का चूर्ण मिलाकर 1 चम्मच सुबह और शाम पानी के
साथ सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

[[Ayurveda]]
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[[Yoga]]
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Benefits of Suryanamaskar

The Suryanmaskar has many benefits and if
done regularly can not only help you lose flab
but can also help you combat diseases.

*Here are a few benefits of this asana*

- Suryanamaskar, or Sun Salutations, ideally
done facing the early morning sun, helps our
body to soak in its benefits —
sun rays are a
rich source of vitamin D and helps to
strengthen our bones and also helps to clear
our vision.

- This asana, apart from improving one's
posture, also gives a proper workout to the
body and so helps in losing unwanted flab.

- Regular practice of this asana can also help
you loose the excess belly fat.

- The postures in Suryanamaskar stretches our
muscles and makes our body very flexible.

- The moves and postures of the asana help all
our internal organs function better — the
various poses regulates our blood flow,
benefits the digestive system and makes it
more efficient.

- It helps combat insomnia as it relaxes the
body and calms the mind.

- It helps regulate menstrual cycles and makes
childbirth easier.

- This asana is known to facilitate blood
circulation and thereby help hair growth and
prevent hair problems.

- It reduces anxiety and restlessness and
enhances our strength and vitality.

- Suryanamaskar benefits not just adults, but
kids as well.

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Photo: [[yoga]] surya  namaskar [[yoga]]


*Benefits of Suryanamaskar*

The Suryanmaskar has many benefits and if
done regularly can not only help you lose flab
but can also help you combat diseases. 

*Here are a few benefits of this asana*

- Suryanamaskar, or Sun Salutations, ideally
done facing the early morning sun, helps our
body to soak in its benefits — 
sun rays are a
rich source of vitamin D and helps to
strengthen our bones and also helps to clear
our vision.

- This asana, apart from improving one's
posture, also gives a proper workout to the
body and so helps in losing unwanted flab.

- Regular practice of this asana can also help
you loose the excess belly fat.

- The postures in Suryanamaskar stretches our
muscles and makes our body very flexible.

- The moves and postures of the asana help all
our internal organs function better — the
various poses regulates our blood flow,
benefits the digestive system and makes it
more efficient.

- It helps combat insomnia as it relaxes the
body and calms the mind.

- It helps regulate menstrual cycles and makes
childbirth easier.

- This asana is known to facilitate blood
circulation and thereby help hair growth and
prevent hair problems.

- It reduces anxiety and restlessness and
enhances our strength and vitality.

- Suryanamaskar benefits not just adults, but
kids as well.

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पायरिया

पायरिया दाँतों की एक गंभीर बीमारी होती है जो दाँतों के
आसपास की मांसपेशियों को संक्रमित करके उन्हें
हानि पहुँचाती है। यह बीमारी स्वास्थ्य से जुड़े अनेक
कारणों से होती है, और सिर्फ दांतों से जुड़ी समस्याओं तक
सीमित नहीं होतीं। यह बीमारी दाँतों और मसूड़ों पर निर्मित
हो रहे जीवाणुओं के कारणहोती है।

पायरिया के लक्षण और कारण:
नियमित आहार और दाँतों की रक्षा में रुक्षांस
की कमी या पूर्ण रूप से अभाव, दाँतों में खान पान के कण
अटकना और दाँतों का सड़ना, दाँतों पर अत्यधिक मैल
जमना, मुँह से दुर्गन्ध का निकलना और मुँह में अरुचिकर
स्वाद का निर्माण होना, जीवाणुओं का पसरण, मसूड़ों में
जलन का एहसास होना और छालों का निर्माण होना,
जरा सा छूने पर भी मसूड़ों से रक्तस्राव
होना इत्यादि पायरिया के लक्षण होते हैं।

पायरिया के आयुर्वेदिक उपचार:
1. नीम के पत्तों की राख में कोयले का चूरा और कपूर
मिलाकर रोज़ रात को लगाकर सोने से पायरिया में लाभ
होता है।
2. सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर दांतों पर लगाने से
दांतों से निकलती हुई दुर्गन्ध और रक्त बंद होकर दांत मज़बूत
होते हैं और पायरिया जड़मूल से निकल जाता है। साथ में
त्रिफला गुग्गल की 1 से 3 दिन में तीन बार लें और रात में
1 से 3 ग्राम त्रिफला का सेवन करें।
3. अपने दाँत नीम के दातुन से ब्रश करें।
4. कच्चे अमरुद पर थोडा सा नमक लगाकर खाने से
भी पायरिया के उपचार में सहायता मिलती है, क्योंकि यह
विटामिन सी का उम्दा स्रोत होता है जो दाँतों के लिए
लाभकारी सिद्ध होता है।
5. घी में कपूर मिलाकर दाँतों पर मलने से भी पायरिया मिटाने
में सहायता मिलती है।
6. काली मिर्च के चूरे में थोडा सा नमक मिलाकरदाँतों पर
मलने से भी पायरिया के रोग से छुटकारा पाने के लिए
काफी मदद मिलती है।
7. 200 मिलीलीटर अरंडी का तेल, 5 ग्राम कपूर, और 100
मिलीलीटर शहद को अच्छी तरह मिला दें, और इस मिश्रण
को एक कटोरी में रखकर उसमे नीम के दातुन को डुबोकर
दाँतों पर मलें और ऐसा कई दिनों तक करें। यह
भी पायरिया को दूर करने के लिए एक उत्तम उपचार
माना जाता है।

क्या करें क्या न करें:
1. कब्ज़ियत से बचें। गर्म पानी में एप्सम सॉल्ट मिलाकर
नहाने की भी सलाह दी जाती है।
2. दिन में दो बार दाँतों को सही और नियमित रूप से ब्रश
करना बहुत ज़रूरी होता है। शरीर में मौजूद विषैले तत्वों के
निष्काशनके लिए पानी का सेवन भरपूर मात्रा में करें।
विटामिन सी युक्त फल, जैसे कि आंवला, अमरुद, अनार,
और संतरे का भी सेवन भरपूर मात्रा में करें।
3. पायरिया के इलाज के दौरान रोगी को मसाले रहित
उबली सब्ज़ियों का ही सेवन करें।

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गुलाब

गुलाब के नाम पर न जाने कितनी कविताएं पढ़ी होंगी आपने।
गुलाब के रंग-बिरंगे फूल सिर्फ ड्रॉइंगरूम में फूलदान पर
ही अच्छे नहीं लगते, बल्कि इसकी पंखुड़ियां भी बड़े काम
की हैं। गुलाब जल का इस्तेमाल फेस मास्क में भी होता है
और यह खाने को भी लज्जतदार बनाता है। गुलाब विटामिन
ए, बी 3, सी, डी और ई से भरपूर है। इसके अलावा इसमें
कैल्शियम, जिंक और आयरन की भी मात्र काफी होती है।

* गुलाब को यों ही फूलों का फूल नहीं कहा जाता। दिखने में
यह फूल बेहद खूबसूरत है और इसकी हर पंखुड़ी में समाए हैं
अनगिनत गुण। त्वचा को सुंदर बनाने से लेकर शरीर
को चुस्त-दुरुस्त रखने में गुलाब कितने काम आता है ।

* सुबह-सबेरे अगर खाली पेट गुलाबी गुलाब
की दो कच्ची पंखुड़ियां खा ली जाएं, तो दिन भर
ताजगी बनी रहती है। वह इसलिए क्योंकि गुलाब बेहद
अच्छा ब्लड प्यूरिफायर है।

* अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर, ब्रोंकाइटिस, डायरिया, कफ,
फीवर, हाजमे की गड़बड़ी में गुलाब का सेवन बेहद
उपयोगी होता है।

* गुलाब की पंखुड़ियों का इस्तेमाल चाय बनाने में भी होता है।
इससे शरीर में जमा अतिरिक्त टॉक्सिन निकल जाता है।
पंखुड़ियों को उबाल कर इसका पानी ठंडा कर पीने पर तनाव
से राहत मिलती है और मांसपेशियों की अकड़न दूर होती है।

* एक शीशी में ग्लिसरीन, नीबू का रस और गुलाब जल
को बराबर मात्रा में मिलाकर घोल बना लें। दो बूंद चेहरे पर
मलें। त्वचा में नमी और चमक बनी रहेगी और
त्वचा मखमली-मुलायम बन जाएगी।


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सच्चे रिश्तों का सम्मान

 सफल गृहस्थ जिंदगी जी रही प्रिया की जिंदगी में पति आकाश के अलावा करण क्या आया, उसकी पूरी जिंदगी में तूफान आ गया। इसकी कीमत प्रिया ने क्या खो...