बेटियां बोझ नहीं होती daughters are not a burden



एक औरत गर्भ से थी
पति को जब पता लगा 
की कोख में बेटी हैं तो 

वो उसका गर्भपात
करवाना चाहते हैं 
दुःखी होकर पत्नी अपने
पति से क्या कहती हैं :-

सुनो, 
ना मारो इस नन्ही कलि को,
वो खूब सारा प्यार हम पर 
लुटायेगी,
जितने भी टूटे हैं सपने, 
फिर से वो सब सजाएगी..

सुनो, 
ना मारो इस नन्ही कलि को,
जब जब घर आओगे 
तुम्हे खूब हंसाएगी,
तुम प्यार ना करना 
बेशक उसको,
वो अपना प्यार लुटाएगी..

सुनो
ना मारो इस नन्ही कलि को,
हर काम की चिंता 
एक पल में भगाएगी,
किस्मत को दोष ना दो,
वो अपना घर
आंगन महकाएगी..

😑ये सब सुन पति 
अपनी पत्नी को कहता हैं :-

सुनो 
में भी नही चाहता मारना 
इसनन्ही कलि को,
तुम क्या जानो,
प्यार नहीं हैं
क्या मुझको अपनी परी से,
पर डरता हूँ 
समाज में हो रही रोज रोज
की दरिंदगी से..

क्या फिर खुद वो इन सबसे अपनी लाज बचा पाएगी,
क्यूँ ना मारू में इस कलि को, 
वो बहार नोची जाएगी..
में प्यार इसे खूब दूंगा, 
पर बहार किस किस से 
बचाऊंगा,

जब उठेगी हर तरफ से 
नजरें, तो रोक खुद को 
ना पाउँगा..
क्या तू अपनी नन्ही परी को,
इस दौर में लाना चाहोगी,

जब तड़फेगी वो नजरो के आगे, क्या वो सब सह पाओगी,
क्यों ना मारू में अपनी नन्ही परी को, क्या बीती होगी उनपे, 
जिन्हें मिला हैं ऐसा नजराना,
क्या तू भी अपनी परी को 
ऐसी मौत दिलाना चाहोगी..

ये सुनकर गर्भ से 
आवाज आती है.....ं
सुनो माँ पापा-
मैं आपकी बेटी हूँ
मेरी भी सुनो :-

पापा सुनो ना, 
साथ देना आप मेरा,
मजबूत बनाना मेरे हौसले को,
घर लक्ष्मी है आपकी बेटी,
वक्त पड़ने पर मैं काली भी बन जाऊँगी

पापा सुनो,
ना मारो अपनी नन्ही कलि को, तुम उड़ान देना मेरे हर वजूद को,
में भी कल्पना चावला की तरह, ऊँची उड़ान भर जाऊँगी..

पापा सुनो,
ना मारो अपनी नन्ही कलि को, आप बन जाना मेरी छत्र छाया,
में झाँसी की रानी की तरह खुद की गैरो से लाज बचाऊँगी...

😗पति (पिता) ये सुन कर 
मौन हो गया और उसने अपने फैसले पर शर्मिंदगी महसूस
करने लगा और कहता हैं
अपनी बेटी से :-

मैं अब कैसे तुझसे 
नजरे मिलाऊंगा,
चल पड़ा था तेरा गला दबाने,
अब कैसे खुद को तेरेे सामने लाऊंगा,
मुझे माफ़ करना 
ऐ मेरी बेटी, तुझे इस दुनियां में
सम्मान से लाऊंगा..

वहशी हैं ये दुनिया 
तो क्या हुआ, तुझे मैं दुनिया की सबसे बहादुर बिटिया
बनाऊंगा.

मेरी इस गलती की 
मुझे है शर्म,
घर घर जा के सबका 
भ्रम मिटाऊंगा
बेटियां बोझ नहीं होती..
अब सारे समाज में 
अलख जगाऊंगा!!! 
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छाछ (मठ्ठा ,तक्र ) Buttermilk - Maththa, Takra


दही को मथकर छाछ बनाया जाता है | छाछ अनेक शारीरिक दोषों को दूर करता है तथा आहार के रूप में महत्वपूर्ण है | छाछ या मठ्ठा शरीर के विजातीय तत्वों को बाहर निकालकर रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता की वृद्धि करता है | गाय के दूध से बानी छाछ सर्वोत्तम होती है | छाछ में घी नहीं होना चाहिए तथा यह खट्टी नहीं होनी चाहिए |
जिन्हे भूख न लगती हो या भोजन न पचता हो,खट्टी-खट्टी डकारें आती हों या पेट फूलता हो उनके लिए छाछ का सेवन अमृत के सामान लाभकारी होता है | छाछ गैस को दूर करती है,अतः मल विकारों और पेट की गैस में छाछ का सेवन लाभकारी होता है | यह पित्तनाशक होती है और रोगी को ठंडक और पोषण देती है |
विभिन्न रोगों में छाछ से उपचार-
१- छाछ में काला नमक और अजवायन मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है |
२- अपच में छाछ एक सर्वोत्तम औषधि है | गरिष्ठ वस्तुओं को पचाने में भी छाछ बहुत लाभकारी है | छाछ में सेंधानमक,भुना हुआ जीरा तथा काली मिर्च पीसकर , मिलाकर सेवन करने से अजीर्ण दूर हो जाता है |
३- छाछ में शक्कर और काली मिर्च मिलाकर पीने से पित्त के कारण होने वाला पेट दर्द ठीक हो जाता है |
४- छाछ में नमक डालकर पीने से लू लगने से बचा जा सकता है |
५- एक गिलास छाछ में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर प्रतिदिन पीने से पीलिया में लाभ होता है |
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मोटापा करे कम, घर के नुस्खों में है दम fat loose

भोजन में गेहूं के आटे की चपाती लेना बन्द करके जौ-चने के आटे की चपाती लेना शुरू कर दें। इसका अनुपात है 10 किलो चना व 2 किलो जौ। इन्हें मिलाकर पिसवा लें और इसी आटे की चपाती खाएं। इससे सिर्फ पेट और कमर ही नहीं सारे शरीर का मोटापा कम हो जाएगा।
प्रातः एक गिलास ठंडे पानी में 2 चम्मच शहद घोलकर पीने से भी कुछ दिनों में मोटापा कम होने लगता है। दुबले होने के लिए दूध और शुद्ध घी का सेवन करना बन्द न करें। वरना शरीर में कमजोरी, रूखापन, वातविकार, जोड़ों में दर्द, गैस ट्रबल आदि होने की शिकायतें पैदा होने लगेंगी। पेट व कमर का आकार कम करने के लिए सुबह उठने के बाद या रात को सोने से पहले नाभि के ऊपर के उदर भाग को 'बफारे की भाप' से सेंक करना चाहिए।
इस हेतु एक तपेली पानी में एक मुट्ठी अजवायन और एक चम्मच नमक डालकर उबलने रख दें। जब भाप उठने लगे, तब इस पर जाली या आटा छानने की छन्नी रख दें। दो छोटे नैपकिन या कपड़े ठण्डे पानी में गीले कर निचोड़ लें और तह करके एक-एक कर जाली पर रख गरम करें और पेट पर रखकर सेंकें। प्रतिदिन 10 मिनट सेंक करना पर्याप्त है। कुछ दिनो में पेट का आकार घटने लगेगा।
सुबह उठकर शौच से निवृत्त होने के बाद निम्नलिखित आसनों का अभ्यास करें या प्रातः 2-3 किलोमीटर तक घूमने के लिए जाया करें। दोनों में से जो उपाय करने की सुविधा हो सो करें।
भुजंगासन, शलभासन, उत्तानपादासन, सर्वागासऩ, हलासन, सूर्य नमस्कार। इनमें शुरू के पाँच आसनों में 2-2 मिनट और सूर्य नमस्कार पांच बार करें तो पांच मिनट यानी कुल 15 मिनट लगेंगे

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अमरूद है एक बेहतरीन औषधि Guava is an excellent medicine



अमरूद है एक बेहतरीन औषधि, इन रोगों में करता है दवा का काम
अमरूद एक बेहतरीन स्वादिष्ट फल है। अमरूद कई गुणों से भरपूर है। अमरूद में प्रोटीन 10.5 प्रतिशत, वसा 0. 2 कैल्शियम 1.01 प्रतिशत बी पाया जाता है। अमरूद का फलों में तीसरा स्थान है। पहले दो नम्बर पर आंवला और चेरी हैं। इन फलों का उपयोग ताजे फलों की तरह नहीं किया जाता, इसलिए अमरूद विटामिन सी पूर्ति के लिए सर्वोत्तम है।
विटामिन सी छिलके में और उसके ठीक नीचे होता है तथा भीतरी भाग में यह मात्रा घटती जाती है। फल के पकने के साथ-साथ यह मात्रा बढती जाती है। अमरूद में प्रमुख सिट्रिक अम्ल है 6 से 12 प्रतिशत भाग में बीज होते है। इसमें नारंगी, पीला सुगंधित तेल प्राप्त होता है। अमरूद स्वादिष्ट फल होने के साथ-साथ अनेक गुणों से भरा से होता है।
यदि कभी आपका गला ज्यादा ख़राब हो गया हो तो अमरुद के तीन -चार ताज़े पत्ते लें ,उन्हें साफ़ धो लें तथा उनके छोटे-छोटे टुकड़े तोड़ लें | एक गिलास पानी लेकर उसमे इन पत्तों को डाल कर उबाल लें , थोड़ा पकाने के बाद आंच बंद कर दें | थोड़ी देर इस पानी को ठंडा होने दें ,जब गरारे करने लायक ठंडा हो जाये तो इसे छानकर ,इसमें नमक मिलाकर गरारे करें , याद रखें कि इसमें ठंडा पानी नहीं मिलना है |
अमरूद के ताजे पत्तों का रस 10 ग्राम तथा पिसी मिश्री 10 ग्राम मिलाकर 21 दिन प्रात: खाली पेट सेवन करने से भूख खुलकर लगती है और शरीर सौंदर्य में भी वृद्धि होती है।
अमरूद खाने या अमरूद के पत्तों का रस पिलाने से शराब का नशा कम हो जाता है। कच्चे अमरूद को पत्थर पर घिसकर उसका एक सप्ताह तक लेप करने से आधा सिर दर्द समाप्त हो जाता है। यह प्रयोग प्रात:काल करना चाहिए। गठिया के दर्द को सही करने के लिए अमरूद की 4-5 नई कोमल पत्तियों को पीसकर उसमें थोड़ा सा काला नमक मिलाकर रोजाना खाने से से जोड़ो के दर्द में काफी राहत मिलती है।
डायबिटीज के रोगी के लिए एक पके हुये अमरूद को आग में डालकर उसे भूनकर निकाल लें और भुने हुई अमरुद को छीलकर साफ़ करके उसे अच्छे से मैश करके उसका भरता बना लें, उसमें स्वादानुसार नमक, कालीमिर्च, जीरा मिलाकर खाएं, इससे डायबिटीज में काफी लाभ होता है। ताजे अमरूद के 100 ग्राम बीजरहित टुकड़े लेकर उसे ठंडे पानी में 4 घंटे भीगने दीजिए। इसके बाद अमरूद के टुकड़े निकालकर फेंक दें। इस पानी को मधुमेह के रोगी को पिलाने से लाभ होता है।
जब भी आप फोड़े और फुंसियों से परेशान हो तो अमरूद की 7-8 पत्तियों को लेकर थोड़े से पानी में उबालकर पीसकर पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को फोड़े-फुंसियों पर लगाने से आराम मिल जाएगा। चार हफ्तों तक नियमित रूप से अमरूद खाने से भी पेट साफ रहता है व फुंसियों की समस्या से राहत मिलती है।
अमरूद है एक बेहतरीन औषधि, इन रोगों में करता है दवा का काम

अमरूद एक बेहतरीन स्वादिष्ट फल है। अमरूद कई गुणों से भरपूर है। अमरूद में प्रोटीन 10.5 प्रतिशत, वसा 0. 2 कैल्शियम 1.01 प्रतिशत बी पाया जाता है। अमरूद का फलों में तीसरा स्थान है। पहले दो नम्बर पर आंवला और चेरी हैं। इन फलों का उपयोग ताजे  फलों की तरह नहीं किया जाता, इसलिए अमरूद विटामिन सी पूर्ति के लिए सर्वोत्तम है।

विटामिन सी छिलके में और उसके ठीक नीचे होता है तथा भीतरी भाग में यह मात्रा घटती जाती है। फल के पकने के साथ-साथ यह मात्रा बढती जाती है। अमरूद में प्रमुख सिट्रिक अम्ल है 6 से 12 प्रतिशत भाग में बीज होते है। इसमें नारंगी, पीला सुगंधित तेल प्राप्त होता है। अमरूद स्वादिष्ट फल होने के साथ-साथ अनेक गुणों से भरा से होता है।

यदि कभी आपका गला ज्यादा ख़राब हो गया हो तो अमरुद के तीन -चार ताज़े पत्ते लें ,उन्हें साफ़ धो लें तथा उनके छोटे-छोटे टुकड़े  तोड़ लें  | एक गिलास पानी लेकर उसमे इन पत्तों को डाल कर उबाल लें , थोड़ा पकाने के बाद आंच बंद कर दें | थोड़ी देर इस पानी को ठंडा होने दें ,जब गरारे करने लायक ठंडा हो जाये तो इसे छानकर ,इसमें नमक मिलाकर गरारे करें , याद रखें कि इसमें ठंडा पानी नहीं मिलना है |  

अमरूद के ताजे पत्तों का रस 10 ग्राम तथा पिसी मिश्री 10 ग्राम मिलाकर 21 दिन प्रात: खाली पेट सेवन करने से भूख खुलकर लगती है और शरीर सौंदर्य में भी वृद्धि होती है।

अमरूद खाने या अमरूद के पत्तों का रस पिलाने से शराब का नशा कम हो जाता है। कच्चे अमरूद को पत्थर पर घिसकर उसका एक सप्ताह तक लेप करने से आधा सिर दर्द समाप्त हो जाता है। यह प्रयोग प्रात:काल करना चाहिए। गठिया के दर्द को सही करने के लिए अमरूद की 4-5 नई कोमल पत्तियों को पीसकर उसमें थोड़ा सा काला नमक मिलाकर रोजाना खाने से से जोड़ो के दर्द में काफी राहत मिलती है।

डायबिटीज के रोगी के लिए एक पके हुये अमरूद को आग में डालकर उसे भूनकर निकाल लें और भुने हुई अमरुद को छीलकर साफ़ करके उसे अच्छे से मैश करके उसका भरता बना लें, उसमें स्वादानुसार नमक, कालीमिर्च, जीरा मिलाकर खाएं, इससे डायबिटीज में काफी लाभ होता है। ताजे अमरूद के 100 ग्राम बीजरहित टुकड़े लेकर उसे ठंडे पानी में 4 घंटे भीगने दीजिए। इसके बाद अमरूद के टुकड़े निकालकर फेंक दें। इस पानी को मधुमेह के रोगी को पिलाने से लाभ होता है।

जब भी आप फोड़े और फुंसियों से परेशान हो तो अमरूद की 7-8 पत्तियों को लेकर थोड़े से पानी में उबालकर पीसकर पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को फोड़े-फुंसियों पर लगाने से आराम मिल जाएगा। चार हफ्तों तक नियमित रूप से अमरूद खाने से भी पेट साफ रहता है व फुंसियों की समस्या से राहत मिलती है।
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अमरूद है एक बेहतरीन औषधि, इन रोगों में करता है दवा का काम Guava is an excellent medicine, it works as a medicine for these diseases


अमरूद है एक बेहतरीन औषधि, इन रोगों में करता है दवा का काम
अमरूद एक बेहतरीन स्वादिष्ट फल है। अमरूद कई गुणों से भरपूर है। अमरूद में प्रोटीन 10.5 प्रतिशत, वसा 0. 2 कैल्शियम 1.01 प्रतिशत बी पाया जाता है। अमरूद का फलों में तीसरा स्थान है। पहले दो नम्बर पर आंवला और चेरी हैं। इन फलों का उपयोग ताजे फलों की तरह नहीं किया जाता, इसलिए अमरूद विटामिन सी पूर्ति के लिए सर्वोत्तम है।
विटामिन सी छिलके में और उसके ठीक नीचे होता है तथा भीतरी भाग में यह मात्रा घटती जाती है। फल के पकने के साथ-साथ यह मात्रा बढती जाती है। अमरूद में प्रमुख सिट्रिक अम्ल है 6 से 12 प्रतिशत भाग में बीज होते है। इसमें नारंगी, पीला सुगंधित तेल प्राप्त होता है। अमरूद स्वादिष्ट फल होने के साथ-साथ अनेक गुणों से भरा से होता है।
यदि कभी आपका गला ज्यादा ख़राब हो गया हो तो अमरुद के तीन -चार ताज़े पत्ते लें ,उन्हें साफ़ धो लें तथा उनके छोटे-छोटे टुकड़े तोड़ लें | एक गिलास पानी लेकर उसमे इन पत्तों को डाल कर उबाल लें , थोड़ा पकाने के बाद आंच बंद कर दें | थोड़ी देर इस पानी को ठंडा होने दें ,जब गरारे करने लायक ठंडा हो जाये तो इसे छानकर ,इसमें नमक मिलाकर गरारे करें , याद रखें कि इसमें ठंडा पानी नहीं मिलना है |
अमरूद के ताजे पत्तों का रस 10 ग्राम तथा पिसी मिश्री 10 ग्राम मिलाकर 21 दिन प्रात: खाली पेट सेवन करने से भूख खुलकर लगती है और शरीर सौंदर्य में भी वृद्धि होती है।
अमरूद खाने या अमरूद के पत्तों का रस पिलाने से शराब का नशा कम हो जाता है। कच्चे अमरूद को पत्थर पर घिसकर उसका एक सप्ताह तक लेप करने से आधा सिर दर्द समाप्त हो जाता है। यह प्रयोग प्रात:काल करना चाहिए। गठिया के दर्द को सही करने के लिए अमरूद की 4-5 नई कोमल पत्तियों को पीसकर उसमें थोड़ा सा काला नमक मिलाकर रोजाना खाने से से जोड़ो के दर्द में काफी राहत मिलती है।
डायबिटीज के रोगी के लिए एक पके हुये अमरूद को आग में डालकर उसे भूनकर निकाल लें और भुने हुई अमरुद को छीलकर साफ़ करके उसे अच्छे से मैश करके उसका भरता बना लें, उसमें स्वादानुसार नमक, कालीमिर्च, जीरा मिलाकर खाएं, इससे डायबिटीज में काफी लाभ होता है। ताजे अमरूद के 100 ग्राम बीजरहित टुकड़े लेकर उसे ठंडे पानी में 4 घंटे भीगने दीजिए। इसके बाद अमरूद के टुकड़े निकालकर फेंक दें। इस पानी को मधुमेह के रोगी को पिलाने से लाभ होता है।
जब भी आप फोड़े और फुंसियों से परेशान हो तो अमरूद की 7-8 पत्तियों को लेकर थोड़े से पानी में उबालकर पीसकर पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को फोड़े-फुंसियों पर लगाने से आराम मिल जाएगा। चार हफ्तों तक नियमित रूप से अमरूद खाने से भी पेट साफ रहता है व फुंसियों की समस्या से राहत मिलती है।
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सारे शरीर का मोटापा कम हो जाएगा Whole body fat will be reduced

भोजन में गेहूं के आटे की चपाती लेना बन्द करके जौ-चने के आटे की चपाती लेना शुरू कर दें। इसका अनुपात है 10 किलो चना व 2 किलो जौ। इन्हें मिलाकर पिसवा लें और इसी आटे की चपाती खाएं। इससे सिर्फ पेट और कमर ही नहीं सारे शरीर का मोटापा कम हो जाएगा।
प्रातः एक गिलास ठंडे पानी में 2 चम्मच शहद घोलकर पीने से भी कुछ दिनों में मोटापा कम होने लगता है। दुबले होने के लिए दूध और शुद्ध घी का सेवन करना बन्द न करें। वरना शरीर में कमजोरी, रूखापन, वातविकार, जोड़ों में दर्द, गैस ट्रबल आदि होने की शिकायतें पैदा होने लगेंगी। पेट व कमर का आकार कम करने के लिए सुबह उठने के बाद या रात को सोने से पहले नाभि के ऊपर के उदर भाग को 'बफारे की भाप' से सेंक करना चाहिए।
इस हेतु एक तपेली पानी में एक मुट्ठी अजवायन और एक चम्मच नमक डालकर उबलने रख दें। जब भाप उठने लगे, तब इस पर जाली या आटा छानने की छन्नी रख दें। दो छोटे नैपकिन या कपड़े ठण्डे पानी में गीले कर निचोड़ लें और तह करके एक-एक कर जाली पर रख गरम करें और पेट पर रखकर सेंकें। प्रतिदिन 10 मिनट सेंक करना पर्याप्त है। कुछ दिनो में पेट का आकार घटने लगेगा।
सुबह उठकर शौच से निवृत्त होने के बाद निम्नलिखित आसनों का अभ्यास करें या प्रातः 2-3 किलोमीटर तक घूमने के लिए जाया करें। दोनों में से जो उपाय करने की सुविधा हो सो करें।
भुजंगासन, शलभासन, उत्तानपादासन, सर्वागासऩ, हलासन, सूर्य नमस्कार। इनमें शुरू के पाँच आसनों में 2-2 मिनट और सूर्य नमस्कार पांच बार करें तो पांच मिनट यानी कुल 15 मिनट लगेंगेLike

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सहजन Drumstick


दक्षिण भारत में साल भर फली देने वाले पेड़ होते है. इसे सांबर में डाला जाता है . वहीँ उत्तर भारत में यह साल में एक बार ही फली देता है. सर्दियां जाने के बाद इसके फूलों की भी सब्जी बना कर खाई जाती है. फिर इसकी नर्म फलियों की सब्जी बनाई जाती है. इसके बाद इसके पेड़ों की छटाई कर दी जाती है.
- आयुर्वेद में ३०० रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है। इसकी फली, हरी पत्तियों व सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
- इसके फूल उदर रोगों व कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, शियाटिका,गठिया आदि में उपयोगी है|
- जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग शियाटिका ,गठिया, यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है|
- सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है|
- सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात, व कफ रोग शांत हो जाते है| इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया,शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है| शियाटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है,
- मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है |
- सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है|
- इसकी सब्जी खाने से पुराने गठिया , जोड़ों के दर्द, वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है.
- सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है.
- सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है.
- इसकी जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पिने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है.
- इसके पत्तों का रस बच्चों के पेट के किडें निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है.
- इसका रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है.
- इसकी पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है.
- इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है.
- इसके कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है.
- इसकी जड़ का काढे को सेंधा नमक और हिंग के साथ पिने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है.
- इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है.
- सर दर्द में इसके पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे.
- इसमें दूध की तुलना में ४ गुना कैलशियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है।
- सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लैरीफिकेशन एजेंट बन जाता है। यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है जिससे जीवविज्ञान के नजरिए से मानवीय उपभोग के लिए अधिक योग्य बन जाता है।
- कैन्सर व पेट आदि शरीर के आभ्यान्तर में उत्पन्न गांठ, फोड़ा आदि में सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है। यह भी पाया गया है कि यह काढ़ा साइटिका (पैरों में दर्द), जोड़ो में दर्द, लकवा, दमा, सूजन, पथरी आदि में लाभकारी है।
- सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
- आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से विषाणु जनित रोग चेचक के होने का खतरा टल जाता है।
- सहजन में हाई मात्रा में ओलिक एसिड होता है जो कि एक प्रकार का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिये अति आवश्यक है।
- सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शीर के कई रोगों से लड़ता है, खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तो, आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।
- इसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आइरन, मैग्नीशियम और सीलियम होता है।
- इसका जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।
- सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।
- आप सहजन को सूप के रूप में पी सकते हैं, इससे शरीर का रक्त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।


सहजन -
दक्षिण भारत में साल भर फली देने वाले पेड़ होते है. इसे सांबर में डाला जाता है . वहीँ उत्तर भारत में यह साल में एक बार ही फली देता है. सर्दियां जाने के बाद इसके फूलों की भी सब्जी बना कर खाई जाती है. फिर इसकी नर्म फलियों की सब्जी बनाई जाती है. इसके बाद इसके पेड़ों की छटाई कर दी जाती है. 
- आयुर्वेद में ३०० रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है। इसकी फली, हरी पत्तियों व सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। 
- इसके फूल उदर रोगों व कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, शियाटिका,गठिया आदि में उपयोगी है|
- जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग शियाटिका ,गठिया, यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है| 
- सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है| 
- सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात, व कफ रोग शांत हो जाते है| इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया,शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है| शियाटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है, 
- मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है | 
- सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है| 
- इसकी सब्जी खाने से पुराने गठिया , जोड़ों के दर्द, वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है.
- सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है.
- सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है.
- इसकी जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पिने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है. 
- इसके पत्तों का रस बच्चों के पेट के किडें निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है. 
- इसका रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है.
- इसकी पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है. 
- इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है. 
- इसके कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है.
- इसकी जड़ का काढे को सेंधा नमक और हिंग के साथ पिने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है. 
- इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है.
- सर दर्द में इसके पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे.
- इसमें दूध की तुलना में ४ गुना कैलशियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है।
- सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लैरीफिकेशन एजेंट बन जाता है। यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है जिससे जीवविज्ञान के नजरिए से मानवीय उपभोग के लिए अधिक योग्य बन जाता है।
- कैन्सर व पेट आदि शरीर के आभ्यान्तर में उत्पन्न गांठ, फोड़ा आदि में सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है। यह भी पाया गया है कि यह काढ़ा साइटिका (पैरों में दर्द), जोड़ो में दर्द, लकवा, दमा, सूजन, पथरी आदि में लाभकारी है। 
- सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है। 
- आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से विषाणु जनित रोग चेचक के होने का खतरा टल जाता है। 
- सहजन में हाई मात्रा में ओलिक एसिड होता है जो कि एक प्रकार का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिये अति आवश्यक है।
- सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शीर के कई रोगों से लड़ता है, खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तो, आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।
- इसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आइरन, मैग्नीशियम और सीलियम होता है।
- इसका जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।
- सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।
- आप सहजन को सूप के रूप में पी सकते हैं, इससे शरीर का रक्त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।
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उन्हें बस थोड़ा सा प्यार चाहिए all they need is a little love


कहने को तो वो समाज की रीढ़ हैं, हंसते-खेलते परिवार की नींव है, उनके कंधों पर आने वाली पीढ़ी को अच्छे संस्कार देने की जिम्मेदारी है लेकिन ना जाने यह कैसी विडंबना है कि जिस समाज को वो अपने आदर्शों, अपने तरीकों और अपनी उम्मीदों से सींचते हैं वहीं समाज एक समय बाद उनकी अवहेलना करने लगता है, उनपर हंसने लगता है, उन्हें महत्व देना भूल जाता है.

एक दौर था जब समाज अपने बुजुर्गों को सिर आंखों पर बैठा कर रखता था, परिवार के भीतर भी उन्हें हर वो आदर-सम्मान दिया जाता था जिसके वो हकदार होते थे, उन्हें सुना जाता था, उनकी बातों का मान रखा जाता था. लेकिन अफसोस पहले जैसी ये परिस्थितियां अब न्यूनतम स्तर पर ही दिखाई देती हैं, यह कहना भी गलत नहीं होगा अब परिवार में बुजुर्ग का सम्मान होते देखना कम से कम आज की युवा पीढ़ी को तो नसीब हो रहा. हर घर के यही हालात है जहां बच्चे अपने ही माता-पिता द्वारा उनके अभिभावकों का असम्मान होते देखते हैं, उनपर चिल्लाते देखते हैं, उन्हें दुत्कारते दिखते हैं.

युवाओं द्वारा बुजुर्गों का अपमान होते देखना आज कोई बड़ी बात नहीं रह गई है, गली-मोहल्लों और घर में भी पीठ-पीछे या उन्हीं के सामने उनका अपमान कर दिया जाता है जिन्होंने कभी हर दुख सहकर अपने परिवार को मुश्किलों से बचाने की कोशिश की थी. घर में अलग-थलग कर दिए गए बुजुर्गों और युवाओं के बीच एक और पीढ़ी मौजूद होती हैं वो हैं, जिसके कंधों पर पीढ़ी के इस अंतर को समाप्त कर परिवार में सामंजस्य बैठाने की जिम्मेदारी होती हैं लेकिन दुख की बात यह है कि जब अपने ही माता-पिता को लोग बोझ समझने लगते हैं तो सामंजस्य बैठाने की परेशानी भी कोई नहीं उठाना चाहता.

आज अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस के दिन हर ओर बुजुर्गों को सम्मान देने जैसी बातें, टी.वी और समाचार पत्रों में उन्हें समर्पित विज्ञापन दिखाई दे जाते हैं, अब जबकि सोशल मीडिया का चलन भी बहुत लोकप्रिय हो गया है तो वहां भी परिवार और आस पड़ोस के बुजुर्गों के प्रति आदरपूर्ण व्यवहार करने से जुड़े स्टेटस और पोस्ट किए जा रहे होंगे लेकिन कल हर कोई, सब कुछ भूलकर उसी पुराने ढर्रे पर चल पड़ेगा जिसपर अभी तक चला जाता रहा है.

नहीं जिनको है घुल जाने की चाह

ऐसा नहीं है कि हर परिवार और हर परिस्थितियों में गलती युवाओं या उन लोगों की होती हैं जो अपने वृद्ध हो चुके माता-पिता के साथ बात-बात पर उलझ जाते हैं. कई बार हालात परिवार के बुजुर्गों द्वारा भी बिगड़ जाते हैं लेकिन ऐसे हालातों में उनसे बहस करने की बजाय अगर उनकी कथनी को नजरअंदाज कर दिया जाए तो परिवार में खुशहाली का माहौल कायम रखा जा सकता है.



आप अपने बचपन को ही याद कीजिए, जब आप बीमार होते थे तो किस तरह रातभर आपकी मां आपके बिस्तर के पास ही बैठी रहती थी, आपकी परीक्षाओं के दिनों में वह अपना चैन भूल जाती थी. आपके पिता आपकी एक ख्वाहिश पूरी करने के लिए अपनी दवाइयां तक नहीं लाते थे. उन्होंने वो सब किया जो आपके लिए जरूरी था, किसी भी मुश्किल में आपको अकेला नहीं छोड़ा आपकी हर जरूरत में आपके साथ रहते थे, लेकिन आज जब उन्हें आपकी जरूरत हैं तो आप कैसे उन्हें जीवन के सबसे कठिन पड़ाव में अकेला छोड़ सकते हैं?
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आपकी पत्नी आपसे क्या चाहती है? What does your wife want from you?


पत्नी नई नवेली या बरसों बरस की साथी। अक्सर किसी पहेली से कम नहीं होती। समझ में नहीं आता उसे क्या अच्छा लगता है, कब अच्छा लगता है, कब बुरा लगता है और कब वह कुछ खास आपसे सुनना या पाना चाहती है। आइए जानते हैं इस प्रश्नावली के माध्यम से कि आखिर आप अपनी पत्नी को कितना जानते हैं? 

1-आपकी पत्नी आपसे क्या चाहती है?
क. ढेर सारे उपहार
ख. दांपत्य जीवन के प्रति प्रतिबद्धता
ग. आप उसे पहले नंबर की प्राथमिकता दें

2- आपकी पत्नी चाहती है कि आप-
क. उसके ड्यूटी आने से पहले घर के कामकाज शुरू कर दें
ख. उसका इंतजार करें
ग. यह उसकी ड्यूटी है यह मानें

3- आपकी पत्नी चाहती है कि-
क. आप उसके साथ भावुक क्षणों में हों
ख. आप उसे ऐसे क्षणों में अकेला छोड़ दें
ग. आप अपने में मस्त रहें

4- आपकी पत्नी चाहती है कि आप उसे-
क. उपहार में रसोई की चीजें दें
ख. कपड़े और गहने दें
ग. यादगार चीजें दें जिन पर औरतों की पारंपरिक छवि न जुड़ी हो

5- आपकी पत्नी चाहती है कि-
क. आप उसे जींस में मोटी न कहें
ख. आप उसे मनपसंद कपड़े पहनने दें
ग. आप अपने मन के कपड़े पहनाएं

6- आपकी पत्नी चाहती है कि-
क. आप उसे जानें
ख. बच्चों से ज्यादा उसका खयाल रखें
ग. आप उससे अंतरंग हों

7- आपकी पत्नी चाहती है कि-
क. आप बच्चों के प्रति जिम्मेदार बनें
ख. बच्चों से ज्यादा उसका खयाल रखें


ग. पूरे परिवार के लिए अपना खयाल रखें
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जीवन जीने की कला art of living life


मनुष्य  हमेशा अपने भविष्य के लिए चिंतित रहता है।  वह  अतीत की सोचता है, भविष्य की सोचता है, क्योंकि डरता है वर्तमान से , वर्तमान के क्षण में जीवन भी है और मृत्यु भी। वर्तमान में ही दोनों है एक साथ है क्योंकि वह वर्तमान में ही मरेगा  और वर्तमान में ही जियेगा । न तो कोई भविष्य में मर सकता है और न भविष्य में जी सकता है।
क्या तुम भविष्य में मर सकते हो?  जब मरोगे, तब अभी और यहीं, वर्तमान के क्षण में ही मरोगे। आज ही मरोगे। कल तो कोई भी नहीं मरता। कल मरोगे भी तो कैसे?  कल क्या आता है कभी?  कल तो आता ही नहीं है। जब मर नहीं सकते कल में तो जियोगे कैसे?  कल का कोई आगमन ही नहीं होता। कल तो है ही नहीं। जो है वह अभी है और यहाँ है हमारे वर्तमान में , फिर कल की बात ही क्यों ? लेकिन फिर भी वह भविष्य में ही जीना चाहता है, भविष्य के लिए ही चिंतित है ; जबकि सत्य यही है की वह वर्तमान में जी रहा है।
हमें अपने अतीत से  प्रेरणा लेनी चाहिए , भविष्य की योजनाएं बनाना चाहिए एवं वर्तमान का आनंद लेना चाहिए।  हम वर्तमान में जी रहे हैं इसलिए वर्तमान का आनंद लेना ही हमें जीवन जीने की कला सीखा सकता है।  अतीत की भटकन से दूर , भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है , उसके लिए जिज्ञासा न कर , वर्तमान को आनन्दमय बनाये।  यही है जीवन जीने की कला।

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Feetured Post

सनातन धर्म की शक्ति उसके व्यापक दृष्टिकोण

सनातन धर्म की शक्ति उसकी सहनशीलता , विविधता और समय के साथ सामंजस्य बिठाने की क्षमता में रही है। लेकिन समय के साथ कुछ च...