ऐसा क्या हुआ कि शादी के 3-4महीनों के बाद से ही वो अलग हैं?
विचारों के अनुरूप ही मनुष्य की स्थिति और गति होती है। श्रेष्ठ विचार सौभाग्य का द्वार हैं, जबकि निकृष्ट विचार दुर्भाग्य का,आपको इस ब्लॉग पर प्रेरक कहानी,वीडियो, गीत,संगीत,शॉर्ट्स, गाना, भजन, प्रवचन, घरेलू उपचार इत्यादि मिलेगा । The state and movement of man depends on his thoughts. Good thoughts are the door to good fortune, while bad thoughts are the door to misfortune, you will find moral story, videos, songs, music, shorts, songs, bhajans, sermons, home remedies etc. in this blog.
विवाह में गुणों का मिलान सच या मात्र एक ढकोसला" Matching of qualities in marriage is true or just a hoax?
ऐसा क्या हुआ कि शादी के 3-4महीनों के बाद से ही वो अलग हैं?
MDH Masala Owner Success Story
महाशिअन दी हात्ती लिमिटेड भारतीय मसालो और मिश्रण के उत्पादक, वितरक और निर्यातक है, जिनका ब्रांड नाम MDH है. खाने में उपर्युक्त बहोत से मसालो के निर्माण में इनका एकाधिकार है, जैसे MDH चना मसाला. कंपनी की स्थापना 1919 में महाशय चुनी लाल ने सियालकोट में एक छोटी दुकान खोलकर की. तभी से वह पुरे देश में बढ रहा है, और कई देशो में भी उनके मसालो का निर्यात किया जा रहा है. उनकी यह संस्था महाशय चुनी लाल चैरिटेबल ट्रस्ट से भी जुडी हुई है.
महाशय धरमपाल गुलाटी का इतिहास – MDH Masala Owner Mahashay Dharampal Gulati History In Hindi :
महाशय धरमपाल गुलाटी का जन्म 27 मार्च 1923 को सियालकोट (पाकिस्तान) में हुआ. उनके पिता महाशय चुन्नीलाल और माता माता चनन देवी लोकोपकारी और धार्मिक थे और साथ ही वे आर्य समाज के अनुयायी भी थे.
1933 में, 5 वि कक्षा की पढाई पुरी होने से पहले ही उन्होंने स्कूल छोड़ दी थी. 1937 में, अपने पिता की सहायता से उन्होंने छोटा व्यापार शुरू किया, बाद में कुछ समय बाद उन्होंने साबुन का व्यवसाय और बाद में उन्होंने कुछ समय तक जॉब किया, फिर कपड़ो के व्यापारी बने, फिर बाद में वे चावल के भी व्यापारी बने. लेकिन इनमे से किसी भी व्यापार में वे लंबे समय तक नही टिक सके. बाद में उन्होंने दोबारा अपने पैतृक व्यवसाय को ही करने की ठानी, जो की मसालो का व्यवसाय था, जिसे देग्गी मिर्च वाले के नाम से जाना जाता था और यह पुरे भारत में प्रचलित था.
देश के विभाजन के बाद, वे भारत वापिस आये और 27 सितम्बर 1947 को दिल्ली पहोचे. उस समय उनके पास केवल 1500 रुपये ही थे, जिनमे से 650 रुपये का उन्होंने टांगा ख़रीदा और न्यू दिल्ली स्टेशन से कुतब रोड और करोल बाग़ से बड़ा हिन्दू राव तक उसे चलाते थे. बाद में उन्होंने छोटे लकड़ी के खोके ख़रीदे जिसकी लंबाई-चौड़ाई लगभग 14 फ़ीट×9 फ़ीट थी और अपने पारिवारिक व्यवसाय को शुरू किया और पुनः महाशिअन दी हात्ती ऑफ़ सियालकोट “देग्गी मिर्च वाले” का नाम रोशन किया.
व्यवसाय में अटूट लगन, साफ़ दृष्टी और पूरी ईमानदारी की बदौलत महाशयजी का व्यवसाय ऊंचाइयों को छूने लगा था. जिसने दुसरो को भी प्रेरीत किया. बहोत कम लोग ही महाशयजी की सफलता के पीछे के कठिन परीश्रम को जानते है, उन्होंने अपने ब्रांड MDH का नाम रोशन करने के लिए काफी महेनत की.
महाशयजी के पास अपनी विशाल सफलता का कोई रहस्य नही है. उन्होंने तो बस व्यवसाय में बनाये गए नियमो और कानूनों का पालन किया और आगे बढ़ते गए, व्यवसाय को आगे बढाने के लिए उनके अनुसार ग्राहकों को अच्छी से अच्छी सेवा के साथ ही अच्छे से अच्छा उत्पाद मिलना भी जरुरी है. उन्होंने अपने जीवन में अपने व्यवसाय के साथ ही ग्राहकों का भी ध्यान रखा है. मानवता की सेवा करने से वे कतई नही चूकते, वे हमेशा धार्मिक कार्यो के लिये तैयार रहते है.
नवंबर 1975 में 10 पलंगों का एक छोटा सा अस्पताल आर्य समाज, सुभाष नगर, न्यू दिल्ली में शुरू करने के बाद, उन्होंने जनवरी 1984 में अपनी माता चनन देवी की याद में जनकपुरी, दिल्ली में 20 पलंगों का अस्पताल स्थापित किया, जो बाद में विकसित होकर 300 पलंगों का 5 एकर में फैला अस्पताल बना, इस अस्पताल में दुनिया के सारे नामचीन अस्पताल में उपलब्ध सुविधाये मुहैया कराइ जाती है, जैसे की एम्.आर.आई, सी.टी. आई.वि.एफ इत्यादि.
उस समय पश्चिमी दिल्ली में इस तरह की सुविधा से भरा कोई और अस्पताल ना होने की वजह से पश्चिमी दिल्ली के लोगो के लिये ये किसी वरदान से कम नही था. महाशयजी रोज़ अपने अस्पताल को देखने जाया करते थे और अस्पताल में हो रही गतिविधियों पर भी ध्यान रखते थे. उस समय की ही तरह आज भी उस अस्पताल में गरीबो का इलाज़ मुफ़्त में किया जाता है. उन्हें मुफ़्त दवाईया दी जाती है और वार्षिक रुपये भी दिए जाते है.
महाशय धरमपाल बच्चों की भी सहायता करने से नही चुके, कई स्कूलो को स्थापित कर के उन्होंने बच्चों को मुफ़्त में शिक्षा दिलवाई. उनकी उनकी संस्था कई बहुउद्देशीय संस्थाओ से भी जुडी है, जिसमे मुख्य रूप से MDH इंटरनेशनल स्कूल, महाशय चुन्नीलाल सरस्वती शिशु मंदिर, माता लीला वती कन्या विद्यालय, महाशय धरमपाल विद्या मंदिर इत्यादि शामिल है.
उन्होंने अकेले ही 20 से ज्यादा स्कूलो को स्थापित किया, ताकि वे गरीब बच्चों और समाज की सहायता कर सके. रोज वे अपना कुछ समय उन गरीब बच्चों के साथ व्यतीत करते है और बच्चे भी उनसे काफी प्यार करते है. जो इंसान करोडो रुपयो का व्यवसाय करता हो उसे रोज़ उन गरीब बच्चों को समय देता देख निश्चित ही हमें आश्चर्य होंगा.
आज कोई यह सोच भी नही सकता की उनकी बदौलत कितने ही गरीब लड़कियो का विवाह हुआ है और आज वे सुखरूपि अपना जीवन जी रहे है. उनकी इस तरह की सहायता के लिये हमें उनका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहिये.
उन्होंने बहोत सी सामाजिक संस्थाओ से भी उनकी सहायता के लिये बात की है और बहोत सी गरीब लड़कियो का खर्चा उन्ही की संस्था उठाती है. आज अपनी संस्थाओ में पल रहे सभी गरीब बच्चों की जिम्मेदारी महाशय धरमपाल ने ली है, उनकी स्कूल फीस से लेकर किताबो तक और जरुरत की चीजो तक का खर्चा महाशयजी ही देते है, इस बात से उन्होंने कभी इंकार नही किया.
वे धर्मो में भेदभाव किये बिना सभी को समान धर्म की शिक्षा देते है और प्रेमभाव और भाईचारे से रहने की सलाह देते है. उनकी छात्र-छाया में सभी समुदाय के लोग रहते है, जिनमे हिन्दू, मुस्लिम और सिक्ख शामिल है. और सभी धर्मो के त्योहारो को भी मनाते है. वो कोई भी बात जो धर्मो का विभाजन करते है, उन बातो का वे विरोध करते है. शायद, उनकी महानता और उनके पीछे कोई आरोप ना होने का यही एक कारण होंगा.
महाशय धरमपाल का दर्शनशास्त्र यही कहता है की, “दुनिया को वह दे जो आपके पास सबसे बेहतरीन हो, और आपका दिया हुआ बेहतरीन अपने आप वापिस आ जायेगा.”
उनकी द्वारा कही गयी ये बात हमे सच साबित होती हुई दिखाई देती है. आज मसालो की दुनिया का MDH बादशाह कहलाता है. वे सिर्फ मसालो का ही नही बल्कि समाज में अच्छी बातो का भी उत्पादन करते है. उन्होंने कई अस्पतालों, स्कूलो और संस्थाओ की स्थापना अब तक की है. आज देश में बच्चा-बच्चा MDH के नाम से परीचित है.
हमें विश्वास है की महाशयजी का यह योगदान देश के और देश में पल रहे गरीबो के विकास में महत्वपूर्ण साबित होगा. निश्चित ही वे वर्तमान उद्योजको के प्रेरणास्त्रोत होंगे.
निश्चित ही महाशयजी इस सम्मान के काबिल है, उनके इस योगदान का हमे सम्मान करना चाहिये.
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नाभि पर तेल लगाकर सोने के हैं फ़ायदे अनेक There are many benefits of sleeping with oil on the navel.
घर में शंख रखने और बजाने के फायदे जानिए Know the benefits of keeping and blowing conch at home
तो चलिए जानते हे घर में शंख रखने और इसको बजाने के फायदे..
1. ऐसा कहा जाता हे की जिस घर में शंख पाया जाता है, वहां माँ लक्ष्मी विराजमान रहती है.
2. शंख को इसलिए भी सही माना गया है, क्योंकि लक्ष्मी माँ और विष्णु ईश्वर, अपने हाथों में इसे रखते हैं.
3. पूजा-पाठ में शंख बजाने से वातावरण सुध हो जाता है. जहां तक इसकी ध्वनि जाती है.
4. शंख के जल से शिव, लक्ष्मी आदि का अभिषेक करने से ईश्वर प्रसन्न होते हैं
5. ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि शंख में जल रखने और इसे छिड़कने से वातावरण शुद्ध होता है.
6. शंख की आवाज लोगों को पूजा-अर्चना के लिए प्रेरित करती है.
7. वैज्ञानिकों का मानना है कि शंख की आवाज से वातावरण में मौजूद कई तरह के जीवाणुओं-कीटाणुओं का नाश हो जाता है.
8. शंख बजाने से फेफड़े का व्यायाम होता है.
"दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई" आखिर क्यों बनाई भगवान् ने दुनिया? "Have you realized in your mind the creator of the world?" After all, why did God create the world?
इसलिए जरुरी हे सिर को ढकाना पूजा के समय जानिये क्यों ? That's why it is important to cover the head during worship, know why?
Benefits of Ginger powder
1. Improves Metabolism
Dry ginger powder contains thermogenic agents that are useful to burn fat. Regular consumption of ginger powder may actually help in boosting your metabolism and burning off the excess fat further helping you lose weight.
stomachDry ginger powder contains thermogenic agents that are useful to burn fat
2. Relieves Upset Stomach
An upset stomach can be annoying and painful at the same time. Ginger has anti-inflammatory properties that help the stomach to neutralize the digestive juices and further stimulates food digestion and absorption, eliminating the excess gas from intestinal tracts.
3. Perfect Aid for Common Cold
The anti-inflammatory gingerols and shaogals present in ginger root help relieve common cold. Consuming it with lukewarm water can have immediate effects on cold and flu. You can also mix ginger powder, clove powder and salt and consume it twice a day for relief.
coldThe anti-inflammatory gingerols and shaogals present in ginger root help relieve common cold
4. Cure for Motion Sickness or Morning Sickness
Ginger powder is an easy solution for motion sickness and morning sickness in pregnant women. Ginger powder mixed with water is highly effective in preventing nausea. It soothes the stomach and gives relief from inflammation.
5. Beauty Benefits of Ginger powder
Did you know ginger powder is used in various face packs to prevent acne and pimples? Its anti-inflammatory properties and anti-bacterial properties help to unclog pores and kill acne-causing bacteria. All you need to do is to mix milk and ginger powder and make a smooth paste. Apply it on your face and leave it for about 15-20 minutes. This mask will rejuvenate your skin leaving you with a fresh and youthful glow. You can also make a toner with ginger powder. Boil two teaspoons of ginger powder in four cups of water. Add a few drops of rosemary or lavender essential oil and mix it well. Store it in a glass bottle and refrigerate. It keeps your skin hydrated and reduces dryness.
6. Culinary Benefits of Ginger Powder
Dried ginger powder is commonly used in spices and masalas, curries and stews. Other than adding flavor, adding a pinch of this spice in rajma and chhole masala can help prevent excess gas in the stomach.
A cup of masala chai is great for common cold or a sore throat. Mix cinnamon, cardamom, cloves, fennel and ginger powder to make a hot cup of tea.
Dried ginger powder is used to add flavour to ginger candies that help in treating flatulence.
This humble kitchen ingredient has a lot to offer and so, you must make the most of it.
पराया घर strange house
शादी के तीसरे दिन ही बीएड का इम्तेहान देने जाना था उसे। रात भर ठीक से सो भी नहीं पायी थी। किताब के पन्नों को पलटते हुए कब भोर हुई पता भी नहीं चला। हल्का उजाला हुआ तो रितु जगाने के लिए आ गयी। बहुत मेहमान थे, तो सबके जागने से पहले ही दुल्हन नहा ले। नहीं तो फिर आंगन में भीड़ बढ़ जाएगी। सबके सामने सब गीले बाल, सिर पर पल्लू लिए बिना थोड़े निकलेगी। नहा कर रूम मे बैठ कर फिर किताब में खो गयी। मुँह-दिखाई के लिए दो-चार औरतें आयी थी। सब मुँह देख कर हाथों में मुड़े-तुड़े कुछ पचास के नोट और सिक्के दे कर बैठ गयी ओसारा पर।
घड़ी में देखा तो साढ़े आठ बज़ रहे थे। नौ बजे निकलना था। तैयार होने के लिए आईने के सामने साड़ी ले कर खड़ी हो गयी। चार-पाँच बार बांधने की कोशिश की मगर ऊपर-नीचे होते हुए वो बंध न पाया। साड़ी पकड़ कर रुआंसी सी हो कर बैठ गयी। "अम्मा को बोला था शादी नहीं करो मेरी अभी। इम्तेहान दे देने दो। मेरा साल बर्बाद हो जायेगा मगर मेरी एक न सुनी। नौकरी वाला दूल्हा मिला नहीं की बोझ समझ कर मुझे भेज दिया। " आंसू पोछतें हुए बुदबुदा रही थी।
"तैयार नहीं हुई। बाहर गाड़ी आ गयी है। जल्दी करो न।" दूल्हे मियां कमरे में आते हुए बोले। वो चुप-चाप बिना कुछ बोले साड़ी लपेटने लगी। इतने में पीछे से सासु माँ कमरे में कुछ लेने आयी। दुल्हिन को यूँ साड़ी लिए खड़ी देख कर माज़रा समझ में आ गया। वो कमरे से बाहर आ कर रितु को आवाज़ लगा कर कुछ लाने को बोली।
"दुल्हिन सुना ई पहिन कर जा परीछा देने। माथा पर ओढ़नी रख लिया। कुछो न होइ। आ जे लोग कुछो बोली त कल जब तू मास्टरनी बन जएबा त सब के मुँह अपने बंद हो जाई।" अपनी बेटी वाला सूट-सलवार पुतौह को देते हुए बोली। उसने भीगी नज़रों से सास को देखा।
सासु माँ सिर पर हाथ फेरते हुए कमरे से निकल गयी। पीछे से आईने में मुस्कुराते हुए दूल्हे मियाँ अपनी दुल्हन को देखने लगे....
पराया घर strange house
पराया घर
शादी के तीसरे दिन ही बीएड का इम्तेहान देने जाना था उसे। रात भर ठीक से सो भी नहीं पायी थी। किताब के पन्नों को पलटते हुए कब भोर हुई पता भी नहीं चला। हल्का उजाला हुआ तो रितु जगाने के लिए आ गयी। बहुत मेहमान थे, तो सबके जागने से पहले ही दुल्हन नहा ले। नहीं तो फिर आंगन में भीड़ बढ़ जाएगी। सबके सामने सब गीले बाल, सिर पर पल्लू लिए बिना थोड़े निकलेगी। नहा कर रूम मे बैठ कर फिर किताब में खो गयी। मुँह-दिखाई के लिए दो-चार औरतें आयी थी। सब मुँह देख कर हाथों में मुड़े-तुड़े कुछ पचास के नोट और सिक्के दे कर बैठ गयी ओसारा पर।
घड़ी में देखा तो साढ़े आठ बज़ रहे थे। नौ बजे निकलना था। तैयार होने के लिए आईने के सामने साड़ी ले कर खड़ी हो गयी। चार-पाँच बार बांधने की कोशिश की मगर ऊपर-नीचे होते हुए वो बंध न पाया। साड़ी पकड़ कर रुआंसी सी हो कर बैठ गयी। "अम्मा को बोला था शादी नहीं करो मेरी अभी। इम्तेहान दे देने दो। मेरा साल बर्बाद हो जायेगा मगर मेरी एक न सुनी। नौकरी वाला दूल्हा मिला नहीं की बोझ समझ कर मुझे भेज दिया। " आंसू पोछतें हुए बुदबुदा रही थी।
"तैयार नहीं हुई। बाहर गाड़ी आ गयी है। जल्दी करो न।" दूल्हे मियां कमरे में आते हुए बोले। वो चुप-चाप बिना कुछ बोले साड़ी लपेटने लगी। इतने में पीछे से सासु माँ कमरे में कुछ लेने आयी। दुल्हिन को यूँ साड़ी लिए खड़ी देख कर माज़रा समझ में आ गया। वो कमरे से बाहर आ कर रितु को आवाज़ लगा कर कुछ लाने को बोली।
"दुल्हिन सुना ई पहिन कर जा परीछा देने। माथा पर ओढ़नी रख लिया। कुछो न होइ। आ जे लोग कुछो बोली त कल जब तू मास्टरनी बन जएबा त सब के मुँह अपने बंद हो जाई।" अपनी बेटी वाला सूट-सलवार पुतौह को देते हुए बोली। उसने भीगी नज़रों से सास को देखा।
सासु माँ सिर पर हाथ फेरते हुए कमरे से निकल गयी। पीछे से आईने में मुस्कुराते हुए दूल्हे मियाँ अपनी दुल्हन को देखने लगे।
Feetured Post
रिश्तों की अहमियत
मैं घर की नई बहू थी और एक प्राइवेट बैंक में एक अच्छे ओहदे पर काम करती थी। मेरी सास को गुज़रे हुए एक साल हो चुका था। घर में मेरे ससुर और पति...