श्रावण कुमार के दादा धौम्य ऋषि थे व उसके माता-पिता रत्नावली व रत्नऋषि थे । रत्नऋषि नंदिग्रामके राजा अश्वपतिके राजपुरोहित थे । अश्वपति राजाकी कन्याका नाम कैकेयी था । रत्नऋषिने कैकेयीको सभी शास्त्र सिखाए और यह बताया कि यदि दशरथकी संतान हुई, तो वह संतान राजगद्दीपर नहीं बैठ पाएगी अथवा दशरथकी मृत्युके पश्चात् यदि चौदह वर्षके दौरान राजसिंहासनपर कोई संतान बैठ भी गई, तो रघुवंश नष्ट हो जाएगा । ऐसी होनीको टालने हेतु, आगे चलकर वसिष्ठ ऋषिने कैकेयीको दशरथसे दो वर मांगनेके लिए कहा । उनमेंसे एक वरसे उन्होंने रामको चौदह वर्षतक ही वनवास भेजा व दूसरे वरसे भरतको राज्य देनेके लिए कहा । उन्हें ज्ञात था कि रामके रहते भरत राजा बनना स्वीकार नहीं करेंगे यानी राजसिंहासनपर नहीं बैठेंगे । वसिष्ठ ऋषिके कहनेपर ही भरतने सिंहासनपर रामकी प्रतिमाकी अपेक्षा उनकी चरणपादुका स्थापित की । यदि प्रतिमा स्थापित की होती, तो शब्द, स्पर्श, रूप, रस व गंध एकत्रित होनेके नियमसे जो परिणाम रामके सिंहासनपर बैठनेसे होता, वही उनकी प्रतिमा स्थापित करनेसे भी होता ।
विचारों के अनुरूप ही मनुष्य की स्थिति और गति होती है। श्रेष्ठ विचार सौभाग्य का द्वार हैं, जबकि निकृष्ट विचार दुर्भाग्य का,आपको इस ब्लॉग पर प्रेरक कहानी,वीडियो, गीत,संगीत,शॉर्ट्स, गाना, भजन, प्रवचन, घरेलू उपचार इत्यादि मिलेगा । The state and movement of man depends on his thoughts. Good thoughts are the door to good fortune, while bad thoughts are the door to misfortune, you will find moral story, videos, songs, music, shorts, songs, bhajans, sermons, home remedies etc. in this blog.
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