विचारों के अनुरूप ही मनुष्य की स्थिति और गति होती है। श्रेष्ठ विचार सौभाग्य का द्वार हैं, जबकि निकृष्ट विचार दुर्भाग्य का,आपको इस ब्लॉग पर प्रेरक कहानी,वीडियो, गीत,संगीत,शॉर्ट्स, गाना, भजन, प्रवचन, घरेलू उपचार इत्यादि मिलेगा । The state and movement of man depends on his thoughts. Good thoughts are the door to good fortune, while bad thoughts are the door to misfortune, you will find moral story, videos, songs, music, shorts, songs, bhajans, sermons, home remedies etc. in this blog.
जूते-चप्पल काफी कम समय में ही टूट जाते हैं।
क्या आपके साथ यह समस्या होती है कि जूते-चप्पल काफी कम समय में ही टूट जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार बार-बार जूते-चप्पल चोरी होना या खो जाना भी कुछ इशारा करता है। इनके खोने पर आर्थिक हानि तो होती है साथ ही यह शनि दोष की संभावना को भी व्यक्त करता है।
क्या आप जानते हैं कि हमारे शरीर में शनि का वास पैरों में होता है। शनि ग्रह को क्रूर ग्रह माना गया है, इन्हें देवताओं में न्यायाधिश का पद प्राप्त है। सभी के अच्छे-बुरे कर्मों का फल शनिदेव ही देते हैं। ज्योतिष के अनुसार हमारे शरीर में भी सभी ग्रहों के अलग-अलग विशेष स्थान बताए गए हैं। जैसे शनि ग्रह हमारे पैरों का प्रतिनिधित्व करता है।
यदि व्यक्ति के जूते-चप्पल का बार-बार टूट जाते हैं या गुम हो जाते हैं तो समझना चाहिए कि शनि उसके विपक्ष में है। कुंडली में जब शनि अशुभ स्थिति में होता है तो इस प्रकार जूते-चप्पल टूट जाते हैं। पैरों का प्रतिनिधित्व करने वाला शनि अपना अशुभ प्रभाव दिखाने के लिए ऐसा करवाता है। जब ज्यादातर ऐसा होने लगे तो समझ जाना चाहिए शनि देव आपकी बदकिस्मती की ओर इशारा कर रहे हैं। यानी समझें आपके परेशानियों भरे दिन आने वाले हैं।
जब ऐसा बार-बार होने लगे तो शनि संबंधी दोषों को दूर करने के लिए विशेष उपाय करने चाहिए। साथ ही किसी ज्योतिष विशेषज्ञ को कुंडली दिखाकर आवश्यक पूजन आदि करने चाहिए। शनि से बचने के लिए सबसे सरल उपाय है कि प्रति शनिवार शनिदेव को तेल चढ़ाएं। एक कटोरी में तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें और इस तेल को किसी गरीब व्यक्ति को दान करें।
मानवता और राष्ट्रीयता के अनुकूल व्यवहार ही इंसान का प्रमुख धर्म है।
जय श्री राम
सज्जन या अच्छे लोग gentlemen or good people
हमारे आसपास दो प्रकार के लोग होते हैं एक तो सज्जन या अच्छे लोग और दूसरे हैं दुर्जन या बुरे लोग। सज्जन लोगों के साथ किसी को कोई परेशानी नहीं रहती है। जबकि दुर्जनों लोगों का साथ हमेशा ही दुख और परेशानियां देने वाला होता है। दुर्जन लोगों के लिए आचार्य चाणक्य ने कहा है कि-
दुर्जनस्य च सर्पस्य वरं सर्पो न दुर्जन:।
सर्पो दंशति काले तु दुर्जनस्तु पदे पदे।।
अर्थात् दुर्जन और सांप दोनों ही जहरीले होते हैं फिर भी दुर्जनों की तुलना में सांप ज्यादा अच्छे होते हैं। क्योंकि सांप मौका मिलते ही केवल एक ही बार डंसता है जबकि दुर्जन लोग हर पल काटते हैं।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हमारे आसपास जो दुर्जन लोग हैं वे सांपों से अधिक जहरीले होते हैं और हानिकारक रहते हैं। जो लोग कपटी और नीच होते हैं उनसे दूर ही रहना चाहिए। सांप केवल तभी हमला करता है जब उसे स्वयं के प्राणों का संकट दिखाई देता है। सांप केवल एक ही बार डंसता है। इसके विपरित जो भी लोग कपटी, नीच और दुराचारी होते हैं वे सदैव दूसरों को कष्ट पहुंचाते रहते हैं। इन लोगों की वजह से कई बार निर्दोष व्यक्ति भी बड़ी परेशानियों में उलझ जाता है। कपटी इंसान हर पल समस्याएं खड़ी करते रहते हैं। इसी वजह से ऐसे लोगों सांपों से भी अधिक खतरनाक होते हैं। इन लोगों से दूर रहने में ही भलाई होती है।
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मानवता और राष्ट्रीयता के अनुकूल व्यवहार ही इंसान का प्रमुख धर्म है।
जय श्री राम
अंदर और बाहर की साफ-सफाई
अक्सर घर के अंदर और बाहर की साफ-सफाई पर तो ध्यान दिया जाता है लेकिन छत पर गंदगी पड़ी रहती है। वास्तु के अनुसार घर की छत पर पड़ी गंदगी का भी पैसों की तंगी को बढ़ा सकती है। परिवार की बरकत पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
यह जरूरी है कि घर की साफ-सफाई अंदर और बाहर अच्छी तरह से ही की जाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि यदि घर की छत पर फालतू सामान, गंदगी पड़ी रहती है तो इसके दुष्प्रभाव परिवार की आर्थिक स्थिति पर पड़ते हैं। इसके साथ ही स्वास्थ्य की दृष्टि से भी हानिकारक ही है। किसी भी प्रकार की गंदगी का हमारे जीवन पर काफी गहरा प्रभाव पड़ता है।
जिन लोगों के घरों की छत पर ऐसे अनुपयोगी सामान रखे होते हैं वहां नकारात्मक शक्तियां अधिक सक्रिय रहती हैं। उस घर में रहने वाले लोगों के विचार नेगेटिव अधिक रहते हैं। वे किसी भी कार्य में सकारात्मक रूप से सोच भी नहीं पाते हैं। इसी वजह से कार्यों में सफलता और तनाव मिलता है। परिवार में भी मन-मुटाव की स्थितियां निर्मित होती हैं।
शास्त्रों के अनुसार धन की देवी महालक्ष्मी का वास ऐसे ही घरों में होता है जहां पूरी तरह से साफ-सफाई और स्वच्छता बनी रहती है। जहां गंदगी होती है वहां से लक्ष्मी चली जाती है और दरिद्रता का वास हो जाता है।
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जय श्री राम
सांप मोर पंख से डरते हैं सांप
सांप एक ऐसा जीव है जिसे सामने देखते ही साहसी इंसानों के भी पसीना आ जाता है। सांप का विष पलभर में ही किसी की भी जीवन लीला समाप्त कर देता है। इनके आने-जाने पर प्रतिबंध लगा पाना किसी के लिए भी काफी मुश्किल है। सांप आसानी से किसी के घर में प्रवेश कर सकते हैं। इनसे बचने के लिए शास्त्रों में ही सटीक उपाय बताया गया है।
सांपों के डर को समाप्त करने के लिए सबसे अच्छा और सरल उपाय है घर में मोर पंख रखा जाए। मोर पंख घर में ऐसे स्थान पर रखें जहां से आसानी से दिखाई दे। मोर पंख की सुंदरता आपके घर की सजावट बढ़ाने का काम भी करेगी। इससे आपके घर में सांप नहीं आएंगे। मोर पंख सांपों को हमारे घर से दूर रखता है। इसके अतिरिक्त शास्त्रों में इसके कई अन्य महत्व भी बताए गए हैं। मोर पंख का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से भी है।
श्रीकृष्ण के चित्रों में देखा जा सकता है कि उनके मस्तष्क पर मोर पंख लगा रहता है। मोर पंख की उपयोगिता और पवित्रता इसी बात से बढ़ जाती है कि वह भगवान के मस्तष्क पर भी स्थान पाता है। घर में मोर पंख लगाने के बहुत सारे अन्य लाभ भी है। इसे घर में रखने से वातावरण में मौजूद नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती हैं और सकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय हो जाती है। इससे हमारी सोच पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं।
सांप मोर पंख से डरते हैं क्योंकि मोर ही इसे मार कर खा जाता है। अत: सांप उस क्षेत्र में जाता है ही नहीं है जहां मोर या मोर पंख दिखाई देता है।
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जय श्री राम
कौन से पाप कौन सी सजा मिलती है। Which sins receive which punishment?
जिंदगी में सभी के अपने कायदे या सिद्धांत होते हैं। हर व्यक्ति का जीवन जीने का अपना तरीका है। जो बात किसी के लिये उसका कर्तव्य और धर्म है वह किसी के लिये घोर पाप या नीच कृत्य हो सकता है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार जिन कर्मों को पाप माना गया है उसकी सजा उसे अपनी मृत्यु के बाद मिलती है। किस पाप की क्या सजा मिलती है। इसका वर्णन गरूड़ पुराण में कुछ इस प्रकार दिया हुआ है। गरुड़ जी बोले- भगवान जीवों को उनके कौन से पाप कौन सी सजा मिलती है। वे किन अगला जन्म किस रूप में लेते हैं व भी बताइए।
भगवान कहते हैं गरूड़ ध्यान से सुनो-
- ब्रह्महत्या करने वाला क्षयरोगी।
- गाय की हत्या करने वाले कुबड़ा।
- कन्या की हत्या करने वाला कोढ़ी।
- स्त्री पर हाथ उठाने वाला रोगी।
- परस्त्री गमन करने वाला नपुंसक।
- गुरुपत्नी सेवन से खराब शरीर वाला।
- मांस खाने व मदिरा पीने वाले के दांत काले व अंग लाल होते हैं।
- दूसरे को न देकर अकेले मिठाई खाने वाले को गले का रोगी।
- घमंड से गुरु का अपमान करने वाले को मिरगी।
- झूठी गवाही देने वाला गूंगा।
- किताब चोरी करने वाला जन्मांध।
- झूठ बोलने वाला बहरा।
- जहर देने वाला पागल होता है।
- अन्न चोरी करने वाला चूहा।
- इत्र की चोरी करने वाले छछुंदर।
- जहर पीकर मरन वाले काले सांप।
- किसी की आज्ञा नहीं मानते वे निर्जन वन में हाथी होते हैं।
- ब्राह्मण गायत्री जप नहीं करते वे अगले जन्म में बगुला होते हैं।
- पति को बुरा-भला कहने वाली जूं बनती है।
- परपुरूष की कामना रखने वाली स्त्री चमगादड़ बनती है।
- मृतक के ग्यारहवे में भोजन करने वाला कुत्ता बनता है।
- मित्र की पत्नी से मोह रखने वाले गधा बनता है।
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जय श्री राम
जीवन की तीन मूलभूत आवश्यकताएं
जीवन की तीन मूलभूत आवश्यकताएं हैं, रोटी, कपड़ा और मकान। इन्हें पूरी करने के लिए ही सभी दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं लेकिन कुछ लोग इन तीनों जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते हैं। इसी वजह से काफी लोग जो कुछ भी नहीं कर पाते हैं वे भीख मांगना शुरू कर देते हैं। आज लगभग सभी सार्वजनिक स्थानों पर बड़ी संख्या में भिखारी मौजूद रहते हैं।
अक्सर ऐसा होता है कि आप किसी सार्वजनिक स्थान पर कुछ खा रहे होते हैं ठीक उसी समय कोई भिखारी आपके खाने को देखता रहता है। ऐसे में काफी लोग उसे अनदेखा करके खाना खाते रहते हैं लेकिन शास्त्रों के अनुसार ऐसी परिस्थिति में भिखारी को अनदेखा नहीं करना चाहिए। बल्कि हम जो भी खा रहे हो उसमें कुछ अंश निकालकर उसे दे देना चाहिए।
यदि कोई भिखारी लगातार आपके खाने की ओर नजर लगाए खड़ा रहता है तो इससे आपको उसकी बुरी नजर लग सकती है। जिससे खाना ठीक से पचता नहीं है और पेट संबंधी बीमारी होने की संभावना रहती है। इससे बचने के लिए जब भी किसी सार्वजनिक स्थान कुछ खाए तो ध्यान रखें कि कोई भिखारी वहां न हो, या आप पर उसकी सीधी नजर न पड़े। यदि कोई भिक्षुक आपके सामने आ भी जाए तो अपने खाने में से उसे कुछ अंश अवश्य दे देना चाहिए। शास्त्रों में भिक्षुक का भी काफी महत्व बताया गया है। इन्हें खाना दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। वहीं मानवता का भी धर्म बताया गया है किसी भुखे व्यक्ति को खाना खिलाना चाहिए।
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मानवता और राष्ट्रीयता के अनुकूल व्यवहार ही इंसान का प्रमुख धर्म है।
जय श्री राम
good thoughts
माता पिता की आँखों में दो
बार आंसू आते हैं.
एक तब जब बिटिया पराई बनकर घर
छोडती है और दूजा तब
जब बेटा पत्निवश होकर घर
छोड़ता है.
जिनके पास धन नहीं वो गरीब
नहीं हैं,
गरीब तो वो है जिनके पास अथाह
धन होते
हुए भी उनकी इच्छाएं अतृप्त
होती हैं.
बिना कारण के किसी को कोई
सूचन करना या
किसी को सुधारने में लग जाना
यह दर्शाता है की
हमारे भीतर अहंकार ने जन्म ले
लिया है.
चंद सिक्कों के लिए..
तुम न करो काम बुरा..
हर बुराई का सदा
होता है अंजाम बुरा..
जुर्म वालों की कहाँ
उम्र बड़ी है यारों
उनकी राहों में सदा
मौत खड़ी है यारो
जुल्म करने से सदा
जुल्म ही हांसिल होगा
जो न सच बात कहे
वो कोई बुजदिल होगा
सरफरोशों ने लहू देकर जिसे सींचा
है
ऐसे गुलशन को उजड़ने से बचा
लो यारो
देश के नाम अपनी जवानी लिखी
यह जवानी है क्या.. जिंदगानी
लिखी..
बस यहाँ तक की हमने कहानी
लिखी
अब लिखो.. इसके आगे की तुम
दास्ताँ
****************
अब लिखो.. इसके आगे की तुम
दास्ताँ
फ़र्ज़ कर दो अदा.. ताकि जीता
रहे अपना हिंदुस्तान
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मानवता और राष्ट्रीयता के अनुकूल व्यवहार ही इंसान का प्रमुख धर्म है।
जय श्री राम
हर रिश्ता विश्वास की मजबूत नींव पर खड़ा रहता है
भक्त का भगवान से हो या इंसान का इंसान से हर रिश्ता विश्वास की मजबूत नींव पर खड़ा रहता है। किसी भी रूप में यह भरोसा कमजोर होते ही व्यक्तिगत जीवन के साथ-साथ पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों में उथल-पुथल मच जाती है।
यही कारण है कि रिश्तों में विश्वास को कायम रखने के लिए जिस सूत्र को जीवन में उतारने, अपनाने के लिए सबसे जरूरी माना गया है। वह सूत्र चरित्र, व्यक्तित्व, व्यवहार और विचार को इतना पावन बना देता है कि इंसान को शक्ति और आत्मविश्वास से भर हमेशा निर्भय रखता है। शास्त्रों में बताया यह बेजोड़ सूत्र है - सत्य को अपनाना।
शास्त्रों के मुताबिक सत्य ही भगवान है। इसलिए आचरण, विचार, वाणी, कर्म, संकल्प सभी में सत्य का होना ईश्वर का जप ही है। फिर इंसान अगर देव उपासना के धार्मिक कर्मकाण्डों से चूक भी जाए तो भी वह भगवान का कृपा पात्र बना रहता है।
हिन्दू धर्मग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता में भी सत्य की अहमियत बताते हुए लिखा गया है कि -
नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सत:।
सरल अर्थ है कि असत्य नाशवान होता है, बल्कि सत्य का कभी नाश नहीं होता, वह अपरिवर्तनशील है।
फिर भी सांसारिक जीवन में नाशवान पदार्थोँ से इंसान मोह करता है, किंतु सत्य जैसे अमरत्व का सूत्र अपनाने में बहुत विचार और तर्क करता है। जबकि सत्य को संकल्प के साथ अपनाने की कोशिश क रे तो वह इंसान की ताकत बन जीवन में शांति व सुख लाकर प्रतिष्ठा और यश का कारण बनते हैं।
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मानवता और राष्ट्रीयता के अनुकूल व्यवहार ही इंसान का प्रमुख धर्म है।
जय श्री राम
लौंग को आयुर्वेद में बहुत उपयोगी औषधी
लौंग को आयुर्वेद में बहुत उपयोगी औषधी माना गया है। दादी और नानी के नुस्खों में इसे विशेष स्थान प्राप्त है। लौंग, जिसे कि लवांग के नाम से भी जाना जाता है, एक पेड़ की सूखी कली होती है। जो कि खुशबूदार होता है। दुनिया भर के व्यंजनों को बनाने में प्राय: लौंग का प्रयोग एक मसाले के रूप में किया जाता है। लौंग का अधिक मात्रा में उत्पादन जंजीबार और मलाक्का द्वीप में होता है। इसका उपयोग भारत और चीन में 2000 वर्षों से भी अधिक समय से हो रहा है।
लौंग का उत्पादन मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मेडागास्कर, भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका आदि देशों में होता है। आपको शायद यह जानकर आश्चर्य हो कि अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में लौंग का मूल्य उसके वजन के सोने के बराबर हुआ करता था। लौंग कार्बोहाइड्रेट, नमी, प्रोटीन, वाष्पशील तेल, वसा जैसे तत्वों से भरपूर होता है। इसके अलावा लौंग में खनिज पदार्थ, हाइड्रोक्लोरिक एसिड में न घुलने वाली राख, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, सोडियम, पोटेशियम, विटामिन सी और ए भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं तीखी लोंग के ऐसे ही कुछ प्रयोग जो आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं।
- खाना खाने के बाद 1-1 लौंग सुबह-शाम खाने से एसीडिटी ठीक हो जाती है।
-15 ग्राम हरे आंवलों का रस, पांच पिसी हुई लौंग, एक चम्मच शहद और एक चम्मच चीनी मिलाकर रोगी को पिलाएं इससे एसीडिटी ठीक हो जाता है।
- लौंग को गरम कर जल में घिसकर माथे पर लगाने से सिर दर्द गायब हो जाता है।
- लौंग को पीसकर एक चम्मच शक्कर में थोड़ा-सा पानी मिलाकर उबाल लें व ठंडा कर लें। इसे पीने से उल्टी होना व जी मिचलाना बंद हो जाता है।
- लौंग सेंककर मुंह में रखने से गले की सूजन व सूखे कफ का नाश होता है।
- सिर दर्द, दांत दर्द व गठिया में लौंग के तेल का लेप करने से शीघ्र लाभ मिलता है।
- गर्भवती स्त्री को अगर ज्यादा उल्टियां हो रही हों तो लौंग का चूर्ण शहद के साथ चटाने से लाभ होता है।
- लौंग का तेल मिश्री पर डालकर सेवन करने से पेटदर्द में लाभ होता है।
- एक लौंग पीस कर गर्म पानी से फांक लें। इस तरह तीन बार लेने से सामान्य बुखार दूर हो जाएगा।
- लौंग दमा रोगियों के लिए विशेषरूप से लाभदायक है। लौंग नेत्रों के लिए हितकारी, क्षय रोग का नाश करने वाली है।
- लौंग और हल्दी पीस कर लगाने से नासूर मिटता है।
- चार लौंग पीस कर पानी में घोल कर पिलाने में तेज ज्वर बुखार हो जाता है।
- पांच लौंग दो किलो पानी में उबालकर आधा पानी रहने पर छान लें। इस पानी को नित्य बार-बार पिलाएं। केवल पानी भी उबाल कर ठंडा करके पिलाएं। लौंग को आयुर्वेद में बहुत उपयोगी औषधी माना गया है। दादी और नानी के नुस्खों में इसे विशेष स्थान प्राप्त है। लौंग, जिसे कि लवांग के नाम से भी जाना जाता है, एक पेड़ की सूखी कली होती है। जो कि खुशबूदार होता है। दुनिया भर के व्यंजनों को बनाने में प्राय: लौंग का प्रयोग एक मसाले के रूप में किया जाता है। लौंग का अधिक मात्रा में उत्पादन जंजीबार और मलाक्का द्वीप में होता है। इसका उपयोग भारत और चीन में 2000 वर्षों से भी अधिक समय से हो रहा है।
लौंग का उत्पादन मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मेडागास्कर, भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका आदि देशों में होता है। आपको शायद यह जानकर आश्चर्य हो कि अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में लौंग का मूल्य उसके वजन के सोने के बराबर हुआ करता था। लौंग कार्बोहाइड्रेट, नमी, प्रोटीन, वाष्पशील तेल, वसा जैसे तत्वों से भरपूर होता है। इसके अलावा लौंग में खनिज पदार्थ, हाइड्रोक्लोरिक एसिड में न घुलने वाली राख, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, सोडियम, पोटेशियम, विटामिन सी और ए भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं तीखी लोंग के ऐसे ही कुछ प्रयोग जो आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं।
- खाना खाने के बाद 1-1 लौंग सुबह-शाम खाने से एसीडिटी ठीक हो जाती है।
-15 ग्राम हरे आंवलों का रस, पांच पिसी हुई लौंग, एक चम्मच शहद और एक चम्मच चीनी मिलाकर रोगी को पिलाएं इससे एसीडिटी ठीक हो जाता है।
- लौंग को गरम कर जल में घिसकर माथे पर लगाने से सिर दर्द गायब हो जाता है।
- लौंग को पीसकर एक चम्मच शक्कर में थोड़ा-सा पानी मिलाकर उबाल लें व ठंडा कर लें। इसे पीने से उल्टी होना व जी मिचलाना बंद हो जाता है।
- लौंग सेंककर मुंह में रखने से गले की सूजन व सूखे कफ का नाश होता है।
- सिर दर्द, दांत दर्द व गठिया में लौंग के तेल का लेप करने से शीघ्र लाभ मिलता है।
- गर्भवती स्त्री को अगर ज्यादा उल्टियां हो रही हों तो लौंग का चूर्ण शहद के साथ चटाने से लाभ होता है।
- लौंग का तेल मिश्री पर डालकर सेवन करने से पेटदर्द में लाभ होता है।
- एक लौंग पीस कर गर्म पानी से फांक लें। इस तरह तीन बार लेने से सामान्य बुखार दूर हो जाएगा।
- लौंग दमा रोगियों के लिए विशेषरूप से लाभदायक है। लौंग नेत्रों के लिए हितकारी, क्षय रोग का नाश करने वाली है।
- लौंग और हल्दी पीस कर लगाने से नासूर मिटता है।
- चार लौंग पीस कर पानी में घोल कर पिलाने में तेज ज्वर बुखार हो जाता है।
- पांच लौंग दो किलो पानी में उबालकर आधा पानी रहने पर छान लें। इस पानी को नित्य बार-बार पिलाएं। केवल पानी भी उबाल कर ठंडा करके पिलाएं।
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जय श्री राम
Jyotirlinga of Lord Shiva - Bhole Nath
1. Somnath Jyotirlinga: Somnath Temple is dedicated to Someshwar, the Lord Shiva with Moon on his head. Somnath at Somnath Patan, near Veraval at Saurashtra in Gujarat is a pilgrimage center held in great reverence thoughout India. Somnath is considered to be the first of the 12 Jyotirlingas of Lord Shiva. Somnath is situated on the south coast of Saurashtra in Gujarat India. Somnath Jyotirlingas was established by Lord Moon (Soma).
2. Mahakaleshwar Jyotirlinga: Shri Mahakaleshwar Jyotirlinga is situated in Ujjain. It is a very important religious place for Lord Shiva devotees. Mahakaleshwar Temple is a famous shrine that comprises one of the twelve major Jyotirlingas of Lord Shiva. Mahakaleshwar Temple is located on the banks of Rudra Sagar Lake of Ujjain in the state of Madhya Pradesh, India. The Mahakaleshwar Jyotirlinga is situated below the ground in a Garbha Griha. This Jyotirlinga is big in size and is encircled by a silver snake. The glorious temple of Mahakaleshwar has been mentioned in several 'Puranas' (scriptures) of the Hindu mythology. Many poets of Sanskrit, including Kalidasa, have sung the praises of this temple. Lord Shiva is synonymous with 'Mahakal' and suggests the perpetual existence of the Almighty.
3. Bhimashankar Jyotirlinga: is associated with the legend of Shiva destroying the demon Tripurasura. Bhimashankar Temple is located in the village of Bhorgiri 50 KM north west of Khed (Rajguru Nagar) near Pune in India. Bhimashankar is also the source of the Bhima River, which flows south east and merges with the Krishna River near Raichur in Karnataka India. Amongst the 12 Jyotirlinga shrine of Lord Shiva in Maharashtra, the other jyotirlingas are Trimbakeshwar and Grishneshwar. Lord Shiva after getting angry, killed giant Tripurasura. The Heat generated from their war caused the origin of river Bhima. That is why it is called Bhimashankar. The Bhimshankar Temple is a composite of old and the new structures and is built in the Nagara style of architecture.
4. Trimbakeshwar Jyotirlinga: Trimbakeshwar Jyotirlinga is an ancient of Hindu temple in the town in Trimbak in the Nashik District of Maharashtra India. It is simply approx 30 KM from the main city of Nashik Maharashtra India. It is located at the source of the Godavari River. Trimbakeshwar Jyotirlinga is revered as one of the 12 Jyotirlinga shrines of Lord Shiva. According to Shiv Maha Purana, it is because of the earnest request of Godavari River, Gautam Rishi and other gods that Lord Shiva agreed to reside here and assumed the famous name Trimbakeshwar. All the heavenly Gods promised to come down to Nasik, once in twelve years, when Jupiter resides in the zodiac sign of Leo. On this a grand fair is organized at this place. Devotees take a holy bath in the Gautami Ganga and then seek the blessings of Trimbakeshwar.
5. Rameswaram Bhole Nath: Rameshwaram Jyotirlinga is one of the 12 jyotirlinga and located in Rameshwaram Town in Ramanathapuram District Tamil Nadu India. Rameshwaram Temple is dedicated to Lord Shiva. The Temple is noted for its close association with Ramayan and the legendary victory of Lord Ram over demon King Ravan. According to a legend, Lord Rama worshiped Lord Shiva with his Wife Sita and brother Laxman in the form of a Shiva Lingam, while returning to Ayodhya after the legendary victory over demon Ravan.
6. Omkareshwar Jyotirlinga: Omkareshwar Temple is situated on the banks of the Narmada River; Omkareshwar Jyotirlinga is one of the 12 revered Jyotirlinga shrines of Lord Shiva. It is located in Khandwa District of Madhya Pradesh in India. It is on an island called Mandhata or Shivapuri in the Narmada River. Vindhya Parvat started worship of Lord Shiva to become greater than Meru and installed a Shiva Linga, named Omkareshwar. Omkareshwar Temple is formed by the sacred river Narmada. This is one of the most sacred of rivers in India.
7.Vaidyanath Jyotirlinga: Vaidyanath Jyotirlinga is one of the twelve jyotirlinga of Lord Shiva and most sacred abodes of shiva. It is located in Deoghar of Santhal Parganas division, Jharkhand India. It is also known as Baba Dham, Baidyanath Dham, Chitabhoomi and Hardapeetha. Some people thought believe Vaidyanath Jyotirlinga near Parali in Andhra Pradesh and according to other, it is located in Kiragram in Punjab and Dabhoi in Gujarat in India. Legend has it that Ravana meditated upon Shiva, and requested him to come over to Sri Lanka and Lord Shiva but Shiva Linga was placed on the ground permanently near Deoghar and known as Vaidyanath Jyotirlinga.
8. Mallikarjuna Jyotirlinga: Mallikarjuna Swamy is one of the12 jyotirlingas of Lord Shiva, located at Srisailam in Andhra Pradesh. When Lord Kartikay ji enraged and went away to stay alone Mount Kravunja (Kronchgiri Parvat) caused lord Ganesh get married first. Lord Shiva and Goddess Parvati went on that place, named Srisailam for pacify Lord Kartikay Ji (popular names like Skand, Shandmukh), he tried to move to another place. The place where Lord Siva and Parvathi stayed came to be known as Sri Sailam. Then, they disappeared and enter in a Shiva Linga, named Mallikarjuna. At First, Lord Kartikay Ji worshipped of that Lord Shiva Linga.
9. Kedarnath Jyotirlinga: Amongst the Twelve Jyotirlinga of Lord Shiva, the one at Kedarnath is located in the snow covered area of Himalayas. Kedarnath Temple is set amidst the stunning mountains of the Garwal District of Himalayas at the head of Mandakini River in Uttar Pradesh, India. Kedar is another name of Lord Shiva, the protector & the destroyer. At the entrance of the temple, is the statue of Lord Nandi, the divine bull of Lord Shiva.
10. Vishwanath Jyotirlinga: Kashi Vishwanath Jyotirlinga is located in the heart of the cultural capital of India, Vanarasi. It is also known as Kashi, the holiest pilgrimage place of India. It stands on the western bank of holiest river Ganga. Kashi or Banaras (Varanasi) is the ultimate destination of all Hindu pilgrimage searching for Moksha from the cycle of birth and re-birth. Vishwanath Temple is situated in the district of Varanasi of the state of Uttar Pradesh in India. Lord Shiva presence there in most enlightened form.
11. Nageshwar Jyotirlinga: Nageshwar Jyotirlinga situated near Dwarka in Gujarat, India. It is one of the 12 Jyotirlingas Shrines of Lord Shiva and known as Nageshwar Mahadev, is considered to protect everybody from all sort of poison. Nageshwar Temple is located between Dwarka and Dwarka Island (Daruka Van – old name according to Shiv Puran) in Gujarat on the coast of Surat. The Rudra Samhita sloka refers to Nageshwar with the phrase ‘Daarukaavane Naagesham’.Dwarka is one of the Sapta-puris or seven holy towns – Ayodhya, Mathura, Haridwar, Kasi, Ujjin, Kancipuram and Dwarka – and one of the four Dhamas or holy places – Ramesvaram, Puri, Badrinath and Dwarka.
12. Grishneshwar Jyotirlinga: Grishneshwar is the 12th Jyotirlinga of Lord Shiva and it is located at distance of approx 11 km from Daulatabad in Aurangabad District of Maharashtra India. The Grishneswar temple was constructed by Ahilyabhai Holkar who also re-constructed the Kasi Viswanatha temple at Benares and the Vishnu Paada temple at Gaya. Grishneshwar is also known as Ghushmeshwar. The Lord is also known by several names like Kusumeswarar, Ghushmeswara, Grushmeswara, Grishneswara.
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रिश्तों की अहमियत
मैं घर की नई बहू थी और एक प्राइवेट बैंक में एक अच्छे ओहदे पर काम करती थी। मेरी सास को गुज़रे हुए एक साल हो चुका था। घर में मेरे ससुर और पति...