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* मनुष्य परिस्थितियों का दास नहीं, अपितु वह उनका निर्माता, नियंत्रणकर्ता और स्वामी होता है।
* आदमी कभी भी काम की अधिकता से नहीं, बल्कि उसे भार समझ कर अनियमित रूप से करने पर थकता है।
* ईश्वर भी केवल उन्हीं की सहायता करते है, जो अपनी सहायता आप करने को तत्पर रहते है।
* अपने आपको मनुष्य बनाने का प्रयत्न करो, यदि आप इसमें सफल हो गए, तो आपको हर काम में सफलता मिलेगी।
* किसी का सुधार उपहास से नहीं, उसे नए सिरे से सोचने और बदलने का अवसर देने से ही होता है।
* जो जैसा सोचता और करता है, वह वैसा ही बन जाता है। इसलिए हमेशा अच्छा सोचो, निश्चित ही आप अच्छे बनोगे।
* मनुष्य परिस्थितियों का दास नहीं, अपितु वह उनका निर्माता, नियंत्रणकर्ता और स्वामी होता है।
* आदमी कभी भी काम की अधिकता से नहीं, बल्कि उसे भार समझ कर अनियमित रूप से करने पर थकता है।
* ईश्वर भी केवल उन्हीं की सहायता करते है, जो अपनी सहायता आप करने को तत्पर रहते है।
* अपने आपको मनुष्य बनाने का प्रयत्न करो, यदि आप इसमें सफल हो गए, तो आपको हर काम में सफलता मिलेगी।
* किसी का सुधार उपहास से नहीं, उसे नए सिरे से सोचने और बदलने का अवसर देने से ही होता है।
* जो जैसा सोचता और करता है, वह वैसा ही बन जाता है। इसलिए हमेशा अच्छा सोचो, निश्चित ही आप अच्छे बनोगे।