कोटेश्वर महादेव मंदिर

www.goswamirishta.com


धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यहां कश्यप ऋषि के पुत्र करजेश्वर ने शिव आराधना कर उन्हें प्रसन्न किया और शिवलिंग की स्थापना की थी। 

ब्रह्मलीन लक्ष्मीनारायणजी कश्यप इस आश्रम के संस्थापक गुरु रहे हैं। 

कश्यप आश्रम से चार कि.मी. उत्तर में च्यवन ऋषि का आश्रम है। जड़ी-बूटियों के वृक्षों से सुशोभित और जल की अनवरत बहती औषधीय जलधारा इस आश्रम के मुख्य आकर्षण हैं। कश्यप आश्रम से एक कि.मी. पश्चिम में नर्मदा के उत्तर तट पर कोटेश्वर महादेव मंदिर है। एकांत स्थान में स्थित यह अतिप्राचीन होकर अहिल्यादेवी द्वारा स्थापित बताया जाता है। 

कोटेश्वर के समीप ही पश्चिम की ओर नब्बे के दशक में विकसित दुलारी बापू का स्थान है, जो आधुनिक रूप से निर्मित संगमरमर का है। यहां दुलारी बापू अपने भक्तों को आशीष देने हेतु, नर्मदा आराधना में तल्लीन रहते हैं। 

च्यवन आश्रम और कोटेश्वर के मध्य हनुमान माल पर स्थापित हनुमानजी की प्रतिमा, गाय की प्रतिमा इतनी ऊंची पहाड़ी पर स्थित है कि चढ़ने में सांस फूलने लगती है। यह प्रतिमाएं और पत्थरों की दीवार प्राचीन बस्ती होने का प्रमाण देती हैं। 

कोटेश्वर से लगभग पांच कि.मी. उत्तर-पश्चिम में प्रसिद्ध जयंती माता का मंदिर मां आद्यशक्ति की आराधना का केंद्र है। जहां दोनों नवरात्रियों में मालवा व निमाड़ के भक्तजन दर्शन करने आते हैं। 

मंदिर के ऊपर की गुफा से माता जयंती की प्रतिमा नीचे लाकर चोरल नदी के किनारे स्थापित की गई। मंदिर पार्श्वनाथ में प्राचीन जैतगढ़ के किले के अवशेष आज भी मौजूद हैं। 
0 0

No comments:

Post a Comment

Thanks to visit this blog, if you like than join us to get in touch continue. Thank You

Feetured Post

प्रत्येक रिश्ते की अहमियत

 मैं घर की नई बहू थी और एक निजी बैंक में एक अच्छी पद पर काम करती थी। मेरी सास को गुज़रे हुए एक साल हो चुका था। घर में मेरे ससुर, श्री गुप्ता...