विज्ञान और धर्म science and religion

इस छोटी सी कथा में एक बहुत बड़ा सन्देश है। गीता एक छोटी सी पुस्तक नही बल्कि एक अंतर्राष्ट्रीय ग्रन्थ है। यह सभी धर्मों से उपर उठकर मानवता को एक विशेष सन्देश देती है।

ब्रिटेन के वैज्ञानिक डॉ. हाल्डेन ने सन् 1922 ई. में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में शरीर के अंदर होने वाली रासायनिक क्रियाओं पर अनुसंधान कर पूरे संसार में ख्याति प्राप्त की। इस अनुसंधान के बाद उन्होंने सोचा कि अब धर्म और आध्यात्मिक रहस्यों का अध्ययन किया जाए।

उन्होंने अनेक हिंदू धर्मग्रंथों का अध्ययन कर डाला। फिर वह गीता पढ़ने लगे। जैसे-जैसे वह गीता का एकाग्रता से मनन करते गए वैसे-वैसे उनका मोह भौतिक वस्तुओं से हटता गया और उन्हें अहसास हो गया कि भौतिकवादी साधनों से कभी भी मानव को सच्ची शांति व सुख प्राप्त नहीं हो सकता।

सन् 1951 में वह अपनी पत्नी के साथ भारत आए। यहां घूमते हुए वह भुवनेश्वर पहुंचे। वहां अनेक धर्म प्रचारक भी मौजूद थे। अचानक ब्रिटेन के एक धर्म प्रचारक ने उनसे पूछा, 'आप एक अंग्रेज होते हुए भी गीता को सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ क्यों मानते हैं? क्या आपकी नजरों में गीता से बेहतर और कोई ग्रंथ नहीं है?'

ब्रिटेन के धर्म प्रचारक की बात सुनकर डॉ हाल्डेन बोले, 'गीता निरंतर निष्काम कर्म करते रहने की प्रेरणा देकर आलसी लोगों को भी कर्म से जोड़ती है। वह भक्ति और कर्म दोनों को एक-दूसरे का पूरक बताती है। वह किसी संप्रदाय या धर्म का नहीं मानव मात्र के कल्याण का संदेश देती है। इसलिए मुझे गीता ने बहुत ज्यादा प्रभावित किया है। मैं वैज्ञानिक होकर भी इसे अपने काम के लिए उपयोगी मानता हूं। दूसरे पेशे के लोगों के लिए भी यह उपयोगी है।'

ब्रिटेन के धर्म प्रचारक डॉ. हाल्डेन की यह बात सुनकर चुप हो गए।

Repeat कर रहे हैं क्योंकि बहुत महत्त्वपूर्ण शब्द हैं।
'गीता निरंतर निष्काम कर्म करते रहने की प्रेरणा देकर आलसी लोगों को भी कर्म से जोड़ती है। वह भक्ति और कर्म दोनों को एक-दूसरे का पूरक बताती है। वह किसी संप्रदाय या धर्म का नहीं मानव मात्र के कल्याण का संदेश देती है। इसलिए मुझे गीता ने बहुत ज्यादा प्रभावित किया है। मैं वैज्ञानिक होकर भी इसे अपने काम के लिए उपयोगी मानता हूं। दूसरे पेशे के लोगों के लिए भी यह उपयोगी है।'
0 0

No comments:

Post a Comment

Thanks to visit this blog, if you like than join us to get in touch continue. Thank You

Feetured Post

प्रत्येक रिश्ते की अहमियत

 मैं घर की नई बहू थी और एक निजी बैंक में एक अच्छी पद पर काम करती थी। मेरी सास को गुज़रे हुए एक साल हो चुका था। घर में मेरे ससुर, श्री गुप्ता...