एक किसान का बेटा मुंबई पढने चला गया वहा उसको मॉडल लड़की से प्रेम हो गया जो पूरी तरह से वेस्टर्न संस्कृति में लिपि पुती थी कुछ दिनों के बाद लड़के को एहसास हो गया की यो मेल न हो सकता और उसने लड़की को पत्र लिखा ..
ओ कंप्यूटर युग की छोरी मन की काली तन की गोरी
करना मुझको माफ़ मैं तुम्हे प्यार नही करपाउँगा
तू फैशन tv सी लगती मैं संस्कार काचेनल हूँ
तू मिनरल पानी की बोतल लगती है मैं गंगा का पावन जल हू
तुम लाखो की गाड़ी में चलने वाली मैं पाव पाव चलने वाला
तुम हलोजन सी जलती हो मैं दीपक सा जलने वाला
करना मुझको माफ़ मैं तुम्हे प्यार नही कर पाउँगा
तुम रैंप पर देह दिखाती हो मैं संस्कार को जीता हू
जब तुम्हे देख कर सिटी बजती मैं घुट लहू का पीता हूँ
तुम सूप पीने वाली मैं मैठा पीने वाला
तुम शॉक अलार्म से भी ना डरो मैं पॉपकॉर्न से डरने वाला
तुम डिस्को की धुन पर नाचो मैं राम नाम ही जबता हूँ
तुम पीता जी को डैड और टेलीफोन को भी डैड
कहो और माँ को मम्मी(mummy) बुलाती हो
तुम करवा चौथ भूल बैठी और वेलन टाइम डे मनाती हो
तुम पॉप म्यूजिक की धुन सी बजती मैं बंसी की धुन का धनिया
मुझ से डॉट कॉम भी ना लगती तुम इंटरनेटी दुनिया
तुम मोबाइल पर मेसेज लिखने वाली मैं पोस्टकार्ड लिखने वाला
तुम राकेट सी लगती हो और मैं उड़ने वाला गुब्बारा सा
तू अपना सब कुछ हार चुकी मैं जीता हुआ जुआरी हूँ
तुम इटली की रानी जैसी मैं देसी अटल बिहारी हूँ
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