गौतम बुद्ध Gautam Buddha

पुष्प की सुगंध वायु के विपरीत कभी नहीं जाती लेकिन मानव के सदगुण की महक सब ओर फैल जाती है। ~ गौतम बुद्ध
तीन चीजों को लम्बी अवधि तक छुपाया नहीं जा सकता, सूर्य, चन्द्रमा और सत्य। ~ गौतम बुद्ध
हज़ार योद्धाओं पर विजय पाना आसान है, लेकिन जो अपने ऊपर विजय पाता है वही सच्चा विजयी है। ~ गौतम बुद्ध
हमारा कर्तव्य है कि हम अपने शरीर को स्वस्थ रखें, अन्यथा हम अपने मन को सक्षम और शुद्ध नहीं रख पाएंगे। - बुद्ध
हम आपने विचारों से ही अच्छी तरह ढलते हैं; हम वही बनते हैं जो हम सोचते हैं| जब मन पवित्र होता है तो ख़ुशी परछाई की तरह हमेशा हमारे साथ चलती है। ~ गौतम बुद्ध
हजारों दियो को एक ही दिए से, बिना उसके प्रकाश को कम किये जलाया जा सकता है | ख़ुशी बांटने से ख़ुशी कभी कम नहीं होती। ~ गौतम बुद्ध
मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से जीत सकता है। ~ गौतम बुद्ध
मनुष्य का दिमाग ही सब कुछ है, जो वह सोचता है वही वह बनता है। ~ गौतम बुद्ध
आत्मदीपो भवः। (अपना दीपक स्वयं बनो।) ~ गौतम बुद्ध
अप्रिय शब्द पशुओं को भी नहीं सुहाते हैं। ~ गौतम बुद्ध
अराजकता सभी जटिल बातों में निहित है| परिश्रम के साथ प्रयास करते रहो। ~ गौतम बुद्ध
आप को जो भी मिला है उसका अधिक मूल्याङ्कन न करें और न ही दूसरों से ईर्ष्या करें. वे लोग जो दूसरों से ईर्ष्या करते हैं, उन्हें मन को शांति कभी प्राप्त नहीं होती। ~ गौतम बुद्ध
आप चाहे कितने भी पवित्र शब्दों को पढ़ या बोल लें, लेकिन जब तक उनपर अमल नहीं करते उसका कोई फायदा नहीं है। ~ गौतम बुद्ध
अतीत पर ध्यान केन्द्रित मत करो, भविष्य का सपना भी मत देखो, वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करो। ~ गौतम बुद्ध
अपने उद्धार के लिए स्वयं कार्य करें. दूसरों पर निर्भर नहीं रहें। ~ गौतम बुद्ध
इच्छा ही सब दुःखों का मूल है। ~ गौतम बुद्ध
एक सुराही बूंद-बूंद से भरता है। ~ गौतम बुद्ध
एक निष्ठाहीन और बुरे दोस्त से जानवरों की अपेक्षा ज्यादा भयभीत होना चाहिए ; क्यूंकि एक जंगली जानवर सिर्फ आपके शरीर को घाव दे सकता है, लेकिन एक बुरा दोस्त आपके दिमाग में घाव कर जाएगा। ~ गौतम बुद्ध
एक हजार खोखले शब्दों से एक शब्द बेहतर है जो शांति लता है। ~ गौतम बुद्ध
उदार मन वाले विभिन्न धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल अंतर देखते हैं। ~ गौतम बुद्ध
द्वेष को द्वेष से नहीं बल्कि प्रेम से ही समाप्त किया जा सकता है; यह नियम अटल है। - बुद्ध
दुनिया में तीन चीज़ें कभी लम्‍बे समय तक छिपी नहीं रह सकती, पहली है सूर्य, दूसरी चन्‍द्रमा और तीसरी है सत्‍य। ~ गौतम बुद्ध
जो बीत गया है उसकी परवाह न करें, जो आने वाला है उसके स्वप्न न देखें, अपना ध्यान वर्तमान पर लगाएँ। - बुद्ध
जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं। ~ गौतम बुद्ध
जिस तरह उबलते हुए पानी में हम अपना, प्रतिबिम्‍ब नहीं देख सकते उसी तरह क्रोध की अवस्‍था में यह नहीं समझ पाते कि हमारी भलाई किस बात में है। ~ गौतम बुद्ध
जीभ एक तेज चाकू की तरह बिना खून निकाले ही मार देता है। ~ गौतम बुद्ध
जिसने स्‍वयं को वश में कर लिया है, संसार की कोई शक्ति उसकी विजय, को पराजय में नहीं बदल सकती। ~ गौतम बुद्ध
जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते - भगवान बुद्ध
चतुराई से जीने वाले लोगों को मौत से भी डरने की जरुरत नहीं है। ~ गौतम बुद्ध
झूठ सबसे बड़ा पाप है, झूठ की थैली में अन्‍य सभी पाप समा सकते हैं, झूठ को छोड़ दो तो तुम्‍हारे अन्‍य पाप कर्म धीरे-धीरे स्‍वत: ही छूट जाएंगे। ~ गौतम बुद्ध
वही काम करना ठीक है, जिसे करने के बाद पछताना न पड़े और जिसके फल को प्रसन्‍न मन से भोग सकें। ~ गौतम बुद्ध
वह व्यक्ति समर्थ है जो यह मानता है कि वह समर्थ है। - बुद्ध
वह व्यक्ति जो 50 लोगों को प्यार करता है, 50 दुखों से घिरा होता है, जो किसी से भी प्यार नहीं करता है उसे कोई संकट नहीं है। ~ गौतम बुद्ध
यह व्यक्ति की स्वयं सोच ही होती है जो उस बुराईयों की तरफ ले जाती हैं न कि उसके दुश्मन। - बुद्ध
शारीर को स्वस्थ रखना हमारा कर्त्तव्य है, नहीं तो हम अपने दिमाग को मजबूत अवं स्वच्छ नहीं रख पाएंगे। ~ गौतम बुद्ध
सभी ग़लत कार्य मन से ही उपजाते हैं | अगर मन परिवर्तित हो जाय तो क्या ग़लत कार्य रह सकता है। ~ गौतम बुद्ध
स्वास्थ्य सबसे महान उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन तथा विश्वसनीयता सबसे अच्छा संबंध है। ~ गौतम बुद्ध
सत्य के रस्ते पर कोई दो ही ग़लतियाँ कर सकता है, या तो वह पूरा सफ़र तय नहीं करता या सफ़र की शुरुआत ही नहीं करता। ~ गौतम बुद्ध
किसी जंगली जानवर की तुलना में निष्ठाहीन तथा बुरी प्रवृतियों वाले मित्र से अधिक डरना चाहिए क्योंकि जंगली जानवर आपके शरीर को चोट पहुंचाएगा लेकिन बुरा मित्र तो आपके मन-मस्तिष्क को घायल करेगा। - बुद्ध
क्रोधित रहना, किसी और पर फेंकने के इरादे से एक गर्म कोयला अपने हाथ में रखने की तरह है, जो तुम्ही को जलती है। ~ गौतम बुद्ध
कोई शत्रु नहीं, बल्कि मनुष्य का मन ही है जो उसे पथभ्रष्ट करता है। - बुद्ध
घृणा, घृणा करने से कम नहीं होती, बल्कि प्रेम से घटती है, यही शाश्वत नियम है। ~ गौतम बुद्ध
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