अष्टगंध का प्रयोग Use of Ashtagandha

हिन्दू कर्मकांड और यन्त्र लेखन में अष्टगंध का प्रयोग होता है। शास्त्रों में तीन प्रकार की अष्टगन्ध का वर्णन है, जोकि वैष्णवपंथ में पूजन के लिए उपयोग में लाए जाते हैं।वैष्णव अष्टगन्ध के रूप में इन आठ पदार्थ को मानते है-चन्दन, अगर, ह्रीवेर, कुष्ठ, कुंकुम, सेव्यका, जटामांसी, मुर। ये आठ जड़ीबूटियां ऐसी है जिन्हें देवताओं की भी प्रिय मानी जाती है।
इसकी जड़ में जटामेंसान , जटामासिक एसिड ,एक्टीनीदीन, टरपेन, एल्कोहाल , ल्यूपियाल, जटामेनसोंन और कुछ तेल पाए जाते हैं। इस जड़ को आयुर्वेदिक में बहुत गुणकारी माना जाता है आइए जानते है जटामासी के कुछ आयुर्वेदिक प्रयोग....
- एक चम्मच जटामासी में मधु मिश्री का घोल मिला कर इसका सेवन करने से ब्लडप्रेशर को ठीक करके सामान्य स्तर पर लाया जा सकता है।
- दांतों में दर्द हो तो जटामांसी के महीन पावडर से मंजन कीजिए।
- इसका शरबत दिल को मजबूत बनाता है, और शरीर में कहीं भी जमे हुए कफ को बाहर निकालता है।
- मासिक धर्म के समय होने वाले कष्ट को जटामांसी का काढा खत्म करता है।
- मस्तिष्क और नाडिय़ों के रोगों के लिए ये राम बाण औषधि है, ये धीमे लेकिन प्रभावशाली ढंग से काम करती है।
- पागलपन , हिस्टीरिया, मन बेचैन होना, याददाश्त कम होना.,इन सारे रोगों की यही अचूक दवा है।
- ये त्रिदोष को भी शांत करती है और सन्निपात के लक्षण खत्म करती है।
- इसके सेवन से बाल काले और लम्बे होते है।
- इसके काढ़े को रोजाना पीने से आँखों की रोशनी बढ़ती है।
- चर्म रोग , सोरायसिस में भी इसका लेप फायदा पहुंचाता है।
Photo: साधारण जड़ीबूटी के खास प्रयोग... इससे ये बीमारियां जड़ से ठीक हो जाएंगी 
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(संयोगिता सिंह)
हिन्दू कर्मकांड और यन्त्र लेखन में अष्टगंध का प्रयोग होता है। शास्त्रों में तीन प्रकार की अष्टगन्ध का वर्णन है, जोकि वैष्णवपंथ में पूजन के लिए उपयोग में लाए जाते हैं।वैष्णव अष्टगन्ध के रूप में इन आठ पदार्थ को मानते है-चन्दन, अगर, ह्रीवेर, कुष्ठ, कुंकुम, सेव्यका, जटामांसी, मुर। ये आठ जड़ीबूटियां ऐसी है जिन्हें देवताओं की भी प्रिय मानी जाती है।
इसकी जड़  में जटामेंसान , जटामासिक एसिड ,एक्टीनीदीन, टरपेन, एल्कोहाल , ल्यूपियाल, जटामेनसोंन और कुछ तेल पाए जाते हैं। इस जड़ को आयुर्वेदिक में बहुत गुणकारी माना जाता है आइए जानते है जटामासी के कुछ आयुर्वेदिक प्रयोग....
- एक चम्मच जटामासी में मधु मिश्री का घोल मिला कर इसका सेवन करने से ब्लडप्रेशर को ठीक करके सामान्य स्तर पर लाया जा सकता है।
- दांतों में दर्द हो तो जटामांसी के महीन पावडर से मंजन कीजिए।
- इसका शरबत दिल को मजबूत बनाता है, और शरीर में कहीं भी जमे हुए कफ  को बाहर निकालता है।
- मासिक धर्म के समय होने वाले कष्ट को जटामांसी का काढा खत्म करता है।
- मस्तिष्क और नाडिय़ों के रोगों के लिए ये राम बाण औषधि है, ये धीमे लेकिन प्रभावशाली ढंग से काम करती है।
- पागलपन , हिस्टीरिया, मन बेचैन होना, याददाश्त कम होना.,इन सारे रोगों की यही अचूक दवा है।
- ये त्रिदोष को भी शांत करती है और सन्निपात के लक्षण खत्म करती है।
- इसके सेवन से बाल काले और लम्बे होते है।
- इसके काढ़े को रोजाना पीने से आँखों की रोशनी बढ़ती है।
- चर्म रोग , सोरायसिस में भी इसका लेप फायदा पहुंचाता है।
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