Kisi Nazar Ko Tera Intezar Full Song | Aitbaar | Asha Bhosle,Bhupinder |Dimple Kapadia,Suresh Oberoi




 

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Kabhi Bekasi Ne Maara Full Video Song | Alag Alag | Kishore Kumar | R.D. Burman | Rajesh Khanna

 


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कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को... Koi Pathar Se Na Maare | Lata Mangeshkar | Laila Majnu Song




Sad Bollywood Hindi Song from the movie Laila Majnu (1976). 

Song: Koi Pathar Se Na Maare Mere Deewane Ko 
Movie: Laila Majnu (1976)
Singer: Lata Mangeshkar 
Music: Madan Mohan
Director: Harnam Singh Rawail 

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परिवार और मां एक प्रेरणादायक कहानी Family and mother an inspirational story

परिवार और मां एक प्रेरणादायक कहानी Family and mother an inspirational story
 

एक गांव में एक सुखी परिवार रहता था। उस परिवार में तीन भाई और एक बहन थी। उनके मां-बाप उन चारों से बेहद प्यार करते थे मगर बीच वाले बेटे से थोड़ा परेशान थे। बड़ा बेटा पढ़ लिखकर डॉक्टर बन गया था और छोटा बेटा भी पढ़ लिखकर इंजीनियर बन गया था। मगर बीच वाला बेटा बिल्कुल गंवार और आवारा किस्म का था। कुछ समय बाद उनके दोनो बेटे डॉक्टर और इंजीनियर ने शादी कर ली और महीनों के बाद ही इनकी बेटी का भी एक अच्छे घराने में विवाह हो गया मगर बीच वाला बेटा अभी भी कुंवारा ही था। वह अनपढ़ था और कहीं पर मजदूरी का छोटा सा काम करता था। उसको शादी के लिए कोई भी लड़की नहीं मिल रही थी। उसके मां-बाप उस से बहुत परेशान हो चुके थे। अब जब भी उसकी बहन अपने मायके आती तो वह अपनी डॉक्टर और इंजीनियर दोनों भाइयों से मिलती थी मगर बीच वाले भाई से बहुत कम मिलती थी। क्योंकि वह उसे ज्यादा पैसे नहीं दे पाता था। लेकिन फिर भी वह अपनी बहन से बहुत अधिक प्यार करता था।

कुछ समय बाद उनके पिताजी की बीच वाले बेटे की बिना शादी किए बिना ही मृत्यु हो गई। उनकी मां ने सोचा कहीं अब किसी के मुंह से बंटवारे की बात निकले इसलिए अपने ही गांव में एक सीधी-सादी लड़की से मंझले बेटे की शादी करवा दी। शादी होते ही न जाने क्या हुआ? अनपढ़ बेटा मन लगाकर काम करने लगा और पहले से कहीं ज्यादा मेहनत भी करने लगा। अब कोई भी पुराना दोस्त उसको मटरगस्ती के लिए बुलाने आता तो वह मना कर देता। एक दिन उसके डॉक्टर और इंजीनियर भाई ने सोचा कि यह तो गंवार और अनपढ़ है। हम इससे कहीं ज्यादा पैसे कमा लेते हैं। इसलिए अब हमें बंटवारा कर लेना चाहिए। मां के लाख मना करने के बाद भी दोनों बेटों ने बंटवारे की तारीख तय कर दी और उन्होंने अपनी बहन को भी बुला लिया। तभी उनका गंवार भाई कहता है? कि तुम लोग बंटवारा कर लो मुझे जो बचे वो दे देना या ना देना। मैं शाम को आकर अंगूठा लगा दूंगा। तभी उसकी बहन कहती है अरे! बेवकूफ तू तो हमेशा बेवकूफ ही रहेगा। जमीन का हिस्सा तो आमने- सामने बैठकर होता है। और उसकी मां भी उसे काम पर जाने से रोकती है। उसी वक्त वकील भी वहां आ जाता है और कहता है कि आपका सारा हिस्सा मिलाकर 10 बीघा जमीन और एक मकान है। अब यह बताओ किसको कितना हिस्सा देना है मैं उसी हिसाब से कागज बनवा दूंगा। तब गवार भाई कहता है वकील साहब 5-5 बीघा जमीन हमारे दोनों भाइयों के नाम लिख दो और यह हमारा घर है, मेरी प्यारी बहन के नाम कर दो। तब दोनों भाई पूछते हैं कि तू अपने हिस्से में क्या लेगा? गंवार भाई कहता है कि मेरे हिस्से में मेरी प्यारी मां है। वह अपनी पत्नी की तरफ मुस्कुराते हुए कहता है क्यों क्या मैंने गलत कहा। उस गंवार और अनपढ़ की पत्नी अपनी सास से लिपट कर कहती है मां से बड़ी वसीयत क्या होगी मेरे लिए। उसी वक्त उसका गंवार पति भी अपनी मां से लिपट जाता है। गंवार बेटे और बहू के प्यार ने जमीन जायदाद के बंटवारे को एक सन्नाटे में बदल दिया। तभी बहन अपने गंवार भाई के गले लग कर लिपट कर रोते हुए कहती है कि माफ कर दो भैया। मैं आपको सम्मान नहीं दे सकी। तभी उसका भाई कहता है मेरी प्यारी बहन इस घर में जितना अधिकार हमारा है। उतना ही तुम्हारा भी है और रही बात बंटवारे की तो बंटवारा नहीं करने से जीवन खत्म तो नहीं हो जाएगा। क्यों करते हैं हम बंटवारा? क्या हम एक साथ मिलकर नहीं रह सकते। जैसे हम बचपन में मिलकर खेलते रहते थे। एक साथ मिलकर रहने को ही तो कहते हैं एक अच्छा परिवार और उसके परिवार को संभालती है एक मां। तभी उसके दोनों भाई भी बहुत शर्मिंदा होते हैं और वह बंटवारे के सभी कागज फाड़ कर फेंक देते हैं और उस दिन के बाद से उनका पूरा परिवार खुशी खुशी एक साथ रहने लगा।

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परिवार में प्रेम कैसे बनाए रखें ? How to maintain love in the family?

परिवार में प्रेम कैसे बनाए रखें ? How to maintain love in the family?

हम अच्छी बात को याद नहीं रख सकते हैं तो बुरी बातों भी याद नहीं रखना चाहिए, तभी परिवार में सुख बना रहता है, दो भाइयों के बीच हो गई लड़ाई, घर और व्यापार का बंटवारा हो गया, इसी तरह कई साल बीत गए, तभी एक संत ने भाई को समझाया कि छोटे से मतभेद खत्म कर लेना चाहिए, 

घर में प्रेम और सुख बना रहे, इसके लिए परिवार के सभी सदस्यों के बीच आपसी तालमेल होना जरूरी है। छोटी-छोटी बातों की वजह से होने वाले विवादों से आपसी रिश्ते खराब नहीं करना चाहिए। एक लोक कथा के अनुसार पुराने समय में एक परिवार में दो भाई बड़े प्रेम से रहते थे। दोनों का विवाह साथ में ही हुआ।

विवाह के बाद कुछ दिन तो सब ठीक रहा, लेकिन दोनों भाइयों की पत्नियों की वजह से झगड़े होने लगे। रोज-रोज के झगड़ों से तंग आकर इनके माता-पिता बीमार हो गए और उनकी मृत्यु हो गई। माता-पिता की मृत्यु के बाद दोनों भाइयों ने घर और व्यापार का बंटवारा कर लिया।

दोनों की दुकानें आसपास ही थी। दोनों भाई रोज अपनी-अपनी दुकान आते, लेकिन एक-दूसरे से बात नहीं करते थे। इसी तरह कई साल निकल गए। छोटे भाई की लड़की का विवाह तय हो गया। उसकी पत्नी ने कहा कि बड़े भाई को भी विवाह में बुलाना चाहिए।

छोटा भाई सभी विवाद भूल कर बड़े भाई को विवाह में आमंत्रित करने गया, लेकिन उसने शादी में आने से मना कर दिया। इस बात से छोटा भाई बहुत दुखी था। तभी उसे मालूम हुआ कि उसका भाई किसी संत के प्रवचन सुनने जाता है। वह भी संत के पहुंच गया और पूरी बात बता दी।

संत ने उससे कहा कि ठीक है, मैं तुम्हारे भाई को समझाने की कोशिश करूंगा। जब बड़ा भाई संत के पास पहुंचा तो संत ने उसे छोटे भाई के यहां विवाह में जाने के लिए कहा। तब बड़े भाई ने कहा कि मैं अपने भाई से नाराज हूं, उसने मुझसे झगड़ा किया था।

तब संत ने उससे कहा कि अच्छा ये बताओ मैंने पिछले सप्ताह सत्संग में कौन सी कथा सुनाई थी। वह व्यक्ति बोला कि गुरुजी आजकल काम बहुत बढ़ गया है। उसके बाद घर की परेशानियां, ऐसे में मुझे पिछले सप्ताह के सत्संग की बातें मैं भूल गया हूं।

संत बोले कि भाई जब तुम अच्छी बातें एक सप्ताह भी याद नहीं रखते हो तो छोटे भाई की बुरी बातों को इतने सालों के बाद भी क्यों नहीं भूल रहे हो। परिवार में अच्छी-बुरी बातें होती रहती हैं, लेकिन अच्छी बातों को याद रखना चाहिए और बुरी बातों को भूल जाना चाहिए। तभी परिवार में प्रेम और सुख बना रहता है।

बड़े भाई को अपनी गलती समझ आ गई। इसके बाद वह संत से आज्ञा लेकर अपने छोटे भाई के घर पहुंचा और दोनों भाइयों के बीच का झगड़ा खत्म हो गया।

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मां की बेटी को सीख teach mother's daughter

 मां की बेटी को सीख:परिवार में कभी किसी से झगड़ा हो जाए तो उसकी बुरी नहीं, अच्छी बातों को याद करना चाहिए, रिश्ता टूटने से बच जाता है, एक घर में दो बहुओं के बीच हो गया वाद-विवाद, दोनों ने तय कर लिया कि अब एक-दूसरे से कभी भी बात नहीं करेंगे

घर-परिवार में छोटे-मोटे वाद-विवाद होते रहते हैं, लेकिन कभी-कभी क्रोध की वजह से छोटी सी बात भी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। परिवार में क्रोध से बचना चाहिए। अगर विवाद हो रहा है तो किसी एक को शांत रहना चाहिए, वरना रिश्ते भी टूट सकते हैं। परिवार में रिश्तों को कैसे बनाए रखना चाहिए, इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है। कथा में एक मां की सीख के कारण एक परिवार की दो बहुओं की बीच का झगड़ा खत्म हो गया। 

पुराने समय में एक परिवार में दो भाई और उनकी पत्नियां एक साथ रहते थे। सभी के बीच आपसी प्रेम था। दोनों भाई एक साथ खेती का काम करते थे। दोनों की पत्नियां भी एक-दूसरे का बहुत अच्छी तरह से ध्यान रखती थीं। परिवार में कभी वाद-विवाद नहीं हुआ था। लेकिन, एक दिन दोनों बहुओं के पति खेत पर गए हुई और घर पर इन दोनों महिलाओं के बीच बीच छोटी सी बात को लेकर झगड़ा हो गया।

एक ही समय पर दोनों महिलाएं क्रोधित हो गईं। बात इतनी बिगड़ गई कि दोनों ने तय कर लिया कि अब से वे एक-दूसरे से बात भी नहीं करेंगी। गुस्से में दोनों महिलाएं अपने-अपने कमरे में चली गईं, दरवाजा लगा लिया।

कुछ देर बाद बड़ी बहु के कमरे के दरवाजा छोटी बहु ने खटखटाया। बड़ी बहु ने दरवाजा खोला तो सामने छोटी बहु को देखकर वह बोली कि अभी तो कुछ देर पहले तुम ने कहा था कि अब मुझसे कभी बात नहीं करोगी, अब क्या हुआ, क्यों आई हो यहां?

छोटी बहु ने शांत स्वर में कहा कि मैं अपने कमरे बैठी थी, तभी मुझे मेरी मां की सीख याद आई कि जब भी परिवार में कभी किसी से झगड़ा हो जाए तो उसकी बुरी बातों के बारे में नहीं, उसकी अच्छी बातों के बारे में सोचना चाहिए। ये बात याद आते ही मुझे ध्यान आया कि आप मेरा कितना ध्यान रखती हैं, हर काम में मदद करती हैं। छोटी सी बात की वजह से मैं अपना रिश्ता खराब नहीं होने दे सकती। ये बातें सोचकर मैं आपके लिए चाय बनाकर ले आई।

छोटी बहु की बातें सुनकर बड़ी बहु की भी आंखें खुल गई। उसका गुस्सा भी शांत हो गया। दोनों को अपनी-अपनी गलतियां समझ आ गईं। इसके बाद दोनों ने साथ बैठकर चाय पी और उनका झगड़ा खत्म हो गया। रिश्ता टूटने से बच गया।

प्रसंग की सीख

मां की बेटी को सीख teach mother's daughter

इस प्रसंग की सीख यह है कि परिवार में क्रोध नहीं करना चाहिए। अगर कभी विवाद की स्थिति बनती भी है तो शांत हो जाना चाहिए और जिससे विवाद हुआ है, उसकी अच्छी बातों के बारे में सोचना चाहिए। विवाद थोड़ी ही देर में खत्म हो जाएगा।

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Hindi songs old is always gold

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Deep motivational quotes

 “We cannot solve problems with the kind of thinking we employed when we came up with them.” —Albert Einstein

“Learn as if you will live forever, live like you will die tomorrow.” —Mahatma Gandhi

“Stay away from those people who try to disparage your ambitions. Small minds will always do that, but great minds will give you a feeling that you can become great too.” —Mark Twain

“When you give joy to other people, you get more joy in return. You should give a good thought to the happiness that you can give out.” —Eleanor Roosevelt

“When you change your thoughts, remember to also change your world.” —Norman Vincent Peale

“It is only when we take chances that our lives improve. The initial and the most difficult risk we need to take is to become honest.” —Walter Anderson

“Nature has given us all the pieces required to achieve exceptional wellness and health, but has left it to us to put these pieces together.” —Diane McLaren

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करवा चौथ की पौराणिक कथाएं Mythological stories of Karva Chauth

करवा चौथ की पौराणिक कथा के अनुसार एक समय की बात है, जब नीलगिरी पर्वत पर पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने गए। तब किसी कारणवश उन्हें वहीं रूकना पड़ा। उन्हीं दिनों पांडवों पर गहरा संकट आ पड़ा। तब चिंतित व शोकाकुल द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान किया तथा कृष्‍ण के दर्शन होने पर पांडवों के कष्टों के निवारण हेतु उपाय पूछा।

करवा चौथ की पौराणिक कथाएं Mythological stories of Karva Chauth
 

तब कृष्ण बोले- हे द्रौपदी! मैं तुम्हारी चिंता एवं संकट का कारण जानता हूं। उसके लिए तुम्हें एक उपाय करना होगा। जल्दी ही कार्तिक माह की कृष्ण चतुर्थी आने वाली है, उस दिन तुम पूरे मन से करवा चौथ का व्रत रखना। भगवान शिव, गणेश एवं पार्वती की उपासना करना, तुम्हारे सारे कष्ट दूर हो जाएंगे तथा सबकुछ ठीक हो जाएगा।

कृष्ण की आज्ञा का पालन कर द्रोपदी ने वैसा ही करवा चौथ का व्रत किया। तब उसे शीघ्र ही अपने पति के दर्शन हुए और उसकी सारी चिंताएं दूर हो गईं।

जब मां पार्वती द्वारा भगवान शिव से पति की दीर्घायु एवं सुख-संपत्ति की कामना की विधि पूछी तब शिव ने 'करवा चौथ व्रत’ रखने की कथा सुनाई थी। करवा चौथ का व्रत करने के लिए श्रीकृष्ण ने दौपदी को निम्न कथा का उल्लेख किया था।

पुराणों के अनुसार करवा नाम की एक पतिव्रता धोबिन अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित गांव में रहती थी। उसका पति बूढ़ा और निर्बल था। एक दिन जब वह नदी के किनारे कपड़े धो रहा था तभी अचानक एक मगरमच्छ वहां आया, और धोबी के पैर अपने दांतों में दबाकर यमलोक की ओर ले जाने लगा। वृद्ध पति यह देख घबराया और जब उससे कुछ कहते नहीं बना तो वह करवा..! करवा..! कहकर अपनी पत्नी को पुकारने लगा।

पति की पुकार सुनकर धोबिन करवा वहां पहुंची, तो मगरमच्छ उसके पति को यमलोक पहुंचाने ही वाला था। तब करवा ने मगर को कच्चे धागे से बांध दिया और मगरमच्छ को लेकर यमराज के द्वार पहुंची। उसने यमराज से अपने पति की रक्षा करने की गुहार लगाई और साथ ही यह भी कहा की मगरमच्छ को उसके इस कार्य के लिए कठिन से कठिन दंड देने का आग्रह किया और बोली- हे भगवन्! मगरमच्छ ने मेरे पति के पैर पकड़ लिए है। आप मगरमच्छ को इस अपराध के दंड-स्वरूप नरक भेज दें।

करवा की पुकार सुन यमराज ने कहा- अभी मगर की आयु शेष है, मैं उसे अभी यमलोक नहीं भेज सकता। इस पर करवा ने कहा- अगर आपने मेरे पति को बचाने में मेरी सहायता नहीं कि तो मैं आपको श्राप दूंगी और नष्ट कर दूँगी।

करवा का साहस देख यमराज भी डर गए और मगर को यमपुरी भेज दिया। साथ ही करवा के पति को दीर्घायु होने का वरदान दिया। तब से कार्तिक कृष्ण की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत का प्रचलन में आया। जिसे इस आधुनिक युग में भी महिलाएं अपने पूरी भक्ति भाव के साथ करती है और भगवान से अपनी पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।


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रिश्तों को लेकर बहुत कठोर मापदंड मत बनाइए


 

पेड़ हमारे पर्यावरण को बेहतर बनाते हैं...



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रिश्तों को लेकर बहुत कठोर मापदंड मत बनाइए

 

Don't set too strict standards for relationships


    रिश्तों को लेकर बहुत कठोर मापदंड मत बनाइए। सामने वाले को एक-एक चीज़ पर परखिये मत। हो सकता है कोई दोस्त बहुत बौद्धिक हो मगर तारीफ करना न जानता हो। हो सकता है कोई ईर्ष्या करता है मगर सबसे सही सलाह भी वही देता हो। सामने वाली एक-एक प्रतिक्रिया पर उसे स्कोर मत दीजिए। उसके हर रिएक्शन पर उसका रिपोर्ट कार्ड तैयार मत कीजिए।

संभव है कि जब वो आपकी किसी खुशी पर बहुत खुश न हुआ तब वो खुद किसी गहरे दुख से गुज़र रहा हो। आप ये सोचकर नाराज़ हो गए कि वो इतना खुश क्यों नहीं हुआ और उसने ये सोचकर अपना दुख बयां नहीं किया कि आपकी खुशी में भंग न पड़ जाए। वो दुखी हो कर आपकी खातिर खुश होने का अभिनय कर रहा है और आप इस बात पर नाराज़ हो गए कि आपकी इतनी बड़ी खुशी में भी वो सिर्फ खुश होने का अभिनय कर रहा है।
इंसान सामान भी खरीदता है तो चीज़ बहुत अच्छी लगने पर उसकी कुछ कमियों से समझौता कर लेता है। मोबाइल का कैमरा अच्छा है तो उसे खरीद लिया ये जानते हुए कि उसकी बैटरी वीक है। टी शर्ट के बाजू पर कंपनी का लोगो पसंद नहीं आया मगर टी शर्ट का Colour पसंद है, तो बाजू पर बने लोगो को इग्नोर कर दिया। मगर हम इंसानों के साथ ऐसा कोई समझौता नहीं करते। कपड़ों की तरह उन्हें कोई रियायत नहीं देते।
वो इंसान जो किसी कंप्यूटर प्रोग्राम से नहीं, भावनाओं से चलता है। वो इंसान जो कमज़ोर है। आत्म संशय से घिरा है। उस इंसान को हम किसी संदेह का लाभ नहीं देना चाहते। सारी माफियां खुद के लिए बचाकर रखते हैं। छोटी-छोटी बातें बुरा लगने पर सालों पुराने रिश्तों में पीछे हट जाते हैं। बातचीत बंद कर लेते हैं और खुद ही खुद को अकेला करते जाते हैं। कुछ वक्त बाद नाराज़गी पिघल कर हवा हो जाती है। सामने वाले के साथ गुज़ारा वक्त याद आने लगता है। खाली वक्त में उसे मिस भी करते हैं। मगर उससे बात करने की पहल नहीं कर पाते।
अकेलापन आज दुनिया की सबसे बड़ी बीमारी है। डिप्रेशन सबसे बड़ा रोग है और ये रोग हमने खुद अर्जित किया हैं, क्योंकि हम लोगों को तब तक पास नहीं करते जब तक कि वो रिश्तों में दस बटा दस नंबर न ले आएं।
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सच्चे रिश्तों का सम्मान

 सफल गृहस्थ जिंदगी जी रही प्रिया की जिंदगी में पति आकाश के अलावा करण क्या आया, उसकी पूरी जिंदगी में तूफान आ गया। इसकी कीमत प्रिया ने क्या खो...