एक बार एक आदमी मछली पकड़ने गया वहा उसने पूरी तरह से मेहनत करी हर एक तरीका आज़माया जिससे वह मछली पकड़ सके लेकिन हर तरीके में वो नाकामयाब रहा। दिन ढलने लगा और शाम हो गई। अब वो आदमी परेशान होकर ये सोचने लगा कि अब मैं अगर खाली हाथ घर जाऊंगा तो मैं और मेरा परिवार खाएंगे क्या।
चिंता करते करते उसने देखा की वो मछली बाज़ार के पास ही है। वो जल्दी से मछली की दुकान पर गया और बोला "मैं चार मछलियां खरीदूंगा लेकिन मेरी एक शर्त है की आप मुझे मछलियां जिंदा ही देंगे और मैं उन्हें खुद पकडूंगा और फिर खरीदूंगा।
दुकानदार ये सुनकर हैरान रह गया की क्या अजीब आदमी है लेकिन उसने एक बड़ी बाल्टी में पानी भर कर उसमे चार से पांच मछलियां डालदी। आदमी ने एक एक करके चार मछलियां पकड़ी और दुकानदार से कहा ये लो इन मछलियों के पैसे।
दुकानदार से अब रहा नहीं गया उसने आखिर पूछ ही लिया की भाई आप कैसे हो अगर आपको मछलियां चाहिए ही थी तो आप ऐसे ही ले लेते इतना सब करने की क्या ज़रूरत, ये सुनकर उस आदमी ने कहा कि तुम समझे नही अब जब मैं घर जाऊंगा तब मेरा परिवार मुझसे ये सवाल ज़रूर पूछेगा की आपने कितनी मछलियां पकड़ी तब मैं उनसे ये कह पाऊंगा की मैंने चार मछलियां पकड़ी है तब मुझे कोई दुख भी नही होगा कि मैंने कोई झूठ बोला क्युकी ये मछलियां सच में मैने पकड़ी है अब मैं जब कल मछलियां पकड़ने जाऊंगा तो यह सोचकर जाऊंगा की आज मैं नाकामयाब नही होऊंगा ...
सीख:
ज़िंदगी में आपको असफलता कई बार मिलेगी लेकिन असफलता में कहीं न कहीं सफल होने का रास्ता भी होगा अब ये आप पर निर्भर करता है कि आप असफल होकर ही दुखी रहना चाहते हो या फिर सफलता का रास्ता ढूंढकर खुश होना चाहते हो
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