23 August 2024

माँ की डांट best moral story for kids

 ढोलकपुर जंगल में रुस्तम शेर अपने दोनों बच्चों चीका और मीका को बहुत देर से समझाने में लगा था, अरे मेरे प्यारे बच्चों चीका और मीका माँ की बातों का बुरा नहीं मानते। माँ जो भी बोलती है तुम्हारे भले के लिए बोलती है। माँ की बातों को माना करो मेरे लाल चीका और मेरे पीले मीका॥

रुस्तम शेर के समझाने पर चीका पहले बोलता है, नहीं मुझे नहीं मानना। जब देखो तब माँ कुछ न कुछ बोला ही करती है। चीका अपने पापा रुस्तम शेर को बता ही रहा था कि तभी झट से मीका बोलता है, हाँ, हाँ पापा भाई बिल्कुल सही कह रहा है, माँ के पास हमें डांटने के अलावा और कोई काम ही नहीं है। खाना देर से खाओ तो डांट, टीवी ज्यादा देर देखो तो डांट, पढ़ाई न करो तो डांट, खिलौना तोड़ दो तो डांट॥ डांट डांट और सिर्फ डांट। अब हम गुस्सा है और किसी से भी बात नहीं करेंगे, न खेलेंगे और न ही पढ़ेंगे।

दोनों की बात सुन कर रुस्तम शेर बोलता है, ठीक है तुम्हें किसी से बात नहीं करनी तो मत करो, अच्छा ये बताओ तुम सब को गज्जू हाथी कैसा लगता है। तभी चीका बोलता है, कौन अपने गज्जू दादा। वो तो बहुत अच्छे हैं। बहुत समझदार भी। उनसे बात करना और उनके साथ खेलना बहुत अच्छा लगता है। और हाँ वो पढ़ाते भी बहुत अच्छा हैं। झट से मीका बोलता है।

तभी रुस्तम शेर फिर बोलता है, अच्छा मोंटी बंदर कैसा लगता है। मोंटी बंदर वो तो बहुत शैतान है। जब देखो तब सबको परेशान करते रहते हैं। मैं एक दिन बैठकर जूस पी रहा था और वो चुपके से पीछे से आए और मेरा जूस ले लिया। हाँ-हाँ पापा मेरे साथ भी मोंटी बंदर ने ऐसा ही किया था। आप जो एक बार दूसरे जंगल गए थे न घूमने और वहाँ से मेरे लिए बढ़िया सा चश्मा लेकर आए थे। वो चश्मा भी मोंटी बंदर ने ले लिया था। बहुत खराब है मोंटी बंदर। दोनों एक साथ बोलते हैं।

तभी रुस्तम शेर मन ही मन मुसकुराता है और कहता है तुम्हारी माँ भी तुम्हें इसीलिए डांटती हैं ताकि बड़े होकर तुम दोनों गज्जू हाथी की तरह समझदार बनो, न कि मोंटी बंदर कि तरह।

रुस्तम शेर की ये बात दोनों चीका और मीका ध्यान से सुन ही रहे थे कि तभी रूपा शेरनी वहाँ आती है गरमागरम रसगुल्ला लेकर। दोनों बच्चे झट से उठते हैं और माँ के गले लगते हुए कहते है, माँ हमे माफ कर दो। हमे नहीं बनना मोंटी बंदर की तरह। आज से हम दोनों आपकी सारी बाते मानेंगे। फिर रूपा शेरनी दोनों बच्चों को खूब प्यार करती है और फिर सब मिल कर गरमा-गरम रसगुल्ला खाते हैं।

मोरल- अगर कभी भी आपके बड़े आपको समझाए कुछ बोले तो उनकी बातों को मानना चाहिए। क्योंकि बड़े हमेशा हमारी भलाई के लिए ही ऐसा करते है ताकि हम बन सकें पूरी दुनिया के सबसे अच्छे बच्चे।  

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