राम मन्दिर का इतिहास 1528 से आज तक | Ram Mandir Itihas

 Ram Mandi :राम मन्दिर हिन्दुओं के आस्था का सबसे बड़े प्रतीक के तौर पर उभर कर सामने आ रहा है। भारत ही नहीं पूरे विश्व में राम मन्दिर को लेकर चर्चा है। देश विदेश से पर्यटक भव्य राम मन्दिर को देखने के लिये इंतजार कर नहे हैं। जहां एक ओर राम मन्दिर का निर्माण जोर शोर से चल रहा है। वहीं राम भक्त बेसब्री से 22 जनवरी 2024 का इंतजार कर रहे हैं जिस दिन उनके प्रिय राम लला टेंट से निकल कर भव्य राम मन्दिर में विराज मान होंगे। यह भी याद रखने योग्य है कि इस प्रक्रिया को पूर्ण होने में 492 साल लग गए।

राम मन्दिर का इतिहास 1528 से आज तक | Ram Mandir Itihas

आईये जानते हैं राम मन्दिर का पूरा इतिहास 

यह कहानी शुरू होती है सन 1528 से जब मुगल बादशाह बाबर के सिपहसलार मीर बाकी ठीक उस जगह जहां हिन्दू संगठन दावा करते रहे कि प्राचीन राम मन्दिर है एक मस्जिद का निर्माण करवाया जिसके तीन गुंबद थे। हिंदू पक्ष ने इसी में से एक मुख्य गुबद के नीचे राम की मूर्ति होने का दावा किया था।

उस समय इस आवाज को दबा दिया गया। सन 1853 में मस्जिद के पास पहली बार दंगे हुए। इस विवाद को देखते हुए सन 1859 अंग्रेजी प्रशासन ने इसे विवादित घोषित कर दिया और उसके चारों ओर एक बाड़ लगा दी गई। जहां मुसलमान विवादित जगह के अंदर और हिन्दू बाहर चबूतरे पर पूजा करते थे।

23 दिसंबर 1949 के दिन उसी जगह में भागवान राम की मूर्तियां पाई गईं। एक ओर हिन्दू कह रहे थे कि भगवान राम प्रकट हुए हैं वहीं मुस्लिम समाज के लोग आरोप लगा रहे थे कि किसी ने रात में ये मूर्तियॉं वहां रख दी हैं।

यूपी सरकार ने वहां से मूर्तियॉं हटाने का आदेश दिया। लेकिन मूर्ति हटाने के परिणाम स्वरूप दंगे होने की आशंका से उस समय के जिला मजिस्ट्रेट के के नायर ने मूर्तियां हटाने से मना कर दिया। विवाद बढ़ता देख यूपी सरकार ने इसे विवादित ढांचा मान जिस जगह मूर्तियॉं रखी थीं वहां ताला लगा दिया।

इसके बाद वर्ष 1950 में फैजावाद सिविल कोर्ट में दो पीटिशन दी गईं जिनमें राम लला की पूजा करने और इन मूर्तियों को सुरक्षित रखने की इजाजत मांगी। इसकी सुनवाई के बीच सन 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने भी एक पीटिशन दायर की।

इसके बाद सन 1961 में मुसलमानों की ओर से सुन्नी वक्फ बोर्ड ने उस जगह पर कब्जे और मूर्तियां हटाने के लिये एक पीटिशन दायर की।

राम मन्दिर का इतिहास 1528 से आज तक | Ram Mandir Itihas

कोर्ट में इसकी सुनवाई चलती रही। इसके बाद सन 1984 में राम मन्दिर बनाने के लिये विश्व हिन्दू परिषद ने एक कमेटी बनाई।

इधर कोर्ट ने सन 1986 में यू. सी. पाण्डे की एक पीटिशन पर जज के. एम. पांडे ने 1 फरवरी 1986 में विवादित स्थल का ताला खोल कर हिन्दुओं को पूजा करने की इजाजत दे दी।

इसके लगभग 6 साल बाद 6 दिसम्बर 1992 को वी.एच.पी, शिव सेना के साथ मिलकर लाखों कार्यकर्ताओं ने अयोध्यार में विवादित ढांचे को गिरा दिया। इस खबर के फैलते ही पूरे देश में दंगे फैल गये। इन दंगों में करीब 2000 लोग मारे गये।

इस घटना से दोंनो पक्षों में काफी अक्रोश देखने को मिला। इसी बीच सन 2002 में हिन्दू कार्यकर्ताओं को लेकर जा रही ट्रेन को गोधरा में आग के हवाले कर दिया गया। जिसमें 58 लोग जल कर मर गये। इस खबर ने आग में घी का काम किया और पूरे गुजरात में दंगे फैल गये। जिनमें 2000 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा।

इलाहबाद हाई कोर्ट ने सन 2010 में विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला दिया जिसमें एक हिस्सा रामलला विराजमान, दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का फैसला सुनाया।

सन 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी। कोर्ट में लगातार सुनवाई चलती रही। सन 2017 में कोर्ट ने बाहर समझौते के लिये दोंनो पक्षों से आग्रह किया। इसके साथ ही विवादित ढांचा गिराने के लिये वरिष्ठ नेताओं पर आपराधिक साजिश के आरोप लगा दिये।

सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च 2019 को एक पैनल का गठन कर मध्यस्थता के लिये 8 सप्ताह के अंदर कार्यवाही खत्म करने का निर्देश दिया।

लेकिन इसका भी कोई परिणाम न निकल सका। 2 अगस्त 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल कोई भी समाधान नहीं निकाल सका। 

6 अगस्त 1019 से हर दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने लगी। सुप्रीम कोर्ट ने 16 अगस्त 2019 को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया।

आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवम्बर 2019 को हिंदूओं के पक्ष में फैसला सुनाया। जिसमें विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली जो कि 2.77 एकड़ थी। इसके साथ ही मस्जिद बनाने के लिये अलग से 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया।

फैसला आने के बाद रामलला को 25 मार्च 2020 में टेंट से निकाल कर फाईबर के एक मन्दिर में रखा गया।5 अगस्त 2020 का वो ऐतिहासिक दिन आया जिस दिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राम मन्दिर का भूमि पूजन किया। उनके साथ सीएम योगी आदित्यनाथ, मोहन भागवत और 175 अन्य साधू संत मौजूद थे।

राम मन्दिर में 5 गुंबद हैं। जो कि इस प्रकार हैं –

शिखर

गर्भ गृह

कुदु मंडप

नृत्य मंडप

रंग मंडप

राम मन्दिर की उंचाई 161फुट है।

मन्दिर 10 एकड़ में फैला हुआ है।

मन्दिर परिसर 57 एकड़ में फैला है।

मन्दिर की नीव में 2 लाख ईंटे लगी हैं जिन पर ‘श्री राम’ लिखा है।


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