आखिर क्यों हमारे बजुर्गों ने औरत को पर्दे में रखा था....

 फेसबुक और इंस्टाग्राम पर चल रही इन reels को देखकर अहसास हो रहा है कि आखिर क्यों हमारे बजुर्गों ने औरत को पर्दे में रखा था....

अरे ये माँस के लोथड़े हैं जो पुरुषों को कम और स्त्री को थोड़े ज्यादा दे दिए गए हैं।
नीचता कि इतनी हद कि तुम चंद likes और views पाने के लिए कभी वक्षस्थलों और नितंबों को हिला रही हो तो कभी जांघों को खोलकर अपने जननांग की तरफ भद्दा इशारा कर रही हो....
तुम्हारी इन reels को देखकर कुछ युवा उन reels को तुम्हारे व्यक्तित्व के साथ जोड़ कर देखने लगते हैं जिसके चलते कई बार तुम्हारे साथ दुराचार हो जाता है ।
और फिर किसी टेलीविजन चैनल पर उस मुद्दे पर चर्चा में कुछ तथाकथित नारी संरक्षण संस्थाएं समस्त पुरुष जाति की मानसिकता और चरित्र को लेकर उल जलूल शब्दावली का इस्तेमाल करती हैं तो यकीन मानिए हम अपनी ही लाड़ी और बेटी के सामने खुद को उस गुनाह के लिए शर्मिंदा महसूस करते हैं जो हमने किया ही नहीं......
चलो ठीक है...आपने कैसे कपड़े पहनने हैं हमें इससे कोई वास्ता नहीं लेकिन अमार्धनग्न वस्त्र आप अपने वक्षस्थलों और नितंबों को हिला-हिला कर reels डालोगे तो हमें आपत्ति है क्योंकि यदा-कदा हमारा फोन हमारे बच्चों के पास भी होता है और आपकी इन कामुक reels से उनके दिमाग पर नकरात्मक प्रभाव पड़ सकता है .....
मुझे उम्मीद नहीं है कि चन्द औरतों की इन हरकतों के कारण हो रहे समस्त नारी जाति के अपमान को रोकने के लिए भी कोई नारी संरक्षण संस्था मुहिम छेड़ेगी..
आखिर क्यों हमारे बजुर्गों ने औरत को पर्दे में रखा था....

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