जल्दी-जल्दी नींद में बिस्तर पर पेशाब कर देने के बाद दामोदर जी उसे साफ करने में लगे थे, ताकि कहीं बहू और बेटा न देख लें। कल ही तो बहू काजल ने नई चादर बिछाई थी और काफी सुनाया था अपने पति रवि को कि अगर इस बार पापा जी ने फिर से चादर गंदी की तो वो इसे साफ नहीं करेगी, भले ही घर छोड़ना पड़े। इसीलिए बेटे-बहू ने कल से ही उन्हें ज्यादा पानी भी नहीं पीने दिया था कि कहीं फिर से दामोदर जी ऐसा न कर दें। 😔
85 वर्षीय दामोदर जी को जबसे किडनी की समस्या हुई है, तबसे ऐसा कभी-कभी हो जाता है। बेचारे दामोदर जी को बहुत अफसोस होता था। जल्दी से चादर हटाकर दामोदर जी उसे बाथरूम में ले जाकर धोने लगे, यह सोचकर कि बहू आज बेटे के साथ अपने भाई की शादी के कपड़े लेने गई है, तो देर से ही लौटेगी। उन्हें भूख भी लग रही थी, पर मन का डर उनके हाथ जल्दी-जल्दी चलाने को मजबूर कर रहा था। चादर भीगने के बाद उठाई नहीं जा रही थी। दामोदर जी की साँसें फूलने लगीं, तभी उन्होंने सामने अचानक बेटे-बहू को खड़ा पाया। 😓
दामोदर जी बस इतना बोले, "बहू, अब नहीं होगा... मैंने साफ कर दी है।" बेटे रवि ने अपने पिता को सहारा देकर कुर्सी पर बैठाया। बहू कुछ कहने लगी, "देख लो, फिर से बिस्तर खराब कर दिया है। कितनी बदबू आ रही है। इन्हें अस्पताल में भर्ती करवाओ।"
लेकिन रवि ने उसे रोकते हुए कहा, "तुम अपने मायके जा सकती हो। उस बाप को कैसे छोड़ सकता हूँ, जिसने मेरी पैंट तक साफ की थी जब मैं कच्छे में पोटी कर देता था। उस बाप का पेशाब नहीं साफ होगा, जिसकी यूनिफार्म पर मैंने उस दिन टॉयलेट कर दी थी, जब पिता जी अपने सम्मान समारोह में जा रहे थे। उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा और खुशी-खुशी पानी से थोड़ा सा साफ कर चले गए।" 💔
"चलिए पापा, कितने गीले हो गए हैं आप, ठंड लग जाएगी। आपके लिए चाय बनाता हूँ।" बेटे ने दीवान से नई चादर निकालकर दामोदर जी के बिस्तर पर बिछाई। उन्हें बैठाया, उनके कपड़े बदले और अपने हाथों से चाय पिलाने लगा। 🍵
दामोदर जी के कांपते हाथ बेटे के सर पर आशीर्वाद देने के लिए उठ गए। आँखों से भी आँसू बह निकले, जिन्हें धोती के कोरों से पोंछते जा रहे थे। सामने लगी पत्नी की तस्वीर को देख मन ही मन बोले, "देख ले विमला, तू कहती थी मैं चली जाऊंगी तो कौन ख्याल रखेगा मेरा। हमारा रवि देख कैसे तेरे बुढ़ऊ की सेवा कर रहा है।" 😢❤️
दरवाजे पर खड़ी बहू भी पश्चाताप के आँसू बहा रही थी।
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