बहू के साथ किए गए व्यवहार-treatment done to daughter-in-law

 नई नवेली बहू के साथ किए गए व्यवहार, चाहे अच्छा हो या बुरा बहू या पत्नी जिंदगी भर नहीं भूल पाती.....

बहू के साथ किए गए व्यवहार-treatment done to daughter-in-law

बुरे व्यवहार की चोट इतनी गहरी होती है बाद में किए गए अच्छे से अच्छा व्यवहार उस चोट को भर नहीं पाते
और अच्छे किए व्यवहार का कर्ज जीवन भर उतारती है......
मेरी सोसाइटी में एक आंटी है उनके बहु बेटे भी हैं जो कि
बाहर रहते हैं....
कहने को पढ़े लिखे एक रिटायर्ड अधिकारी की पत्नी हैं खुद भी डबल M A हैं आज की स्थिति ये है वो क्या हैं??
उनका अस्तित्व क्या है उनका वजूद क्या है यहां तक कि उनकी पहचान उनके नाम से भी है भूल चुकी होती हैं
हम लोग आपस में बातें करते हैं हंसते हैं और वो अपने बंद गेट की घर की खिड़कियों से देखती रहती है
उनके अंदर की एक अच्छी खासी जिन्दगी खत्म सी नज़र आती है.....
मुझे लगता है एक पत्नी की जिंदगी बनाने और खत्म करने में पति की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है .......!!
आइये जानें कुछ भावनात्मक बातें नई नवेली बहू की.......
कुछ सहमी सी,सिमटी सी,सकुचाई सी
नए घर में,नए लोग के बीच प्रवेश करती है
ये जानते हुए,आगे का जीवन
इसी घर में ,इन्ही लोगो के बीच बिताना है
बचपन से बताया गया घर जो उसका है,उसे छोड़
बड़े अरमानों के साथ बड़े सालों बाद
अपने (ख़ुद) घर में प्रवेश करती है.....
अपना घर कौन सा अपना घर
यहां तो पराए घर से आई हो!!
ये बता दिया जाता है.....
रोज का निवाला भी किराए का हो जाता है
सारे अरमान,सारे सपने,बंद पड़े किसी अंधेरे
कमरे में,दिल के किसी,छोटे से कोने में दफन
कर दिया जाता है,
कुछ भी अपना नहीं रह जाता है,कपड़े,गहने,
पति भी अपना नहीं हो पाता है.....
गहने ससुर के लॉकर में,कपड़े सास की अरमारी में,
और पति मां के पल्लू में.....
पूछती हूं उस पति से क्यूं ब्याह के लाते हो ????
जब संभाल नहीं पाते,सामंजस्य बिठा नहीं पाते
जब स्थान,अधिकार,दिला नहीं पाते ??
बड़े जिम्मेदारी से,किसी का जीवन तुम्हे सौंपा जाता है
अपने ही घर में पत्नी को सम्मान दिला नहीं पाते हो!
अपनत्व दे नहीं पाते,घर की लक्ष्मी तो दूर
एक इंसान की भी अहमियत दिला नहीं पाते हो !!
जब उसे (बहू)महसूस होता है मेरी आवाज मुझे ही बनना होगा,
मेरा सम्मान,स्थान,मुझे ही पाना होगा,मेरे अधिकारों को
खुद ही पाना होगा.......
तो उसे आधुनिक महिला होने का कटाक्ष
उसके चरित्र का वर्णन,उसके मायके में
मां के चरित्र का वर्णन कर कर के,घर में और अकेला
कर दिया जाता है
और इस तरह एक अच्छी खासी हंसती खेलती जिंदगी
को खत्म करने का,
जिम्मेदार ससुराल में सिर्फ और सिर्फ पति होता है ।।
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