भाभी को भाभी माँ क्यों कहा जाता है?
राजतंत्र में पुत्र युद्ध लड़ने जाता था,तब माँ उसको स्तन पान(छाती का दूध) पिलाकर रवाना करती थी,तथा कहती थी,बेटे मेरे दूध की लाज रखना,भले ही लड़ते हुए शहीद हो जाना पर पीठ मत दिखाना,
मैदान छोड़कर भाग मत जाना वरना मेरे दूध पर दाग लग जायेगा।कहावत है,पूत से प्यारा दूध होता है।
दुर्भाग्य से किसी दूल्हे की माँ का स्वर्गास हो गया हो या बीमार होने से माँ पैरों पर खड़ी नही हो सकती हो,ऐसी स्थिति में माँ का फर्ज भाभी निभाती है,पुत्र समान देवर को स्तन पान करवाती है,इस वजह से भाभी को माँ का दर्जा मिला हुवा है।संस्कार वान चरित्रवान देवर भाभी से बात करते समय नीची गर्दन करके पैरों में नजर गड़ाये बात करता है।शोशल मीडिया के जमाने मे भारतीय संस्कृति की होली जलाते हुए भाभीयों के बारे में कितनी अश्लील टिपणियां करते है।
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