25 August 2024

शादी जैसे बंधन को चलाने के लिए जरूरी है आपसी सहमति, समझ और विश्वास To maintain a bond like marriage, mutual consent, understanding and trust are necessary.

 "पति को संभोग सुख दो, तो वह तुम्हें दुनिया के सारे सुख देगा।" यह बात मैंने हमेशा अपनी सहेलियों, मां, और चाची से सुनी थी। लेकिन असल में कमी कुछ और थी।

शादी जैसे बंधन को चलाने के लिए जरूरी है आपसी सहमति, समझ और विश्वास To maintain a bond like marriage, mutual consent, understanding and trust are necessary.

35 साल की उम्र में मेरा विवाह हुआ, जो कि काफी देर से हुआ था। जिस व्यक्ति से मेरी शादी हुई, उनकी उम्र 37 साल थी। पहले लोग जल्दी शादी करने पर जोर देते थे, लेकिन आजकल लोग पहले करियर बनाने के पीछे भागते हैं। कम उम्र में हुई शादी में आप अपने पार्टनर और परिवार से घुल-मिल जाते हैं, लेकिन देर से हुई शादी में लोग इतने जटिल हो जाते हैं कि वे नए माहौल में ढल नहीं पाते।


जब मेरी शादी हुई, तो मुझे पता था कि जिस व्यक्ति से मेरी शादी हो रही है, वह कम कमाता है। पर 35 साल की उम्र होने के कारण मेरी मां को भी चिंता होने लगी थी। मेरे पापा का निधन पहले ही हो चुका था। परिवार के दबाव में मैंने शादी कर ली। सहेलियों ने भी कहा, "रात को बिस्तर पर पति को खुश रखो, वह खुद मेहनत कर के ज्यादा पैसे कमाएगा।"

शादी के बाद मुझे समझ आया कि पति के साथ-साथ एक पुरुष की जिंदगी में एक और चीज आती है जिसे जिम्मेदारी कहते हैं। मेरे पति जानते थे कि मैं उनकी कम आय से खुश नहीं हूं। उन्होंने शादी की पहली रात मुझसे कहा, "देखो, मेरी आय कम है और उम्र ज्यादा, इसका मतलब यह नहीं कि हम दोनों साथ में खुश नहीं रह सकते। मैं तुम्हें सभी संसाधन तो नहीं दे सकता, लेकिन इतना जरूर दे सकता हूं कि हमारी जिंदगी अच्छे से चले।"

हमारे बीच पति-पत्नी वाला रिश्ता नहीं बन पाया। मैंने अपनी सहेलियों से फिर बात की, और उन्होंने फिर वही बात कही, "उन्हें रात में खुश करो और वह तुम्हारी जरूरतें पूरी करेंगे।"

महीने के अंत में उन्हें वेतन मिला 25000 रुपए, जिसमें से 5000 रुपए भविष्य के लिए रख कर उन्होंने 20000 मुझे दिए और बोले, "मेरी जरूरतें काफी सीमित हैं, ये पैसे तुम रखो। अगर मुझे जरूरत हुई तो तुमसे ले लूंगा। तुम अपने हिसाब से घर देख लो।"

फिर भी पैसे कम पड़े। मैंने उनसे इस बारे में बात की, तो उन्होंने कहा, "थोड़ी दिक्कत हो सकती है, लेकिन मैं दूसरी नौकरी के लिए ट्राय कर रहा हूं।"

शादी के 6 महीने बाद हमारा झगड़ा हुआ। मैं चाहती थी कि वह और पैसे कमाएं, लेकिन वह कहते थे, "जो हैं उसमें एडजस्ट करने की कोशिश करो।" मैं अपने मायके आ गई और मन बना लिया कि अब वापस नहीं जाऊंगी।

उन्होंने मुझे कई बार बुलाया, लेकिन मैंने नहीं सुना। आखिरकार, उन्होंने मुझे अलग होने का प्रस्ताव दिया और कहा, "अगर तुम मुझसे अलग होना चाहती हो तो हो सकती हो।" मेरा गुस्सा और भड़क गया।

तलाक के बाद मैंने नौकरी की। अब मेरी उम्र 37 साल हो गई थी और मुझे समझ में आया कि नौकरी करना कितना कठिन है। मेरी तनख्वाह 15000 रुपए थी।

अब मुझे एहसास हुआ कि पहले 20000 रुपए घर बैठे मिलते थे, और अब 15000 के लिए दिनभर की मेहनत करनी पड़ती है। एक पुरुष अपने परिवार की कमी को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करता है, लेकिन हम औरतें सिर्फ यह सोचती हैं कि कैसे हमारा काम पूरा हो।

आज उसी शख्स की नौकरी में तनख्वाह 86000 रुपए है। मैंने यह गलती की कि रिश्ते को पैसे के पैरामीटर पर तोलने लगी।

आजकल की लड़कियां शादी करने से पहले यह जानना चाहती हैं कि लड़का कितना कमा रहा है। लेकिन असल में किसी से शादी करने से पहले यह जानना जरूरी है कि उसका चरित्र कैसा है।

शादी जैसे बंधन को चलाने के लिए जरूरी है आपसी सहमति, समझ और विश्वास। लेकिन आज मेरी तरह सभी लड़कियां अपनी शादी में सबसे पहले यह देखती हैं कि लड़का कितना कमा रहा है।

एक अच्छा रिश्ता पैसे की दम पर नहीं चलता है। मुझे यह बात तब समझ आई जब मैंने अपना रिश्ता खो दिया। किसी अमीर से 4 बात सुनने से बेहतर है कि किसी कम आय वाले के साथ शादी करके साथ खुश रहने में आनंद है।

यह एक सत्य घटना है। आप बताइए, आपके हिसाब से रिश्ते चलाने के लिए पैसे कितने जरूरी हैं?

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