" नीति वचन "


१-साईं इतना दिजिये, जामे कुंटुब समाये | मैं भी भूखा ना रहुँ, साधु ना भूखा जाये ||
२-माटी कहें कुम्हार से, तु क्या रोदें मोय | एक दिन ऐसा आयेगा, मैं रौंदुंगी तोहि  ||
३-माया मरि ना मन मरा,मर मर गया शरीर|आशा तृष्णा ना मरी,कह गये दास कबिर||

4-ऐसी वाणी बोलिये, मन का आपा खोय|औरन को शीतल करें,आप हीं शीतल होयें ||
5- बडा भया तो क्या भया, जैसे पेड खजूर | पंथी को छाया नहीं,फल लागत अति दूर ||
6-कबिरा खडा बजार में, सबकी माँगें खैर  ना काहुँ से दोस्ती, ना काहुँ से बैर ||

7-सुख के सब साथी दुखः में ना कोय | जो सुख में सुमिरन करे तो दुखः काहे को होय ||
8-बिन मांगे मोती मिले मांगे मिले ना भीख |

9-जो मेरे भाग्य में नहीं हैं, वो मुझे दुनियाँ की कोई भी शक्ति नहीं दे सकती और जो मेरे भाग्य में हैं उसे दुनियाँ कोई भी शक्ती छीन नहीं सकती हैं |
10-दुख मे सभी सुमिरन करे सुख मे करे ना कोय, जो सुख मे सुमिरन करे तो दुख काहे होय ||
11-जब तू आया जगत में, लोग हँसे तू रोये| ऐसी करनी न करी, पाछे हँसे सब कोय ||
12-धीरे धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होये | माली सींचे सौ घडा, ॠतु आये फल होये ||

13-माला फेरत जुग भया, मिटा न मन का फेर | कर का मनका छोड दे, मन का मनका फेर ||






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