मिर्ची-करोंदा की ये चटपटी रेसिपी

एक बार खा लिए मिर्ची-करोंदा की ये चटपटी #रेसिपी तो भूल जाएंगे सब्जी और अचार का स्वाद, रोटी में लपेटकर खाने में आएगा मज़ा

जानें विधि

करौंदा इस मौसम में खूब बिकता है। इसका खट्टा स्वाद सरे टेस्ट बड्स खोल देता है। क्या आपने कभी करौंदे की चटनी खाई है। जी हांकरोंदे और मिर्ची की चटपटी चटनी का स्वाद इतना लाजवाब होता है कि आप सब्जी और अचार का स्वाद भूल जायेंगे। इसे बनाना भी बेहद आसान होता है। चलिए जानते यहीं कैसे बनायें खाते करौंदे की चटपटी चटनीकी रेसिपी?

करौंदे की चटनी बनाने के लिए सामग्री

कप करोंदा, 2 प्याज,  3 हरी मिर्च कटी हुईआधा चम्मच जीराआधा चम्मच हल्दीआधा  चम्मच धनिया पाउडर, 2 चम्मच सरसो का तेलचुटकी भर हींगनमक स्वादानुसार

करौंदे की चटपटी चटनी बनाने की विधि

  • पहला स्टेपकरोंदेहरी मिर्च और प्‍याज की चटनी बनाने के लिए सबसे पहले करोंदों को अच्छी तरह धोकर दो हिस्‍सों में काट कर रख लें। उसके बाद करौंदे और 3 मिर्च को एक साथ अच्छी तरह कूट लें। और प्याज को गोल गोल आकार में काट लें। 

  • दूसरा स्टेपअब गैस ऑन कर कड़ाही रखें और उसमें 2 चमच सरसो का तेल डालें। जब तेल तरह गरम हो जाए तो इसमें हींग और जीरा से तड़का दें। कुछ सेकेंड्स के बाद इसमें इसमें कटी हुई प्याज डाल कर अच्छी तरह भूनें। 

  • तीसरा स्टेपप्याज को तब तक भुनाना है जब तक वो गोल्डन ब्राउन  हो जाए। जब प्याज सुनहरा का रंग हो जाए तब उसमें कद्दूकस किया हुआ हरी मिर्च और करोंदे डालें। इसके बााद इसमें आधा चम्मच हल्दीआधा  चम्मच धनिया पाउडर और स्‍वाद अनुसार नमक भी डाल दें। 

  • चौथा स्टेपअब इसे धकार रख दें और हल्‍की आंच पर पकने दें। ध्यान रखें बहुत ज़्यादा पकाना भी नहीं है। कुछ ही मिनटों में आप गैस बंद कर दें। करौंदे की ये चटपटी चटनी बन कर तैयारहै। आप इसे रोटी में भी लपेटकर खा सकते हैं और चावल के साथ भी ...





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जामुन की लकड़ी

         अगर जामुन की मोटी लकड़ी का टुकडा पानी की टंकी में रख दे तो टंकी में शैवाल, हरी काई नहीं जमेगी और पानी             सड़ेगा भी नहीं।

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जामुन की इस खुबी के कारण इसका इस्तेमाल नाव बनाने में बड़ा पैमाने पर होता है।
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पहले के जमाने में गांवो में जब कुंए की खुदाई होती तो उसके तलहटी में जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता था जिसे जमोट कहते है।
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दिल्ली की निजामुद्दीन बावड़ी का हाल ही में हुए जीर्णोद्धार से ज्ञात हुआ 700 सालों के बाद भी गाद या अन्य अवरोधों की वजह से यहाँ जल के स्तोत्र बंद नहीं हुए हैं।
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भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रमुख के.एन. श्रीवास्तव के अनुसार इस बावड़ी की अनोखी बात यह है कि आज भी यहाँ लकड़ी की वो तख्ती साबुत है जिसके ऊपर यह बावड़ी बनी थी। श्रीवास्तव जी के अनुसार उत्तर भारत के अधिकतर कुँओं व बावड़ियों की तली में जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल आधार के रूप में किया जाता था।
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स्वास्थ्य की दृष्टि से विटामिन सी और आयरन से भरपूर जामुन शरीर में न केवल हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता। पेट दर्द, डायबिटीज, गठिया, पेचिस, पाचन संबंधी कई अन्य समस्याओं को ठीक करने में अत्यंत उपयोगी है।
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एक रिसर्च के मुताबिक, जामुन के पत्तियों में एंटी डायबिटिक गुण पाए जाते हैं, जो रक्त शुगर को नियंत्रित करने करती है। ऐसे में जामुन की पत्तियों से तैयार चाय का सेवन करने से डायबिटीज के मरीजों को काफी लाभ मिलेगा।
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सबसे पहले आप एक कप पानी लें। अब इस पानी को तपेली में डालकर अच्छे से उबाल लें। इसके बाद इसमें जामुन की कुछ पत्तियों को धो कर डाल दें। अगर आपके पास जामुन की पत्तियों का पाउडर है, तो आप इस पाउडर को 1 चम्मच पानी में डालकर उबाल सकते हैं। जब पानी अच्छे से उबल जाए, तो इसे कप में छान लें। अब इसमें आप शहद या फिर नींबू के रस की कुछ बूंदे मिक्स करके पी सकते हैं।
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जामुन की पत्तियों में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं. इसका सेवन मसूड़ों से निकलने वाले खून को रोकने में और संक्रमण को फैलने से रोकता है। जामुन की पत्तियों को सुखाकर टूथ पाउडर के रूप में प्रयोग कर सकते हैं. इसमें एस्ट्रिंजेंट गुण होते हैं जो मुंह के छालों को ठीक करने में मदद करते हैं। मुंह के छालों में जामुन की छाल के काढ़ा का इस्तेमाल करने से फायदा मिलता है। जामुन में मौजूद आयरन खून को शुद्ध करने में मदद करता है।
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जामुन की लकड़ी न केवल एक अच्छी दातुन है अपितु पानी चखने वाले (जलसूंघा) भी पानी सूंघने के लिए जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल करते हैं।
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हर व्यक्ति अपने घर की पानी की टंकी में जामुन की लकड़ी का एक टुकड़ा जरूर रखें, एक रुपए का खर्चा भी नहीं और लाभ ही लाभ। आपको मात्र जामुन की लकड़ी को घर लाना है और अच्छी तरह से साफ सफाई करके पानी की टंकी में डाल देना है। इसके बाद आपको फिर पानी की टंकी की साफ सफाई करवानें की जरूरत नहीं पड़ेगी।
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क्या आप जानते हैं कि नाव की तली में जामुन की लकड़ी क्यों लगाते हैं, जबकि वह तो बहुत कमजोर होती है..?
भारत की विभिन्न नदियों में यात्रियों को एक किनारे से दूसरे किनारे पर ले जाने वाली नाव की तली में जामुन की लकड़ी लगाई जाती है। सवाल यह है कि जो जामुन पेट के रोगियों के लिए एक घरेलू आयुर्वेदिक औषधि है, जिसकी लकड़ी से दांतो को कीटाणु रहित और मजबूत बनानें वाली दातुन बनती है, उसी जामुन की लकड़ी को नाव की निचली सतह पर क्यों लगाया जाता है। वह भी तब जबकि जामुन की लकड़ी बहुत कमजोर होती है। मोटी से मोटी लकड़ी को हाथ से तोड़ा जा सकता है। क्योंकि इसके प्रयोग से नदियों का पानी पीनें योग्य बना रहता है।
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बावड़ी की तलहटी में 700 साल बाद भी जामुन की लकड़ी खराब नहीं हुई…
जामुन की लकड़ी के चमत्कारी परिणामों का प्रमाण हाल ही में मिला है। देश की राजधानी दिल्ली में स्थित निजामुद्दीन की बावड़ी की जब सफाई की गई तो उसकी तलहटी में जामुन की लकड़ी का एक स्ट्रक्चर मिला है। भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रमुख के0 एन0 श्रीवास्तव जी नें बताया कि जामुन की लकड़ी के स्ट्रक्चर के ऊपर पूरी बावड़ी बनाई गई थी। शायद इसीलिए 700 साल बाद तक इस बावड़ी का पानी मीठा है और किसी भी प्रकार के कचरे और गंदगी के कारण बावड़ी के वाटर सोर्स बंद नहीं हुए। जबकि 700 साल तक इसकी किसी ने सफाई नहीं की थी।
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आपके घर में जामुन की लकड़ी का उपयोग…
यदि आप अपनी छत पर पानी की टंकी में जामुन की लकड़ी डाल देते हैं तो आप के पानी में कभी काई नहीं जमेगी। 700 साल तक पानी का शुद्धिकरण होता रहेगा। आपके पानी में एक्स्ट्रा मिनरल्स मिलेंगे और उसका टीडीएस बैलेंस रहेगा। यानी कि जामुन हमारे खून को साफ करने के साथ-साथ नदी के पानी को भी साफ करता है और प्रकृति को भी साफ रखता है।
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कृपया हमेशा याद रखिए कि दुनियाभर के तमाम राजे रजवाड़े और वर्तमान में अरबपति रईस जो अपने स्वास्थ्य के प्रति चिंता करते हैं। जामुन की लकड़ी के बनें गिलास में पानी पीते हैं…




🌹प्राकृतिक जीवन अपनाएं स्वस्थ जीवन पाए🌹\





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आखिर क्यों हमारे बजुर्गों ने औरत को पर्दे में रखा था....

 फेसबुक और इंस्टाग्राम पर चल रही इन reels को देखकर अहसास हो रहा है कि आखिर क्यों हमारे बजुर्गों ने औरत को पर्दे में रखा था....

अरे ये माँस के लोथड़े हैं जो पुरुषों को कम और स्त्री को थोड़े ज्यादा दे दिए गए हैं।
नीचता कि इतनी हद कि तुम चंद likes और views पाने के लिए कभी वक्षस्थलों और नितंबों को हिला रही हो तो कभी जांघों को खोलकर अपने जननांग की तरफ भद्दा इशारा कर रही हो....
तुम्हारी इन reels को देखकर कुछ युवा उन reels को तुम्हारे व्यक्तित्व के साथ जोड़ कर देखने लगते हैं जिसके चलते कई बार तुम्हारे साथ दुराचार हो जाता है ।
और फिर किसी टेलीविजन चैनल पर उस मुद्दे पर चर्चा में कुछ तथाकथित नारी संरक्षण संस्थाएं समस्त पुरुष जाति की मानसिकता और चरित्र को लेकर उल जलूल शब्दावली का इस्तेमाल करती हैं तो यकीन मानिए हम अपनी ही लाड़ी और बेटी के सामने खुद को उस गुनाह के लिए शर्मिंदा महसूस करते हैं जो हमने किया ही नहीं......
चलो ठीक है...आपने कैसे कपड़े पहनने हैं हमें इससे कोई वास्ता नहीं लेकिन अमार्धनग्न वस्त्र आप अपने वक्षस्थलों और नितंबों को हिला-हिला कर reels डालोगे तो हमें आपत्ति है क्योंकि यदा-कदा हमारा फोन हमारे बच्चों के पास भी होता है और आपकी इन कामुक reels से उनके दिमाग पर नकरात्मक प्रभाव पड़ सकता है .....
मुझे उम्मीद नहीं है कि चन्द औरतों की इन हरकतों के कारण हो रहे समस्त नारी जाति के अपमान को रोकने के लिए भी कोई नारी संरक्षण संस्था मुहिम छेड़ेगी..
आखिर क्यों हमारे बजुर्गों ने औरत को पर्दे में रखा था....

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प्रेमिका इतनी स्वीट और पत्नी इतनी खड़ूस क्यों होती है Why is the girlfriend so sweet and the wife so bitter?

 क्सर पुरुष यह सोचकर चकित रहते हैं कि प्रेमिका इतनी स्वीट और पत्नी इतनी खड़ूस क्यों होती है। इसका कारण यह है कि:

बारिश में प्रेमिका को उधार की बाइक और रुपये मांगकर भी लॉन्ग ड्राइव पर ले जाते हैं, जबकि पत्नी के आते ही, अमीर हो जाने पर भी, उससे बारिश होने पर चाय पकौड़ी बनवाना ही याद आता है। कभी थकी-हारी पत्नी ना कह देती है तो पुरुषों के अहम को इतनी चोट लगती है कि सुबह तक मुँह फुलाए घूमते हैं, जबकि प्रेमिका के आगे 365 दिन भी गिड़गिड़ाने पर कुछ हासिल नहीं हो तो संस्कार समझकर उस पर और प्यार लुटाते हैं और डबल मान-मनौव्वल शुरू कर देते हैं।
प्रेमिका को गार्डन, रेस्टोरेंट, पब, रिसोर्ट जैसी सुंदर और खर्चीली जगह ले जाते हैं, और पत्नी के आते ही उसे मुंडन, जनेव, विवाह, पूजा-पाठ, बीमार की सेवा, श्रद्धांजलि सभा में लेकर जाते हैं। प्रेमिका को सर से पाँव तक घूरते रहने में आँखें नहीं थकतीं और हर इंच और हर मौके के लिए शायराना कॉम्प्लिमेंट्स होते हैं, जबकि पत्नी के लिए शिकायत होती है कि वह कितनी देर लगाती है तैयार होने में।
प्रेमिका का फोन चौबीस घंटे में चौबीस बार भी आए तो वह केयर लगता है, जबकि दिन में पत्नी का दो फोन इन्क्वायरी लगने लगता है। अपने भले अपने माँ-बाप की सेवा नहीं की होगी, लेकिन पत्नी से यही उम्मीद होती है कि वह चौबीस घंटे में से अड़तालीस घंटे पूरे परिवार की सेवा में गुजारे।
यही फर्क है #पत्नी और #प्रेमिका में।

प्रेमिका इतनी स्वीट और पत्नी इतनी खड़ूस क्यों होती है Why is the girlfriend so sweet and the wife so bitter?

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भाभी को भाभी माँ क्यों कहा जाता है ? Why is sister-in-law called mother-in-law?

 भाभी को भाभी माँ क्यों कहा जाता है?

राजतंत्र में पुत्र युद्ध लड़ने जाता था,तब माँ उसको स्तन पान(छाती का दूध) पिलाकर रवाना करती थी,तथा कहती थी,बेटे मेरे दूध की लाज रखना,भले ही लड़ते हुए शहीद हो जाना पर पीठ मत दिखाना,
मैदान छोड़कर भाग मत जाना वरना मेरे दूध पर दाग लग जायेगा।कहावत है,पूत से प्यारा दूध होता है।
यही रश्म पुत्र की शादी में निकासी,बिंदोरी निकालते समय माँ अपने दूल्हे पुत्र को सार्वजनिक रूप से स्तन पान करवाती है,तथा कहती है मेरे दूध की लाज रखना ससुराल में ऐसा काम मत करना जिससे मेरे दूध पर दाग लग जाये।
दुर्भाग्य से किसी दूल्हे की माँ का स्वर्गास हो गया हो या बीमार होने से माँ पैरों पर खड़ी नही हो सकती हो,ऐसी स्थिति में माँ का फर्ज भाभी निभाती है,पुत्र समान देवर को स्तन पान करवाती है,इस वजह से भाभी को माँ का दर्जा मिला हुवा है।संस्कार वान चरित्रवान देवर भाभी से बात करते समय नीची गर्दन करके पैरों में नजर गड़ाये बात करता है।शोशल मीडिया के जमाने मे भारतीय संस्कृति की होली जलाते हुए भाभीयों के बारे में कितनी अश्लील टिपणियां करते है।
इसी प्रकार साली को आधी घरवाली बताते है,जबकि साली बहन के समान होती है।क्योंकि साली का जीजा साली के पिता को पापाजी कहता है,इस रिस्ते से जीजा भी साली का बड़ा भाई माना जाता है।
भाभी को भाभी माँ क्यों कहा जाता है ? Why is sister-in-law called mother-in-law?


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Feetured Post

नारी शक्ति की सुरक्षा के लिये

 1. एक नारी को तब क्या करना चाहिये जब वह देर रात में किसी उँची इमारत की लिफ़्ट में किसी अजनबी के साथ स्वयं को अकेला पाये ?  जब आप लिफ़्ट में...