सफल गृहस्थ जिंदगी जी रही प्रिया की जिंदगी में पति आकाश के अलावा करण क्या आया, उसकी पूरी जिंदगी में तूफान आ गया। इसकी कीमत प्रिया ने क्या खोकर चुकाई।
"मम्मा, आज मैं अपनी नई वाली बोतल में पानी ले जाऊंगी," नन्ही अनिका चहकते हुए बोली।
"ओके," कहते हुए प्रिया ने उसे स्कूल के लिए तैयार किया।
"प्रिया, पार्लर की लिस्ट मैं विकास को दे आया हूं। 11-12 बजे तक सामान पहुंचा देगा। तुम चेक कर लेना," आकाश ने नाश्ता करते हुए कहा।
"ठीक है, आप चिंता न करें," प्रिया ने कहा।
आकाश और अनिका के चले जाने के बाद प्रिया आरामकुर्सी पर निढाल हो गई। तभी अचानक किसी ने ज़ोर से दरवाजा खटखटाया। दरवाजा खोलते ही सामने पड़ोसन सीमा हांफती हुई दिखाई दी।
"क्या हुआ? कहां से भागती-दौड़ती चली आ रही हो?" प्रिया ने पूछा।
"यार, बुरी खबर है। करण की पत्नी ने आत्महत्या कर ली," सीमा ने हांफते हुए कहा।
"क्या?" प्रिया स्तब्ध रह गई।
"हां, सुना है कि वह प्रेग्नेंट भी थी।"
सीमा के जाने के बाद प्रिया के मन में सवालों का सैलाब उमड़ पड़ा। करण की पत्नी पूजा, जिसे वह एक बार आयोजन में मिली थी, ने अपनी दुखभरी आंखों से उससे कहा था, "दीदी, काश हम भी आपकी तरह खुशहाल होते।"
प्रिया का मन अतीत की गलियों में भटकने लगा।
कुछ साल पहले, जब प्रिया ने आकाश के साथ नई कॉलोनी में घर लिया था, तो पड़ोस में रहने वाला करण अक्सर उससे टकरा जाता।
"भाभी, ये रंग आप पर बहुत जंच रहा है," सब्जी खरीदते समय करण ने पहली बार प्रिया से कहा।
करण धीरे-धीरे प्रिया की मदद करने के बहाने उसके करीब आने लगा। प्रिया भी उसके आकर्षण और मीठी बातों के जाल में फंसती चली गई।
एक दिन, जब आकाश किसी काम से शहर से बाहर थे, प्रिया और करण ने अपनी सीमाएं पार कर दीं।
लेकिन इसके बाद का हर पल प्रिया के लिए अपराधबोध और पछतावे का बन गया।
करण से दूरी बनाने की कोशिश के बावजूद, वह बार-बार प्रिया के जीवन में लौट आता। आखिरकार, एक दिन प्रिया ने आकाश और अपनी बेटी के लिए करण का साथ छोड़ने का निर्णय लिया।
आज, जब प्रिया को पता चला कि करण की पत्नी ने आत्महत्या कर ली है, तो वह सोचने लगी कि अगर उसने भी करण के साथ अपना जीवन चुना होता, तो शायद उसकी हालत भी पूजा जैसी ही होती।
पुनःस्थापना:
आकाश के साथ समय बिताने और उसकी अटूट समझ ने प्रिया को अपने गुनाहों से उबरने का हौसला दिया।
दोस्तों, यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चे रिश्तों का सम्मान करना चाहिए। जीवन में मोह और क्षणिक आकर्षण से बचकर सही निर्णय लेना ही सच्चा समझदारी है।