धर्म और मानवता के प्रहरी - Dharm aur maanavata ke praharee

 गीत: धर्म और मानवता के प्रहरी


(शानदार धुन पर भक्तिमय और प्रेरणादायक सुर)


अंतरा 1:

जो देश, धर्म की राह चलें,

त्याग की मूरत बन जाएं।

मानवता की रक्षा को,

अपना जीवन अर्पण कर जाएं।

गांधी, भगत, आजाद जैसे,

जिनका नाम अमर हो जाता।

इतिहास में गूंजे गाथाएं,

जग हर युग में नमन कर जाता।


सुर:

जो जियें धर्म की खातिर,

वो जीवन सफल कहलाता।

मानवता के दीप जलाएं,

वो हर दिल में बस जाता।


कोरस:

जय जयकार करो, उन रक्षकों की,

जो सत्य, धर्म की शान हैं।

देश, धर्म और मानवता के,

वो अमर गाथा महान हैं।


अंतरा 2:

पुष्पेंद्र की हुंकार सुनो,

जो धर्म का सिंहनाद करें।

बागेश्वर बाबा की वाणी में,

जो सत्य की मशाल भरें।

देवकीनंदन का ज्ञान देखो,

जो जग को राह दिखाते।

अश्विनी, मोदी, योगी जैसे,

न्याय की ज्योति जलाते।


सुर:

हर युग में रक्षक आते हैं,

जो सत्य का संदेश देते।

उनके पदचिन्हों पर चलके,

हम सब भी प्रेरणा लेते।


कोरस:

जय जयकार करो, उन रक्षकों की,

जो सत्य, धर्म की शान हैं।

देश, धर्म और मानवता के,

वो अमर गाथा महान हैं।


अंतरा 3:

अशोक सिंघल, जिनकी वाणी,

राम के नाम का जयगान करे।

लालकृष्ण की सच्ची आभा,

धर्म को नई पहचान करे।

कल्याण सिंह की दृढ़ता देखो,

जिनसे राम का मार्ग बने।

बाला साहेब की हुंकार सुनो,

जिनसे हर भक्त का हृदय तने।


सुर:

धर्म की रक्षा, सत्य का संग,

हर युग में गूंजे इनका राग।

मानवता के सच्चे प्रहरी,

जग को दें शाश्वत संदेश।


अंतरा 4:

अमिताभ अग्निहोत्री का प्रण,

सत्य की मशाल जलाए।

जो मानवता के हर दुश्मन को,

धर्म के पथ पर झुकाए।

हरिशंकर और विष्णु शंकर,

जिनकी कलम का बल भारी।

न्याय और धर्म की राह पर,

उनकी वाणी सच्ची, प्यारी।


सुर:

ऐसे नायक, ऐसे वीर,

जिनका हर युग जयगान करे।

हम सब उनकी राह चलें,

मानवता का दीप जलाएं।


कोरस:

जय जयकार करो, उन वीरों की,

जिनसे धर्म का मान बढ़े।

देश, धर्म और मानवता के,

वो अमर गाथा अमिट लिखे।


(भव्य संगीत के साथ समापन)

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