बचपन से मुझे यही सिखाया गया था कि लड़के गंदे होते हैं और उनसे बस काम की बातें करनी चाहिए। इस बात ने मेरे दिमाग में गहरी छाप छोड़ी थी। इसी साल मेरा ग्रेजुएशन पूरा हुआ था, और मेरे घरवाले मेरी शादी के लिए लड़का ढूंढ रहे थे। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से जिले में रहते हुए, लड़कियों की शादी ग्रेजुएशन के बाद जल्दी कर दी जाती है। मेरे माता-पिता और भाई मेरे लिए रिश्ते देख रहे थे।
एक दिन मेरे भाई को फेसबुक पर अभिषेक नाम के लड़के का प्रोफाइल दिखा। अभिषेक पढ़े-लिखे और दिखने में बेहद अच्छे थे, उनका अपना व्यवसाय भी था। उनके घर से संदेश आया कि उन्हें दहेज नहीं चाहिए, बस लड़की अच्छी हो। यह बात हमारे परिवार को बेहद पसंद आई क्योंकि हमारी आर्थिक स्थिति साधारण थी।
अभिषेक ने शादी से पहले मुझसे बात करने की इच्छा जताई। मेरे भाई ने मेरा नंबर उन्हें दे दिया। अभिषेक का पहला फोन आया तो मैं घबरा गई। उनसे बात करना मेरे लिए एक अलग अनुभव था। पहले दिन बातचीत में मैं सहज नहीं थी, लेकिन धीरे-धीरे उनकी बातें मुझे अच्छी लगने लगीं।
अभिषेक मुझसे पूछते, "आगे क्या करना चाहती हो?" उनके सवाल मुझे सोचने पर मजबूर कर देते। उन्होंने जीवन के हर पहलू पर इतनी जानकारी और समझ दिखाई कि मैं प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकी।
जल्द ही हमारे घरवाले अभिषेक के परिवार से मिलने गए। सब कुछ सही लग रहा था। मेरे पापा और भाई ने अभिषेक और उनके परिवार की खूब तारीफ की। लेकिन अचानक अभिषेक के घर से यह संदेश आया कि वे शादी के लिए कुछ समय लेना चाहते हैं। मेरे परिवार को यह सुनकर झटका लगा।
मैंने अभिषेक को फोन किया और पूछा, "आपके घरवालों ने मना क्यों किया?" अभिषेक ने कहा, "नेहा, तुमसे बात करके मुझे लगता है कि तुम्हें पहले अपने करियर और जीवन को समझने का समय देना चाहिए। शादी जरूरी है, लेकिन उससे पहले तुम्हें अपनी पढ़ाई और आत्मनिर्भरता पर ध्यान देना चाहिए।"
उनकी बातें मुझे गहराई तक छू गईं। उन्होंने अपनी बहन का उदाहरण दिया, जिसने शादी के बाद पढ़ाई में रुकावटें झेलीं। उन्होंने मुझसे कहा, "तुम्हारे जैसा टैलेंटेड इंसान अपनी जिंदगी के सपने पूरे कर सकता है, अगर सही दिशा में आगे बढ़े।"
मैंने उनके कहे शब्दों को गंभीरता से लिया और एमसीए में दाखिला लिया। कॉलेज में मुझे पहली बार सोशल स्किल्स, लोगों से मिलने-जुलने और उनकी बातों को समझने का मौका मिला। तीन साल की मेहनत के बाद मेरी प्लेसमेंट एक बड़ी कंपनी में हो गई।
आज, चार साल बाद, मैं अपने पैरों पर खड़ी हूं। अभिषेक अब कहां हैं, क्या कर रहे हैं, मुझे नहीं पता। लेकिन उनकी बातों ने मेरी जिंदगी बदल दी। उनकी सूझबूझ और समर्थन ने मुझे वह बना दिया जो आज मैं हूं।
कभी-कभी सोचती हूं कि भगवान ने उन्हें मेरी जिंदगी में एक मकसद के लिए भेजा था। वह मकसद पूरा हुआ और वह फरिश्ता मेरी जिंदगी से दूर चला गया।
अगर आज अभिषेक मुझसे मिलते, तो मैं उन्हें गले लगाकर शुक्रिया कहती। उनकी बातें मेरी जिंदगी के सबसे बड़े सबक के रूप में हमेशा मेरे साथ रहेंगी।
आपको यह कहानी कैसी लगी, जरूर बताएं।
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