वह लड़की, साधारण कपड़ों में थी। उसके चेहरे पर घबराहट और मासूमियत के भाव थे। लेकिन अमित और रोहन उसे हवस की नजरों से देख रहे थे।
जब अमित ने नेहा को अंदर बुलाया, आदित्य ने खुद को असहज महसूस किया। उसने अमित और रोहन को रोकने की कोशिश की, लेकिन वे नशे में धुत थे।
जब रोहन कमरे में गया और काफी देर तक बाहर नहीं निकला, तो आदित्य ने दरवाजा खटखटाया। नेहा ने दरवाजा खोला और कहा, "भाई साहब, ये लोग ना कुछ कर रहे हैं, ना पैसे दे रहे हैं। मुझे घर जाना है।"
आदित्य ने नेहा को पैसे देकर दूसरे कमरे में ले जाकर बिठाया। लेकिन नेहा ने कहा, "भाई साहब, मैं किसी से मुफ्त में पैसे नहीं ले सकती।" नेहा ने आदित्य को रोककर काम पूरा करने की कोशिश की। आदित्य के मना करने के बावजूद वह अपनी मजबूरी से हार गई।
मुलाकात और नई सच्चाई
कई दिनों बाद आदित्य ने नेहा को बाजार में देखा। उसने नेहा से बात करनी चाही, लेकिन उसने उसे अनसुना कर दिया।
एक दिन, आदित्य ने नेहा का पीछा किया और उससे बात करने की कोशिश की। नेहा कमजोर दिख रही थी। आदित्य ने उसे एक चाय की दुकान पर बैठाकर पूछा, "तुम्हारी ये हालत कैसे हुई?"
नेहा ने रोते हुए बताया, "उस रात जो पैसे आपने दिए, उनसे मैंने अपने भाई को जेल से छुड़ाया। लेकिन जब उसे पता चला कि मैंने कैसे पैसे कमाए, तो उसने मुझे धंधेवाली कहकर पीटा। मेरे पेट में जो बच्चा पल रहा है, उसे सब नाजायज कहते हैं।"
आदित्य को गहरा सदमा लगा। नेहा ने कहा, "भाई साहब, यह बच्चा आपकी निशानी है। मैंने फैसला किया है कि इसे दुनिया में लाऊंगी, चाहे इसके लिए मुझे कुछ भी सहना पड़े।"
एक अधूरी कहानी
आदित्य ने तय किया कि वह नेहा से शादी करेगा। लेकिन अगली सुबह जब वह नेहा के घर पहुंचा, तो वहां भीड़ जमा थी। नेहा जमीन पर पड़ी थी। उसके भाई ने उसे चाकू मारकर मार दिया था।
नेहा का एक हाथ अपने पेट पर था। उसके चेहरे पर मासूम मुस्कान थी, जैसे कह रही हो, "यह तुम्हारे प्यार की निशानी है।"
आदित्य खुद को माफ नहीं कर पाया। उसने सोचा कि अगर वह एक दिन पहले ही नेहा से शादी की बात कर लेता, तो शायद उसकी जान बच सकती थी।
बारिश तेज हो गई थी। ऐसा लग रहा था जैसे आसमान भी नेहा के दर्द पर रो रहा हो।
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