मिर्च की बातें

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बात का मानें बुरा  क्या, बात होती जाएगी
बहस फंसती सुबह, कारी रात होती जाएगी

रुसना  रूसे  मनाना,  रोज़ रुकती  रेल  है
फ़िक्र के चक्के छुड़ाना,  चल पड़े फिर खेल है
मैदान से ना भागिए, ये आप की ही बात थी
जीत हारें दुःख चले,  बचता मनों का मेल है

कुछ दिनों में यह गई, बारात होती जाएगी
बात का मानें बुरा क्या, बात होती जाएगी

ये हम पढ़े वो तुम पढ़े, सुनने कहे का माल ये
नाली में थोड़ी जाएगा, संचित क्षुधा का थाल ये
इस भोग का परशाद तो, मीठा कभी खट्टा कहीं
कुछ मिर्च भी मिलवाइए, अपना बने वाचाल ये   

बे-तीत के बीते में फीकी, याद होती जाएगी
बात का  मानें बुरा क्या, बात होती जाएगी

यह लाज़मी  कैसे है, केवल आपकी  ही सब सुने
ये तुम सुनो वो हम सुने, बकताल  के बक्से भरें
ऐसा  खजाना हो महाशय, राज तक को रश्क हो
दौलत  दिलों की जोत, भूलें  रात के  झगड़े बड़े

धौं देखिये दीपक ये जो, सौगात होती जाएगी
बात  का  मानें बुरा क्या, बात होती जाएगी

अब सब  अगर हो जाएँ, अपने आप से, अटपट अजब
कुछ नया  कैसे हो, अगर,  बस एक सा हो सब सबब
बेहतर  है  थोड़ा  दर्द  लो,  दिलफोड़ बातें  भींच कर
सर्वांग आकुल विकल हों, ज्यों जब अलग की हो तलब


सबके अलग को सींच कर, ऋतु साथ होती जाएगी
बात  का  मानें  बुरा  क्या,  बात  होती  जाएगी

चूंकी  धरा   अलबेल  है,  सच के कई अपवाद हैं  
कितने  मिलेंगे  जहां  ऊपर,  कर्कटों  की खाद हैं
उनका कहा सुनना गया इस कान से उस कान तक
आगे चलो  प्रिय  प्रेम से, कविता भरे सब स्वाद हैं

तुक काफ़िये महफ़िल,  कहे आबाद होती जाएगी  
बात  का  मानें  बुरा  क्या, बात  होती जाएगी

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अहंकारकी अग्निमें, दहत सकल संसार

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‘अहंकारकी अग्निमें, दहत सकल संसार ।’ संत गोस्वामी तुलसीदासजीकी इस उक्तिसे मनुष्यके ‘मैं’पन से हानि स्पष्ट होती है । मनुष्यके ऐहिक एवं पारमार्थिक सुखके मार्गमें अहं एक बहुत बडी बाधा है । अहंका बीज मनुष्यमें जन्मसे ही होता है । इसलिए वह छोटे-बडे, निर्धन-धनवान, सुशिक्षित-अशिक्षित इत्यादि सबमें, न्यूनाधिक मात्रामें अवश्य होता है ।
अहं जितना अधिक होगा, व्यक्ति उतना ही दुःखी होगा । मानसिक रोगियोंका अहं सामान्य व्यक्तिकी तुलनामें अधिक होता है; इसलिए वे अधिक दुःखी होते हैं । मेरी संपत्ति, मेरा शरीर; ऐसे विचार करनेवाले व्यक्तिको संपत्तिकी हानि हो अथवा कोई रोग हो, तो वह दुःखी होता है । ऐसा व्यक्ति अन्य किसीकी संपत्तिकी हानिसे, रोगसे दुःखी नहीं होता । अहंके कारण मनको होनेवाला दुःख अनेक बार शारीरिक वेदनासे कहीं अधिक कष्टप्रद होता है । इसके विपरीत, संत मानते हैं कि सबकुछ परमेश्वरका है, किसीपर भी अपना अधिकार नहीं है, इसलिए वे कभी दुःखी नहीं होते, सदैव आनंदमें रहते हैं ।
अपने अहंका नाश करने हेतु सर्वोत्तम मार्ग है साधना करना । ईश्वरसे एकरूपता पाने हेतु प्रतिदिन जो प्रयत्न किए जाते हैं, उन्हें साधना कहते हैं । संक्षेपमें, दिनभरमें जितना समय हम अधिकाधिक साधना करेंगे, उतनी शीघ्रतासे हमारा अहं अल्प होगा । अहंको घटानेके दृष्टिकोणसे साधनामें महत्त्वपूर्ण चरण हैं - सेवा, त्याग, प्रीति (निरपेक्ष प्रेम) तथा नामजप । 

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ओ... रिक्शे वाले

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‎'ओ... रिक्शे वाले, आजाद नगर चलोगे?' सज्जन व्यक्ति जोर से चिल्लाया।

'हाँ-हाँ क्यों नहीं?' रिक्शे वाला बोला।

'कितने पैसे लोगे?'

'बाबू जी दस रुपए।'

'अरे दस रुपए बहुत ज्यादा हैं मैं पाँच रुपए दूँगा।'

रिक्शे वाला बोला, 'साहब चलो आठ...'

'अरे नहीं मैं पाँच रुपए ही दूँगा।' रिक्शेवाला सोचने लगा, दोपहर हो रही है जेब में केवल बीस रुपए हैं, इनसे बच्चों के लिए एक समय का भरपेट खाना भी पूरा नहीं होगा।

मजबूर होकर बोला ठीक है साब बैठो। रास्ते में रिक्शेवाला सोचता जा रहा था, आज का इंसान दूसरे इंसान को इंसान तो क्या जानवर भी नहीं समझता। ये भी नहीं सोचा यहाँ से आजाद नगर कितनी दूर है, पाँच रुपए कितने कम हैं। मैं भी क्या करूँ? मुझे भी रुपयों की जरूरत है इसलिए इसे पाँच रुपए में पहियों की गति के साथ उसका दिमाग भी गतिशील था।

आजाद नगर पहुँचने के बाद जैसे ही वह रिक्शे से नीचे उतरा। एक भिखारी उसके सामने आ गया। सज्जन व्यक्ति ने अपने पर्स से दस रुपए उस भिखारी को दे दिए और पाँच रुपए रिक्शे वाले को।

रिक्शेवाला बोला, साहब मेरे से अच्छा तो यह भिखारी रहा जिसे आपने दस रुपए दिए। मैं इतनी दूर से लेकर आया और मेरी मेहनत के सिर्फ पाँच रुपए?'
सज्जन व्यक्ति बोला, 'भिखारी को देना पुण्य है। मैंने उसे अधिक रुपए देकर पुण्य कमाया है।'

'और जो मेरी मेहनत की पूरी मजदूरी नहीं दी ऐसा करके क्या तुम पाप के भागीदार नहीं?' रिक्शेवाले ने कहा। उसकी बात सुनते ही सज्जन व्यक्ति को क्रोध आ गया। वह बोला - 'तुम लोगों से मुँह लगाना ही फिजूल है।'
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पृथ्वी का सारा क्रियाकलाप अथवा सञ्चालन सूर्य से

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सूर्य के सम्बन्ध में हम सभी लोग सोचते हैं की यह कोई निष्क्रिय प्रचंड अग्नि का गोला मात्र है।सूर्य निर्जीव अग्निपिण्ड मात्र नहीं है जैसा की भौतिक विज्ञान की दृष्टी से माना जाता है | ये समस्त संसार का प्राण है। अत्यंत सक्रिय , जीवंत अग्नि संगठन है। हर क्षण सूर्य की तरंगों में विशेष प्रकार के रूपांतरण होते रहते हैं। सूर्य पर होने वाला तनिक सा भी रूपांतरण या विस्फोट पृथ्वी और समस्त वातावरण को प्रभावित करता है।
पृथ्वी का सारा क्रियाकलाप अथवा सञ्चालन सूर्य से मिले प्रकाश, गर्मी और आकर्षण बल द्वारा होता है। प्रकाश के बिना सारी पृथ्वी अंधकार में डूब जाएगी , ताप के भाव में यह बर्फ से अधिक ठंडी हो जाएगी ,उस दिशा में जीवन नाम की कोई वस्तु उस पर नहीं रहेगी, साथ ही किसी अन्य ग्रह की आकर्षण शक्ति से खिंच कर अन्यंत्र चली जाएगी |
जिस प्रकार आत्मा के निकल जाने से शरीर सड -गल जाता है उसी प्रकार सूर्य की दी हुई आकर्षण शक्ति के ना रहने से भूमंडल का कण-कण बिखर जायेगा और प्रलय की स्थिति बन जाएगी। सूर्य के कारण ही यह संगठित रूप मैं है। पदार्थों में जो विशेषताएं पाई हैं वे सब सूर्य की किरणों से अभिभूत है।

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
सूर्य के सम्बन्ध में हम सभी लोग सोचते हैं की यह कोई निष्क्रिय प्रचंड अग्नि का गोला मात्र है।सूर्य निर्जीव अग्निपिण्ड मात्र नहीं है जैसा की भौतिक विज्ञान की दृष्टी से माना जाता है | ये समस्त संसार का प्राण है। अत्यंत सक्रिय , जीवंत अग्नि संगठन है। हर क्षण सूर्य की तरंगों में विशेष प्रकार के रूपांतरण होते रहते हैं। सूर्य पर होने वाला तनिक सा भी रूपांतरण या विस्फोट पृथ्वी और समस्त वातावरण को प्रभावित करता है।
पृथ्वी का सारा क्रियाकलाप अथवा सञ्चालन सूर्य से मिले प्रकाश, गर्मी और आकर्षण बल द्वारा होता है। प्रकाश के बिना सारी पृथ्वी अंधकार में डूब जाएगी , ताप के भाव में यह बर्फ से अधिक ठंडी हो जाएगी ,उस दिशा में जीवन नाम की कोई वस्तु उस पर नहीं रहेगी, साथ ही किसी अन्य ग्रह की आकर्षण शक्ति से खिंच कर अन्यंत्र चली जाएगी |
जिस प्रकार आत्मा के निकल जाने से शरीर सड -गल जाता है उसी प्रकार सूर्य की दी हुई आकर्षण शक्ति के ना रहने से भूमंडल का कण-कण बिखर जायेगा और प्रलय की स्थिति बन जाएगी। सूर्य के कारण ही यह संगठित रूप मैं है। पदार्थों में जो विशेषताएं पाई हैं वे सब सूर्य की किरणों से अभिभूत है।

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जब हवा चलती है तब मैं सोता हूँ

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एक किसान ने एक दिन शहर के अखबार में इश्तहार दिया कि उसे खेत में काम करने वाले एक मजदूर की ज़रुरत है . किसान से मिलने कई लोग आये लेकिन जो भी उस जगह के बारे में सुनता , वो काम करने से मन कर देता . अंततः एक सामान्य कद का पतला -दुबला अधेड़ व्यक्ति किसान के पास पहुंचा .
किसान ने उससे पूछा , “ क्या तुम इन परिस्थितयों में काम कर सकते हो ?”
“ ह्म्म्म , बस जब हवा चलती है तब मैं सोता हूँ .” व्यक्ति ने उत्तर दिया .
किसान को उसका उत्तर थोडा अजीब लगा लेकिन चूँकि उसे कोई और काम करने वाला नहीं मिल रहा था इसलिए उसने व्यक्ति को काम पर रख लिया.
मजदूर मेहनती निकला , वह सुबह से शाम तक खेतों में म्हणत करता , किसान भी उससे काफी संतुष्ट था .कुछ ही दिन बीते थे कि एक रात अचानक ही जोर-जोर से हवा बहने लगी , किसान अपने अनुभव से समझ गया कि अब तूफ़ान आने वाला है . वह तेजी से उठा , हाथ में लालटेन ली और मजदूर के झोपड़े की तरफ दौड़ा .
“ जल्दी उठो , देखते नहीं तूफ़ान आने वाला है , इससे पहले की सबकुछ तबाह हो जाए कटी फसलों को बाँध कर ढक दो और बाड़े के गेट को भी रस्सियों से कास दो .” किसान चीखा .
मजदूर बड़े आराम से पलटा और बोला , “ नहीं जनाब , मैंने आपसे पहले ही कहा था कि जब हवा चलती है तो मैं सोता हूँ !!!.”
यह सुन किसान का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया , जी में आया कि उस मजदूर को गोली मार दे , पर अभी वो आने वाले तूफ़ान से चीजों को बचाने के लिए भागा .
किसान खेत में पहुंचा और उसकी आँखें आश्चर्य से खुली रह गयी , फसल की गांठें अच्छे से बंधी हुई थीं और तिरपाल से ढकी भी थी , उसके गाय -बैल सुरक्षित बंधे हुए थे और मुर्गियां भी अपने दडबों में थीं … बाड़े का दरवाज़ा भी मजबूती से बंधा हुआ था . साड़ी चीजें बिलकुल व्यवस्थित थी …नुक्सान होने की कोई संभावना नहीं बची थी.किसान अब मजदूर की ये बात कि “ जब हवा चलती है तब मैं सोता हूँ ”…समझ चुका था , और अब वो भी चैन से सो सकता था .
मित्रों , हमारी ज़िन्दगी में भी कुछ ऐसे तूफ़ान आने तय हैं , ज़रुरत इस बात की है कि हम उस मजदूर की तरह पहले से तैयारी कर के रखें ताकि मुसीबत आने पर हम भी चैन से सो सकें. जैसे कि यदि कोई विद्यार्थी शुरू से पढ़ाई करे तो परीक्षा के समय वह आराम से रह सकता है, हर महीने बचत करने वाला व्यक्ति पैसे की ज़रुरत पड़ने पर निश्चिंत रह सकता है, इत्यादि.
तो चलिए हम भी कुछ ऐसा करें कि कह सकें – ” जब हवा चलती है तो मैं सोता हूँ.”
शुभरात्रि
One day a farmer who gave live advertisements in the newspaper of the city that need a worker who works on the farm. Farmers come to meet many people but which also hears about the place, he does like to work. Finally a normal height, lean middle-aged person slim-of farmer.
The farmer asked, "do you work in these circumstances?"
"Hammam, just when moving air then I'll sleep." the man replied.
The farmer his answer a little strange but because it was not going to get a job so he took to hiring.
From the morning until the evening turned out to be a diligent worker in mhanat, farmer also was quite satisfied with the past few days that one night ... all of a sudden, loud-loud air flowing from your experience that's the farmer is going to come get it. He quickly got up, took the lantern and ran towards the worker jhopde.
"Early rise, see coming is not the storm, before everything is cut into crops devastated packing gate of the enclosure cover and also ropes give the racy" farmer chikha.
The reflex of great comfort and labour, "no, Sir, I told you already when the wind is moving so I'll sleep!!!."
It reached the seventh sky hear farmer's anger, shoot the workers come to live, on them to save things from the ran 's.
Farmers on the farm and his eyes stay open by surprise, and good crop bales tied tirpal was covered, her cow-bull were bound and protected chickens also were in their dadbon ... Was also strongly tied to the door of the enclosure. Sari was arranged at all things.There was no chance of getting damage left. farmer's that they now trade "when moving air then I'll sleep" ...Understand, and now she even could sleep peacefully.
Friends, our life also need some fixing, the storm is coming that we are already preparing the place of workers like so that we can sleep peacefully come trouble also. Like if a student does not study at the time of the test from the beginning she can live comfortably, save money every month if the person can stay more relaxed, reports and so on.
So let's say we can also make something like – "when the wind is moving so I'll sleep."
Goodnight .
एक किसान ने एक दिन शहर के अखबार में इश्तहार दिया कि उसे खेत में काम करने वाले एक मजदूर की ज़रुरत है . किसान से मिलने कई लोग आये लेकिन जो भी उस जगह के बारे में सुनता , वो काम करने से मन कर देता . अंततः एक सामान्य कद का पतला -दुबला अधेड़ व्यक्ति किसान के पास पहुंचा .
किसान ने उससे पूछा , “ क्या तुम इन परिस्थितयों में काम कर सकते हो ?”
“ ह्म्म्म , बस जब हवा चलती है तब मैं सोता हूँ .” व्यक्ति ने उत्तर दिया .
किसान को उसका उत्तर थोडा अजीब लगा लेकिन चूँकि उसे कोई और काम करने वाला नहीं मिल रहा था इसलिए उसने व्यक्ति को काम पर रख लिया.
मजदूर मेहनती निकला , वह सुबह से शाम तक खेतों में म्हणत करता , किसान भी उससे काफी संतुष्ट था .कुछ ही दिन बीते थे कि एक रात अचानक ही जोर-जोर से हवा बहने लगी , किसान अपने अनुभव से समझ गया कि अब तूफ़ान आने वाला है . वह तेजी से उठा , हाथ में लालटेन ली और मजदूर के झोपड़े की तरफ दौड़ा .
“ जल्दी उठो , देखते नहीं तूफ़ान आने वाला है , इससे पहले की सबकुछ तबाह हो जाए कटी फसलों को बाँध कर ढक दो और बाड़े के गेट को भी रस्सियों से कास दो .” किसान चीखा .
मजदूर बड़े आराम से पलटा और बोला , “ नहीं जनाब , मैंने आपसे पहले ही कहा था कि जब हवा चलती है तो मैं सोता हूँ !!!.”
यह सुन किसान का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया , जी में आया कि उस मजदूर को गोली मार दे , पर अभी वो आने वाले तूफ़ान से चीजों को बचाने के लिए भागा .
किसान खेत में पहुंचा और उसकी आँखें आश्चर्य से खुली रह गयी , फसल की गांठें अच्छे से बंधी हुई थीं और तिरपाल से ढकी भी थी , उसके गाय -बैल सुरक्षित बंधे हुए थे और मुर्गियां भी अपने दडबों में थीं … बाड़े का दरवाज़ा भी मजबूती से बंधा हुआ था . साड़ी चीजें बिलकुल व्यवस्थित थी …नुक्सान होने की कोई संभावना नहीं बची थी.किसान अब मजदूर की ये बात कि “ जब हवा चलती है तब मैं सोता हूँ ”…समझ चुका था , और अब वो भी चैन से सो सकता था .
मित्रों , हमारी ज़िन्दगी में भी कुछ ऐसे तूफ़ान आने तय हैं , ज़रुरत इस बात की है कि हम उस मजदूर की तरह पहले से तैयारी कर के रखें ताकि मुसीबत आने पर हम भी चैन से सो सकें. जैसे कि यदि कोई विद्यार्थी शुरू से पढ़ाई करे तो परीक्षा के समय वह आराम से रह सकता है, हर महीने बचत करने वाला व्यक्ति पैसे की ज़रुरत पड़ने पर निश्चिंत रह सकता है, इत्यादि.
तो चलिए हम भी कुछ ऐसा करें कि कह सकें – ” जब हवा चलती है तो मैं सोता हूँ.”
शुभरात्रि

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सीताराम सीताराम सीताराम कहिये

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सीताराम सीताराम सीताराम कहिये
जाहि विधि राखे राम, ताहि विधि रहिये!

ज़िन्दगी की डोर सौंप, हाथ दीनानाथ के .
महलों मे राखे, चाहे झोंपड़ी मे वास दे .
धन्यवाद, निर्विवाद, राम राम कहिये .

सीताराम सीताराम सीताराम कहिये
जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये!!

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HAR HAR MAHADEV

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सुकरात नाम के विद्वान

प्राचीन यूनान में सुकरात नाम के विद्वान हुए हैं। वे ज्ञानवान और विनम्र थे। एक बार वे बाजार से गुजर रहे थे तो रास्ते में उनकी मुलाकात एक परिचित व्यक्ति से हुई। उन सज्जन ने सुकरात को रोककर कुछ बताना शुरू किया। वह कहने लगा कि 'क्या आप जानते हैं कि कल आपका मित्र आपके बारे में क्या कह रहा था?'

सुकरात ने उस व्यक्ति की बात को वहीं रोकते हुए कहा - सुनो, भले व्यक्ति। मेरे मित्र ने मेरे बारे में क्या कहा
यह बताने से पहले तुम मेरे तीन छोटे प्रश्नों का उत्तर दो। उस व्यक्ति ने आश्चर्य से कहा - 'तीन छोटे प्रश्न'।

सुकरात ने कहा - हाँ, तीन छोटे प्रश्न।
पहला प्रश्न तो यह कि क्या तुम मुझे जो कुछ भी बताने जा रहे हो वह पूरी तरह सही है?
उस आदमी ने जवाब दिया - 'नहीं, मैंने अभी-अभी यह बात सुनी और ...।'
सुकरात ने कहा- कोई बात नहीं, इसका मतलब यह कि तुम्हें नहीं पता कि तुम जो कहने जा रहे हो वह सच है या नहीं।'

अब मेरे दूसरे प्रश्न का जवाब दो कि 'क्या जो कुछ तुम मुझे बताने जा रहे हो वह मेरे लिए अच्छा है?' आदमी ने तुरंत कहा - नहीं, बल्कि इसका ठीक उल्टा है। सुकरात बोले - ठीक है। अब मेरे आखिरी प्रश्न का और जवाब दो कि जो कुछ तुम मुझे बताने जा रहे हो वह मेरे किसी काम का है भी या नहीं।
व्यक्ति बोला - नहीं, उस बात में आपके काम आने जैसा तो कुछ भी नहीं है। तीनों प्रश्न पूछने के बाद सुकरात बोले - 'ऐसी बात जो सच नहीं है, जिसमें मेरे बारे में कुछ भी अच्छा नहीं है और जिसकी मेरे लिए कोई उपयोगिता नहीं है, उसे सुनने से क्या फायदा। और सुनो, ऐसी बातें करने से भी क्या फायदा।
In ancient Greece, the scholar Socrates. they knowledge and polite. once they were in their way through the market met the gentleman a familiar person to the Socrates only. Some felt that ' the tell. say what you know that tomorrow your friend was saying about you? "

Socrates has said that person's point stop there-listen, even person say about me by my friend.
Before you let me answer the three little questions asked-surprised by two. ' three little questions.

Socrates said-yes, three little questions.
First question, what you are going to tell me that he is totally right?
The guy replied-"no, I just listened to it and ....'
Socrates said-no problem, that doesn't mean that you don't know that you're going to say is the truth.

Now answer my second question that "do what you're going to tell me it's good for me? ' asked the man immediately – but not the reverse OK. Socrates said-well the last question and answer me now. that's what you're going to tell me he is of any use to me too.
Person in your work the thing uttered not come-as nothing. "Socrates said after the three questions-such a thing which is not true, which is not like anything about me and that I do not have a utility to do it listen, listen and benefit from such things also use what. (Translated by Bing)
प्राचीन यूनान में सुकरात नाम के विद्वान हुए हैं। वे ज्ञानवान और विनम्र थे। एक बार वे बाजार से गुजर रहे थे तो रास्ते में उनकी मुलाकात एक परिचित व्यक्ति से हुई। उन सज्जन ने सुकरात को रोककर कुछ बताना शुरू किया। वह कहने लगा कि 'क्या आप जानते हैं कि कल आपका मित्र आपके बारे में क्या कह रहा था?'

सुकरात ने उस व्यक्ति की बात को वहीं रोकते हुए कहा - सुनो, भले व्यक्ति। मेरे मित्र ने मेरे बारे में क्या कहा
यह बताने से पहले तुम मेरे तीन छोटे प्रश्नों का उत्तर दो। उस व्यक्ति ने आश्चर्य से कहा - 'तीन छोटे प्रश्न'।

सुकरात ने कहा - हाँ, तीन छोटे प्रश्न।
पहला प्रश्न तो यह कि क्या तुम मुझे जो कुछ भी बताने जा रहे हो वह पूरी तरह सही है?
उस आदमी ने जवाब दिया - 'नहीं, मैंने अभी-अभी यह बात सुनी और ...।'
सुकरात ने कहा- कोई बात नहीं, इसका मतलब यह कि तुम्हें नहीं पता कि तुम जो कहने जा रहे हो वह सच है या नहीं।'

अब मेरे दूसरे प्रश्न का जवाब दो कि 'क्या जो कुछ तुम मुझे बताने जा रहे हो वह मेरे लिए अच्छा है?' आदमी ने तुरंत कहा - नहीं, बल्कि इसका ठीक उल्टा है। सुकरात बोले - ठीक है। अब मेरे आखिरी प्रश्न का और जवाब दो कि जो कुछ तुम मुझे बताने जा रहे हो वह मेरे किसी काम का है भी या नहीं।
व्यक्ति बोला - नहीं, उस बात में आपके काम आने जैसा तो कुछ भी नहीं है। तीनों प्रश्न पूछने के बाद सुकरात बोले - 'ऐसी बात जो सच नहीं है, जिसमें मेरे बारे में कुछ भी अच्छा नहीं है और जिसकी मेरे लिए कोई उपयोगिता नहीं है, उसे सुनने से क्या फायदा। और सुनो, ऐसी बातें करने से भी क्या फायदा।

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भिखारी का ईनाम

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एक भिखारी को बाज़ार में चमड़े का एक बटुआ पड़ा मिला. उसने बटुए को खोलकर देखा. बटुए में सोने की सौ अशर्फियाँ थीं. तभी भिखारी ने एक सौदागर को चिल्लाते हुए सुना – “मेरा चमड़े का बटुआ खो गया है! जो कोई उसे खोजकर मुझे सौंप देगा, मैं उसे ईनाम दूंगा!”

भिखारी बहुत ईमानदार आदमी था. उसने बटुआ सौदागर को सौंपकर कहा – “ये रहा आपका बटुआ. क्या आप ईनाम देंगे?”

“ईनाम!” – सौदागर ने अपने सिक्के गिनते हुए हिकारत से कहा – “इस बटुए में तो दो सौ अशर्फियाँ थीं! तुमने आधी रकम चुरा ली और अब ईनाम मांगते हो! दफा हो जाओ वर्ना मैं सिपाहियों को बुला लूँगा!”

इतनी ईमानदारी दिखाने के बाद भी व्यर्थ का दोषारोपण भिखारी से सहन नहीं हुआ. वह बोला – “मैंने कुछ नहीं चुराया है! मैं अदालत जाने के लिए तैयार हूँ!”

अदालत में जज ने इत्मीनान से दोनों की बात सुनी और कहा – “मुझे तुम दोनों पर यकीन है. मैं इंसाफ करूँगा. सौदागर, तुम कहते हो कि तुम्हारे बटुए में दो सौ अशर्फियाँ थीं. लेकिन भिखारी को मिले बटुए में सिर्फ सौ अशर्फियाँ ही हैं. इसका मतलब यह है कि यह बटुआ तुम्हारा नहीं है. चूंकि भिखारी को मिले बटुए का कोई दावेदार नहीं है इसलिए मैं आधी रकम शहर के खजाने में जमा करने और बाकी भिखारी को ईनाम में देने का हुक्म देता हूँ”.

बेईमान सौदागर हाथ मलता रह गया. अब वह चाहकर भी अपने बटुए को अपना नहीं कह सकता था क्योंकि ऐसा करने पर उसे कड़ी सजा हो जाती. इंसाफ-पसंद जज की वज़ह से भिखारी को अपनी ईमानदारी का अच्छा ईनाम मिल गया......
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Parvati ji asked Lord Shiva

Once Parvati ji asked Lord Shiva that every year so many people have Kumbh snaan but they don't come to heaven. Why is it so? On this Lord Shiva asked Parvati ji to join Him and both took the form of an old couple and sat at some distance from the Ganga tat where people were having Kumbh snaan. As anyone passed by them Parvati ji stopped them and asked them to carry her old husband (Lord Shiva) to the Ganga tat for snaan, as somebody tried to help, she added that only those should touch Him who have not done any sin in their entire lifetime. Therefore, no one could help them after hearing the second condition. Suddenly a young man came from Ganga tat and asked " Kya hua maai?". Parvati ji repeated the same for him too. So he quickly lifted the old man (Lord Shiva) in his arms and took Him for Ganga snaan. When he came back Parvati ji asked him "kya tumne jeevan me koi paap nahi kiya hai?", The man replied "kiye hain na maai, bahut paap kiye hain, par abhi to mai Ganga snaan karke aya hu aur uske baad abhi tak maine koi paap nahi kiya hai". On hearing this both Lord Shiva and Parvati ji appeared and gave their darshan to Him.
This katha tells us about having the firm faith in what we do, if we have mentality of water in Ganga then we can't benefit from it, if we have the mentality of stone for the deity of God then we can't benefit and have His darshan also if we have the mentality of food in prasadam then we can never benefit. Jai Radhe !!!
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Feetured Post

रिश्तों की अहमियत

 मैं घर की नई बहू थी और एक प्राइवेट बैंक में एक अच्छे ओहदे पर काम करती थी। मेरी सास को गुज़रे हुए एक साल हो चुका था। घर में मेरे ससुर और पति...