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सूर्य के सम्बन्ध में हम सभी लोग सोचते हैं की यह कोई निष्क्रिय प्रचंड अग्नि का गोला मात्र है।सूर्य निर्जीव अग्निपिण्ड मात्र नहीं है जैसा की भौतिक विज्ञान की दृष्टी से माना जाता है | ये समस्त संसार का प्राण है। अत्यंत सक्रिय , जीवंत अग्नि संगठन है। हर क्षण सूर्य की तरंगों में विशेष प्रकार के रूपांतरण होते रहते हैं। सूर्य पर होने वाला तनिक सा भी रूपांतरण या विस्फोट पृथ्वी और समस्त वातावरण को प्रभावित करता है।
सूर्य के सम्बन्ध में हम सभी लोग सोचते हैं की यह कोई निष्क्रिय प्रचंड अग्नि का गोला मात्र है।सूर्य निर्जीव अग्निपिण्ड मात्र नहीं है जैसा की भौतिक विज्ञान की दृष्टी से माना जाता है | ये समस्त संसार का प्राण है। अत्यंत सक्रिय , जीवंत अग्नि संगठन है। हर क्षण सूर्य की तरंगों में विशेष प्रकार के रूपांतरण होते रहते हैं। सूर्य पर होने वाला तनिक सा भी रूपांतरण या विस्फोट पृथ्वी और समस्त वातावरण को प्रभावित करता है।
पृथ्वी का सारा क्रियाकलाप अथवा सञ्चालन सूर्य से मिले प्रकाश, गर्मी और आकर्षण बल द्वारा होता है। प्रकाश के बिना सारी पृथ्वी अंधकार में डूब जाएगी , ताप के भाव में यह बर्फ से अधिक ठंडी हो जाएगी ,उस दिशा में जीवन नाम की कोई वस्तु उस पर नहीं रहेगी, साथ ही किसी अन्य ग्रह की आकर्षण शक्ति से खिंच कर अन्यंत्र चली जाएगी |
जिस प्रकार आत्मा के निकल जाने से शरीर सड -गल जाता है उसी प्रकार सूर्य की दी हुई आकर्षण शक्ति के ना रहने से भूमंडल का कण-कण बिखर जायेगा और प्रलय की स्थिति बन जाएगी। सूर्य के कारण ही यह संगठित रूप मैं है। पदार्थों में जो विशेषताएं पाई हैं वे सब सूर्य की किरणों से अभिभूत है।
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