विचारों के अनुरूप ही मनुष्य की स्थिति और गति होती है। श्रेष्ठ विचार सौभाग्य का द्वार हैं, जबकि निकृष्ट विचार दुर्भाग्य का,आपको इस ब्लॉग पर प्रेरक कहानी,वीडियो, गीत,संगीत,शॉर्ट्स, गाना, भजन, प्रवचन, घरेलू उपचार इत्यादि मिलेगा । The state and movement of man depends on his thoughts. Good thoughts are the door to good fortune, while bad thoughts are the door to misfortune, you will find moral story, videos, songs, music, shorts, songs, bhajans, sermons, home remedies etc. in this blog.
कुंभक्षेत्र तीर्थक्षेत्र
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कुंभक्षेत्र तीर्थक्षेत्र हैं । वहांकी पवित्रता तथा सात्त्विकता बनाए रखनेका प्रयास करना, यह स्थानीय पुरोहित, देवालयोंके न्यासी तथा प्रशासनके साथ ही वहां आए प्रत्येक तीर्थयात्रीका भी कर्तव्य है ।
१. कुंभक्षेत्रमें पर्यटकोंकी भांति आचरण न करें ! : कुंभक्षेत्रमें आए अनेक लोग वहां पर्यटकोंकी भांति आचरण करते दिखाई देते हैं । एक-दूसरेका उपहास उडाना, पश्चिमी वेशभूषा करना, संगीत सुनना, अभक्ष्य भक्षण करना आदि कृत्य उनसे होते हैं ।
तीर्थक्षेत्रगमन एक ‘साधना’ है । वह पूर्ण होनेके लिए तीर्थक्षेत्रमें आनेपर भावपूर्ण गंगास्नान करना, देवताओंके दर्शन करना, दान-धर्म करना, उपास्यदेवताका नामजप करना, इस प्रकार अधिकाधिक समय ईश्वरसे सायुज्य (आंतरिक सान्निध्य) रखना अपेक्षित है । ऐसा करनेपर गंगास्नान एवं यात्राका आध्यात्मिक स्तरपर लाभ होता है ।
२. तीर्थक्षेत्रकी पवित्रता बनाएं रखें ! : कुंभक्षेत्रमें पवित्र तीर्थस्नान करनेवाले तीर्थयात्री वह तीर्थ प्रदूषित करनेवाले कृत्य करते हैं । कुछ लोग प्लास्टिककी थैलियां, सिगरेटके वेष्टन, पुराने अंतर्वस्त्र इ. भी नदी / कुंडमें डालते हैं । इससे तीर्थकी पवित्रता घटती है ।
धर्मशास्त्रके अनुसार गंगा, गोदावरी एवं क्षिप्रा, इन पवित्र नदियोंको प्रदूषित करना बडा अपराध है । इसलिए तीर्थयात्री इस बातका ध्यान रखें कि स्नानके समय तीर्थकी पवित्रता बनी रहे ।
३. पर्वस्नानके आरंभमें प्रार्थना तथा स्नान करते समय नामजप करें ! : पर्वस्नानके समय तीर्थयात्री जोर-जोरसे बातें करना, चिल्लाना, एक-दूसरेपर पानी उछालना इत्यादि अनुचित कृत्य करते हैं ।
स्नान करनेवालेका मन तीर्थक्षेत्रकी पवित्रता एवं सात्त्विकता अनुभव न करता हो, तो उसके पापकर्म धुलना असंभव है; इसलिए पर्वस्नानका आध्यात्मिक लाभ होने हेतु उसके आरंभमें गंगामातासे आगे दिए अनुसार प्रार्थना करें ।
३ अ. हे गंगामाता, आपकी कृपासे मुझे ये पर्वस्नान करनेका अवसर प्राप्त हुआ है । इसके लिए मैं आपके चरणोंमें कृतज्ञ हूं । हे माते, आपके इस पवित्र तीर्थमें मुझसे श्रद्धायुक्त अंतःकरणसे पर्वस्नान हो ।
३ आ. हे पापविनाशिनी गंगादेवी, आप मेरे सर्व पापोंको हर लीजिए ।
३ इ. ‘हे मोक्षदायिनी देवी, आप मेरी आध्यात्मिक प्रगति हेतु आवश्यक साधना करवा लीजिए और मुझे मोक्षकी दिशामें ले जाइए’ । तदुपरांत उपास्यदेवताका नामजप करते हुए स्नान करें !..
मानवता और राष्ट्रीयता के अनुकूल व्यवहार ही इंसान का प्रमुख धर्म है।
जय श्री राम
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