दस शिष्य दस नाम - आचार्य शंकर के चार शिष्य थे और इन चारों शिष्यों ने वेदकालीन गृहस्थ गोस्वामियों में से 10 शिष्य बनायें Ten disciples, ten names - Acharya Shankar had four disciples and these four disciples made 10 disciples out of the Grihastha Goswamis of the Vedic period.

आचार्य शंकर के चार शिष्य थे और इन चारों शिष्यों ने वेदकालीन गृहस्थ गोस्वामियों में से 10 शिष्य बनायें और इन्हीं दस शिष्यों ने धर्म प्रचार के लिए बावर कुटियों मणियों की स्थापना की जो नीचे लिखें महापुरूषों के नाम से प्रसिद्ध है। शिष्य नारायणगिरि, पूर्णपर्वत, राम सागर, नित्यानंद हस्तमलक भारती, परमानन्द सरस्वती, विशिष्ठ वन, शम्भू आरण्य, गौतम तीर्थ , अनन्त आश्रम।

बावन मढिया
नारायणगिरि की 27 मढि (मेघनाथी पंथी)
(1)रामदत्ती (2)दुर्गानाथी (3)ऋद्धनाथी (4)ब्रम्हानाथी (5)बडे ब्रम्हानाथी (6)घटाम्बर नाथी (7)बलभद्रानाथी (8)छौ ज्ञाननाथी (9)बडे ज्ञाननाथी (10)अधोरनाथी (11)सहजानाथी (12)भावनानाथी (13)जगजीवन नाथी (14)अपारनाथी (15)यति (16)परमानन्दी (17)चोद बोदला (18)सहजनाथी (19)सुसुगनाथी (20)सागरनाथी (21)पारसनाथी (22)भावनाथी (23)सागर बोदली (24)नगेन्द्रमाथी (25)विश्वम्भर नाथी (26)रूद्र नाथी (27)रतनाथी।

पुरियों की 16 मढि:-
(1)वेकुण्ठपुरी (2)केशोपुरी (3)मथुरापुरी (4)पुरणपुरी (5)हनुमन्तपुरी (6)जड भरतपुरी (7)नीलकण्ठपुरी (8)ज्ञाननाथपुरी (9)गंगदरियापुरी (10)भगवानपुरी (11)मुनिमधपुरी (12)बांध अयाध्यापुरी (13)अर्जुन पुरी (14)केवलपुरी (15)तिलकपुरी (16)सहजपुरी।

हस्तमलक भारती की 4 मढी:-
(1)नरसिंह भारती (2)मनमुकुन्द भारती (3)विश्वम्भर भारती (4)बहुनाम भारती।

विशिष्ठ वन की 4 मढी:-
(1)श्यामसुन्दर (2)बलभद्र (3)रामचन्द्र (4)शंखधारी वन।

तिब्बत के लाभा की 1 मढी:-
कुटिवेदगिरि तिब्बत लाभा की गणना भी विद्वान बावन कुटियों में करते है।
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