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1.माँ-बाप होने के नाते अपने बच्चों को खूब पढाना-लिखाना और पढा लिखा कर खूब लायक बनाना । मगर इतना लायक भी मत बना देना कि वह कल तुम्हें ही ‘नालायक’ समझने लगे । अगर तुमने आज यह भूल की तो कल बुढापे में तुम्हें बहुत रोना पछताना पडेगा । यह बात मैं इसलिये कह रहा हूँ क्योंकि कुछ लोग जिंदगी में यह भूल कर चुके है और वे आज रो रहे है । अब पछताने से क्या होगा जब चिड़िया चुग गई खेत ।
2.बच्चों के झगडे में बडों को और सास बहू के झगडों में बाप बेटे को कभी नहीं पडना चाहिये । संभव है कि दिन में सास बहू में कुछ कहा सुनी हो तो स्वाभाविक है कि वे इसकी शिकायत रात घर लौटे अपने पति से करेगी । पतियों को उनकी शिकायत गौर से सुननी चाहिये, सहानुभूति भी दिखानी चाहिये । मगर जब सोकर उठे तो आगे पाठ-पीछे सपाट की नीति ही अपनानी चाहिये, तभी घर में एकता कायम रह सकती है ।
1.माँ-बाप होने के नाते अपने बच्चों को खूब पढाना-लिखाना और पढा लिखा कर खूब लायक बनाना । मगर इतना लायक भी मत बना देना कि वह कल तुम्हें ही ‘नालायक’ समझने लगे । अगर तुमने आज यह भूल की तो कल बुढापे में तुम्हें बहुत रोना पछताना पडेगा । यह बात मैं इसलिये कह रहा हूँ क्योंकि कुछ लोग जिंदगी में यह भूल कर चुके है और वे आज रो रहे है । अब पछताने से क्या होगा जब चिड़िया चुग गई खेत ।
2.बच्चों के झगडे में बडों को और सास बहू के झगडों में बाप बेटे को कभी नहीं पडना चाहिये । संभव है कि दिन में सास बहू में कुछ कहा सुनी हो तो स्वाभाविक है कि वे इसकी शिकायत रात घर लौटे अपने पति से करेगी । पतियों को उनकी शिकायत गौर से सुननी चाहिये, सहानुभूति भी दिखानी चाहिये । मगर जब सोकर उठे तो आगे पाठ-पीछे सपाट की नीति ही अपनानी चाहिये, तभी घर में एकता कायम रह सकती है ।
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