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पागलखाने में एक बड़ा अजीब पागल भर्ती किया गया। जहां दूसरे पागल रोते-चिल्लाते और बक-बक किया करते थे, वहां वह बड़े जोर से हंसा करता था।
एक दिन डॉक्टर ने पागल से पूछा - तुम क्या बता सकते हो, तुम हमेशा क्यों हंसा करते हो?
पागल ने जवाब दिया - मुझमें यह सब जुड़वां भाई के कारण है।
डॉक्टर ने उत्सुकता से पूछा - क्या मतलब? जरा साफ-साफ बताओ।
पागल - हम दोनों भाइयों की शक्ल एक जैसी थी। कोई भी ठीक से पहचान नहीं सकता था। कक्षा में शरारतें वह करता था, पर पीठ-पूजा मेरी होती थी। दंगा-फसाद वह करता था, पर जेल की हवा मुझे खानी पड़ती थी। प्रेमिका मेरी थी, पर शादी उसकी हो गई।
हमदर्दी जताते हुए डॉक्टर ने कहा - तब तो सचमुच तुम्हारे साथ बहुत बड़ा अन्याय हुआ है।
पागल - हां डॉक्टर साहब, ऐसी ही बात है। पर अंत में मैंने भी उससे खूब कस कर बदला लिया, दरअसल मर तो मैं गया, पर दफना दिया गया वह। पागल जोर से हंसता हुआ दूसरे रूम में चला गया।
पागलखाने में एक बड़ा अजीब पागल भर्ती किया गया। जहां दूसरे पागल रोते-चिल्लाते और बक-बक किया करते थे, वहां वह बड़े जोर से हंसा करता था।
एक दिन डॉक्टर ने पागल से पूछा - तुम क्या बता सकते हो, तुम हमेशा क्यों हंसा करते हो?
पागल ने जवाब दिया - मुझमें यह सब जुड़वां भाई के कारण है।
डॉक्टर ने उत्सुकता से पूछा - क्या मतलब? जरा साफ-साफ बताओ।
पागल - हम दोनों भाइयों की शक्ल एक जैसी थी। कोई भी ठीक से पहचान नहीं सकता था। कक्षा में शरारतें वह करता था, पर पीठ-पूजा मेरी होती थी। दंगा-फसाद वह करता था, पर जेल की हवा मुझे खानी पड़ती थी। प्रेमिका मेरी थी, पर शादी उसकी हो गई।
हमदर्दी जताते हुए डॉक्टर ने कहा - तब तो सचमुच तुम्हारे साथ बहुत बड़ा अन्याय हुआ है।
पागल - हां डॉक्टर साहब, ऐसी ही बात है। पर अंत में मैंने भी उससे खूब कस कर बदला लिया, दरअसल मर तो मैं गया, पर दफना दिया गया वह। पागल जोर से हंसता हुआ दूसरे रूम में चला गया।
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