इंसान और भगवान

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इंसान झंझावातों से बचना चाहता है। पर वह ऐसा कर नहीं पाता क्योंकि वह इंसान है, भगवान नहीं। भगवान को हम पर दया नहीं आती या हमारा उसपर से भरोसा उठ गया है। खैर.......जो भी तो मैं उसे भूलना नहीं चाहता। मेरा भरोसा कम नहीं हो सकता। मेरे लिए यह बहुत बड़ी बात है कि मेरा उससे नाता है। वैसे हम सबका उससे जुड़ाव है। जब कोई साथ नहीं होता, तब वह होता है। हर पल उसकी हमपर निगाह रहती है। वह हमारा कितना ख्याल रखता है। हम हैं कि उसका नाम लेने से बचने की कोशिश करते हैं। पर वह बुरा नहीं मानता। कितना भला है वह, बिल्कुल उसे बुरा नहीं लगता, चाहें कोई उसके बारे में किसी तरह की भी सोच क्यों न रखता हो। 

मैं सुबह-शाम भगवान को याद करता हूं। मैं उससे सबकी शांति की दुआ मांगता हूं। मैं अपने परिवार, साथियों और विरोधियों के लिए भी सब ठीक होने की ईश्वर से फरमाईश करता हूं। अपने लिए कहता हूं कि मैं जल्द अपने परिवार, बच्चों को देख सकूं। ईश्वर मुझे शक्ति प्रदान करे कि मैं हालातों के हाथों मजबूर होने के बजाय उनसे कड़ा मुकाबला करुं बिना हताश हुए।

मांगने को हम बहुत भगवान से मांग सकते हैं। उसके दर पर देर हैं, अंधेर नहीं। यह हम अच्छी तरह जानते हैं। उसकी चौखट हर जगह है। वहां से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता। वह किसी भी समय अपनी झोली से हमारी गोद भर सकता है। सच्चे अर्थों में वह महान है। बिना उसकी मर्जी के एक पत्ता तक हिलता नहीं- यह भी हम कहते हैं। उसकी ताकत से इंसान अंजान नहीं है, पर वह अपनी शक्ति का बेमतलब परिचय देता रहता है। यहीं से वह भगवान की नजरों में बहुत छोटा सा बन जाता है।
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