तलाक के कारण

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कोई नहीं चाहता कि उसके वैवाहिक संबंधों में दरार आएं। लेकिन कई कारण ऐसे भी हैं जिनसे तलाक होने की आशंका बनी रहती है। कई बार आपस में एक-दूसरे के विचारों का  ना मिलना, एक-दूसरे की संस्कृति ना मिलना और भी इसी तरह के कारण तलाक के कारण बन जाते हैं। लेकिन इसके अलावा विवाहेत्तर संबंध भी तलाक के कारणों में बहुत महत्वपूर्ण कारण हैं। कई बार फैमिली मुद्दे भी तलाक के कारण हैं। तलाक के समय आपके पास कारणों का स्पष्टीकरण होना जरूरी है जिससे आप उन कारणों का सोल्यूशन ढूंढ सको और कुछ कारबार कदम उठा सकों। आइए जानें तलाक के मुख्य कारण कौन से है जिनसे शादी जैसा पवित्र बंधन टूटने की नौबत तक आ जाती है।
  • कई बार पति-पत्नी आपस में एक-दूसरे का समझ नहीं पाते और स्थितियों से पूरी तरह से वाकिफ नहीं होते और पूरी बात समझें बिना आपस में झगड़ने लगते है। इससे नौबत तलाक तक आ जाती है।
  • पति-पत्नी के रिश्तों में परिवार वालों की बहुत अधिक दखलअंदाजी भी तलाक का एक मुख्य कारण है।
  • विवाहेत्तर संबंध यानी शादी के बाद पति या पत्नी में से किसी एक का अफेयर होने से भी तलाक हो सकता है।
  • शादी से पहले किसी से प्रेम करना और शादी किसी और से होना या फिर जबरन शादी करवाना भी तलाक का कारण है।
  • पति या पत्नी का दोनों में से किसी एक का अच्छे घर से ताल्लुकात होना। यानी एक का बहुत अमीर होना और दूसरे का गरीब होना भी कई बार तलाक का कारण बन जाता है। दरअसल, बात-बात पर झगड़े होने पर दोनों का एक-दूसरे की कमजोरी को गिनाने से भी तलाक हो जाता है।
  • आज के समय में रिश्तों में प्यार ना होना भी तलाक का कारण है। यानी पति या पत्नी का अपने काम में बहुत व्यस्त होने से अपने साथी को पूरा समय ना देने के कारण दोनों के बीच प्यार कम होने लगता है।
  • एक-दूसरे का सम्मान ना करना, एक-दूसरे के काम में हाथ ना बंटाना, या फिर किसी एक का बहुत ज्यादा बीमार रहना भी तलाक का एक कारण बन सकता है।
  • पति द्वारा पत्नी को और पत्नी द्वारा पति को सेक्सुअली खुश ना रख पाना भी तलाक के कारण बन सकते हैं। पति या पत्नी में से किसी को यौन संबंधी भयंकर बीमारी होना या फिर पति का नपुंसक होना। यौन संबंधों का सही सलामत ना चलना।
  • दोनों का एक दूसरे के प्रति अविश्वास होना। यानी दोनों के रिश्ते में अविश्वास हो और दोनों बात-बात पर एक-दूसरे पर भरोसा करने के बजाय शक करते हो तो भी तलाक की नौबत आ सकती है।
  • पति या पत्नी में से किसी एक का लंबे समय तक गंभीर बीमारी का शिकार होना।
  • पत्नी को दहेज के लिए परेशान करना, पत्नी के बच्चे ना हो पाना भी तलाक का कारण बनने की आशंका रहती है।
  • किसी छोटी बात को लेकर झगड़ा होना उसको बढ़ा-चढ़ाकर तूल देना या फिर मार-पीट जैसी नौबत आने पर भी तलाक हो जाते हैं।
  • ऐसे आर बहुत से कारण हैं जिनसे तलाक होने की आशंकाएं रहती हैं। यदि आप चाहते हैं कि आपके संबंध आपके पार्टनर से अच्छे बने रहें और लंबे समय तक सही चलें तो इसके लिए जरूरी है एक-दूसरे को समझने की और इसके साथ ही जरूरी है कि आप दोनों पक्षों की तरफ से बराबरी का एडजस्टमेंट हो। तभी आप तलाक के कारणों से बच पाएंगे।
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अच्छी पत्नी बनने के 10 तरीकों के बारे में

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  1. अगर आप अपने पति को बदलने या उसकी आदतों में बदलाव लाने की सोच रही हैं तो इस बात को अपने दिलोदिमाग से तुरंत निकाल दें। आप अपने पति को वैसे ही स्वीकार करें जैसा वह स्वाभाविक रूप से है ना कि उसमें बदलाव लाने की कोशिश करें।
  2. आप अपने पति में बदलाव लाने के बजाय अपने ऊपर फोकस करें। यानी यदि आपमें कोई गलत आदते हैं या फिर कोई नेगेटिव चीजें है उसमें बदलावा लाएं।
  3. अच्छी पत्नी बनने के लिए जरूरी है कि कुछ सैक्रीफाइज करना। यानी आप वास्तव में अच्छी बनना चाहती हैं तो अपनी उन आदतों में बदलाव लाएं जिससे दूसरों को हानि होती है या फिर कोई हर्ट होता है जैसे आपके क्रोध से इत्यादि।
  4. अपने पति की जरूरतों का खास ख्याल रखें। अपने पति के सपनों को साकार करने में पूरा-पूरा सहयोग दें आर पति के सपनों को जानें कि वह क्या चाहता है, उसकी ख्वाहिशें क्या हैं।
  5. आप यदि सचमुच अच्छी पत्नी का ख्वाब देखती हैं तो अपने पति की पाजिटिव चीजों का ख्याल रखें। पति की अच्दी बातों पर अधिक फोकस करें।
  6. अच्छी पत्नी बनना किसी अच्छी नौकरी पाने जैसा ही है। ऐसे में आपको कड़ी मेहनत और पति को संतुष्‍ट करने की जरूरत होती है। आपको हा उस काम पर फोकस करना चाहिए जिससे आपके पति का खुशी मिलती है।
  7. घर का माहौल ऐसा बनाएं जो न सिर्फ आपके लिए बल्कि आपके पति के लिए भी कंफर्ट और सुरक्षित हो।
  8. आप कोई भी ऐसा काम न करें जिससे आपको षर्मिंदा होना पड़े। बल्कि आप ऐसे काम करें जिससे आपको अपने ऊपर गर्व महसूस हो।
  9. आप अपनी पाजिटिव चीजों पर अधिक फोकस करें और उसको अधिक से अधिक विकसित करें जिससे आप अच्छी पत्नी बन सकें।
  10. जरूरी नहीं कि आप अच्छी पत्नी बनने के लिए अपने आपको ही भूल जाएं बल्कि आपको अपने आपको को भी उतना ही महत्व देना है जितना आप अपने पति को दे रही हैं। आप इन बातों पर बिल्कुल भी ध्यान ना दें कि दूसरा कोई आपको क्या कह रहा है।

इन दस तरकीबों को यदि आप ध्यान रखेंगी तो निष्चित रूप से आप एक अच्छी पत्नी कहलाएंगी।

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बवासीर के लिए घरेलू उपचार

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पाइल्‍स के लिए घरेलू नुस्‍खे –
  • खूनी बवासीर में नींबू बीच में से काटकर उसमें लगभग 4-5 ग्राम कत्‍था पीसकर डाल दीजिए। इन दोनों टुकड़ों को रात में छत पर खुला रख दीजिए। सुबह उठकर दोनों टुकड़ों को चूस लीजिए। इस प्रयोग को पांच दिन तक कीजिए। पाइल्‍स में फायदा होता है।  
  • नीम के छिलके सहित निंबौरी के पाउडर को प्रतिदिन 10 ग्राम रोज सुबह रात में रखे पानी के साथ सेवन कीजिए, इससे फायदा होगा। लेकिन यह ध्‍यान रखिए इस नुस्‍खे को अपनाते वक्‍त आपके खाने में देशी घी होना चाहिए।
  • खूनी बवासीर में खून को रोकने के लिए 10 से 12 ग्राम धुले हुए काले तिल को ताजा मक्खन के साथ लीजिए। इसे लेने से भी बवासीर में खून आना बंद हो जाता है।
  • जीरे को पीसकर मस्‍सों पर लगाने से फायदा मिलता है, इसके साथ ही जीरे को भूनकर मिश्री के साथ मिलाकर चूसने से फायदा मिलता है।
  • पके हुए केले को दो टुकड़ों में काटकर उसपर कत्‍था पीसकर छिड़क दीजिए। इन टुकड़ों को रात में खुले आसमान में रख दीजिए। सुबह उठकर केले के टुकड़ों को खाइए। इस क्रिया को एक हफ्ते तक कीजिए, बवासीर ठीक हो जाएगा।
  • आंवला पेट के लिए बहुत फायदेमंद होता है। बवासीर की समस्‍या होने पर आंवले के चूर्ण को सुबह-शाम शहद के साथ पीने से फायदा होता है।
  • लगभग 50 ग्राम बड़ी इलायची को तवे पर रखकर भूनते हुए जला लीजिए। ठंडी होने के बाद इस इलायची को पीस लीजिए। रोज सुबह इस चूर्ण को पानी के साथ खाली पेट लेने से बवासीर ठीक हो जाता है।


  • दूध का ताजा मक्‍खन और काला तिल लगभग एक ग्राम, दोनों को मिलकार खाने से फायदा होता है।
  • जंगली गोभी भी बवासीर के लिए बहुत फायदेमंद है। जंगली गोभी को घी में पकाकर उसमें सेंधा नमक डालकर आठ दिन रोटी के साथ खाइए। इससे बवासीर ठीक होता है।
  • गुड़ के साथ हरड खाने से बवासीर ठीक होता है।
  • हर रोज दही और छाछ खाने से बवासीर होने की संभावना कम होती है और बवासीर में फायदा भी होता है।
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बवासीर बहुत ही पीड़ादायक रोग है। इसका दर्द असहनीय होता है। इन घरेलू नुस्‍खों का प्रयोग करके काफी हद तक इससे राहत मिल जाती है। अगर इन घरेलू नुस्‍खों का प्रयोग करने के बाद भी बवासीर ठीक न हो तो चिकित्‍सक से संपर्क अवश्‍य कीजिए।

देर तक कुर्सी पर बैठना और बिना किसी शेड्यूल के कुछ भी खा लेना इसका प्रमुख कारण है। बवासीर दो प्रकार की होती है – खूनी बवासीर और वादी बवासीर। खूनी बवासीर में मस्‍से सुर्ख होते हैं जिसके कारण खून निकलता है जबकि वादी बवासीर में मस्‍से काले होते हैं। बवासीर बेहद तकलीफदेह होती है। आइए हम आपको कुछ घरेलू नुस्‍खों के बारे में बताते हैं जिसका प्रयोग करके बवासीर और इससे होने वाले दर्द में राहत मिल सकती है।
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झगड़े से आराम से बच सकते हैं

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दांपत्य बंधन में बंधने के बाद एक समय ऐसा भी आता है जब बात-बात पर पति-पत्नी में झगड़े शुरू हो जाते हैं। व्यक्ति अपने जीवनसाथी से व्यर्थ के झगड़ों में उलझ, अपना जीवन भी तनावमय बना लेता है। शादी के बाद आप अपने जीवन साथी के साथ सुकुन का जीवन व्यतीत कर सकें, अपने जीवनसाथी के सुख-दुख में अपना साथ दे सकें इसके लिए जरूरी है कि आप कुछ बातों का ध्यान रखें। आइए जानें दांपत्य के झगड़ों से बचने के लिए क्या करें।

पति-पत्नी 24 घंटे साथ रहते हैं और उनका रिश्ता बहुत ही नाजुक होता है। ऐसे में तमाम मुद्दों पर असहमति और मतभेद होने की गुजाइंश रहती है। हालांकि दोनों को ही छोटी-छोटी बात पर मतभेद करने से बचना चाहिए।
यदि आपके साथी का स्वभाव तेज है तो आपको अपने साथी को समझते हुए नरमी से पेश आना चाहिए।
हर बात पर तर्क-वितर्क और बहस न करें। कभी-कभी बातें सुनना भी अच्छात रहता है।
यदि पति-पत्नी के बीच एक को बहुत ज्यादा बोलने की आदत है, तो दूसरे को चुपचाप सुन लेना चाहिए।
झगड़ा होने के बावजूद लंबे समय तक बातचीत बंद न करें। लगातार संवाद करते रहें।
पुरानी बातों को लेकर बहस न करें और अतीत को लेकर झगड़ा न करें।
कभी भी तीसरे व्यक्ति के लिए आपस में न झगड़े या फिर किसी के बहकावे में आकर बिना कारण जानें झगड़ा न करें। यदि आपस में झगड़ा है भी तो बाहर के किसी तीसरे व्यक्ति के साथ शेयर न करें।
झगड़े के दौरान एक-दूसरे के परिवार को बीच में न लाएं, इससे झगड़ा अधिक बढ़ने की संभावना रहती है।
एक-दूसरे की कमजोरी का मजाक न उड़ाए और न ही झगड़े में ऐसी बातों को तूल दें। जितनी जल्दी हो सकें झगड़े को खत्म करें या फिर झगड़े का कारण ढूंढ उसका समाधान करें।
आपकी गलती है, तो भी आप माफी मांगने की पहल करें इससे आपके साथी को अच्छा लगेगा और आपके बीच पैदा हुई गलतफहमियां भी दूर होंगी।
एक-दूसरे पर गलत आरोप लगाने से बचें। साथ ही सार्वजनिक तौर पर बिल्कुल न झगड़े।

इन टिप्स को अपनाकर आप झगड़े से आराम से बच सकते हैं साथ ही अपने साथी को अपने करीब ला सकती हैं।
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डायबिटीज से बचने के नुस्खे‍ Tips to avoid diabetes


आधुनिक समय में डायबिटीज यानी मधुमेह एक आम बीमारी बनती जा रही है। मधुमेह रोगियों की संख्या दिन-प्रतिदिन तेजी से बढ़ रही है।
अनियमित दिनचर्या और खान-पान के कारण लोग डायबिटीज का शिकार हो रहे हैं। डायबिटीज के मरीज को सिरदर्द, थकान जैसी समस्याएं हमेशा बनी रहती हैं। डायबिटीज में खून में शुगर की मात्रा बढ जाती है। वैसे इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। परंतु जीवनशैली में बदलाव, शिक्षा तथा खान-पान की आदतों में सुधार द्वारा रोग को पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। डायबिटीज के मरीज को अपने डाइट प्लान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। डायबिटीज को नियंत्रण करने के कई तरीके हैं। आइए हम मधुमेह रोगियों के लिए कुछ घरेलू उपाय बताते हैं।

मधुमेह के लिए घरेलू उपचार –
10 मिग्रा आंवले के जूस को 2 ग्राम हल्दी के पावडर में मिला लीजिए। इस घोल को दिन में दो बार लीजिए। इसको लेने से खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित होती है।
औसत आकार का एक टमाटर, एक खीरा और एक करेला को लीजिए। इन तीनों को मिलाकर जूस निकाल लीजिए। इस जूस को हर रोज सुबह-सुबह खाली पेट लीजिए। इससे डायबिटीज में फायदा होता है।
डायबिटीज के मरीजों के लिए सौंफ बहुत फायदेमंद होता है। सौंफ खाने से डायबिटीज नियंत्रण में रहता है। हर रोज खाने के बाद सौंफ खाना चाहिए।
मधुमेह के रोगियों को जामुन खाना चाहिए। काले जामुन डायबिटीज के मरीजों के लिए अचूक औषधि मानी जाती है। जामुन को काले नमक के साथ खाने से खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित होती है।

स्टीविया का पौधा मधुमेह रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। स्टीविया बहुत मीठा होता है लेकिन शुगर फ्री होता है। स्टीविया खाने से पैंक्रियाज से इंसुलिन आसानी से मुक्त होता है।
डायबिटीज के मरीजों को शतावर का रस और दूध का सेवन करना चाहिए। शतावर का रस और दूध को एक समान मात्रा में लेकर रात में सोने से पहले मधुमेह के रोगियों को सेवन करना चाहिए। इससे मधुमेह नियंत्रण में रहता है।
मधुमेह मरीजो को नियमित रूप से दो चम्मच नीम का रस और चार चम्मच केले के पत्ते के रस को मिलाकर पीना चाहिए।
चार चम्‍मच आंवले का रस, गुड़मार की पत्ती मिलाकर काढ़ बनाकर पीने मधुमेह नियंत्रण में रहता है।
गेहूं के पौधों में रोगनाशक गुण होते हैं। गेहूं के छोटे-छोटे पौधों से रस निकालकर सेवन करने से मुधमेह नियंत्रण में रहता है।
मधुमेह के रोगियों को खाने को अच्छे से चबाकर खाना चाहिए। अच्छे से चबाकर खाने से भी मधुमेह को नियंत्रण में किया जा सकता है।

मधुमेह रोगियों को नियमित व्यायाम और योगा करना चाहिए।
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रिश्ते निभाने के हुनर

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एक दिन एक महिला ने अपने घर के बाहर तीन संतों को देखा। भीतर आ कर उसने यह बात अपने पति को बताई। पति ने कहा, उनको आदर सहित बुला लाओ। महिला ने बाहर आ कर उन संतों को आमंत्रित किया। संत बोले, हम सब किसी भी घर में एक साथ नहीं जाते। पर क्यों? महिला ने पूछा। उनमें से एक ने कहा, मेरा नाम धन है। फिर दूसरे संतों की ओर इशारा कर के कहा, इन दोनों के नाम सफलता और प्रेम हैं। हममें से कोई एक ही भीतर आ सकता है। आप तय कर लें कि किसे निमंत्रित करना है।

महिला असमंजस में पड़ गई। फिर भीतर जाकर अपने पति को बताया। पति प्रसन्न हो कर बोला, हमें धन को आमंत्रित करना चाहिए। हमारा घर खुशियों से भर जाएगा। पत्नी ने कहा, मुझे लगता है कि हमें सफलता को आमंत्रित करना चाहिए। सफलता के साथ धन भी जुड़ा होता है। उनकी बेटी यह सब सुन रही थी, मुझे लगता है कि हमें प्रेम को ही आमंत्रित करना चाहिए। प्रेम से बढ़ कर कुछ भी नहीं है।



कुछ सोच-विचार के बाद माता-पिता ने उसकी बात मान ली। महिला बाहर गई और पूछा, 'आप में से जिनका नाम प्रेम है, वे कृपया घर में चलें और भोजन ग्रहण करें।' प्रेम घर की ओर बढ़ चले। बाकी के दो संत भी उनके पीछे-पीछे चलने लगे। महिला ने आश्चर्य से कहा, 'पहले तो कहा कि आपमें से कोई एक ही भीतर आ सकता है। और जब मैं ने सिर्फ प्रेम को ही आमंत्रित किया, तो आप दोनों भी साथ आ रहे हैं।' तब उनमें से एक बोला, 'यदि आपने धन और सफलता में से किसी एक को आमंत्रित किया होता तो केवल वही भीतर जाता। लेकिन आपने प्रेम को आमंत्रित किया है। प्रेम कभी अकेला नहीं जाता। वह जहां-जहां जाता है, हम दोनों यानी धन और सफलता उसके पीछे-पीछे जाते हैं।'

आज की भोगवादी संस्कृति ने इन लोक कथाओं को अर्थहीन बना दिया है। संचार के साधन बहुत विकसित हुए हैं, कितु आपसी बोल-चाल में प्रेम की मिठास न जाने कहां लुप्त होती जा रही है। हर कोई माथे पर बल डाले या मुंह लटकाए मिलता है। हंसते भी हैं तो बनावटी हंसी। पश्चिम की नकल ने जिस नए मध्य वर्ग को जन्म दिया है, वह आगे बढ़ने, सफल होने और धन के पीछे भागने की चाह में अपनी जड़ों से कटता जा रहा है। इसी ने उसकी स्वाभाविकता छीन ली है।

वह हर स्पर्धा में खुद को सबसे आगे रखना चाहता है। हर किसी को अपना प्रतिद्वंदी समझता है और शक की नजर से देखता है। इसीलिए हंसी भी विदा हो गई है। आपसी जुड़ाव, संवेदनशीलता, प्रतिबद्धता और सामाजिक सरोकार सब क्रमश: स्खलित हो रहे हैं। हम सब एक नीरस व्यवस्था के कलपुर्जे बनते जा रहे हैं। हर रिश्ते में कटुता का बोल-बाला है।

हम भूल रहे हैं कि विरोध और टकराव से कुछ नहीं मिलता। परस्पर प्रेम और सामंजस्य ही विकास का प्रतीक है। विरोध और सामंजस्य का सबसे सुंदर उदाहरण हमारा हाथ है। हाथ की चार उंगलियां एक दिशा में है और अंगूठा विरोधी दिशा में है। लेकिन जब उंगलियां और अंगूठा एक दूसरे के पास आते हैं, तो न अंगूठा उंगलियों से लड़ता है न उंगलियां अंगूठे से। दोनों के इसी सामंजस्य से हमारे सारे काम-काज संपन्न होते हैं।

परस्पर प्रेम पूर्वक रिश्ते निभाने के हुनर का एक और जीवंत उदाहरण गृहणियों के हाथ के कंगन और चूड़ियां हैं। गृहणियों के हाथों की शोभा बढ़ाते हुए दोनों एक साथ रहते भी हैं और आपस में टकराते भी हैं। लेकिन उनके टकराव से खनकती हुई मधुर ध्वनि ही निकलती है, कोलाहल नहीं होता। कभी कंगन से टकरा कर चूड़ियों को टूटते नहीं देखा।
Like ·  ·  · Saturday at 11:56am
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वास्तु दोष को दूर करने का सर्वश्रेष्ठ गुप्त उपाय

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भयंकर से भयंकर वास्तु दोष को दूर करने का सर्वश्रेष्ठ गुप्त उपाय =

देशी गौमाता का ब्रह्म मुहुर्त के समय किसी अन्य के बिना टोके और देखे चुपचाप अकेले गौमूत्र किसी पात्र मेँ भरकर अपने घर के दरवाजे से घुसते ही दाहिने ओर से घूमते हुए सभी कौनौ मेँ गौमूत्र छिड़कते हुए दरवाजे के बाँये कौने तक आ जाबे। फिर बचे हुए गौमूत्र को घर के मध्य स्थित आंगन मेँ पूर्ण विसर्जन कर देँ और उस दिन दोपहर के बाद झाड़ू लगावेँ ।
यह उपाय सोमवार को करना है ।
यह उपाय 6 माह मेँ एक बार तथा वर्ष मेँ 2 बार करते रहने से अति लाभ होगा ।
वास्तु दोष पूर्ण रुप से खत्म हो जायेगा ।
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गुरु - चेला

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गुरु - चेला 

कुछ लोग ऐसे हैं जो कहते हैं की 
हम कृष्ण से डायरेक्ट प्रेम करते हैं 

दो प्रेमियों के बीच में तीसरे = गुरु को लाने की
क्या ज़रुरत है ?

एक बार शांति से अपने आप से पूछें की
फिर आप बीच मैं गुरु क्यों बने हुआ हो ?

आपके पास आने वाले लोगों को अपना चेला
क्यों बनाते हो ?

जो पहले से किसी के चेले हैं , शास्त्र केवल व केवल
उन्हें ही चेला बनाने की इजाज़त देता है

बिना स्वयं गुरु धारण किये गुरु बन्ने से
समय आने पर बहुत बुरा हश्र होता है
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आशावादी दृष्टि

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वो जीवन जीने योग्य नहीं, जिसमें परीक्षाएं न हों। जीवन एक निरंतर चलनेवाली परीक्षा है। जिंदगी का हर लम्हा किसी न किसी तरह की परीक्षा है। इसमें जो जितना तपा, वह उतना खरा कुंदन बना।

हर व्यक्तिहर परीक्षा में सफल होना चाहता है। इसलिए परीक्षा चाहे जैसी भी हो, उसके लिए उचित तैयारी करनी चाहिए। बिना तैयारी के परीक्षा देना ऐसा ही है, जैसे बिना तैरना सीखे गहरे पानी में उतरना। बिना सीखे कोई गहरे पानी में तो दूर, उथले पानी में भी नहीं उतरता।

तैराकी पानी में ही सीखी जा सकती है, पानी के बिना नहीं। लेकिन इसका प्रारंभ घनघोर गर्जन करते समुद्र अथवा विपुल जल राशि युक्त महानद में संभव नहीं। इसका प्रारंभ तो शांत उथले जल में ही संभव है। जीवन की परीक्षाओं के लिए भी ऐसा ही परिवेश चाहिए।

जिंदगी की वास्तविक परीक्षाएं विषम परिस्थितियों में ही होती हैं। जिस प्रकार परिश्रमी विद्यार्थी परीक्षा भवन से विजयी होकर लौटते हैं और अपने आत्म सम्मान में वृद्धि करते हैं, उसी प्रकार जो व्यक्ति समय-प्रबंधन और आत्म-प्रबंधन द्वारा जीवन में आने वाली विभिन्न परीक्षाओं की पहले से तैयारी रखते हैं, वे सफलता पाते हैं। इससे उनका आत्म विश्वास बढ़ता है। उनके भीतर आशावादी दृष्टि पैदा होती है। और वे हौसले से आगे बढ़ते हैं।
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” उत्तम धन ” की व्याख्या

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सबसे ” उत्तम धन ” की व्याख्या क्या है ? दो मूल सिद्धांत के कारण ही धन की उत्तमता की व्याख्या संभव है |
पहला सिद्धांत – वही उत्तम धन जो सब जगह चले ( जैसे यूरो प्राय: सभी यूरोपियन देशो में चलता है | इसलिए यूरोप के किसी एक देश की मुद्रा के बजाय यूरो उत्तम क्योंकि वह उस देश के अलावा अन्य यूरोपियन देशो में भी चलता है ) |
दूसरा सिद्धांत – वही उत्तम धन जिससे सब कुछ उपलब्ध हो सके |
संसारी धन की ताकत को इन दोनों सिद्धांतो की कसौटी पर तोला जाये तो वह बहुत कमजोर साबित होता है |
पहले सिद्धांत ( उत्तम धन वही जो सब जगह चले) पर तोले तो पायेंगे की अगर हमने संसारी धन की विश्वमुद्रा ( पुरे विश्व में चलने वाली एक मुद्रा ) भी बना दी तो भी वह अन्य ग्रहों में नहीं चलेगा | अन्य ग्रहों की बात छोड़ दे , वह तो पृथ्वी में भी हर जगह नहीं चलेगी | उद्धरण स्वरुप अगर हम सागर में डूब रहे है और हमारी जेब में खूब सारी विश्वमुद्रा भरी है और एक मगरमच्छ हमें निगलने हेतु सामने है तो क्या हम सागर के मध्य में मगरमच्छ को विश्वमुद्रा देकर यह कह सकते हैं की हमें निगलो मत और अपनी पीठ पर बैठाकर हमें सागर के किनारे छोड़ दो | हमारा संसारी धन पृथ्वीलोक में मगरमच्छ से हमारी रक्षा तक नहीं कर सकता | संसारी धन की ताकत नहीं की वह अगले जन्म में हमारे काम आ सके | क्या इस जन्म का संसारी धन हमारे अगले जन्म में हमें मानव देह और एक सुसंपन्न परिवार में जन्म दिला सकता है? कदापि नहीं |
दूसरा सिद्धांत ( उत्तम धन वही जिससे सब कुछ उपलब्ध हो सके) पर तोले तो पायेंगे की हमारे संसारी धन से चाहे वह रूपया हो , सोना हो , जमीन जायदाद हो या कोई भी अन्य सम्पति हो , उससे हम जीवन की एक श्वास – जीवन का एक पल तक नहीं खरीद सकते | जीवन की एक श्वास भी भूल जाइए, क्या हम संसारी धन से स्वास्थ की गारंटी खरीद सकते हैं की हमें एक भी रोग, बीमारी, शारीरिक प्रतिकूलता नहीं हो | क्या हम संसारी धन से “आनंद” और उससे भी आगे “परमानन्द” की अनुभूति मात्र भी कर सकते हैं | हम मात्र सांसारिक सुख के तुच्छ्य साधन खरीद सकते हैं | ” परमानन्द ” एक शिखर का नाम है जबकि सांसारिक सुख उस शिखर के सबसे निचले पायेदान का नाम है |
सांसारिक धन की चर्चा करके हमने उसकी गुणवत्ता को देखा | अब चर्चा करते हैं प्रभु नामरूपी उस श्रेष्ठत्तम परमधन की | सांसारिक धन के सन्दर्भ में चर्चा किये दोनों सिद्धांत इस परमधन में लबालब डुबे नजर आयेंगे |
पहले सिद्धांत ( उत्तम धन वही जो सब जगह चले) – यह परमधन पृथ्वी के हर कोने में, पृथ्वी के हर कण में, सभी ग्रहों, सभी लोक (इहलोक , परलोक ) में स्थाई रूप से चलता है | इस परमधन की कमाई इस जन्म, अगले जन्म, जन्मोजन्म तक काम आती है | {अर्जुन जी ने मेरे प्रभु से पुछा कि अगर किसी ने पुरे जीवन आपकी भक्ति नहीं की और जीवन के अंतिम चरण में ही आपका स्मरण किया और फिर उसकी निर्धारित मृत्यु ने उसे आ दबोचा तो क्या उसका यह शुभकर्म व्यर्थ चला जाता है | उत्तर में मेरे प्रभु ने स्वयं श्रीमदगीताजी में अपने श्रीवचन में कहा कि अर्जुन मेरा स्मरण, मेरी भक्ति कभी व्यर्थ नहीं जाती ( चाहे जीवन के अंतिम अवस्था में भी की गई हो ) क्योंकि मैं (प्रभु) उसे संजोये रखता हूँ और अगले जन्म में उस जीव को वह प्रदान करता हूँ | }
दूसरा सिद्धांत ( उत्तम धन वही जिससे सब कुछ उपलब्ध हो सके) -ऐसा कुछ भी नहीं जो यह परमधन उपलब्ध नहीं करा सकता | यह डूबते हुये हमारी सागर में, मगरमच्छ के सामने भी रक्षा करता है | गजेन्द्र मोक्ष की श्रीकथा इसका जीवंत उद्धाहरण है | क्योंकि जिन परमपिता परमेश्वर का यह नामधन है, संसार की, भूमंडल की, भूमंडल के बाहर की भी हर चीज उन्ही परमपिता परमेश्वर के आधीन है | इसलिय परमपिता का नामरूपी महाधन हर युग में, हर चीज पर बेखटक चलता ही नहीं दौडता है | उद्धाहरण स्वरुप आप नामरत्न के पुण्यो से अपने पूर्व जन्मों के कठिन से कठिन पापकर्म भी धो सकते हैं | आप नामरत्न के बल पर अपनी भाग्यरेखा भी बदल सकते हैं |
जरा सोचे ऐसा क्या है जो प्रभु नामरूपी धन से अर्जित नहीं किया जा सकता और जरा सोचे की ऐसी कौन सी जगह है जहा पर यह प्रभु नामरूपी नहीं चलता | यह महाधन यमलोक, नर्क में भी चलता है क्योंकि इसी नामरूपी धन के बल पर ही वहाँ से हमारी मुक्ति संभव होती है |
अब अंत में इतना जरुर सोचे की हमारे धन कमाने की प्रवीणता और प्रधानता कही ” सांसारिक धन ” कमाने तक तो सीमित होकर नहीं रह गई है | अगर ऐसा है तो इससे बड़ा दुर्भाग्य मानव जन्म लेकर और कुछ नहीं | अगर ऐसा है तो हमारे धन कमाने की प्रवीणता और प्रधानता को तत्काल प्रभु नामरूपी परमधन कमाने की तरफ अविलम्ब मोड़ना चाहिये नहीं तो यह मानव जीवन बेकार चला जायेगा | ठीक वैसे ही जैसे इंजिनियर बनकर एक व्यक्ति बेलदारी करे या सर्जन बनकर एक व्यक्ति अस्पताल में वार्डबॉय का काम करे |
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रिश्तों की अहमियत

 मैं घर की नई बहू थी और एक प्राइवेट बैंक में एक अच्छे ओहदे पर काम करती थी। मेरी सास को गुज़रे हुए एक साल हो चुका था। घर में मेरे ससुर और पति...