भोजन बनाना और भोजन ग्रहण करना



भोजन बनाना और भोजन ग्रहण करना दोनोंको वैदिक संस्कृतिमें यज्ञकर्म माना गया है; परंतु आज कल एक पैशाचिक प्रथा देखनेको मिलती है और वह है दूरदर्शन संचपर रज-तम प्रधान कार्यक्रम देखते हुए भोजन ग्रहण करना ! विशेषकर आजकी माएं बचपनसे ही अपने बच्चेमें यह कुसंस्कार डाल देती हैं और उसका दुष्परिणाम बच्चोंमें विभिन्न कुसंस्कार एवं व्याधियोंके रूपमें देखनेको मिल रहा है !
In the absence of Dharmashikshan (abiding education about righteousness) and under the influence of the blind imitation of Macaulay’s satanic education system, today we do not follow the spiritual practice at individual level. As we don’t abide by Dharma and due to widespread Dharmaglaani (denigration of Dharma) and a Nidharmi (conductless) nation system, deterioration at Samashti level (spiritual practice at societal level) too has set in. As such, the fury of the deity and nature is certain and has to be endured.
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हरा धनिया



हरा धनिया मसाले के रूप में व भोजन को सजाने या सुंदरता बढ़ाने के साथ ही चटनी के रूप में भी खाया जाता है। हमारे बड़े-बुजूर्ग इसके औषधिय गुणों को जानते थे इसीलिए प्राचीन समय से ही धनिए का उपयोग भारतीय भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग में लाया जाता रहा है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं हरे धनिए के कुछ ऐसे ही औषधिय गुणों के बारे में...

- इसके एंटीसेप्टिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है इसीलिए अगर चेहरे पर मुंहासे हो तो धनिए की हरी पत्तियों को पीसकर उसमें चुटकीभर हल्दी पाउडर मिलाकर लगाने से लाभ होता है। यह त्वचा की विभिन्न समस्याओं जैसे एक्जीमा, सुखापन और एलर्जी से राहत दिलवाता है।


- हरा धनिया वातनाशक होने के साथ-साथ पाचनशक्ति भी बढ़ाता है। धनिया की हरी पत्तियां पित्तनाशक होती हैं। पित्त या कफ की शिकायत होने पर दो चम्मच धनिया की हरी-पत्तियों का रस सेवन करना चाहिए।

- धनिया की पत्तियों में एंटी टय़ुमेटिक और एंटी अर्थराइटिस के गुण होते हैं। यह सूजन कम करने में बहुत मददगार होता है, इसलिए जोड़ों के दर्द में राहत देता है।

- आयरन से भरपूर होने के कारण यह एनिमिया को दूर करने में मददगार होता है। एंटी ऑक्सीडेंट, विटामिन ए, सी और कई मिनरलों से भरपूर धनिया कैंसर से बचाव करता है।

- हरा धनिया की चटनी बनाकर खाई जाती है क्योंकि जो इसको खाने से नींद भी अच्छी आती है। डायबिटीज से पीडि़त व्यक्ति के लिए तो यह वरदान है। यह इंसुलिन बढ़ाता है और रक्त का ग्लूकोज स्तर कम करने में मदद करता है।
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क्या आपको याद है विवाह के ये सात वचन


क्या आपको याद है विवाह के ये सात वचन -----
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हिन्दू धर्म में विवाह के समय वर-वधू द्वारा सात वचन लिए जाते हैं. इसके बाद ही विवाह संस्कार पूर्ण होता है.विवाह के बाद कन्या वर से पहला वचन लेती है कि-

पहला वचन इस प्रकार है -

तीर्थव्रतोद्यापनयज्ञ दानं मया सह त्वं यदि कान्तकुर्या:।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद वाक्यं प्रथमं कुमारी।।

अर्थ - इस श्लोक के अनुसार कन्या कहती है कि स्वामि तीर्थ, व्रत, उद्यापन, यज्ञ, दान आदि सभी शुभ कर्म तुम मेरे साथ ही करोगे तभी मैं तुम्हारे वाम अंग में आ सकती हैं अर्थात् तुम्हारी पत्नी बन सकती हूं। वाम अंग पत्नी का स्थान होता है.

दूसरा वचन इस प्रकार है-

हव्यप्रदानैरमरान् पितृश्चं कव्यं प्रदानैर्यदि पूजयेथा:।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं द्वितीयकम्.

अर्थ - इस श्लोक के अनुसार कन्या वर से कहती है कि यदि तुम हव्य देकर देवताओं को और कव्य देकर पितरों की पूजा करोगे तब ही मैं तुम्हारे वाम अंग में आ सकती हूं यानी पत्नी बन सकती हूं.

तीसरा वचन इस प्रकार है-

कुटुम्बरक्षाभरंणं यदि त्वं कुर्या: पशूनां परिपालनं च।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं तृतीयम्।।

अर्थ - इस श्लोक के अनुसार कन्या वर से कहती है कि यदि तुम मेरी तथा परिवार की रक्षा करो तथा घर के पालतू पशुओं का पालन करो तो मैं तुम्हारे वाम अंग में आ सकती हूं यानी पत्नी बन सकती हूं।

चौथा वचन इस प्रकार है -

आयं व्ययं धान्यधनादिकानां पृष्टवा निवेशं प्रगृहं निदध्या:।।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं चतुर्थकम्।।

अर्थ - चौथे वचन में कन्या वर से कहती है कि यदि तुम धन-धान्य आदि का आय-व्यय मेरी सहमति से करो तो मैं तुम्हारे वाग अंग में आ सकती हैं अर्थात् पत्नी बन सकती हूं.

पांचवां वचन इस प्रकार है -

देवालयारामतडागकूपं वापी विदध्या:यदि पूजयेथा:।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं पंचमम्।।

अर्थ - पांचवे वचन में कन्या वर से कहती है कि यदि तुम यथा शक्ति देवालय, बाग, कूआं, तालाब, बावड़ी बनवाकर पूजा करोगे तो मैं तुम्हारे वाग अंग में आ सकती हूं अर्थात् पत्नी बन सकती हूं.


छठा वचन इस प्रकार है -

देशान्तरे वा स्वपुरान्तरे वा यदा विदध्या:क्रयविक्रये त्वम्।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं षष्ठम्।।

अर्थ - इस श्लोक के अनुसार कन्या वर से कहती है कि यदि तुम अपने नगर में या विदेश में या कहीं भी जाकर व्यापार या नौकरी करोगे और घर-परिवार का पालन-पोषण करोगे तो मैं तुम्हारे वाग अंग में आ सकती हूं यानी पत्नी बन सकती हूं.

सातवां वचन इस प्रकार है -

न सेवनीया परिकी यजाया त्वया भवेभाविनि कामनीश्च।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं सप्तम्।।

अर्थ - इस श्लोक के अनुसार सातवां और अंतिम वचन यह है कि कन्या वर से कहती है यदि तुम जीवन में कभी पराई स्त्री को स्पर्श नहीं करोगे तो मैं तुम्हारे वाम अंग में आ सकती हूं यानी पत्नी बन सकती हूं.

शास्त्रों के अनुसार पत्नी का स्थान पति के वाम अंग की ओर यानी बाएं हाथ की ओर रहता है. विवाह से पूर्व कन्या को पति के सीधे हाथ यानी दाएं हाथ की ओर बिठाया जाता है और विवाह के बाद जब कन्या वर की पत्नी बन जाती है जब वह बाएं हाथ की ओर बिठाया जाता है.
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गोंद के औषधीय गुण medicinal properties of gum


किसी पेड़ के तने को चीरा लगाने पर उसमे से जो स्त्राव निकलता है वह सूखने पर भूरा और कडा हो जाता है उसे गोंद कहते है .यह शीतल और पौष्टिक होता है . उसमे उस पेड़ के ही औषधीय गुण भी होते है . आयुर्वेदिक दवाइयों में गोली या वटी बनाने के लिए भी पावडर की बाइंडिंग के लिए गोंद का इस्तेमाल होता है .
- कीकर या बबूल का गोंद पौष्टिक होता है .
- नीम का गोंद रक्त की गति बढ़ाने वाला, स्फूर्तिदायक पदार्थ है।इसे ईस्ट इंडिया गम भी कहते है . इसमें भी नीम के औषधीय गुण होते है - पलाश के गोंद से हड्डियां मज़बूत होती है .पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध अथवा आँवले के रस के साथ लेने से बल एवं वीर्य की वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं और शरीर पुष्ट होता है।यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है।
- आम की गोंद स्तंभक एवं रक्त प्रसादक है। इस गोंद को गरम करके फोड़ों पर लगाने से पीब पककर बह जाती है और आसानी से भर जाता है। आम की गोंद को नीबू के रस में मिलाकर चर्म रोग पर लेप किया जाता है।
- सेमल का गोंद मोचरस कहलाता है, यह पित्त का शमन करता है।अतिसार में मोचरस चूर्ण एक से तीन ग्राम को दही के साथ प्रयोग करते हैं। श्वेतप्रदर में इसका चूर्ण समान भाग चीनी मिलाकर प्रयोग करना लाभकारी होता है। दंत मंजन में मोचरस का प्रयोग किया जाता है।
- बारिश के मौसम के बाद कबीट के पेड़ से गोंद निकलती है जो गुणवत्ता में बबूल की गोंद के समकक्ष होती है।
- हिंग भी एक गोंद है जो फेरूला कुल (अम्बेलीफेरी, दूसरा नाम एपिएसी) के तीन पौधों की जड़ों से निकलने वाला यह सुगंधित गोंद रेज़िननुमा होता है । फेरूला कुल में ही गाजर भी आती है । हींग दो किस्म की होती है - एक पानी में घुलनशील होती है जबकि दूसरी तेल में । किसान पौधे के आसपास की मिट्टी हटाकर उसकी मोटी गाजरनुमा जड़ के ऊपरी हिस्से में एक चीरा लगा देते हैं । इस चीरे लगे स्थान से अगले करीब तीन महीनों तक एक दूधिया रेज़िन निकलता रहता है । इस अवधि में लगभग एक किलोग्राम रेज़िन निकलता है । हवा के संपर्क में आकर यह सख्त हो जाता है कत्थई पड़ने लगता है ।यदि सिंचाई की नाली में हींग की एक थैली रख दें, तो खेतों में सब्ज़ियों की वृद्धि अच्छी होती है और वे संक्रमण मुक्त रहती है । पानी में हींग मिलाने से इल्लियों का सफाया हो जाता है और इससे पौधों की वृद्धि बढ़िया होती
- गुग्गुल एक बहुवर्षी झाड़ीनुमा वृक्ष है जिसके तने व शाखाओं से गोंद निकलता है, जो सगंध, गाढ़ा तथा अनेक वर्ण वाला होता है. यह जोड़ों के दर्द के निवारण और धुप अगरबत्ती आदि में इस्तेमाल होता है .
- प्रपोलीश- यह पौधों द्धारा श्रावित गोंद है जो मधुमक्खियॉं पौधों से इकट्ठा करती है इसका उपयोग डेन्डानसैम्बू बनाने में तथा पराबैंगनी किरणों से बचने के रूप में किया जाता है।
- ग्वार फली के बीज में ग्लैक्टोमेनन नामक गोंद होता है .ग्वार से प्राप्त गम का उपयोग दूध से बने पदार्थों जैसे आइसक्रीम , पनीर आदि में किया जाता है। इसके साथ ही अन्य कई व्यंजनों में भी इसका प्रयोग किया जाता है.ग्वार के बीजों से बनाया जाने वाला पेस्ट भोजन, औषधीय उपयोग के साथ ही अनेक उद्योगों में भी काम आता है।
- इसके अलावा सहजन , बेर , पीपल , अर्जुन आदि पेड़ों के गोंद में उसके औषधीय गुण मौजूद होते है .
गोंद के औषधीय गुण -
किसी पेड़ के तने को चीरा लगाने पर उसमे से जो स्त्राव निकलता है वह सूखने पर भूरा और कडा हो जाता है उसे गोंद कहते है .यह शीतल और पौष्टिक होता है . उसमे उस पेड़ के ही औषधीय गुण भी होते है . आयुर्वेदिक दवाइयों में गोली या वटी बनाने के लिए भी पावडर की बाइंडिंग के लिए गोंद का इस्तेमाल होता है .
- कीकर या बबूल का गोंद पौष्टिक होता है .
- नीम का गोंद रक्त की गति बढ़ाने वाला, स्फूर्तिदायक पदार्थ है।इसे ईस्ट इंडिया गम भी कहते है . इसमें भी नीम के औषधीय गुण होते है - पलाश के गोंद से हड्डियां मज़बूत होती है .पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध अथवा आँवले के रस के साथ लेने से बल एवं वीर्य की वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं और शरीर पुष्ट होता है।यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है।
- आम की गोंद स्तंभक एवं रक्त प्रसादक है। इस गोंद को गरम करके फोड़ों पर लगाने से पीब पककर बह जाती है और आसानी से भर जाता है। आम की गोंद को नीबू के रस में मिलाकर चर्म रोग पर लेप किया जाता है।
- सेमल का गोंद मोचरस कहलाता है, यह पित्त का शमन करता है।अतिसार में मोचरस चूर्ण एक से तीन ग्राम को दही के साथ प्रयोग करते हैं। श्वेतप्रदर में इसका चूर्ण समान भाग चीनी मिलाकर प्रयोग करना लाभकारी होता है। दंत मंजन में मोचरस का प्रयोग किया जाता है।
- बारिश के मौसम के बाद कबीट के पेड़ से गोंद निकलती है जो गुणवत्ता में बबूल की गोंद के समकक्ष होती है।
- हिंग भी एक गोंद है जो फेरूला कुल (अम्बेलीफेरी, दूसरा नाम एपिएसी) के तीन पौधों की जड़ों से निकलने वाला यह सुगंधित गोंद रेज़िननुमा होता है । फेरूला कुल में ही गाजर भी आती है । हींग दो किस्म की होती है - एक पानी में घुलनशील होती है जबकि दूसरी तेल में । किसान पौधे के आसपास की मिट्टी हटाकर उसकी मोटी गाजरनुमा जड़ के ऊपरी हिस्से में एक चीरा लगा देते हैं । इस चीरे लगे स्थान से अगले करीब तीन महीनों तक एक दूधिया रेज़िन निकलता रहता है । इस अवधि में लगभग एक किलोग्राम रेज़िन निकलता है । हवा के संपर्क में आकर यह सख्त हो जाता है कत्थई पड़ने लगता है ।यदि सिंचाई की नाली में हींग की एक थैली रख दें, तो खेतों में सब्ज़ियों की वृद्धि अच्छी होती है और वे संक्रमण मुक्त रहती है । पानी में हींग मिलाने से इल्लियों का सफाया हो जाता है और इससे पौधों की वृद्धि बढ़िया होती
- गुग्गुल एक बहुवर्षी झाड़ीनुमा वृक्ष है जिसके तने व शाखाओं से गोंद निकलता है, जो सगंध, गाढ़ा तथा अनेक वर्ण वाला होता है. यह जोड़ों के दर्द के निवारण और धुप अगरबत्ती आदि में इस्तेमाल होता है .
- प्रपोलीश- यह पौधों द्धारा श्रावित गोंद है जो मधुमक्खियॉं पौधों से इकट्ठा करती है इसका उपयोग डेन्डानसैम्बू बनाने में तथा पराबैंगनी किरणों से बचने के रूप में किया जाता है।
- ग्वार फली के बीज में ग्लैक्टोमेनन नामक गोंद होता है .ग्वार से प्राप्त गम का उपयोग दूध से बने पदार्थों जैसे आइसक्रीम , पनीर आदि में किया जाता है। इसके साथ ही अन्य कई व्यंजनों में भी इसका प्रयोग किया जाता है.ग्वार के बीजों से बनाया जाने वाला पेस्ट भोजन, औषधीय उपयोग के साथ ही अनेक उद्योगों में भी काम आता है।
- इसके अलावा सहजन , बेर , पीपल , अर्जुन आदि पेड़ों के गोंद में उसके औषधीय गुण मौजूद होते है .
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पीपल Ficus religiosa

पीपल
- यह 24 घंटे ऑक्सीजन देता है .
- इसके पत्तों से जो दूध निकलता है उसे आँख में लगाने से आँख का दर्द ठीक हो जाता है .
- पीपल की ताज़ी डंडी दातून के लिए बहुत अच्छी है .
- पीपल के ताज़े पत्तों का रस नाक में टपकाने से नकसीर में आराम मिलता है .
- हाथ -पाँव फटने पर पीपल के पत्तों का रस या दूध लगाए .
- पीपल की छाल को घिसकर लगाने से फोड़े फुंसी और घाव और जलने से हुए घाव भी ठीक हो जाते है .
- सांप काटने पर अगर चिकित्सक उपलब्ध ना हो तो पीपल के पत्तों का रस 2-2 चम्मच ३-४ बार पिलायें .विष का प्रभाव कम होगा .
- इसके फलों का चूर्ण लेने से बांझपन दूर होता है और पौरुष में वृद्धि होती है .
- पीलिया होने पर इसके ३-४ नए पत्तों के रस का मिश्री मिलाकर शरबत पिलायें .३-५ दिन तक दिन में दो बार दे .
- कुक्कुर खांसी में छाल का 40 मी ली. काढा दिन में तीन बार पिलाने से लाभ होता है .
- इसके पके फलों के चूर्ण का शहद के साथ सेवन करने से हकलाहट दूर होती है और वाणी में सुधार होता है .
- इसके फलों का चूर्ण और छाल सम भाग में लेने से दमा में लाभ होता है .
- इसके फल और पत्तों का रस मृदु विरेचक है और बद्धकोष्ठता को दूर करता है .
- यह रक्त पित्त नाशक , रक्त शोधक , सुजन मिटाने वाला ,शीतल और रंग निखारने वाला है .
पीपल 
- यह 24 घंटे ऑक्सीजन देता है .
- इसके पत्तों से जो दूध निकलता है उसे आँख में लगाने से आँख का दर्द ठीक हो जाता है .
- पीपल की ताज़ी डंडी दातून के लिए बहुत अच्छी है .
- पीपल के ताज़े पत्तों का रस नाक में टपकाने से नकसीर में आराम मिलता है .
- हाथ -पाँव फटने पर पीपल के पत्तों का रस या दूध लगाए .
- पीपल की छाल को घिसकर लगाने से फोड़े फुंसी और घाव और जलने से हुए घाव भी ठीक हो जाते है .
- सांप काटने पर अगर चिकित्सक उपलब्ध ना हो तो पीपल के पत्तों का रस 2-2 चम्मच ३-४ बार पिलायें .विष का प्रभाव कम होगा .
- इसके फलों का चूर्ण लेने से बांझपन दूर होता है और पौरुष में वृद्धि होती है .
- पीलिया होने पर इसके ३-४ नए पत्तों के रस का मिश्री मिलाकर शरबत पिलायें .३-५ दिन तक दिन में दो बार दे .
- कुक्कुर खांसी में छाल का 40 मी ली. काढा दिन में तीन बार पिलाने से लाभ होता है . 
- इसके पके फलों के चूर्ण का शहद के साथ सेवन करने से हकलाहट दूर होती है और वाणी में सुधार होता है .
- इसके फलों का चूर्ण और छाल सम भाग में लेने से दमा में लाभ होता है .
- इसके फल और पत्तों का रस मृदु विरेचक है और बद्धकोष्ठता को दूर करता है .
- यह रक्त पित्त नाशक , रक्त शोधक , सुजन मिटाने वाला ,शीतल और रंग निखारने वाला है .
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आयुर्वेदिक कूकिंग ayurvedic cooking


आयुर्वेदिक कूकिंग
आज कल कूकरी शोज़ की और रेसिपीज़ की भरमार है . पर हम खाना पकाने में आयुर्वेदिक सिद्धांतों की पूरी तरह से अवहेलना कर देते हैं , जिसकी वजह से आज स्वास्थ्य सम्बन्धी कई समस्याएँ आ रही है .अगर कोई ऐसी बिमारी है जो वर्षों से ठीक नहीं हो रही तो खाने में ये आजमा कर देखे .
- सूप बनाते समय उसमे दूध नहीं डाले .
- दही खट्टा हो तो उसमे दूध नहीं डाले .
- ओट्स पकाते समय उसमे दूध दही साथ साथ न डाले .
- चाय कॉफ़ी में शहद ना डाले .
- पूरी , भटूरे , मिठाइयां डालडा घी में ना बना कर शुद्ध घी में बनाए .
- नमकीन चावलों में , सब्जी की करी में दूध न डाले .
- खट्टे फलों के साथ , फ्रूट सलाद में क्रीम या दूध न डाले .
- दही बड़ा विरुद्ध आहार है .
- ४ बजे के बाद केले , दही , शरबत , आइसक्रीम आदि का सेवन ना करे .
- आटा लगाने के लिए दूध का इस्तेमाल ना करे .
- गर्मियों में हरी मिर्च और सर्दियों में लाल मिर्च ला सेवन करे .
- सुबह ठंडी तासीर की और शाम के बाद गर्म तासीर के खाने का सेवन करे .
- पकौड़ों के साथ चाय या मिल्क शेक नहीं गरम कढ़ी ले .
- फलों को सुबह नाश्ते के पहले खाए . किसी अन्य खाने के साथ मिलाकर ना ले .कच्चा सलाद भी खाने के पहले खा ले .
- दही वाले रायते को हिंग जीरे का तडका अवश्य लगाएं .
- दाल में एक चम्मच घी अवश्य डाले .
- खाली पेट पान का सेवन ना करे .
- खाने के साथ पानी नहीं ज़्यादा पानी डाला छाछ या ज्यूस या सूप पियें .
- अत्याधिक नमक और खट्टे पदार्थ सेहत के लिए ठीक नहीं .
- बघार लगाने में खूब हिंग , जीरा , सौंफ , मेथीदाना , धनिया पावडर , अजवाइन आदि का प्रयोग करें .
आयुर्वेदिक कूकिंग
आज कल कूकरी शोज़ की और रेसिपीज़ की भरमार है . पर हम खाना पकाने में आयुर्वेदिक सिद्धांतों की पूरी तरह से अवहेलना कर देते हैं , जिसकी वजह से आज स्वास्थ्य सम्बन्धी कई समस्याएँ आ रही है .अगर कोई ऐसी बिमारी है जो वर्षों से ठीक नहीं हो रही तो खाने में ये आजमा कर देखे .
- सूप बनाते समय उसमे दूध नहीं डाले .
- दही खट्टा हो तो उसमे दूध नहीं डाले .
- ओट्स पकाते समय उसमे दूध दही साथ साथ न डाले .
- चाय कॉफ़ी में शहद ना डाले .
- पूरी , भटूरे , मिठाइयां डालडा घी में ना बना कर शुद्ध घी में बनाए .
- नमकीन चावलों में , सब्जी की करी में दूध न डाले .
- खट्टे फलों के साथ , फ्रूट सलाद में क्रीम या दूध न डाले .
- दही बड़ा विरुद्ध आहार है .
- ४ बजे के बाद केले , दही , शरबत , आइसक्रीम आदि का सेवन ना करे .
- आटा लगाने के लिए दूध का इस्तेमाल ना करे .
- गर्मियों में हरी मिर्च और सर्दियों में लाल मिर्च ला सेवन करे .
- सुबह ठंडी तासीर की और शाम के बाद गर्म तासीर के खाने का सेवन करे .
- पकौड़ों के साथ चाय या मिल्क शेक नहीं गरम कढ़ी ले .
- फलों को सुबह नाश्ते के पहले खाए . किसी अन्य खाने के साथ मिलाकर ना ले .कच्चा सलाद भी खाने के पहले खा ले .
- दही वाले रायते को हिंग जीरे का तडका अवश्य लगाएं .
- दाल में एक चम्मच घी अवश्य डाले .
- खाली पेट पान का सेवन ना करे .
- खाने के साथ पानी नहीं ज़्यादा पानी डाला छाछ या ज्यूस या सूप पियें .
- अत्याधिक नमक और खट्टे पदार्थ सेहत के लिए ठीक नहीं .
- बघार लगाने में खूब हिंग , जीरा , सौंफ , मेथीदाना , धनिया पावडर , अजवाइन आदि का प्रयोग करें .
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नामजप कितना करना चाहिए ?

आरम्भमें हाथमें माला लेकर कमसे कम १५ मिनट बैठकर नामजप करनेका प्रयास करें | यदि सुबह संभव न हो तो संध्याकालमें कार्यालयसे घर लौटनेके पश्चात, हाथ-पैर धोकर, एक आसनपर बैठकर नामजप करनेका प्रयास करें अर्थात मेरी दिनचर्यामें कमसे कम १५ मिनट, मैं नामजपके लिए अवश्य दूँ, ऐसा प्रत्येक गृहस्थका प्रयास होना चाहिए और धीरे-धीरे इसे दो घंटे तक ले जानेका प्रयास करें | आप स्वयं ही अनुभव करेंगे कि शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्यमें सुखद परिवर्तन तो आएगा ही, गृहस्थ जीवनकी अन्य कई समस्याएँ समाप्त हो जाएँगी, मन शांत एवं आनंदित रहने लगेगा और व्यावसायिक जीवनमें भी कम प्रयासमें ही यश मिलने लगेगा | मुझे कई विद्यार्थियों ने बताया है कि नामजपके प्रयास आरम्भ करनेके पश्चात उनकी ग्रहण-शक्ति और स्मरण शक्तिमें अत्यधिक सुधार आया है |

गृहिणियोंको नामजप भोजन बनाते समय या भोजन परोसते समय तो अवश्य ही करना चाहिए, इससे भोजनमें ईश्वरका चैतन्य समाहित हो जाता है और भोजनके माध्यमसे नामजप परिवारके सदस्योंके सूक्ष्म शरीरमें प्रवेश कर उनकी वृत्तिमें परिवर्तन लाता है | प्रतिदिन रात्रिमें सोनेसे पूर्व दिन भर नामजप हेतु किए गए प्रयासकी समीक्षा करें और एक ध्येय रख उस ओर बढ़ते जाएँ | ध्यान रहे हमारा नामजप शीघ्रातिशीघ्र अखंड हो इस हेतु हमें प्रयास करने चाहिए | यदि नामजप अखंड होने भी लगे तब भी कमसे कम एक घंटे. बैठकर नामजप अवश्य ही करना चाहिए |

इससे नामजपका संस्कार अन्तर्मनमें दृढ़ होता है , निर्विचार अवस्थाकी अनुभूति होती है, मनको आनंदकी अनुभूति होती है और एकाग्रतापूर्वक किए गए नामजपसे अनिष्ट शक्तिसे लड़नेकी शक्ति प्राप्त होती है | यदि सुबह ही एक से दो घंटेका नामजप कर लिया जाये तो दिन भर अनिष्ट शक्तिके आक्रमणसे बचाव होता है और व्यावहारिक जीवनमें अनिष्टशक्तिद्वारा आनेवाली अडचन कम हो जाती हैं
नामजप कितना करना चाहिए ?
आरम्भमें हाथमें माला लेकर कमसे कम १५ मिनट बैठकर नामजप करनेका प्रयास करें | यदि सुबह संभव न हो तो संध्याकालमें कार्यालयसे घर लौटनेके पश्चात, हाथ-पैर धोकर, एक आसनपर बैठकर नामजप करनेका प्रयास करें अर्थात मेरी दिनचर्यामें कमसे कम १५ मिनट, मैं नामजपके लिए अवश्य दूँ, ऐसा प्रत्येक गृहस्थका प्रयास होना चाहिए और धीरे-धीरे इसे दो घंटे तक ले जानेका प्रयास करें | आप स्वयं ही अनुभव करेंगे कि शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्यमें सुखद परिवर्तन तो आएगा ही, गृहस्थ जीवनकी अन्य कई समस्याएँ समाप्त हो जाएँगी, मन शांत एवं आनंदित रहने लगेगा और व्यावसायिक जीवनमें भी कम प्रयासमें ही यश मिलने लगेगा | मुझे कई विद्यार्थियों ने बताया है कि नामजपके प्रयास आरम्भ करनेके पश्चात उनकी ग्रहण-शक्ति और स्मरण शक्तिमें अत्यधिक सुधार आया है |

गृहिणियोंको नामजप भोजन बनाते समय या भोजन परोसते समय तो अवश्य ही करना चाहिए, इससे भोजनमें ईश्वरका चैतन्य समाहित हो जाता है और भोजनके माध्यमसे नामजप परिवारके सदस्योंके सूक्ष्म शरीरमें प्रवेश कर उनकी वृत्तिमें परिवर्तन लाता है | प्रतिदिन रात्रिमें सोनेसे पूर्व दिन भर नामजप हेतु किए गए प्रयासकी समीक्षा करें और एक ध्येय रख उस ओर बढ़ते जाएँ | ध्यान रहे हमारा नामजप शीघ्रातिशीघ्र अखंड हो इस हेतु हमें प्रयास करने चाहिए | यदि नामजप अखंड होने भी लगे तब भी कमसे कम एक घंटे. बैठकर नामजप अवश्य ही करना चाहिए |

इससे नामजपका संस्कार अन्तर्मनमें दृढ़ होता है , निर्विचार अवस्थाकी अनुभूति होती है, मनको आनंदकी अनुभूति होती है और एकाग्रतापूर्वक किए गए नामजपसे अनिष्ट शक्तिसे लड़नेकी शक्ति प्राप्त होती है | यदि सुबह ही एक से दो घंटेका नामजप कर लिया जाये तो दिन भर अनिष्ट शक्तिके आक्रमणसे बचाव होता है और व्यावहारिक जीवनमें अनिष्टशक्तिद्वारा आनेवाली अडचन कम हो जाती हैं
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कर्पूर के फायदे



"कर्पूरगौरम करुणावतारम संसारसारं भुजगेंद्रहारम।
सदावसंतम हृदयारविन्दे भवम भवानी सहितं नमामि।।"

अर्थात : कर्पूर के समान चमकीले गौर वर्णवाले, करुणा के साक्षात् अवतार, इस असार संसार के एकमात्र सार, गले में भुजंग की माला डाले, भगवान शंकर जो माता भवानी के साथ भक्तों के हृदय कमलों में सदा सर्वदा बसे रहते हैं...हम उन देवाधिदेव की वंदना करते हैं।
हिन्दू धर्म में संध्यावंदन, आरती या प्रार्थना के बाद कर्पूर जलाकर उसकी आरती लेने की परंपरा है। पूजन, आरती आदि धार्मिक कार्यों में कर्पूर का विशेष महत्व बताया गया है। रात्रि में सोने से पूर्व कर्पूर जलाकर सोना तो और भी लाभदायक है।

कर्पूर के फायदे :


अनिंद्रा : रात में सोते वक्त कर्पूर जलाने से नींद अच्छी आती है। प्रतिदिन सुबह और शाम कर्पूर जलाते रहने से घर में किसी भी प्रकार की आकस्मि घटना और दुर्घटना नहीं होती।

जीवाणु नाशक : वैज्ञानिक शोधों से यह भी ज्ञात हुआ है कि इसकी सुगंध से जीवाणु, विषाणु आदि बीमारी फैलाने वाले जीव नष्ट हो जाते हैं जिससे वातावरण शुद्ध हो जाता है तथा बीमारी होने का भय भी नहीं रहता।

औषधि के रूप में उपयोग :
* कर्पूर का तेल त्वचा में रक्त संचार को सहज बनाता है।
* गर्दन में दर्द होने पर कर्पूर युक्त बाम लगाने पर आराम मिलता है।
* सूजन, मुहांसे और तैलीयत्वचा के उपचार में इसका उपयोग किया जाता है।
* आर्थराइटिस के दर्द से राहत पाने के लिए कर्पूर मिश्रित मलहम का प्रयोग करें।
* पानी में कर्पूर के तेल की कुछ बूंदों को डालकर नहाएं। यह आपको तरोताजा रखेगा।
* कफ की वजह से छाती में होने वाली जकड़न में कर्पूर का तेल मलने से राहत मिलती है।
* कर्पूर युक्त मलहम की मालिश से मोच और मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द में राहत मिलती है।

नोट : गर्भावस्था या अस्थमा के मरीजों को कर्पूर तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
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तुलसी, अदरक और लौंग ऐसे खाएंगे तो ये रोग परेशान नहीं करेंगे



छोटी-छोटी हेल्थ प्रॉब्लम्स होने पर भी तुरंत दवा खाना कुछ लोगों की आदत होती है। इसका मुख्यकारण घरेलू नुस्खों व उन्हें अपनाएं जाने के सही तरीके की जानकारी न होना है। ये हेल्थ प्रॉब्लम्स ऐसी होती हैं जिन्हें बिना दवा खाए घरेलू नुस्खे अपनाकर भी ठीक किया जा सकता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही घरेलू नुस्खे जो सिरदर्द, सर्दी-जुकाम, पेटदर्द जैसी छोटी प्रॉब्लम्स में रामबाण की तरह काम करते हैं....

- कच्चा लहसुन रोज सुबह खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है। रोज 50 ग्राम कच्चा ग्वारपाठा खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है।- कच्चा लहसुन रोज सुबह खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है।

-अदरक खाने से मुंह के हानिकारक बैक्टीरिया मर जाते हैं। साथ ही अदरक दांतों को भी स्वस्थ रखता है।अदरक का एक छोटा टुकड़ा छीले बिना (छिलकेसहित) गर्म करके छिलका उतार दें। इसे मुंह में रख कर आहिस्ता-आहिस्ता चबाते चूसते रहने से अन्दर जमा और रुका हुआ बलगम निकल जाता है और सर्दी-खांसी ठीक हो जाती है।

- लौंग को पीसकर एक चम्मच शक्कर में थोड़ा-सा पानी मिलाकर उबाल लें व ठंडा कर लें। इसे पीने से उल्टी होना व जी मिचलाना बंद हो जाता है।

- 12 ग्राम गेहूं की राख इतने ही शहद में मिला कर चाटने से कमर और जोड़ों के दर्द में आराम होता है। गेहूं की रोटी एक ओर से सेंक लें और एक ओर से कच्ची रखें । कच्चे वाले भाग में तिल का तेल लगा कर दर्द वाले अंग पर बांध दें। इससे दर्द दूर हो जाएगा।

- हींग, सोंठ, गुड आदि पाचन में बेहद सहायक चीजों का सेवन करने से यह बीमारी जड़ से चली जाती है। थोड़ी सी हल्दी, धनिया, अदरक और काला नमक लेकर इस थोड़े से पानी में उबालें। इस गर्म पानी को पी जाएं। पेट से गैस छू-मंतर हो जाएगी।

-आदिवासियों के अनुसार अर्जुन की छाल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम गुड़, शहद या दूध के साथ दिन में 2 या 3 बार लेने से दिल के मरीजों को काफी फायदा होता है।अर्जुन छाल और जंगली प्याज के कंदो का चूर्ण समान मात्रा में तैयार कर प्रतिदिन आधा चम्मच दूध के साथ लेने से हृदय रोगों में हितकर होता है।

-रोजाना तुलसी के पांच पत्ते खाने से मौसमी बुखार व जुकाम जैसी समस्याएं दूर रहती है।तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है।मुंह के छाले दूर होते हैं व दांत भी स्वस्थ रहते हैं।

-तौलिए को गर्म पानी में भिगोकर उसे सिर पर थोड़ी देर रखने से सिरदर्द में तुरंत आराम मिलता है।
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डायबिटीज कंट्रोल करने के 6 अनोखे उपाय, जो आपको शायद ही पता हो! 6 unique ways to control diabetes, which you probably don't know about!

दुनिया में लाखों लोग डायबिटीज से पीडि़त हैं। आज भारत में 4.5 करोड़ व्यक्ति डायबिटीज (मधुमेह) का शिकार हैं। इसका मुख्य कारण है असंयमित खानपान, मानसिक तनाव, मोटापा, व्यायाम की कमी। इसी कारण यह रोग हमारे देश में बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। डायबिटीज चयापचय से संबंधित बीमारी है। इसमें कार्बोहाइड्रेट और ग्लूकोज का ऑक्सीकरण पूर्ण रूप से नहीं हो पाता है।
डाइबिटीज एक ऐसी प्रॉब्लम है जिससे ग्रसित व्यक्ति को कई दूसरे रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है। इनमें अंधापन, रक्तवाहिकाओं में संकुचन, ब्लडप्रेशर, किडनी से जुड़ी बीमारियां व नर्व डेमेज जैसी समस्याएं प्रमुख हैं। आज हम आपको दे रहे हैं घरेलू नुस्खों की लिस्ट जो डायबिटीज के साथ ही आपका वेट भी कंट्रोल कर देंगे।

जामुन के बीज- जामुन के बीज डायबिटीज में बहुत लाभदायक साबित होते हैं। जामुन की पत्तियों को चुसने से भी डायबिटीज में राहत मिलती है।जामुन का जूस भी लेना फायदेमंद होता है।

तुलसी की पत्तियां- तुलसी वैसे तो कई बीमारियों में रामबाण का काम करती है, लेकिन इसके डायबिटीज कंट्रोल करने के गुण को बहुत कम लोग जानते हैं। रोजाना तुलसी की पांच पत्तियां खाने से भी डायबिटीज कंट्रोल हो जाती है।

कैक्टस का जूस- कैक्टस का जूस डायबिटीज रोगियों के लिए लाभदायक होता है। कैक्टस का जूस ब्लडशुगर लेवल को स्थिर रखता है।

नीम- नीम भी डायबिटीज में रामबाण दवा है। नीम का सत्व या जूस सुबह लेने से डायबिटीज नियंत्रण में रहती है।साथ ही खून साफ होता है व स्किन प्रॉब्लम्स भी नहीं होती हैं।

ईसबगोल- अधिकतर लोग इसबगोल का सिर्फ एक गुण जानते हैं वो है कब्ज मिटाना। मगर ईसबगोल डायबिटीज पेशेन्ट्स के लिए भी बहुत लाभदायक होता है। रोजाना ईसबगोल लेने से पेट भी साफ रहता है व डायबिटीज भी कंट्रोल में रहती है।
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