विचारों के अनुरूप ही मनुष्य की स्थिति और गति होती है। श्रेष्ठ विचार सौभाग्य का द्वार हैं, जबकि निकृष्ट विचार दुर्भाग्य का,आपको इस ब्लॉग पर प्रेरक कहानी,वीडियो, गीत,संगीत,शॉर्ट्स, गाना, भजन, प्रवचन, घरेलू उपचार इत्यादि मिलेगा । The state and movement of man depends on his thoughts. Good thoughts are the door to good fortune, while bad thoughts are the door to misfortune, you will find moral story, videos, songs, music, shorts, songs, bhajans, sermons, home remedies etc. in this blog.
जिंदगी एक किराए का घर है - सुपरहिट चेतावनी भजन - Zindagi Ek Kiraye Ka Ghar Hai
ऐ गम-ए-ज़िंदगी...ai gam-e-zindagee Lyrics
ऐ गम-ए-ज़िंदगी
ऐ गम-ए-ज़िंदगी
कुछ तो दे मशवरा
ऐ गम-ए-ज़िंदगी
कुछ तो दे मशवरा
एक तरफ उसका घर
एक तरफ मयकदा
एक तरफ उसका घर
एक तरफ मयकदा
मैं कहाँ जाऊँ होता नहीं फ़ैसला
मैं कहाँ जाऊँ होता नहीं फ़ैसला
एक तरफ उसका घर
एक तरफ मयकदा
एक तरफ उसका घर
एक तरफ मयकदा
एक तरफ बाम पर कोई गुलफाम है
एक तरफ महफिलें बादा-ओ-जाम है
एक तरफ बाम पर कोई गुलफाम है
एक तरफ महफिलें बादा-ओ-जाम है
दिल का दोनों से है कुछ ना कुछ वास्ता
एक तरफ उसका घर
एक तरफ मयकदा
एक तरफ उसका घर
एक तरफ मयकदा
उसके दर से उठा तो किधर जाऊँगा
मयकदा छोड़ दूँगा तो मर जाऊँगा
उसके दर से उठा तो किधर जाऊँगा
मयकदा छोड़ दूँगा तो मर जाऊँगा
उसके दर से उठा तो किधर जाऊँगा
मयकदा छोड़ दूँगा तो मर जाऊँगा
सख़्त मुश्किल में हूँ क्या करूँ ऐ खुदा
एक तरफ उसका घर
एक तरफ मयकदा
एक तरफ उसका घर
एक तरफ मयकदा
ज़िंदगी एक है और तलबगार दो
जां अकेली मगर जां के हक़दार दो
ज़िंदगी एक है और तलबगार दो
जां अकेली मगर जां के हक़दार दो
दिल बता पहले किसका करूँ हक अदा
एक तरफ उसका घर
एक तरफ मयकदा
एक तरफ उसका घर
एक तरफ मयकदा
इस ताल्लुक़ को मैं कैसे तोडूँ ज़फर
किसको अपनाऊँ मैं किसको छोडूँ ज़फ़र
इस ताल्लुक़ को मैं कैसे तोडूँ ज़फर
किसको अपनाऊँ मैं किसको छोडूँ ज़फ़र
इस ताल्लुक़ को मैं कैसे तोडूँ ज़फर
किसको अपनाऊँ मैं किसको छोडूँ ज़फ़र
मेरा दोनो से रिश्ता है नज़दीक का
एक तरफ उसका घर
एक तरफ मयकदा
एक तरफ उसका घर
एक तरफ मयकदा
ऐ गम-ए-ज़िंदगी
कुछ तो दे मशवरा
ऐ गम-ए-ज़िंदगी
कुछ तो दे मशवरा
एक तरफ उसका घर
एक तरफ मयकदा
एक तरफ उसका घर
एक तरफ मयकदा
मैं कहाँ जाऊँ होता नहीं फ़ैसला
मैं कहाँ जाऊँ होता नहीं फ़ैसला
एक तरफ उसका घर
एक तरफ मयकदा
एक तरफ उसका घर
एक तरफ मयकदा
एक तरफ उसका घर
एक तरफ मयकदा
एक तरफ उसका घर
एक तरफ मयकदा
एक तरफ उसका घर
एक तरफ मयकदा
Lata mangeshkar & Mohammad Rafi Song | old is Gold | हिंदी सदाबहार गीत, Lata Mangeshkar
Lata mangeshkar & Mohammad Rafi Song | old is Gold | हिंदी सदाबहार गीत, Lata Mangeshkar
युवा पीढ़ी किस ओर जा रही है - Where is the younger generation headed
आजकल पता नहीं हमारी युवा पीढ़ी किस ओर जा रही है।
वर्तमान समाज में पैर पसारते कलयुग के अशुभ लक्षण -Ominous signs of Kaliyuga spreading in the present society
वर्तमान समाज में पैर पसारते कलयुग के अशुभ लक्षण - Ominous signs of Kaliyuga spreading in the present society
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1. कुटुम्ब कम हुआ
2. सम्बंध कम हुए
3. नींद कम हुई.
4. बाल कम हुए
5. प्रेम कम हुआ
6. कपड़े कम हुए
7. शिष्टाचार कम हुआ
8. लाज-लज्जा कम हुई
9. मर्यादा कम हुई
10. बच्चे कम हुए
11. घर में खाना कम हुआ
12. पुस्तक वाचन कम हुआ
13. भाई-भाई प्रेम कम हुआ
15. चलना कम हुआ
16. खानपान की शुद्धता कम हुई
17. खुराक कम हुई
18. घी-मक्खन कम हुआ
19. तांबे - पीतल के बर्तन कम हुए
20. सुख-चैन कम हुआ
21. अतिथि कम हुए
22. सत्य कम हुआ
23. सभ्यता कम हुई
24. मन-मिलाप कम हुआ
25. समर्पण कम हुआ
26. बड़ों का सम्मान कम हुआ।
27 सहनशक्ति कम हुई ।
28 धैर्य कम हुआ
29 श्रद्धा-विश्वास कम हुआ ।
और भी बहुत कुछ कम हुआ जिससे जीवन सहज था, सरल था।
संतान को दोष न दें
बालक या बालिका को 'इंग्लिश मीडियम' में पढ़ाया...
'अंग्रेजी' बोलना सिखाया।
'बर्थ डे' और 'मैरिज एनिवर्सरी'
जैसे जीवन के 'शुभ प्रसंगों' को 'अंग्रेजी कल्चर' के अनुसार जीने को ही 'श्रेष्ठ' माना।
माता-पिता को 'मम्मी' और
'डैड' कहना सिखाया।
जब 'अंग्रेजी कल्चर' से परिपूर्ण बालक या बालिका बड़ा होकर, आपको 'समय' नहीं देता, आपकी 'भावनाओं' को नहीं समझता, आप को 'तुच्छ' मानकर 'जुबान लड़ाता' है और आप को बच्चों में कोई 'संस्कार' नजर नहीं आता है,
तब घर के वातावरण को 'गमगीन किए बिना'... या...
'संतान को दोष दिए बिना'...कहीं 'एकान्त' में जाकर 'रो लें'...
क्योंकि...
पुत्र या पुत्री की पहली वर्षगांठ से ही,
'भारतीय संस्कारों' के बजाय,मंदिर जाने की जगह,
'केक' कैसे काटा जाता है सिखाने वाले आप ही हैं...
'हवन कुण्ड में आहुति' कैसे दी जाए...
'मंत्र, आरती, हवन, पूजा-पाठ, आदर-सत्कार के संस्कार देने के बदले'...
केवल 'फर्राटेदार अंग्रेजी' बोलने को ही,
अपनी 'शान' समझने वाले भी शायद आप ही हैं...
बच्चा जब पहली बार घर से बाहर निकला तो उसे
'प्रणाम-आशीर्वाद' के बदले
'बाय-बाय' कहना सिखाने वाले आप...
परीक्षा देने जाते समय
'इष्टदेव/बड़ों के पैर छूने' के बदले
'Best of Luck'
कह कर परीक्षा भवन तक छोड़ने वाले आप...
बालक या बालिका के 'सफल' होने पर, घर में परिवार के साथ बैठ कर 'खुशियाँ' मनाने के बदले...
'होटल में पार्टी मनाने' की 'प्रथा' को बढ़ावा देने वाले आप...
बालक या बालिका के विवाह के पश्चात्...
'कुल देवता / देव दर्शन'
को भेजने से पहले...
'हनीमून' के लिए 'फाॅरेन/टूरिस्ट स्पॉट' भेजने की तैयारी करने वाले आप...
ऐसी ही ढेर सारी 'अंग्रेजी कल्चर्स' को हमने जाने-अनजाने 'स्वीकार' कर लिया है...
अब तो बड़े-बुजुर्गों और श्रेष्ठों के 'पैर छूने' में भी 'शर्म' आती है...
गलती किसकी..?
मात्र आपकी '(माँ-बाप की)'...
अंग्रेजी अंतरराष्ट्रीय भाषा' है...
कामकाज हेतु इसे 'सीखना'है,अच्छी बात है पर
इसकी 'संस्कृति' को,'जीवन में उतारने' की तो कोई बाध्यता नहीं थी?
अपनी समृद्ध संस्कृति को त्यागकर नैतिक मूल्यों,मानवीय संवेदनाओं से रहित अन्य सभ्यताओं की जीवनशैली अपनाकर हमनें क्या पाया? अवैध संबंध? टूटते परिवार? व्यसनयुक्त तन? थकेहारे मन? छलभरे रिश्ते? अभद्र,अनुशासनहीन संतानें? असुरक्षित समाज? भयावह भविष्य?
एक बार विचार अवश्य कीजिएगा कि संस्कारवान पीढ़ी क्यों आवश्यक है.
परिवार से प्यार करते हो तो ये कहानी ज़रूर सुनना !! If you love family then you must listen to this story.
परिवार से प्यार करते हो तो ये कहानी ज़रूर सुनना !!
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जागो हिंदू जागो नहीं, जागो सरकार जागो - Wake up Hindus, don't wake up, wake up government
जागो हिंदू जागो नहीं, जागो सरकार जागो
अब बोलो
जागो सरकार जागो...
क्योकि जागने बाले हिंदू जेल भेज दिये जाते हैँ, सरकार भारत की गंदी राजनीति से भारत को मुक्त करे, राजनीति करने बालों के लिए सरकारी नौकरी की तरह सख्त कानून बनाएं, जिससे राजनीति को गंदी करने बाले राजनीति से बाहरे रहें, इसलिए बोलो जागो हिंदू जागो नहीं, जागो सरकार जागो
हमारे देश के प्रधानमंत्री दुनिया के सर्वोत्तम प्रधानमंत्री है, लेकिन कुछ कड़वी बातें भी हैं -
भारत की तमाम समस्याओं का जड़ से समाधान करने के लिए राजनैतिक चुनाब लड़ने बाले व्यक्तियों के सख्त मापदंड, नियम कानूनों को मानवता, समरसता और राष्ट्रहित के अनुकूल बनाने के लिए कोई बात क्यों नहीं करता ?
प्रशासन की सेवा में तो आरक्षण से योग्य लोगों का दमन होता है, लेकिन शाशन की सेवा में तो मापदंड से मुक्त करके योग्य जनता का दमन होता है, जैसे आज दिल्ली में जेल से शासन चल रहा है, लेकिन सरकारी नौकरी में व्यक्ति को सेवाओं से मुक्त कर दिया जाता है।
राजनैतिक व्यक्ति ही हैँ जो व्यक्तिगत स्वार्थ में मानवता, समरसता और राष्ट्रहित् के मुद्दों का सरकार का जब विरोध करते हैँ तो स्पस्ट करने के लिए कुछ नहीं बचता, जैसे बक्फ बोर्ड को असीमित अधिकार देकर शासन, प्रशासन, न्यायपालिका और जनता को पंगू बनाने का भी नेता विरोध करते हैँ, यह बक्फ बोर्ड की शक्ति उचित हैँ तो क्या यह लोग ऐसे ही समान अधिकारों के साथ सनातन बोर्ड बनाने में सहयोग करेंगें ?, नहीं, उस समय भी यह नेता विरोध करेंगें, इतनी सी बात से इनका चरित्र स्पस्ट हो जाता है।
इसलिए इसका समाधान सिर्फ और सिर्फ भारत की राजनीति को स्वछ करके ही मानवता, समरसता और राष्ट्रीयता के अनुकूल बनाया जा सकता है। जनता समझदारी से इस मुख्य मुद्दे से भटकना बंद करे और मेरा देश मेरी जिम्मेदारी समझ कर राष्ट्रहित में उचित योगदान करना शुरु करें।
भारत माता की जय
जागो हिंदू जागो नहीं, जागो सरकार जागो
🙏🚩🙏👆🧏♂️
Wake up Hindus, don't wake up, wake up government.
Wake up Hindus, don't wake up, wake up government.
Because the awakened Hindus are sent to jail, the government should free India from the dirty politics of India, make strict laws like government job for those doing politics, so that those who make politics dirty stay out of politics.so say....wake up government.
Why does no one talk about making the strict standards, rules and regulations of the people contesting political elections suitable for humanity, harmony and national interest to solve all the problems of India from the root ? ,
In the service of administration, deserving people are oppressed by reservation, but in the service of governance, deserving people are oppressed by freeing them from criteria, like today Delhi is being ruled from jail, but in a government job, a person is deprived of services. Is freed.
It is the political persons who, out of personal interest, oppose the government on the issues of humanity, harmony and national interest, then there is nothing left to explain, like paralyzing the governance, administration, judiciary and the public by giving unlimited powers to the Reserve Bank of India. If the leaders protest that the power of the BCF Board is justified, then will these people cooperate in forming a Sanatan Board with similar rights? No, even at that time these leaders will protest, this simple thing makes their character clear.
Therefore, its solution can be found only by cleaning the politics of India and making it compatible with humanity, harmony and nationalism. The public should wisely stop deviating from this main issue and consider my country as my responsibility and start contributing appropriately to the national interest.The Prime Minister of our country is the best Prime Minister of the world, but there are some bitter things too, so say wake up government.
Long live Mother India
ऐसी बूढ़ी अम्मा से बचके -भलाई का जमाना नहीं, Avoid such an old mother-this is not the time for goodness.
ऐसी बूढ़ी अम्मा से बचके -भलाई का जमाना नहीं
सुपर मार्केट में शॉपिंग करते हुए एक युवक ने नोटिस किया कि एक बूढ़ी अम्मा उसका पीछा कर रही है।
वह रुकता तो बूढ़ी अम्मा रुक जाती। वह चलता तो बूढ़ी अम्मा भी चलने लगती। आखिर एक बार वह युवक के करीब आई और बोली, ‘बेटा, मेरे कारण तुम परेशान हो रहे हो, लेकिन तुम बिल्कुल मेरे स्वर्गवासी बेटे जैसे दिखते हो, इसलिए मैं तुम्हें देखते हुए तुम्हारे पीछे-पीछे चल रही हूं।’
युवक, 'कोई बात नहीं, अम्मा जी।
मुझे कोई परेशानी नहीं।’
बूढ़ी अम्मा, ‘बेटा, तुम्हें अजीब लगेगा, लेकिन जब मैं स्टोर से जाऊं, तब क्या तुम मुझे एक बार 'गुड बाय, मॉम' कहोगे, जैसा मेरा बेटा कहा करता था। मुझे बेहद खुशी होगी।’ बूढ़ी अम्मा जब बाहर जाने लगी, तब युवक ने जोर से आवाज लगाई, ‘गुड बाय, मॉम।’
बूढ़ी अम्मा पलटी और बहुत स्नेह से युवक की तरफ देखा, मुस्कुराई और चली गई। युवक भी बहुत खुश हुआ कि आज वह किसी की मुस्कान का कारण बन सका।
सामान ट्रॉली में रखकर युवक काउंटर पर पहुंचा और बिल पूछा। क्लर्क ने कहा, ‘25 हजार रुपये।’
युवक, ‘इतना ज्यादा बिल कैसे? मैंने तो मात्र 5 आइटम खरीदे हैं।’ क्लर्क, ‘सही कहा, सर। लेकिन आपकी मॉम बोलकर गई हैं कि उन्होंने जो खरीदारी की है, उसका बिल आप पे करेंगे।’
ऐसी बूढ़ी अम्मा से बचके -भलाई का जमाना नहीं
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आलस्य से भरे व्यक्ति को जीवन मे कुछ नहीं मिलता A lazy person gets nothing in life
Very short story, Short Story in Hindi with Moral,मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी,बेस्ट मोरल स्टोरी इन हिंदी
आलस्य से भरे व्यक्ति को जीवन मे कुछ नहीं मिलता A lazy person gets nothing in life
एक बार की बात है एक राजा नेअपनी प्रजा के बारे में सोचा कि मेरी प्रजा कैसी है इसमें कौन से लोग आलस से भरे हुए हैं और कौन से मेहनती है तो राजा ने अपने कुछ मंत्रियों के साथ एक बड़ा सा पत्थर ले जाकर एक सड़क पर रख दिया था और उसने सोचा कि जो इस पत्थर को हटाएगा वह मेहनती व्यक्ति कहलाएगा उसने पत्थर के नीचे कुछ सोने की मोहरी रखी थी इन सोने की मोहरों से कोई भी व्यक्ति एक धनी व्यक्ति मेंपरिवर्तित हो सकता है
इसी तरह कई दिन बीत गए पर पत्थर नहीं हिला क्योंकि लोग वहां से आते और जाते परंतु कोई भी उस पत्थर की तरफ देखकर उसे हिलाने का प्रयास नहीं करता हालांकि लोगों को बहुत दिक्कत हो रही थी उस पत्थर से क्यों कि बीच सड़क में आने से परंतु लोग अपने काम से काम रखते हैं और किसी ने भी उसे हटाने का प्रयास नहीं किया क्योंकि इसमें मेहनत लगती है
एक दिन, एक गरीब किसान अपने धान की बोरी लेकर वहां पहुंचा। उसने देखा कि सड़क पर पत्थर पड़ा हुआ है। उसके मन में ख्याल आया कि अगर उस पत्थर को हटा दिया जाए, तो लोगों को आने-जाने में कोई परेशानी नहीं होगी।
किसान ने अपनी मेहनती हाथों से पत्थर को हटाने का प्रयास किया। जैसे ही उसने पत्थर को हिलाना शुरू किया, बड़ी ही मशक्कत के बाद पत्थर हिला और उसके नीचे से कुछ सोने की मोहरी निकली सोने की मोरों को देखकर किसान आश्चर्यचकित हो गया और वहां बहुत ज्यादा खुश हो गया वह समझ गया कि उसकी मेहनत और संघर्ष ने उसे एक महत्वपूर्ण और बेहतर भविष्य दिलाया है।
उसके तुरंत बाद किसान अपने राजा के पास जाता है और उसे पूरी कहानी के बारे में बताता है तो राजा कहता है कि यह सोने की मोहरी तुम्हारी ही है क्योंकि यह तुम्हारी मेहनत का फल है तुमने दिखाया कि आलस्यता के बजाय मेहनत करने से हमें बेहतर अवसर मिलते हैं।”
निष्कर्ष:
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें आलस्यता से दूर रहकर मेहनत करनी चाहिए। जीवन में सफलता पाने के लिए हमें संघर्ष का सामना करना होता है और अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें समर्पित रहना होता है। “आलस्य से कुछ नहीं मिलेगा” – यह कहानी हमें यह बताती है कि हमें हमेशा मेहनती और सक्रिय रहना चाहिए, क्योंकि सिर्फ सोचने से कुछ नहीं मिलता, करने से ही सफलता हासिल होती है।
आलस्य से कैसे बचे ?
आलस्य से बचना आवश्यक है क्योंकि यह एक बुरी आदत है जो हमें हमारे लक्ष्यों से दूर ले जा सकती है और हमारे जीवन को असफल बना सकती है। आलस्य से बचने के लिए कुछ सरल तरीके हैं जो आपको सकारात्मक दिशा में बढ़ने में मदद कर सकते हैं।
1. रूटीन बनाएं: एक अच्छी रूटीन बनाना बहुत महत्वपूर्ण है। सही समय पर सोना और उठना, नियमित भोजन, और व्यायाम करना आलस्य को कम कर सकता है।
2. लक्ष्य तय करें और उन पर केंद्रित रहें: अपने लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से तय करें और उन पर ध्यान केंद्रित करें। यह आपको उन लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करेगा।
3. स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम: सही आहार और नियमित व्यायाम से आपका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बना रहेगा, जिससे आप आलस्य से मुक्त रहेंगे।
4. नए कौशल सीखें: नए कौशलों की प्राप्ति से आप नए चुनौतीओं का सामना करने में मदद कर सकते हैं और आपकी रूचियों को बढ़ा सकते हैं।
5. सकारात्मक सोच: आपकी सोच आपके जीवन को प्रभावित करती है, इसलिए सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखें और सब कुछ एक सकारात्मक पहलुओं से देखें।
6. समय का सही तरीके से प्रबंधन: समय को सही तरीके से प्रबंधित करना बहुत महत्वपूर्ण है। आपकी जीवनसूची को इसे सही तरीके से बनाए रखें ताकि आप समय को सही से उपयोग कर सकें।
7. समर्थन प्राप्त करें: आपके चारों ओर के लोगों का समर्थन प्राप्त करें। सही समर्थन से आपका मनोबल बना रहेगा और आप आलस्य को हरा सकते हैं।
8. साथी का समर्थन: आपके साथी का समर्थन आपको उत्साहित कर सकता है और आलस्य को दूर करने में मदद कर सकता है। उनसे अपनी बातें साझा करें और समर्थन मांगें।
9. नई चुनौतीओं का स्वागत करें: जीवन में नई चुनौतीयां आती रहती हैं और इन्हें स्वीकार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। आलस्य से बचने के लिए, आपको नई स्थितियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए और इन्हें एक नए दृष्टिकोण से देखना चाहिए।
10. सुसंगत मनोरंजन: सकारात्मक मनोरंजन का सही समय पर आनंद लेना भी आलस्य को दूर कर सकता है। यह मनोबल बढ़ा सकता है और आपको आपके लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रेरित कर सकता है।
11. सम्पूर्ण नियंत्रण: आलस्य से बचने के लिए सम्पूर्ण नियंत्रण बनाए रखें। अपने विचारों, भावनाओं और क्रियाओं को सही दिशा में निर्देशित करने के लिए सतर्क रहें।
12. सकारात्मक संगति: सकारात्मक लोगों के साथ समय बिताना आपको सकारात्मकता में रख सकता है। ऐसे लोग आपको प्रेरित करेंगे और आपके आस-पास की ऊर्जा को सकारात्मक बना सकते हैं।
13. स्वयं का मूल्यांकन: अपनी सकारात्मक गुणों, क्षमताओं, और योग्यताओं को पहचानना महत्वपूर्ण है। अपने आत्मा को महत्वपूर्ण मानना और अपनी स्वीकृति को समझना आपको आलस्य से बाहर ले जा सकता है।
आलस्य से बचने के लिए ये उपाय आपको एक सकारात्मक और उत्साहित जीवन की ओर बढ़ने में सहायक हो सकते हैं। धीरे-धीरे इन्हें अपनाकर, आप आपके लक्ष्यों की प्राप्ति में सफलता प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को सकारात्मक रूप से दिखा सकते हैं।
आप सभी से अनुरोध है कि आप भी इस motivational story जो hindi में है अपने संबंधित करीबी और दोस्तों के साथ साझा करें,
Feetured Post
सच्चे रिश्तों का सम्मान
सफल गृहस्थ जिंदगी जी रही प्रिया की जिंदगी में पति आकाश के अलावा करण क्या आया, उसकी पूरी जिंदगी में तूफान आ गया। इसकी कीमत प्रिया ने क्या खो...