डायरिया के घरेलू नुस्‍खे Home remedies for diarrhea


जब आदमी बार-बार मल त्‍याग करे या पतला मल निकले या दोनों ही स्थितियां हो तो उसे डायरिया या अतिसार कहते हैं। 

डायरिया या अतिसार

पतले दस्त जिसमें जल की मात्रा ज्यादा होती है थोडे-थोडे समय के अंतराल पर आता है। खाने में बरती गई असावधानी इसका प्रमुख कारण होता है। डायरिया के तीव्र प्रकोप से पेट के निचले हिस्से में पीडा या बेचैनी प्रतीत होती है। पेट मरोडना, उल्टी आना, बुखार होना, कमजोरी महसूस करना डायरिया के लक्षण हैं। डायरिया देर तक रहने पर आदमी को कमजोरी और निर्जलीकरण की समस्या पैदा हो जाती है। एक दिन में 5 या उससे ज्यादा बार मल त्याग करने पर स्थिति चिंताजनक होती है। डायरिया आमतौर पर अगर एक हफ्ते में ठीक नहीं होता है तो क्रॉनिक डायरिया कहलाता है। डायरिया की स्थिति देर तक बने रहने पर आदमी बेहोश हो जाता है और समय से इलाज न होने पर मृत्यु हो सकती है।

डायरिया से बचाव के नुस्खे

नमक और पानी का घोल

डायरिया होने पर 1 से 2 घंटे के अंतराल पर कम से कम 1 लीटर से ज्यादा पानी पीना चाहिए। पानी का सेवन करने से निर्जलीकरण नहीं होगा। नमक के छोटे-छोटे टुकडे चूसकर खाएं। नमक और पानी का घोल बनाकर प्रयोग करें।

ओआरएस का घोल

डायरिया होने पर शरीर के अंदर से तरल व खनिज लवण बाहर निकलते हैं। इनकी कमी को पूरा करने के लिए ओआरएस का घोल पिएं।


चाय और अदरक

अदरक का सेवन करने से डायरिया में राहत मिलती है। अदरक की चाय पीने से पेट की पीडा कम होती है। अदरक का रस, नीबूं का रस और काली मिर्च का पाउडर पानी में मिलाकर पीने से राहत मिलती है।

केला और सेब

केला व सेब का मुरब्बा और टोस्ट का मिश्रण जिसे ब्रॉट कहते हैं, इसके इस्तेमाल से भी डायरिया में राहत मिलती है। केला आंतों की गति को नियंत्रण करने में और दस्त को बांधने में सहायता करता है। सेब और केले में मौजूद पेक्टिन दस्त की मात्रा कम करके डायरिया में फायदा देता है।

चावल

डायरिया के उपचार में चावल बहुत कारगर होता है। चावल आंतों की गति को कम करके दस्त को बांधता है।

भोजन बंद न करें

डायरिया होने पर भोजन बिलकुल बंद न करें। केला, चावल, सेवफल का गूदा, मुरब्बा या सॉस जिसे ब्रॉट कहते हैं, इन सबका प्रयोग खाने में करें। ब्रॉट न केवल डायरिया पर नियंत्रण करता है बल्कि गैस्टोएंटराइटिस जैसी समस्याओं के लिए भी भी प्रभावशाली नुस्खा है। डायरिया में पर्याप्त मात्रा में पोषक और तरल पदार्थ लेना चाहिए। डायरिया से निजात पाने के 48 घंटे तक मसालेदार खाना, फल और एलकोहल का प्रयोग न करें।

दूध का प्रयोग बंद करें

डायरिया होने पर दूध और उससे बनी हुई चीजों का प्रयोग बंद करें। दूध या उससे से बने प्रोडक्ट आसानी से पच नहीं पाते हैं।
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अजवाइन


अजवाइन रुचिकारक एवं पाचक होती है। पेट संबंधी अनेक रोगों को दूर करने में सहायक होती है, जैसे- वायु विकार, कृमि, अपच, कब्ज आदि। अजवाइन में स्वास्थ्य सौंदर्य, सुगंध तथा ऊर्जा प्रदान करने वाले तत्व होते हैं। यह बहुत ही उपयोगी होती है।

1- सरसों के तेल में अजवायन डालकर अच्छी तरह गरम करें। इससे जोड़ों की मालिश करने पर जोड़ों के दर्द में आराम होता है।
2- अजवाइन मोटापे को कम करने में मदद करती है। अतः रात्रि में एक चम्मच अजवायन एक गिलास पानी में भिगोएं। सुबह छानकर उस पानी में शहद डालकर पीने पर लाभ होता है।

3- मसूड़ों में सूजन होने पर अजवाइन के तेल की कुछ बूँदें पानी में मिलाकर कुल्ला करने से सूजन कम होती है।

4- अजवाइन, काला नमक, सौंठ तीनों को पीसकर चूर्ण बना लें। भोजन के बाद फाँकने पर अजीर्ण, अशुद्ध वायु का बनना व ऊपर चढ़ना बंद हो जाएगा।

5- आंतों में कीड़े होने पर अजवाइन के साथ काले नमक का सेवन करने पर काफी लाभ होता है।
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कुछ उपाय जो वजन घटाएं


पूरी नींद यानी पूरी सेहत

पर्याप्त नींद और तनाव का गहरा ताल्लुक है। कई शोध नींद और वजन के संबंधों के बारे में इशारा करते हैं। इनमें पाया गया है कि बहुत कम या बहुत अधिक नींद से वजन बढ़ने लगता है। अच्छी नींद लेने वाला व्यक्ति न सिर्फ तनाव मुक्त रहता है बल्कि मोटापा कम करने में भी मदद मिलती है।

वॉकिंग- उठाइए सेहत के कदम

पैदल चलने से शरीर की मांसपेशियों की अच्छी कसरत हो जाती है। कड़ी कसरत के 90 फीसदी फायदे मिल जाते हैं। अगर आप जिम नहीं जाना चाहते हैं, और भारी-भरकम वजन उठाना आपको पसंद नहीं, तो आप पैदल चलकर भी कसरत के फायदे पा सकते हैं। एक मील यानी करीब 1.6 किलोमीटर पैदल चलने से 100 कैलोरी तक बर्न होती हैं। हफ्ते में अगर तीन दिन दो-दो मील की वॉक करें तो हर तीसरे हफ्ते आधा किलो वजन कम हो सकता है।

जल है तो जीवन है

पानी हमारे शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में बहुत मददगार होता है। जिससे आपका मेटाबोलिज्म तेज हो जाता है और आपका वजन कम होने लगता है। इसलिए दिन में कम से कम 10-12 गिलास पानी जरुर पियें। कई शोधों में माना गया है कि दिन में आठ से नौ गिलास पानी से 200 से 250 कैलोरी आप बर्न कर सकते है।

चबा चबाकर खाएं

खाना धीरे-धीरे और अच्छी तरह चबाकर खाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि खाना देर तक खाएंगे। कम खाना खा पाएंगे और इससे वजन भी नहीं बढ़ेगा। यानी बहुत देर तक लगातार खाने से आपकी भूख मर जाएगी। चबाकर खाने से खाना जल्दी पच जाता है और आपको बहुत ज्यादा देर तक भूख नहीं लगती।

फलों का रस

फलों के रस में यदि ऊपर से चीनी न मिलाई गई हो, तो वजन घटाने का यह बेहद कारगर उपाय होता है। सॉफ्ट ड्रिंक, कोल्ड ड्रिंक जैसे पेय पदार्थों से जहां वजन बढ़ता है वही दूध, पानी, नारियल पानी, जूस इत्यादि वजन कम करने में लाभकारी होते हैं।

सेब जिसने खाया, वजन घटाया

सेब में कैलोरी बहुत कम होती है। इसमें मौजूद पेक्टिन नामक फाइबर एलडीएल कोलेस्ट्रोल या संतृप्त वसा के स्तर को नियंत्रित करता है। दिन में दो बार सेब का सेवन करने वाले लोग अपना 16 प्रतिशत कोलेस्ट्रोल कम कर सकते हैं जो वजन घटाने में सहायक होता है।

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गुलाब को यों ही फूलों का फूल नहीं कहा जाता।



गुलाब के रंग-बिरंगे फूल सिर्फ ड्रॉइंगरूम में फूलदान पर
ही अच्छे नहीं लगते, बल्कि इसकी पंखुड़ियां भी बड़े काम
की हैं। गुलाब जल का इस्तेमाल फेस मास्क में भी होता है
और यह खाने को भी लज्जतदार बनाता है। गुलाब विटामिन
ए, बी 3, सी, डी और ई से भरपूर है। इसके अलावा इसमें
कैल्शियम, जिंक और आयरन की भी मात्र काफी होती है।

* गुलाब को यों ही फूलों का फूल नहीं कहा जाता। दिखने में
यह फूल बेहद खूबसूरत है और इसकी हर पंखुड़ी में समाए हैं
अनगिनत गुण। त्वचा को सुंदर बनाने से लेकर शरीर
को चुस्त-दुरुस्त रखने में गुलाब कितने काम आता है ।

* सुबह-सबेरे अगर खाली पेट गुलाबी गुलाब
की दो कच्ची पंखुड़ियां खा ली जाएं, तो दिन भर
ताजगी बनी रहती है। वह इसलिए क्योंकि गुलाब बेहद
अच्छा ब्लड प्यूरिफायर है।

* अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर, ब्रोंकाइटिस, डायरिया, कफ,
फीवर, हाजमे की गड़बड़ी में गुलाब का सेवन बेहद
उपयोगी होता है।

* गुलाब की पंखुड़ियों का इस्तेमाल चाय बनाने में भी होता है।
इससे शरीर में जमा अतिरिक्त टॉक्सिन निकल जाता है।
पंखुड़ियों को उबाल कर इसका पानी ठंडा कर पीने पर तनाव
से राहत मिलती है और मांसपेशियों की अकड़न दूर होती है।

* एक शीशी में ग्लिसरीन, नीबू का रस और गुलाब जल
को बराबर मात्रा में मिलाकर घोल बना लें। दो बूंद चेहरे पर
मलें। त्वचा में नमी और चमक बनी रहेगी और
त्वचा मखमली-मुलायम बन जाएगी।
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मिलावट से बचने के लिए


इस काम की जानकारी को सभी Share करें...
1) सेब की चमक देखकर ज्यादा खुश मत होइए। ज्यादातर यह चमक सेब पर वैक्स
पॉलिश की वजह से दिखती है। इसकी जांच के लिए बस एक ब्लेड लीजिए और सेब
को हल्के-हल्के खुरचिए। अगर कुछ सफेद पदार्थ निकले, तो आपको बधाई
क्योंकि आप मोम खाने से बच गए!
2) अगली बार चाय बनाने से पहले चायपत्ती को जरूर जांचें। चायपत्ती ठंडे पानी में डालने पर रंग छोड़े तो साफ है कि उसमें मिलावट है या वह एक बार यूज हो चुकी है।
3) मटर के दाने खरीदें हैं, तो उसमें से एक हिस्से को पानी में डालकर हिलाएं और 30
मिनट तक छोड़ दें। अगर पानी रंगीन हो जाता है तो नमूने में मेलाकाइट हरे की मिलावट है। ऐसी मिलावटी चीजें खाने से पेट से संबंधित गंभीर बीमारियां (अल्सर, ट्यूमर आदि) होने का खतरा रहता है।
4) खाने में पिसी हल्दी का रोजाना इस्तेमाल होता है। हल्दी में मेटानिल येलो की मौजूदगी से कैंसर हो सकता है। इसका टेस्ट भी हल्दी पाउडर में पांच बूंद हाइड्रोक्लोरिक एसिड और पांच बूंद पानी डालकर कर सकते हैं। अगर सैंपल बैंगनी हो जाए, तो हल्दी मिलावटी है।
5) अगर आप पिसी हल्दी में मिलावट से बचने के लिए साबूत हल्दी को लाकर खुद
पिसवाते हैं या किसी और तरीके से साबूत हल्दी को इस्तेमाल करते हैं, तो यह
भी काफी रिस्की है। हल्दी की पहचान करने के लिए पेपर पर हल्दी को रखकर
ठंडा पानी मिलाएं। अगर रंग अलग हो जाए तो हल्दी पॉलिश की हुई है।
6) मसाले में इस्तेमाल होने वाली दालचीनी में अमरूद की छाल मिलाई जाती है। इसे हाथ पर रगड़कर देखें, अगर यह नकली होगी तो कोई कलर नहीं आएगा।-
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दूध पीने के नियम


बोर्नविटा , होर्लिक्स के विज्ञापनों के चलते माताओं के मन में यह बैठ जाता है की बच्चों को ये सब डाल के दो कप दूध पिला दिया बस हो गया . चाहे बच्चे दूध पसंद करे ना करे , उलटी करे , वे किसी तरह ये पिला के ही दम लेती है . फिर भी बच्चों में केशियम की कमी , लम्बाई ना बढना , इत्यादि समस्याएँ देखने में आती है .आयुर्वेद के अनुसार दूध पिने के कुछ नियम है ---
- सुबह सिर्फ काढ़े के साथ दूध लिया जा सकता है .
- दोपहर में छाछ पीना चाहिए . दही की प्रकृति गर्म होती है ; जबकि छाछ की ठंडी .
- रात में दूध पीना चाहिए पर बिना शकर के ; हो सके तो गाय का घी १- २ चम्मच दाल के ले . दूध की अपनी प्राकृतिक मिठास होती है वो हम शकर डाल देने के कारण अनुभव ही नहीं कर पाते .
- एक बार बच्चें अन्य भोजन लेना शुरू कर दे जैसे रोटी , चावल , सब्जियां तब उन्हें गेंहूँ , चावल और सब्जियों में मौजूद केल्शियम प्राप्त होने लगता है . अब वे केल्शियम के लिए सिर्फ दूध पर निर्भर नहीं .
- कपालभाती प्राणायाम और नस्य लेने से बेहतर केशियम एब्ज़ोर्प्शन होता है और केल्शियम , आयरन और विटामिन्स की कमी नहीं हो सकती साथ ही बेहतर शारीरिक और मानसिक विकास होगा .
- दूध के साथ कभी भी नमकीन या खट्टे पदार्थ ना ले .त्वचा विकार हो सकते है .
- बोर्नविटा , कॉम्प्लान या होर्लिक्स किसी भी प्राकृतिक आहार से अच्छे नहीं हो सकते . इनके लुभावने विज्ञापनों का कभी भरोसा मत करिए . बच्चों को खूब चने , दाने , सत्तू , मिक्स्ड आटे के लड्डू खिलाइए
- प्रयत्न करे की देशी गाय का दूध ले .
- जर्सी या दोगली गाय से भैंस का दूध बेहतर है .
- दही अगर खट्टा हो गया हो तो भी दूध और दही ना मिलाये , खीर और कढ़ी एक साथ ना खाए . खीर के साथ नामकी पदार्थ ना खाए .
- अधजमे दही का सेवन ना करे .
- चावल में दूध के साथ नमक ना डाले .
- सूप में ,आटा भिगोने के लिए , दूध इस्तेमाल ना करे .
- द्विदल यानी की दालों के साथ दही का सेवन विरुद्ध आहार माना जाता है . अगर करना ही पड़े तो दही को हिंग जीरा की बघार दे कर उसकी प्रकृति बदल लें .
- रात में दही या छाछ का सेवन ना करे .
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वृक्कों (गुर्दों) में पथरी-Renal (Kidney) Stone


वृक्कों गुर्दों में पथरी होने का प्रारंभ में रोगी को कुछ पता नहीं चलता है, लेकिन जब वृक्कों से निकलकर पथरी मूत्रनली में पहुंच जाती है तो तीव्र शूल की उत्पत्ति करती है। पथरी के कारण तीव्र शूल से रोगी तड़प उठता है।

उत्पत्ति :
भोजन में कैल्शियम, फोस्फोरस और ऑक्जालिकल अम्ल की मात्रा अधिक होती है तो पथरी का निर्माण होने लगता है। उक्त तत्त्वों के सूक्ष्म कण मूत्र के साथ निकल नहीं पाते और वृक्कों में एकत्र होकर पथरी की उत्पत्ति करते हैं। सूक्ष्म कणों से मिलकर बनी पथरी वृक्कों में तीव्र शूल की उत्पत्ति करती है। कैल्शियम, फोस्फेट, कोर्बोलिक युक्त खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन से पथरी का अधिक निर्माण होता है।

लक्षण :
पथरी के कारण मूत्र का अवरोध होने से शूल की उत्पत्ति होती है। मूत्र रुक-रुक कर आता है और पथरी के अधिक विकसित होने पर मूत्र पूरी तरह रुक जाता है। पथरी होने पर मूत्र के साथ रक्त भी निकल आता है। रोगी को हर समय ऐसा अनुभव होता है कि अभी मूत्र आ रहा है। मूत्र त्याग की इच्छा बनी रहती है। पथरी के कारण रोगी के हाथ-पांवों में शोध के लक्षण दिखाई देते हैं। मूत्र करते समय पीड़ा होती है। कभी-कभी पीड़ा बहुत बढ़ जाती है तो रोगी पीड़ा से तड़प उठता है। रोगी कमर के दर्द से भी परेशान रहता है।

क्या खाएं?
* वृक्कों में पथरी पर नारियल का अधिक सेवन करें।
* करेले के 10 ग्राम रस में मिसरी मिलाकर पिएं।
* पालक का 100 ग्राम रस गाजर के रस के साथ पी सकते हैं।
* लाजवंती की जड़ को जल में उबालकर कवाथ बनाकर पीने से पथरी का निष्कासन हो जाता है।
* इलायची, खरबूजे के बीजों की गिरी और मिसरी सबको कूट-पीसकर जल में मिलाकर पीने से पथरी नष्ट होती है।
* आंवले का 5 ग्राम चूर्ण मूली के टुकड़ों पर डालकर खाने से वृक्कों की पथरी नष्ट होती है।
* शलजम की सब्जी का कुछ दिनों तक निरंतर सेवन करें।
* गाजर का रस पीने से पथरी खत्म होती है।
* बथुआ, चौलाई, पालक, करमकल्ला या सहिजन की सब्जी खाने से बहुत लाभ होता है।
* वृक्कों की पथरी होने पर प्रतिदिन खीरा, प्याज व चुकंदर का नीबू के रस से बना सलाद खाएं।
* गन्ने का रस पीने से पथरी नष्ट होती है।
* मूली के 25 ग्राम बीजों को जल में उबालकर, क्वाथ बनाएं। इस क्वाथ को छानकर पिएं।
* चुकंदर का सूप बनाकर पीने से पथरी रोग में लाभ होता है।
* मूली का रस सेवन करने से पथरी नष्ट होती है।
* जामुन, सेब और खरबूजे खाने से पथरी के रोगी को बहुत लाभ होता है।
नोट: पालक, टमाटर, चुकंदर, भिंडी का सेवन करने से पहले चिकित्सक से अवश्य परामर्श कर लें।

क्या न खाएं?
* वृक्कों में पथरी होने पर चावलों का सेवन न करें।
* उष्ण मिर्च-मसालों व अम्लीय रस से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
* गरिष्ठ व वातकारक खाद्य व सब्जियों का सेवन न करें।
* चाय, कॉफी व शराब का सेवन न करें।
* चइनीज व फास्ट फूड वृक्कों की विकृति में बहुत हानि पहंुचाते हैं।
* मूत्र के वेग को अधिक समय तक न रोकें।
* अधिक शारीरिक श्रम और भारी वजन उठाने के काम न करें।
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हीमोग्लोबिन बढ़ाने वाले आहार



भोजन में अनेक पोषक तत्व होते हैं जो शरीर का विकास करते हैं, उसे स्वस्थ रखते हैं और शक्ति प्रदान करते हैं। हमें अपने आहार में हीमोग्लोबिन बढ़ाने वाले फल एवं सब्जियों को शामिल करना चाहिए। हीमोग्लोबिन को बढ़ाने के लिए संतुलित आहार, व्यायाम, भोजन में हरी सब्जियां, दालें, अनार आदि फल लेना चाहिए।

हीमोग्लोबिन बढ़ाने वाले आहार के स्रोत:

अमरूद- अमरूद जितना ज्यादा पका हुआ होगा, उतना ही पौष्टिक होगा। पके अमरूद को खाने से शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी नहीं होती। इसलिए महिलाओं के लिए यह और भी लाभदायक हो जाता है।

आम- आम खाने से हमारे शरीर में रक्ति अधिक मात्रा में बनता है, एनीमिया में यह लाभकारी होता है।

सेब- सेब एनीमिया जैसी बीमारी में लाभकारी होता है। सेब खाने से शरीर में हीमोग्लोबिन बनता है।

अंगूर- अंगूर में भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है। जो शरीर में हीमोग्लोबिन बनाता है, और हीमोग्लोबिन की कमी संबंधी बीमारियों को ठीक करने में सहायक होता है।

चुकन्दर- चुकन्दर से प्राप्त उच्च गुणवत्ता का लोह तत्व रक्त में हीमोग्लोबिन का निर्माण व लाल रक्तकणों की सक्रियता के लिए बेहद प्रभावशाली है। खून की कमी यानी एनीमिया की शिकार महिलाओं के लिए चुकंदर रामबाण के समान है। चुकन्दर के अलावा चुकन्दर की हरी पत्तियों का सेवन भी बेहद लाभदायी है। इन पत्तियों में तीन गुना लौह तत्व अधिक होता है।

तुलसी- तुलसी रक्त की कमी को कम करने के लिए रामबाण है। तुलसी के नियमित सेवन से शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है।

सब्जियां- शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियां को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए। हरी सब्जियों में हीमोग्लोबिन बढ़ाने वाले तत्व ज्यादा मात्रा में पाये जाते है।

तिल- तिल हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता है। तिल खाने से रक्ताअल्पता की बीमारी ठीक होती है।

पालक- सूखे पालक में आयरन काफी मात्रा होती है। जो शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को ठीक करता है।

नारियल- नारियल शरीर में उत्तकों, मांसपेशियों और रक्त जैसे महत्वपूर्ण द्रव्यों का निर्माण करता है, यह संक्रमण का सामना करने के लिए इन्जाइम और रोग प्रतिकारक तत्वों के विकास में सहायक होता है।

अंडा- अंडे के दोनों भागों में प्रोटीन, वसा, कई तरह के विटामिन, मिनरल्स, आयरन और कैल्शियम जैसे गुणकारी तत्वों की भरपूर मात्रा होती है। बहुत कम खाद्य पदार्थों में पाया जाने वाला विटामिन डी भी अंडे में पाया जाता है।

गुड़- गुड़ में अधिक खनिज लवण होते है। जो हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद करता है।
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ये पौष्टिक तो हैं ही


* दिमाग तेज बनाने के लिए रोजाना सुबह सैर करें। हरी घास पर चलने से दिमाग के साथ-साथ ब्लड प्रेशर भी ठीक बना रहता है।

* दांत मजबूत बनाने के लिए नीम की दातून का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे दांत में कीड़ा नहीं लगता और आपके दांत मजबूत भी बनते हैं।

* सर्दियों में अपनी डाइट में ड्राई फ्रूट्स को भी शामिल करें। ये पौष्टिक तो हैं ही, त्वचा के लिए भी लाभदायक हैं।

* फ्रिज की ठंडी चीजें सीधे खाने से बचें। इसे हल्का सा गर्म करके खायेंगे, तो पाचन तंत्र ठीक रहेगा।

* गर्दन में दर्द न हो, इसके लिए सोने का सही तरीका अपनाएं। तकिए का इस्तेमाल कम करें। फिर भी दर्द है तो एक्सरसाइज या योग करें। तब भी आराम न मिले तो डाक्टर से सलाह लें।

* गर्म मसाला चूर्ण को नींबू के रस में भिगो दें। भोजन के बाद इसे आधा चम्मच लें। यह पाचन के लिए बेहतरीन दवाई का काम करता है।

* ज्यादा लिपिस्टिक लगाने से कभी-कभी होठों का रंग काला पड़ने लगता है। हो सके तो इसे लगाने से परहेज करें। लगानी भी पड़े तो, बाद में उसे साफ करके होंठों पर नींबू का रस लगायें। इससे आपके होंठ काले नहीं पडेंगे।

* अगर आपको पिंपल की समस्या है, तो साबून का प्रयोग न करें। साबुन आपके चेहरे से आयल को सोख लेता है जिससे आपकी समस्या कम होने की जगह बढ़ सकती है। चेहरे पर नीम का फेस पैक लगाएं।

* अगर आपकी आंखों के नीचे काले घेरे या झुर्रियां पड़ गयी हैं, तो दूध की मलाई से उस जगह की रोजाना मालिश करें।

* त्वचा को मुलायम बनाने के लिए शहद में नींबू का रस मिलाकर पांच मिनट मालिश करें।

* तनाव न हो, इसके लिए सकारात्मक सोच अपनाएं। अधिक तनाव से केवल आपके दिमाग पर असर पड़ता है बल्कि ब्यूटी पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। जैसे बालों का गिरना, आंखों के नीचे काले घेरे होना और चेहरे की चमक घीरे-धीरे गायब होने लगेगी।

* बाल सफेद न हों, इसके लिए विटामिन-ई युक्त तेल का प्रयोग करें। इससे आपके बाल असमय सफेद नहीं होंगे साथ ही गिरना बन्द हो जायेंगे। खाने में भी इस तेल का इस्तेमाल फायदेमंद होता है।
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गोरी त्वचा पाने के घरेलू उपायHome remedies to get fair skin

भारत में गोरेपन को खूबसूरती का पैमाना माना जाता है। इसी खूबसूरती को हासिल करने के लिए तरह-तरह के उपाय भी किए जाते हैं। महंगी से महंगी क्रीम, लोशन आदि सबका उपयोग किया जाता है। लेकिन यह भी सच है कि रंगत केवल एक ही रात में नही बदली जा सकती इसमें समय लगता है। अगर आप भी अपनी रंगत को गोरा करना चाहते है तो घर में उपलब्‍ध चीजों की सहायता से ऐसा किया जा सकता है।

एक बाल्टी ठण्डे या गुनगुने पानी में दो नींबू का रस मिलाकर गर्मियों में कुछ महीने तक नहाने से त्वचा का रंग निखरने लगता है।
आंवले का मुरब्बा रोज खाने से दो-तीन महीने में ही रंग निखरने लगता है।
गाजर का जूस आधा गिलास खाली पेट सुबह लेने से एक महीने में रंग निखरने लगता है।
पेट को हमेशा ठीक रखें, कब्ज न रहने दें।
अधिक से अधिक पानी पीएं।
चाय कॉफी का सेवन कम करें।
रोजाना सुबह शाम खाना खाने के बाद थोड़ी मात्रा में सोंफ खाने से खून साफ होने लगता है और त्वचा की रंगत बदलने लगती है।

गोरी त्वचा पाने के घरेलू उबटन - इन सब उपायों के अलावा आप विभिन्न प्रकार के घरेलू उबटन लगा कर भी अपनी त्वचा की रंगत निखारी जा सकती है।

हल्दी पैक- त्वचा की रंगत को निखारने के लिए हल्दी एक अच्छा तरीका है। पेस्ट बनाने के लिए हल्दी और बेसन या फिर आटे का प्रयोग करें। हल्दी में ताजी मलाई, दूध और आटा मिला कर गाढा पेस्ट बनाएं, इस पेस्ट को अपने चेहरे पर 10 मिनट लगाएं और ठंडे पानी से धो लें।

हनी आल्मड स्क्रब- बादाम भी रंगत निखारने का काम करता है। रात को 10 बादाम पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उसे छील कर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट में थोड़ा सा शहद मिलाएं और इस पेस्ट को अपनी त्वचा पर लगाकर स्क्रब करें।

चंदन- गोरी रंगत देने के अलावा यह एलर्जी और पिंपल को भी दूर करता है। पेस्ट बनाने के लिए चंदन पाउडर में 1 चम्मच नींबू और टमाटर का रस मिलाएं और पेस्ट को अपने चेहरे और गर्दन में अच्छी तरह से लगाकर थोड़ी देर बाद ठंडे पानी से धो लें।

केसर पैक- उबटन बनाने के लिए आपको दही और क्रीम में थोड़ा सा केसर मिला लें। इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं। सूखने के बाद इसे धो लें। केसर के इस उबटन से भी कुछ दिन में आपकी त्वचा गोरी होने लगेगी।

चिरौंजी का पैक- गोरी रंगत के लिए मजीठ, हल्दी, चिरौंजी का पाउडर लें इसमें थोड़ा सा शहद, नींबू और गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चेहरे, गरदन, बांहों पर लगाएं और एक घंटे के बाद चेहरा धो दें। ऐसा सप्ताह में दो बार करने से चेहरे का रंग निखर जाएगा।

मसूर दाल पैक- मसूर की दाल का पाउडर लें इसमें अंडे की जर्दी, नीबू का रस व कच्चा दूध मिलाकर पेस्ट बना लें। रोज इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं, सूखने पर ठंडे पानी से धो लें। चेहरे का रंग निखर जाएगा।

बेसन का उबटन- बेसन 2 चम्मच, सरसों का तेल 1 चम्मच और थोड़ा सा दूध मिला कर पेस्ट बना लें। पूरे शरीर पर इस उबटन को लगा लें। कुछ देर बाद हाथ से रगड कर छुडाएं और स्नान करें। त्वचा गोरी व मुलायम हो जाएगी।

इन सब घरेलू उपायों को अपना कर आप कुछ ही दिनों में स्वस्थ, सुंदर, चमकदार और गोरी त्वचा पा सकती है।
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