जब-जब इंसान, हैवान बना,
और दिल से मिट गई दया,
जब नफ़रत ने शासन किया,
और सच बन गया सज़ा...
तब मौन नहीं रहता सृष्टिकर्ता,
वो फिर से धरा पे आते हैं,
अपने हाथों से कर्म का लेखा,
हर पापी को पढ़वाते हैं।
जब-जब इंसान हैवान बना,
दुनिया का सिस्टम रिसेट हुआ,
प्रभु चले जब रणभूमि में,
सत्य का सूरज फिर से उगा।
जब आँखों में शर्म न बची,
और इंसाफ भी बिकने लगे,
जब रक्षक ही भक्षक बनें,
और सपने तिजारत लगें...
तब कोई दूर से आता है,
वो दीप जलाने वाला है,
जो हाथ थामकर चलना सिखाए,
वो फिर से इंसान बनाए...
जब-जब इंसान हैवान बना,
दुनिया का सिस्टम रिसेट हुआ,
धरती ने फिर ईश्वर देखा,
जिसने अंधेरों को रोशनी दी।
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